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भुगतान प्रणालियों का पर्यवेक्षण

भुगतान और निपटान प्रणाली समिति, बैंक फॉर इन्टरनेशनल सेटलमेंट्स द्वारा प्रकाशित “सेंट्रल बैंक ओवरसाइट ऑफ पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स, मई 2005” की रिपोर्ट में, पर्यवेक्षण को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया गया है “यह केंद्रीय बैंक का कार्य है जिसके माध्यम से मौजूदा और नियोजित प्रणालियों की निगरानी के माध्यम से सुरक्षा और कार्यक्षमता के लक्ष्यों को प्रोत्साहित किया जाता है और इन लक्ष्यों की तुलना में उनका मूल्यांकन किया जाता है और जहां कहीं आवश्यक होता है वहाँ परिवर्तन भी किया जाता है।”

भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 और उसके अधीन बनाई गई भुगतान और निपटान प्रणाली विनियमावली 2008 भारतीय रिज़र्व बैंक को आवश्यक सांविधिक समर्थन प्रदान करती है ताकि वह देश में भुगतान और निपटान प्रणालियों के पर्यवेक्षण संबंधी कार्य कर सके।

भुगतान और निपटान प्रणाली के मिशन में पर्यवेक्षण के दायरे को परिभाषित किया गया है। मिशन वक्तव्य में यह कहा गया है कि हमारा प्रयास होगा “यह सुनिश्चित करना कि देश में संचालित सभी भुगतान और निपटान प्रणालियाँ सुरक्षित, प्रतिरक्षित, समर्थ, सक्षम, सुलभ और प्राधिकृत हैं।”

पर्यवेक्षण के उपर्युक्त नीतिगत लक्ष्यों को पाने के लिए यह आवश्यक होगा कि सभी भुगतान प्रणालियाँ उक्त ढांचे के अंतर्गत ही काम करें। पर्यवेक्षण गतिविधि के तीन प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं: (i) मौजूदा और नियोजित प्रणालियों की निगरानी करना (ii) मूल्यांकन करना और (iii) परिवर्तन लाना।

भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग में ओवरसाइट प्रभाग बनाया गया है जो संरचनागत पर्यवेक्षण के लिए ढांचा तैयार कर रहा है।

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