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Date: 15/04/2025
भारतीय मुद्रा

(15 अप्रैल 2025 तक अद्यतन)

क) भारतीय मुद्रा/मुद्रा प्रबंधन से जुड़ी आधारभूत जानकारी

1. भारतीय मुद्रा को क्या कहा जाता है तथा इसका प्रतीक क्या है?

भारतीय मुद्रा का नाम भारतीय रुपया (आईएनआर) है। एक रुपया में 100 पैसे होते हैं। भारतीय रुपये का प्रतीक "" है। यह रूपरेखा (डिजाइन) देवनागरी अक्षर "" (र) तथा लैटिन के बड़े “आर/R” अक्षर के समान है जिसमें शीर्ष पर दोहरी क्षैतिज रेखा है।

2. वैध मुद्रा क्या है?

ऐसे सिक्के अथवा बैंकनोट जिसे कानूनी रूप से कर्ज अथवा देयता के एवज में दी जा सके, वैध मुद्रा होगी।

भारत सरकार द्वारा सिक्‍का निर्माण अधिनियम, 2011 की धारा 6 के तहत जारी सिक्के भुगतान अथवा अग्रिम के तौर पर वैध मुद्रा होंगे, बशर्ते कि उन्‍हें विकृत नहीं किया गया हो तथा निर्धारित वजन की तुलना में उसका वजन कम नहीं हुआ हो। एक रुपया से कम मूल्‍यवर्ग को छोड़कर किसी भी सिक्‍के को किसी एकल लेनदेन में एक हजार रुपये तक की किसी भी राशि के संबंध में वैध मुद्रा माना जाएगा। पचास पैसे (आधा रुपया) का सिक्का, दस रुपये तक की राशि के लिए वैध मुद्रा होगा। किसी को भी उल्लिखित सीमा से अधिक सिक्के स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, किंतु स्वेच्छा से उक्त सीमा से अधिक सिक्के स्वीकार करने पर रोक नहीं है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रत्‍येक बैंकनोट (2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500 तथा 2000*), जब तक कि उसे संचलन से वापस न ले लिया जाए, उसमें उल्लिखित राशि के लिए भुगतान अथवा अग्रिम के तौर पर भारत में वैध होगा, तथा भारत सरकार द्वारा प्रत्याभूत होगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26 की उप-धारा (2) के प्रावधानों के अधीन होगा। भारत सरकार द्वारा जारी 1 के नोट भी वैध मुद्रा होंगे। महात्मा गांधी शृंखला के अंतर्गत 08 नवंबर 2016 तक जारी किए गए 500 तथा 1000 के बैंकनोट 08 नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से वैध मुद्रा नहीं रहे।

*2000 मूल्यवर्ग के बैंक नोट अभी भी वैध मुद्रा हैं। अधिक जानकारी के लिए 01 सितंबर 2023 के प्रेस विज्ञप्ति 2023-2024/851 का संदर्भ लें (https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/FS_PressRelease.aspx?prid=48078&fn=2747).

3. बैंक नोटों व सिक्कों का उत्पादन/ढलाई कहाँ किया जाता/की जाती है?

बैंक नोटों को चार मुद्रणालयों में मुद्रित किया जाता है। इसमें से दो का स्‍वामित्‍व, सिक्‍यूरिटी प्रिंटिंग एंड मिंन्टिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) के माध्‍यम से भारत सरकार के पास है, तथा दो का स्‍वामित्‍व उसके पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी संस्‍था, भारतीय रिज़र्व बैंकनोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) के माध्‍यम से भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है। एसपीएमसीआईएल की दो मुद्रण प्रेस नासिक (पश्चिमी भारत) तथा देवास (मध्य भारत) में स्थित हैं। बीआरबीएनएमपीएल की दो मुद्रण प्रेस मैसूर (दक्षिण भारत) तथा सालबोनी (पूर्वी भारत) में स्थित हैं।

सिक्कों की ढलाई एसपीएमसीआईएल के स्वामित्व वाली चार टकसालों में की जाती है। ये टकसाल मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता तथा नोएडा में स्थित हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 38 के अनुसार संचलन हेतु सिक्‍के सिर्फ भारतीय रिज़र्व बैंक के माध्यम से जारी किए जाते हैं।

4. मुद्रा तिजोरी क्या है?

बैंक नोटों तथा रुपये के सिक्कों के वितरण को सुगम बनाने के लिए रिजर्व बैंक ने चयनित अनुसूचित बैंकों को मुद्रा तिजोरी की स्थापना करने हेतु प्राधिकृत किया है। ये ऐसे भण्डारगृह हैं जहां बैंक नोटों तथा सिक्कों को भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली बैंक शाखाओं में वितरित करने के लिए भंडारण किया जाता है। 31 मार्च 2025 को 2,689 मुद्रा तिजोरियाँ थीं।

[मुद्रा तिजोरियों से अपेक्षित है कि वे उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली अन्य बैंक शाखाओं को बैंक नोट तथा सिक्कों का वितरण करें]

5. छोटे सिक्के डिपो क्या हैं?

कुछ बैंकों को उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली बैंक शाखाओं को छोटे सिक्के अर्थात एक रुपये से कम मूल्य के सिक्के वितरित करने तथा उनका भण्डारण करने के लिए छोटे सिक्का डिपो स्थापित करने हेतु रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किया गया है। 31 मार्च 2025 को कुल 2,299 छोटे सिक्का डिपो थे।

6. मुद्रा प्रबंधन में भारतीय रिज़र्व बैंक की क्या भूमिका है?

भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम १९३४ की धारा 22 के अनुसार, भारत में नोट निर्गमित करने का एकमात्र अधिकार रिज़र्व बैंक के पास है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम १९३४ की धारा 25 में उल्‍लेख है कि बैंकनोट की रूपरेखा (डिजाइन), स्‍वरूप और सामग्री भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की अनुसंशा पर विचार करने के उपरांत केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के अनुसार होगी।

रिज़र्व बैंक, केंद्र सरकार तथा अन्य साझेदारों के परामर्श से, एक वर्ष में मूल्यवर्ग-वार मांग को ध्यान में रखते हुए अनुमानित आवश्‍यक बैंक नोटों की मात्रा का आकलन करता है और बैंक नोटों की आपूर्ति हेतु विभिन्न बैंक नोट मुद्रण प्रेसों को माँगपत्र (इंडेंट) सौंपता है। रिज़र्व बैंक अपनी स्वच्छ नोट नीति के अनुसार, आम जनता को अच्छी गुणवत्ता के बैंकनोट उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संचलन से वापस लिए गए बैंक नोटों की जांच की जाती है तथा जो संचलन के योग्य हैं उन्हें पुन: जारी किया जाता है, जबकि अन्य (गंदे तथा कटे-फटे) को नष्ट कर दिया जाता है ताकि संचलन में बैंक नोटों की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके।

सिक्कों के संबंध में, भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका भारत सरकार द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले सिक्कों के वितरण करने तक सीमित है। सिक्‍का निर्माण अधिनियम, 2011 के अनुसार विभिन्न मूल्यवर्ग के सिक्कों की रूपरेखा तैयार करने (डिजाइनिंग) तथा ढलाई की जिम्‍मेदारी भारत सरकार की है।

7. कोई व्यक्ति भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आपूर्ति किए गए अथवा वर्तमान में संचलनगत नोटों/सिक्कों के संबंध में सूचना कहाँ से प्राप्त कर सकता है?

नोटों व सिक्कों के माँगपत्र (इंडेंट) तथा आपूर्ति अथवा संचलनगत मुद्रा/सिक्कों के संबंध में सूचना हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in के इस लिंक पर उपलब्ध है https://www.rbi.org.in/hindi/Scripts/armainpage.aspx

8. रिज़र्व बैंक जनता के बीच मुद्रा का वितरण कैसे करता है?

वर्तमान में रिज़र्व बैंक अहमदाबाद, बेंगलुरू, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना और तिरूवनंतपुरम स्थित 19 निर्गम कार्यालयों तथा कोच्चि स्थित एक मुद्रा तिजोरी के माध्यम से मुद्रा परिचालनों का प्रबंधन करता है। इसके अलावा, अनुसूचित बैंकों की देखरेख और प्रबंधन के अंतर्गत आने वाली मुद्रा तिजोरियों का विस्तृत नेटवर्क मुद्रा प्रबंधन संरचना का एक भाग है। निर्गम कार्यालय बैंक नोट मुद्रण प्रेसों से नए नोट प्राप्त करते हैं, और मुद्रा तिजोरियों को नए बैंकनोट विप्रेषित करते हैं। मुद्रा तिजोरियों को प्रेसों से नए बैंकनोटों का सीधा विप्रेषण भी किया जाता है।

रिज़र्व बैंक के हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई तथा नई दिल्ली स्थित कार्यालय (टकसाल से संबद्ध कार्यालय) टकसालों से सिक्के प्राप्त करते हैं। इसके पश्चात ये कार्यालय सिक्कों को रिज़र्व बैंक के अन्य कार्यालयों को भेजते हैं जो इन सिक्कों को मुद्रा तिजोरियों तथा छोटे सिक्का डिपो में भेजते हैं। बैंकनोट तथा सिक्कों का भंडारण मुद्रा तिजोरियों में तथा छोटे सिक्कों का भंडारण छोटे सिक्का डिपो में किया जाता है। बैंक शाखाएँ मुद्रा तिजोरियों तथा छोटे सिक्का डिपो से बैंकनोट तथा सिक्के प्राप्त करती हैं, जिनका वितरण आम जनता को किया जाता है।

9. मैं अपने पुराने बैंकनोटों और सिक्कों की बिक्री कहाँ कर सकता हूँ?

भारतीय रिज़र्व बैंक पुराने बैंकनोटों और सिक्कों की खरीद/बिक्री में लेन-देन नहीं करता है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 04 अगस्त 2021 को ”रिज़र्व बैंक ने जनता को पुराने बैंक नोटों और सिक्कों की खरीद-बिक्री के फर्जी प्रस्तावों का शिकार न के लिए आगाह किया” इस विषय पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। यह प्रेस विज्ञप्ति हमारे वेबसाइट पर मुद्रा प्रबंधन >प्रेस विज्ञप्ति के अंतर्गत निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है। https://www.rbi.org.in/hindi/Scripts/PressReleases.aspx?Id=43958

ख) बैंकनोट

1. बैंकनोट पर “मैं अदा करने का वचन देता हूँ” वाक्‍यांश का क्‍या अर्थ होता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 26 के अनुसार, बैंकनोट के मूल्य का भुगतान करने हेतु बैंक उत्तरदायी है। जारीकर्ता होने के कारण, मांग किए जाने पर यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा देय है।

बैंकनोट पर मुद्रित वचन खंड, अर्थात “मैं धारक को ... रुपये अदा करने का वचन देता हूँ”, बैंक की ओर से बैंकनोट धारक के प्रति देयता को दर्शाता है।

2. रूपये का मानक मूल्य क्या है? क्या पेपर मुद्रा अधिनियम अभी भी वैध है?

वर्तमान में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 और सिक्का अधिनियम, 2011 के अंतर्गत क्रमश: बैंक नोटों और सिक्कों को जारी किया जाता है। इन अधिनियमों के प्रावधान रुपये/सिक्के के किसी मानक मूल्य का उल्लेख नहीं करते हैं। कागजी मुद्रा और सिक्कों से संबंधित पूर्ववर्ती वैधानिक प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया है।

इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26 के अनुसार, प्रत्येक बैंक नोट भारत में किसी भी स्थान पर उसमें व्यक्त राशि के भुगतान या उक्त राशि के लिए कानूनी निविदा होगा और केंद्र सरकार द्वारा इसकी गारंटी दी जाएगी।

इसके अतिरिक्त, किसी बैंक नोट के मूल्य की वापसी भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियम, 2009 [भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) संशोधन नियम, 2018 द्वारा संशोधित] के अनुसार निर्धारित और वापस की जाएगी, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किए गए “नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा” पर मास्टर निर्देश के संदर्भ के साथ देखा जाए।

3. वर्तमान में कौन से मूल्यवर्ग के बैंकनोट संचलन में हैं?

भारत में वर्तमान में 10, 20, 50, 100, 200, 500, तथा 2000* मूल्यवर्ग के बैंकनोट जारी किए जाते हैं। इन नोटों को बैंकनोट कहा जाता है, क्योंकि ये भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं। 2 तथा 5 मूल्यवर्ग के नोटों का मुद्रण बंद कर दिया गया है तथा इन मूल्यवर्गों के सिक्‍के बनाए जा रहे हैं क्योंकि इन बैंक नोटों का मुद्रण तथा सेवा पर किया जाने वाला खर्च इनके जीवनकाल के आनुषंगिक नहीं था। यद्यपि, पूर्व में जारी किए गए इस तरह के बैंकनोट अभी भी संचलन में पाए जाते हैं तथा ये बैंकनोट वैध मुद्रा बने हुए हैं। 1 के नोट समय-समय पर भारत सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं तथा पूर्व में जारी किए गए नोटों सहित इस प्रकार के नोट लेन-देन के लिए वैध मुद्रा बने हुए हैं।

*2000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट अभी भी वैध मुद्रा हैं। अधिक जानकारी के लिए 01 सितंबर 2023 के प्रेस विज्ञप्ति का संदर्भ लें (https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/FS_PressRelease.aspx?prid=48078&fn=2747).

4. क्या सिर्फ इन्हीं मूल्यवर्गों के बैंकनोट जारी किए जा सकते हैं?

ऐसा आवश्यक नहीं है। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 24 के अनुसार, बैंक नोटों का अंकित मूल्‍य दो रुपये, पाँच रुपये, दस रुपये, बीस रुपये, पचास रुपये, एक सौ रुपये, पाँच सौ रुपये, एक हजार रुपये, पाँच हजार रुपये तथा दस हजार रुपये अथवा इस प्रकार के अन्य मूल्यवर्ग, जो दस हजार से अधिक नहीं हो, होगा। इस संबंध में, केंद्रीय बोर्ड की अनुसंशा पर, विशिष्‍ट निर्देश जारी करने की शक्ति केंद्र सरकार के पास है।

5. अभी तक मुद्रित किया गया नोट का उच्चतम मूल्यवर्ग कौन सा है?

वर्ष 1938 में मुद्रित भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अब तक का उच्चतम मूल्यवर्ग का नोट 10000 का था, जिसे जनवरी 1946 में विमुद्रीकृत कर दिया गया। वर्ष 1954 में 10000 का नोट पुन: प्रारम्भ किया गया। इन नोटों को 1978 में विमुद्रीकृत कर दिया गया।

6. मुद्रा का कागज किससे बना होता है?

भारत में बैंकनोट मुद्रित करने के लिए वर्तमान में प्रयोग में लाया जाने वाला कागज 100% रूई (कॉटन) का उपयोग करके बनाया जाता है।

7. भारतीय बैंकनोट के भाषा पैनल में कितनी भाषाएँ मौजूद हैं?

नोट के मध्य में हिंदी तथा बैंकनोट के पश्च भाग में अँग्रेजी में प्रमुखता से प्रदर्शित होने के अतिरिक्त बैंकनोट के भाषा पैनल में पंद्रह भाषाएँ मौजूद हैं।

8. क्या यह संभव है कि दो या अधिक बैंकनोटों के क्रमांक (सीरियल नंबर) समान हों?

हाँ, यह संभव है कि दो या अधिक बैंकनोट के सीरियल नंबर समान हों, लेकिन या तो वे अलग इनसेट लेटर अथवा अलग मुद्रण वर्ष अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक के अलग गवर्नर के हस्ताक्षर वाले होंगे। इनसेट लेटर एक अक्षर होता है जो बैंकनोट के संख्या पैनल पर मुद्रित होता है। नोट बिना किसी इनसेट लेटर के भी हो सकते हैं।

9. “सितारा शृंखला/स्‍टार सीरीज” वाला बैंकनोट क्‍या होता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अगस्त 2006 तक जारी बैंक नोटों में क्रमांक दिए जाते थे। इसमें से प्रत्येक बैंकनोट में एक संख्या अथवा अक्षर/रों से प्रारंभ होने वाला विशिष्ट क्रमांक दिया जाता था। बैंक नोटों को 100 संख्या वाले पैकेट के रूप में जारी किया जाता है।

क्रमांक दर्शाने वाले 100 संख्या वाले पैकेट में दोषपूर्ण मुद्रण वाले बैंकनोटों को प्रतिस्‍थापित करने के लिए बैंक ने “सितारा शृंखला/स्‍टार सीरीज” वाली संख्‍यांकन प्रणाली को अपनाया। सितारा शृंखला/स्‍टार सीरीज वाले बैंकनोट अन्य बैंक नोटों के एकदम समान होते हैं, लेकिन एक अतिरिक्त संकेताक्षर, यथा शुरुआती अक्षरों के बीच के स्थान में संख्या पैनल में एक *(सितारा/स्टार) अंकित होता है।

10. गैर-अनुक्रमिक संख्यांकन क्या है?

बैंक नोटों के मुद्रण में परिचालन क्षमता तथा लागत की प्रभावशीलता में वृद्धि के उद्देश्य से, सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप, 2011 में गैर-अनुक्रमिक संख्यांकन शुरू किया गया था। गैर-अनुक्रमिक संख्यांकन वाले बैंक नोटों के पैकेट में 100 नोट होते हैं, जो क्रमानुसार नहीं होते हैं।

11. एक नए बैंकनोट पर मुद्रित किए जाने वाले रेखाचित्र (फिगर) का निर्धारण कौन करता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 25 के अनुसार, बैंकनोट की रूपरेखा (डिजाइन), स्‍वरूप और सामग्री भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की अनुसंशा के उपरांत केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के अनुरूप होगी।

12. मुद्रित किए जाने वाले बैंकनोटों की मात्रा तथा मूल्‍य का निर्धारण कौन तथा किस आधार पर करता है?

एक वर्ष में मुद्रित की जाने वाली बैंक नोटों की मात्रा तथा मूल्य विभिन्न कारकों पर निर्भर करते हैं, जैसे (i) जनता की बढ़ती हुई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संचलनगत नोटों (एनआईसी) में अपेक्षित वृद्धि, तथा (ii) संचलन में केवल अच्छी गुणवत्ता वाले नोटों का होना सुनिश्चित करने हेतु गंदे/कटे-फटे नोटों को बदलने की आवश्यकता। संचलनगत नोटों में अपेक्षित वृद्धि का आकलन सांख्यिकीय मॉडलों का उपयोग करके किया जाता है, जिसमें समष्टिगत आर्थिक कारकों जैसे सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) में अपेक्षित वृद्धि, मुद्रास्फीति, ब्याज दर, भुगतान के गैर-नकदी माध्यमों में वृद्धि आदि को ध्‍यान में रखा जाता है। प्रतिस्थापन की आवश्यकता पहले से ही संचलनगत नोटों की मात्रा तथा बैंकनोट के औसत जीवन पर निर्भर करती है। रिज़र्व बैंक नकदी की अपेक्षित मांग के संबंध में एक वर्ष में मुद्रित की जाने वाली बैंक नोटों की मात्रा तथा मूल्य का आकलन उक्त कारकों के साथ ही अपने क्षेत्रीय कार्यालयों तथा बैंकों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर करता है तथा भारत सरकार और प्रिंटिंग प्रेसों के परामर्श से इसको अंतिम रूप देता है।

13. क्या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए बैंकनोटों को स्‍वर्ण जैसी किसी परिसंपत्ति से सुरक्षित किया जाता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए सभी बैंक नोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 33 में यथा परिभाषित स्‍वर्ण, सरकारी प्रतिभूतियों तथा विदेशी मुद्रा आस्तियों से सुरक्षित किया जाता है।

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

1. भारत की आजादी के समय से जारी किए गए बैंकनोटों के विभिन्न प्रकार कौन से हैं?

विवरण निम्नानुसार है:

i. अशोक स्‍तंभ वाले बैंकनोट:

स्वतंत्र भारत द्वारा जारी पहला बैंकनोट एक रूपया का नोट था, जिसे 1949 में जारी किया गया था। उन्हीं डिज़ाइनों को बरकरार रखते हुए वाटरमार्क विंडो में किंग जॉर्ज के चित्र के स्थान पर सारनाथ के अशोक स्तंभ के लॉयन कैपिटल प्रतीक के साथ नए बैंकनोट जारी किए गए।

नए बैंक नोटों पर जारीकर्ता का नाम, मूल्यवर्ग तथा वचन खंड संबंधी वाक्‍यांश को वर्ष 1951 से हिंदी में मुद्रित किया गया था। 1000, 5000 तथा 10000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट वर्ष 1954 में जारी किए गए थे। अशोक स्‍तंभ वाटरमार्क शृंखला वाले बैंकनोट, 10 मूल्यवर्ग में 1967-1992 के दौरान, 20 मूल्यवर्ग में 1972-1975 के दौरान, 50 मूल्यवर्ग में 1975-1981 के दौरान, तथा 100 मूल्यवर्ग में 1967-1979 के दौरान जारी किए गए। उक्त अवधि के दौरान जारी किए गए बैंकनोटों में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, प्रगति, भारतीय कला रूपों को प्रदर्शित करने वाले प्रतीक शामिल थे। वर्ष 1970 में, पहली बार “सत्यमेव जयते”, अर्थात ‘सत्य की हीं सदैव जीत होती है’ के उपाख्‍यान के साथ बैंकनोट शुरू किए गए। महात्मा गांधी के चित्र तथा अशोक स्‍तंभ के वाटरमार्क के साथ 500 के बैंकनोट की शुरूआत अक्तूबर 1987 में की गई।

ii. महात्मा गांधी (एमजी) शृंखला 1996

एमजी शृंखला – 1996 के अंतर्गत जारी किए गए बैंक नोटों का विवरण निम्नानुसार है:

मूल्यवर्ग प्रारम्भ करने का माह तथा वर्ष
5 नवंबर 2001
10 जून 1996
20 अगस्त 2001
50 मार्च 1997
100 जून 1996
500 अक्तूबर 1997
1000 नवंबर 2000

इस शृंखला के सभी बैंकनोटों में अग्र (सामने के) भाग पर अशोक स्‍तंभ के लॉयन कैपिटल के प्रतीक के स्थान पर महात्मा गांधी का चित्र है। अशोक स्‍तंभ के लॉयन कैपिटल को भी बरकरार रखा गया है तथा इसे वाटरमार्क विंडो के बायीं ओर स्थानांतरित किया गया है। इसका अर्थ यह है कि इन बैंक नोटों में महात्मा गांधी के चित्र के साथ साथ महात्मा गांधी का वाटरमार्क भी है।

iii. महात्मा गांधी शृंखला - 2005 बैंकनोट

एमजी शृंखला 2005 वाले बैंकनोट 10, 20, 50, 100, 500 तथा 1000 मूल्यवर्ग में जारी किए गए। इसमें 1996 एमजी शृंखला की तुलना में कुछ अतिरिक्त/नई सुरक्षा विशेषताओं को सम्मिलित किया गया है। इन बैंक नोटों के प्रारम्भ करने के वर्ष निम्नानुसार हैं:

मूल्यवर्ग प्रारम्भ करने का माह तथा वर्ष
50 तथा 100 अगस्त 2005
500 तथा 1000 अक्तूबर 2005
10 अप्रैल 2006
20 अगस्त 2006

इस शृंखला के 500 तथा 1000 के बैंकनोटों की वैधता को 08 नवंबर 2016 की मध्य रात्रि से समाप्‍त कर दिया गया था।

iv. महात्मा गांधी (नई) शृंखला (एमजीएनएस) – नवंबर 2016

महात्मा गांधी (नई) शृंखला को वर्ष 2016 में प्रारम्भ किया गया था, जिसमें देश की सांस्कृतिक विरासत तथा वैज्ञानिक उपलब्धियों को विशिष्‍ट रूप से दर्शाया गया है। इस शृंखला के बैंकनोटों की लंबाई-चौड़ाई कम होने के कारण वे, बटुए के लिए अधिक अनुकूल हैं तथा इस कारण से नोटों के घिसने-पिसने की संभावना कम होती है। बैंकनोटों की रूपरेखा (डिजाइन) में देश के विविधतापूर्ण इतिहास, संस्कृति और लोकाचार के साथ ही इसकी वैज्ञानिक उपलब्धियों को दर्शाने वाले विषयों को पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। बैंकनोटों को विशिष्ट बनाने के लिए रंग योजना को चटक एवं सुस्‍पष्‍ट रखा गया है।

इस नई शृंखला का पहला बैंकनोट 08 नवंबर 2016 को एक नए मूल्यवर्ग अर्थात 2000 में जारी किया गया जिसमें मंगलयान के रूपरंग (थीम) को दर्शाया गया है। इसके पश्चात, इस शृंखला में 500, 200, 100, 50, 20 तथा 10 के बैंकनोट भी प्रारम्भ किए गए हैं।

2. किन मूल्यवर्ग के बैंकनोटों को विमुद्रीकृत किया जा चुका है?

500, 1000 तथा 10000 के बैंकनोटों को, जो तब संचलन में थे, जनवरी 1946 में विमुद्रीकृत किया गया। वर्ष 1954 में 1000, 5000 तथा 10000 के उच्च मूल्यवर्ग के बैंकनोटों को पुन: प्रारम्भ किया गया, तथा इन बैंकनोटों (1000, 5000 तथा 10000) को जनवरी 1978 में फिर से विमुद्रीकृत कर दिया गया।

महात्मा गांधी शृंखला के तहत जारी किए गए 500, 1000 मूल्यवर्ग के बैंकनोटों को हाल ही में 08 नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से संचलन से हटा लिया गया है, और इसलिए अब ये वैध मुद्रा नहीं हैं।

विनिर्दिष्ट नोटों को रखने, हस्तांतरित करने अथवा प्राप्त करने पर प्रतिबंध के संबंध में, विनिर्दिष्ट बैंकनोट (देयताओं की समाप्ति) अधिनियम, 2017 की धारा 5 का पाठ निम्नानुसार है:

नियत दिन को एवं उसके बाद से, जानबूझकर या स्वेच्छा से विनिर्दिष्‍ट बैंक नोट रखने, हस्‍तांतरित करने अथवा प्राप्‍त करने पर सभी व्‍यक्तियों के लिए मनाही होगी:

बशर्ते कि विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को रखने के संबंध में इस धारा के किसी उपबंध के तहत प्रतिबंध नहीं लगाया जाए –

(क) किसी व्यक्ति द्वारा -

(i) छूट अवधि समाप्त होने तक; अथवा

(ii) छूट अवधि के समाप्त होने के पश्चात –

क. मूल्यवर्ग पर ध्यान दिए बिना कुल दस नोट से अधिक नहीं हों; अथवा

ख. अध्ययन, अनुसंधान अथवा मुद्राशास्त्रीय उद्देश्य के लिए पच्चीस नोट से अधिक नहीं हों.

(ख) रिज़र्व बैंक अथवा इसकी कोई एजेंसियों द्वारा, अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति द्वारा;

(ग) अदालत में लंबित किसी मामले के संबंध में न्यायालय के निर्देश पर किसी व्यक्ति द्वारा

विनिर्दिष्‍ट बैंकनोटों (एसबीएन) के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी परिपत्र तथा अनुदेश हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in के अंतर्गत इन कार्य-वार साइटों पर उपलब्ध है >> मुद्रा निर्गमकर्ता >> विनिर्दिष्ट बैंक नोट के बारे में आप जो जानना चाहते हैं वह सब। https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/content.aspx?ID=317

3. 2005 शृंखला से पहले के बैंकनोटों को संचलन से वापस लिए जाने की क्या स्थिति है? उन्‍हें कहाँ बदला जा सकता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2005 से पहले जारी किए गए सभी बैंकनोटों को संचलन से बाहर करने का निर्णय लिया था, क्योंकि उनमें 2005 के पश्चात मुद्रित बैंकनोटों की तुलना में कम सुरक्षा विशेषताएँ थीं। पुरानी शृंखला के नोटों को वापस लेना एक मानक अंतरराष्ट्रीय प्रथा है। भारतीय रिज़र्व बैंक पहले ही इन नोटों को नियमित रूप से बैंकों के माध्यम से वापस लेता रहा है। ऐसा अनुमान है कि संचलनगत ऐसे बैंकनोटों (2005 से पहले के) की मात्रा इतनी अधिक नहीं है कि आम जनता पर कोई बड़ा प्रभाव पड़े। 2005 से पहले के नोटों को बदलने की सुविधा भारतीय रिज़र्व बैंक के केवल अहमदाबाद, बेंगलुरू, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना, तिरूवनंतपुरम तथा कोच्चि कार्यालयों में उपलब्ध है। हालांकि, इसका तात्‍पर्य यह नहीं है कि बैंक अपने ग्राहकों के खातों में जमा करने के लिए 2005 से पहले के नोटों को जमा करने हेतु स्वीकार नहीं कर सकते। इस संबंध में कृपया दिनांक 19 दिसंबर 2016 की प्रेस प्रकाशनी का संदर्भ लें जिसे निम्न लिंक पर देखा जा सकता है: https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/FS_PressRelease.aspx?prid=30660&fn=2747

4. जब नई रूपरेखा (डिजाइन) के बैंकनोट प्रारम्भ किए जाते हैं, तब पुरानी रूपरेखा (डिजाइन) के बैंक नोटों का क्‍या किया जाता है?

आम तौर पर कुछ समय के लिए नई तथा पुरानी–दोनों रूपरेखा (डिजाइन) वाले नोटों का एक साथ संचलन किया जाता है। पुरानी रूपरेखा वाले नोटों के पुन:जारी करने के योग्य नहीं रह जाने पर उन्‍हें धीरे-धीरे संचलन से बाहर कर दिया जाता है।

5. अलग शृंखला के बैंकनोटों के मुद्रण की क्या आवश्यकता है?

विश्व के सभी केंद्रीय बैंक प्राथमिक रूप से जालसाजी को कठिन बनाने तथा जालसाजों से दो कदम आगे रहने के लिए अपने बैंकनोटों की रूपरेखा को परिवर्तित करते हैं तथा नई सुरक्षा विशेषताओं को समाविष्ट करते हैं। भारत भी इसी नीति का अनुसरण करता है।

6. संचलनगत बैंक नोटों में कौन-कौन सी सुरक्षा विशेषताएँ हैं?

एमजी शृंखला 2005 तथा एमजी (नई) शृंखला के बैंकनोटों में निम्नलिखित सुरक्षा विशेषताएँ हैं:

i. सुरक्षा धागा: 10, 20 तथा 50 मूल्यवर्ग के बैंकनोट के अग्रभाग में गूँथा हुआ (विंडोड) तथा पश्चभाग में पूर्णत: अंत:स्थापित चांदी के रंग का सुरक्षा धागा होता है, जिसकी पहचान मशीन से की जा सकती है। यह धागा पराबैंगनी प्रकाश में दोनों ओर से पीले रंग में प्रतिदीप्त होता है। जब इसे प्रकाश के सामने लाया जाता है तो यह धागा पीछे से एक निरंतर रेखा के रूप में प्रतीत होता है। 100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के बैंकनोटों में विभिन्न कोणों से देखने पर हरे से नीले रंग में परिवर्तित होने वाला गूँथा हुआ (विंडोड) रंग परिवर्तन सुरक्षा धागा होता है, जिसकी पहचान मशीन से की जा सकती है। पश्चभाग में यह पीले रंग में प्रतिदीप्त होता है तथा पराबैंगनी प्रकाश में अग्रभाग में अक्षर प्रतिदीप्त होते हैं।

ii. उत्कीर्ण (इंटेग्लियो) मुद्रण: 100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग पर महात्मा गांधी का चित्र, रिज़र्व बैंक की मुहर, गारंटी तथा वचन खंड, अशोक स्‍तंभ का प्रतीक, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर तथा दृष्टिबाधितों के लिए पहचान चिह्न उत्कीर्ण (इंटेग्लियो) रूप में मुद्रित होते हैं।

iii. आर-पार मिलान (सी थ्रू रजिस्टर): नोट के बायीं ओर, प्रत्येक मूल्यवर्ग अंक का एक हिस्‍सा अग्रभाग (सामने) तथा दूसरा हिस्‍सा पश्चभाग में मुद्रित होता है। इसे प्रकाश के सामने रखकर देखे जाने पर एक के पीछे एक (बैक टू बैक रजिस्‍ट्रेशन) यह अंक सटीक ढंग से पूरा होता है।

iv. वाटरमार्क तथा इलैक्ट्रोटाइप वाटरमार्क: बैंकनोटों में वाटरमार्क विंडो में प्रकाश तथा छाया रंजित (शेड) प्रभाव और बहु-दिशात्मक रेखाओं के साथ महात्मा गांधी का चित्र होता है। प्रत्येक मूल्यवर्ग के नोट में वाटरमार्क विंडो में मूल्यवर्ग के अंक को दर्शाने वाला इलैक्ट्रोटाइप मार्क भी प्रदर्शित होता है, जिसे प्रकाश के सामने रखकर बेहतर तरीके से देखा जा सकता है।

v. रंग-परिवर्तक स्याही: 200, 500 तथा 2000 के बैंकनोटों पर 200, 500 एवं 2000* के अंक रंग-परिवर्तक स्याही में मुद्रित होते हैं। जब बैंकनोटों को सीधा (फ्लैट) रखा जाता है तो इन अंकों का रंग हरा प्रतीत होता है लेकिन जब इनको किसी कोण से देखने पर है यह नीले में परिवर्तित हो जाएंगे।

vi. प्रतिदीप्ति (फ़्लोरोसेंस): बैंकनोटों की अंक पट्टिका (नंबर पैनल) प्रतिदीप्त (फ़्लोरोसेंट) स्याही से मुद्रित होते हैं। बैंकनोट में दोहरे रंग के ऑप्टिकल फाइबर भी होते हैं। बैंकनोट को पराबैगनी लैंप के समक्ष रखकर इन दोनों को देखा जा सकता है।

vii. अदृश्‍य प्रतिबिंब (लेटेंट इमेज): एमजी-2005 शृंखला में 20 तथा इससे अधिक मूल्‍यवर्ग के बैंकनोटों में, महात्मा गांधी के चित्र के आगे (दायीं ओर) एक लंबवत पट्टे (बैंड) में एक अदृश्‍य प्रतिबिंब होती है जो अंकित मूल्य को दर्शाती है। यह अंकित मूल्य को बैंकनोट को क्षैतिज रूप में रखकर उसके ऊपर प्रकाश डाले जाने पर ही दिखाई देता है, अन्यथा यह विशेषता केवल लंबवत पट्टे (बैंड) के रूप में ही प्रदर्शित होती है। एमजी (नई) शृंखला के बैंक नोटों में 100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोटों में अदृश्‍य प्रतिबिंब मौजूद है।

viii. सूक्ष्‍म अक्षरांकन (माइक्रो लेटरिंग): यह विशेषता बैंकनोट में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शित होता है तथा इसे आवर्धक लैंस के साथ बेहतर ढंग से देखा जा सकता है।

ix. 2015 से प्रारम्भ की गई अतिरिक्त विशेषताएँ

अंकन का नया ढंग

बैंकनोट की दोनों अंक पट्टियों (नंबर पैनल) में अंकों का आकार बाएँ से दाएँ बढ़ते क्रम में है, जबकि पहले तीन वर्ण सह अंकीय प्रतीकों (अल्‍फान्‍यूमेरिक कैरेक्‍टर) (पूर्व में लगने वाले) का आकार स्थिर होगा।

कोणीय ब्लीड रेखाएँ तथा पहचान चिह्नों के आकार में वृद्धि

बैंकनोटों में कोणीय ब्लीड रेखाओं को समाविष्‍ट किया गया - 100 में 2 ब्लॉक में 4 रेखाएँ, 200 में बीच में 2 वृत्‍तों के साथ 4 कोणीय ब्लीड रेखाएँ, 500 में 3 ब्लॉक में 5 रेखाएँ, 2000* में 7 रेखाएँ। इसके अतिरिक्त, 100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग में पहचान चिह्न के आकार में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

भारतीय बैंकनोटों में मौजूद उक्‍त सुरक्षा विशेषताओं के बारे में मूल्यवर्ग-वार जानकारी हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in >>प्रेस विज्ञप्ति पर भी उपलब्ध है। वैकल्पिक रूप से, यह सूचना इस लिंक में भी उपलब्‍ध है: https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/FS_Notification.aspx?Id=6317&fn=2747&Mode=0

7. कोई व्यक्ति एमजी शृंखला-2005 के बैंकनोट की पहचान कैसे कर सकता है?

ऊपर सूचीबद्ध सुरक्षा विशेषताओं के अतिरिक्त, एमजी शृंखला-2005 की शुरूआत के पश्चात जारी किए गए बैंकनोटों के पश्‍चभाग में मुद्रण वर्ष मुद्रित है जबकि 2005 से पहले की शृंखला में यह मौजूद नहीं होता है।

8. महात्मा गांधी (नई) शृंखला (एमजीएनएस) के बैंकनोटों में कौन सी विशेषताएँ हैं, जो दृष्टिबाधित व्यक्तियों को विभिन्न मूल्यवर्ग की पहचान करने में सहायक हो सकती है?

आंशिक दृष्टिबाधित व्यक्तियों द्वारा नोट की पहचान करने को सुगम बनाने के लिए महात्मा गांधी (नई) शृंखला के बैंकनोटों को चटक एवं सुस्‍पष्‍ट (शार्प कलर कॉन्‍ट्रास्‍ट स्‍कीम) बनाया गया है। दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लाभ के लिए 100 से अधिक मूल्यवर्ग में कोणीय ब्लीड रेखाएँ (100 में 2 ब्लॉक में 4 रेखाएँ, 200 में बीच में 2 वृत्‍तों के साथ 4 कोणीय ब्लीड रेखाएँ, 500 में 3 ब्लॉक में 5 रेखाएँ, 2000 में 7 रेखाएँ) तथा पहचान चिन्ह हैं। प्रत्येक नोट के अग्रभाग में एक पहचान चिह्न होता है, जिसका मुद्रण उभारदार (इंटेग्लियो) होता है तथा यह अलग-अलग मूल्यवर्ग में अलग-अलग आकार का होता है। उदाहरण के लिए 2000 के लिए क्षैतिज आयात, 500 के लिए वृत्‍त, 200 के लिए उभरा हुआ एच (H) का पहचान चिह्न, 100 के लिए त्रिभुज। इसके अतिरिक्त, इन मूल्यवर्गों में अंकों को नोट के मध्य भाग में उभारदार मुद्रण प्रमुखता से किया गया है।

*2000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट अभी भी वैध मुद्रा हैं। अधिक विवरण के लिए 01 सितंबर 2023 के प्रेस विज्ञप्ति 2023-2024/851 का संदर्भ लें (https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/FS_PressRelease.aspx?prid=48078&fn=2747)

9. मोबाइल एडेड नोट आइडेंटिफ़ायर – (मोबाइल फोन की सहायता से नोट की पहचानकर्ता) - (मणि) क्या है?

मोबाइल एडेड नोट आइडेंटिफ़ायर (मणि) भारतीय बैंकनोट्स के मूल्यवर्ग की पहचान करने में दृष्टिबाधित व्यक्तियों की सहायता हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू किया गया एक मोबाइल एप्लीकेशन है। इस नि:शुल्क एप्लीकेशन को एक बार इंस्टॉल करने के बाद इन्‍टरनेट की आवश्यकता नहीं होती है। यह एप्‍लीकेशन नोट के अग्र अथवा पश्च - भाग/हिस्से की जांच करके महात्मा गांधी शृंखला तथा महात्मा गांधी (नई) शृंखला के बैंक नोटों के मूल्यवर्ग की पहचान करने में सक्षम है। इससे प्रकाश की विभिन्‍न परिस्थितियों (सामान्य प्रकाश/दिन का प्रकाश/कम प्रकाश आदि) के अंतर्गत अलग-अलग कोणों से पकड़े गए आधे मुड़े हुए नोटों की पहचान भी की जा सकती है।

नोट: यह मोबाइल एप्लीकेशन किसी नोट के असली अथवा जाली होने को प्रमाणित नहीं करता है।

10. करेंसी नोट मुद्रण में गुणवत्ता नियंत्रण हेतु क्‍या उपाय किए गए हैं?

भारतीय बैंकनोटों के उत्पादन के लिए अपनाई गई प्रक्रियाएँ तथा प्रणालियाँ वैश्विक स्तर पर अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हैं। इसी के अनुरूप, बैंकनोट की गुणवत्ता को आकार, रूपरेखा (डिजाइन) के निर्धारण, मुद्रण विशेषताओं आदि के लिए मानदंडों की छूट सीमा के भीतर रखा जाता है। इस संबंध में प्रेस विज्ञप्ति इस लिंक से देखी जा सकती है: https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/FS_PressRelease.aspx?prid=33032&fn=2747

घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट

1. गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट क्या होते हैं?

(i) “गंदे नोट” का तात्पर्य उन नोटों से है जो अधिक उपयोग से गंदा हो गया हो, कटा फटा हो या एक साथ चिपका हुआ दो टुकड़ों का पूरा नोट हो, जिसमें प्रस्तुत किए गए दोनों टुकड़े एक ही नोट के हैं तथा इसमें सभी सुरक्षा विशेषताएँ मौजूद हों।

(ii) “कटा-फटा बैंकनोट” वह बैंकनोट होता है जिसका एक हिस्‍सा गायब हो अथवा जिसे दो से अधिक टुकड़ों से मिलाकर बनाया गया है।

(iii) “अपूर्ण बैंकनोट” का तात्‍पर्य किसी ऐसे बैंकनोट से है जो पूर्ण अथवा आंशिक रूप से विरूपित, सिकुड़ा हुआ, धो दिया गया, परिवर्तित अथवा अपाठ्य है, लेकिन इसमें कटा-फटा बैंकनोट शामिल नहीं होता है।

2. स्वच्छ नोट नीति क्या है?

भारतीय रिज़र्व बैंक आम जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले बैंकनोट उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयासरत है। भारतीय रिज़र्व बैंक तथा बैंकिंग प्रणाली के इस उद्देश्य को पूरा करने में मदद हेतु आम जनता से निम्‍नलिखित व्यवहारों को अंगीकार करने का अनुरोध किया जाता है:

  • बैंकनोटों को नत्थी न करें।

  • बैंकनोटों पर कुछ लिखें नहीं / कोई रबर स्टैम्प अथवा अन्य कोई निशान न लगाएँ।

  • बैंकनोटों का उपयोग माला/खिलौने बनाने, पंडाल तथा पूजास्थल को सजाने के लिए अथवा सामाजिक आयोजनों में व्यक्तियों पर बरसाने आदि के लिए न करें।

3. क्या रुपए की माला के उपयोग को रोकने के लिए कोई निर्देश है?

भारतीय रिजर्व बैंक ने 12 मार्च, 2008 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जनता से अपील की है कि वे माला बनाने, पंडालों और पूजा स्थलों को सजाने या सामाजिक समारोहों में हस्तियों पर नोट बरसाने आदि के लिए बैंक नोटों का उपयोग न करें। इस संबंध में जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है

अपने बैंक नोटों का सम्मान करें : भारतीय रिज़र्व बैंक की आम जनता से अपील - आरबीआई

4. क्या गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोटों को उनके मूल्य के लिए बदला जा सकता है?

हाँ, इस प्रकार के बैंकनोटों को मूल्य के लिए बदला जा सकता है।

5. गंदे/कटे-फटे बैंकनोटों को कहां पर बदला जा सकता है?

सभी बैंकों को पूर्ण मूल्य हेतु गंदे बैंकनोटों को बदलने तथा स्वीकार करने के लिए प्राधिकृत किया गया है। उन्‍हें गंदे/कटे-फटे नोटों के बदलने की सुविधा अपने ग्राहकों से इतर व्‍यक्तियों के लिए भी विस्तारित करना है।

वाणिज्यिक बैंकों की सभी शाखाओं को, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018, यथा संशोधित] के अनुसार, कटे-फटे बैंकनोटों (जो वैध मुद्रा हैं) का अधिनिर्णय करने तथा इसके लिए मूल्य का भुगतान करने हेतु प्राधिकृत किया गया है।

छोटे वित्त बैंक (अपने बैंकिंग व्यवसाय के प्रारम्भ से दो वर्ष तक) तथा भुगतान बैंक अपने विकल्प पर कटे-फटे तथा अपूर्ण/दोषपूर्ण नोटों को बदल सकते हैं।

6. कोई व्यक्ति अपूर्ण बैंकनोटों के बदले में कितना मूल्य प्राप्त कर सकता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018, यथा संशोधित] के भाग III में विनिर्दिष्ट नियमों के तहत अपूर्ण नोट के मूल्य के पूर्ण मूल्य/आधे मूल्य का भुगतान किया जा सकता है, जो हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in → प्रकाशन → सामयिक खंड के तहत उपलब्ध है।

7. नोट वापसी नियमावली के तहत किस प्रकार के बैंकनोट भुगतान हेतु पात्र/अपात्र हैं?

यह विवरण हमारी वेबसाइट के इस लिंक पर उपलब्ध है: www.rbi.org.in>>मुद्रा प्रबंधन>>अधिसूचनाएं

पुराने (2009) तथा संशोधित एनआरआर (2018) का सारांश निम्नानुसार है:

नोट वापसी नियमावली – संशोधित

क्र. पुराने एनआरआर (2009) के अनुसार संशोधित एनआरआर (2018) के अनुसार
1 रु. 20 मूल्यवर्ग तक के नोट

i. नोट के एकल सबसे बड़े भाग के अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र 50% से अधिक होने पर - पूर्ण मूल्य
ii. नोट के सबसे बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र 50% के तुल्‍य या उससे कम होने पर - निरस्त
कोई परिवर्तन नहीं
2 रु. 50/- तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोट

i. यदि क्षेत्र 40% से कम है – निरस्त
ii. यदि क्षेत्र 40% के बराबर अथवा अधिक हो तथा 65% से कम अथवा बराबर हो – आधा मूल्य
iii. यदि नोट का एकल सबसे बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र 65% से अधिक हो – पूर्ण मूल्य
रु. 50/- तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोट

i. यदि क्षेत्र 40% से कम है – निरस्त
ii. यदि क्षेत्र 40% के बराबर अथवा अधिक हो तथा 80% से कम अथवा बराबर हो – आधा मूल्य
iii. यदि नोट का एकल सबसे बड़े अविभाजित टुकड़े का क्षेत्र 80% से अधिक हो – पूर्ण मूल्य

8. यदि किसी बैंकनोट को भुगतान योग्य नहीं पाया जाता है तो क्या होगा?

भुगतान योग्य नहीं पाए जाने पर बैंकनोटों को प्राप्तकर्ता बैंक अपने पास रखते हैं तथा उन्‍हें भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजा जाता है जहां इन्हें नष्ट कर दिया जाता है।

9. क्या महात्मा गांधी (नई) शृंखला के तहत जारी नए नोटों में कटे-फटे/गंदे बैंक नोटों को जमा करने/बदलने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं?

कटे-फटे/फटे नोटों को बदलने के लिए दिशानिर्देश “नोटों व सिक्कों को बदलने की सुविधा” के संबंध में दिनांक 01 अप्रैल 2025 के हमारे मास्टर परिपत्र डीसीएम (एनई) सं.जी-5/08.07.18/2025-26 में उपलब्ध हैं जो हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in में कार्य-वार साइटें > मुद्रा प्रबंधन > अधिसूचनाएं के अंतर्गत उपलब्ध हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) के अनुसार कटे-फटे नोटों को सभी बैंक शाखाओं में बदला जा सकता है।

10. क्या क्षतिग्रस्त बैंकनोट के मूल्य का आकलन के लिए क्रम संख्या अनिवार्य होती है?

भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) अधिनियम, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018, यथा संशोधित] के तहत क्षतिग्रस्त बैंकनोट के मूल्य का आकलन करते समय क्रम संख्या अथवा अन्य विनिर्दिष्‍ट विशेषता की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति निर्णय का आधार नहीं है।

11. बैंकनोटों के संचलन से वापस भारतीय रिज़र्व बैंक में आने पर क्‍या होता है?

संचलन से वापस लिए गए बैंकनोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालयों में स्‍वीकार किया जाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक, अन्य विषयों के साथ, इन बैंकनोटों की प्रामाणिकता का सत्यापन करने, अंकगणितीय सटीकता तथा पुन: जारी किए जाने हेतु उपयुक्त नोटों के पृथक्‍करण तथा गंदे (अनफिट) नोटों को नष्ट करने के लिए अत्यधिक परिष्कृत मुद्रा सत्यापन तथा प्रसंस्करण प्रणाली (सीवीपीएस) मशीनों तथा श्रेडिंग एवं ब्रिकेटिंग प्रणाली (एसबीएस) मशीनों का उपयोग करता है।

12. क्या रंग लगे हुए/दागदार नोट अथवा उन पर कुछ लिखे गए नोट वैध मुद्रा हैं?

महात्मा गांधी (नई) शृंखला सहित सभी बैंकनोट जिन पर कुछ लिखा हो अथवा रंग/ तेल के दाग लगे हो तो वे वैध मुद्रा जारी रहेंगे, बशर्ते कि वे सुपाठ्य हों। इस प्रकार के नोटों को किसी भी बैंक शाखा में जमा किया जा सकता है या उन्‍हें बदला जा सकता है।

यद्यपि, बैंक नोट में राजनैतिक अथवा धार्मिक स्‍वरूप का संदेश देने अथवा इस तरह के संदेश देने की क्षमता हो, की नीयत से लिखे गए अनावश्‍यक शब्‍दों या दृश्‍य निरूपण हों अथवा उनके किसी व्‍यक्ति या संस्‍था के हितों को पूरा करने में सहायक होने पर बैंकनोटों के संबंध में ऐसे दावे को भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 [जैसा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018] के अनुसार निरस्त कर दिया जाएगा।

ड़) जाली नोट/जालसाजी

1. जाली नोट क्या है?

जिस किसी नोट में असली भारतीय करेंसी नोट की विशेषताएँ नहीं पाई जाती हैं वह संदिग्ध जाली नोट, प्रतिरूपित नोट अथवा नकली नोट होता है।

2. इसकी जांच कैसे की जाए कि कोई नोट असली है अथवा नहीं?

जाली नोट की पहचान असली भारतीय करेंसी नोट में मौजूद सुरक्षा विशेषताओं के आधार पर की जा सकती है। नोट को देखने, छूने तथा झुका कर देखने पर ये विशेषताएँ आसानी से पहचानी जा सकती हैं। भारतीय बैंक नोटों मे मौजूद सुरक्षा विशेषताओं के बारे मे जानकारी www.rbi.org.in > कार्य-वार साइटें > मुद्रा प्रबंधन > पैसा बोलता है https://paisaboltahai.rbi.org.in/hindi/ पर उपलबद्ध हैं।

3. जाली बैंकनोटों के संचलन तथा मुद्रण के संबंध में क्या कानूनी प्रावधान किए गए हैं?

बैंकनोटों की जालसाजी/जाली तथा नकली नोटों का असली नोटों के रूप में उपयोग करना/जाली या नकली बैंकनोट रखने/बैंक नोटों की जालसाजी अथवा नकली बनाने के लिए उपकरणों या सामग्री को रखना/ बैंकनोट के समान दिखने वाले दस्तावेज़ का उपयोग करना अथवा बनाना भारतीय न्याय संहिता (2023) की धारा 178 से 182 के तहत अपराध है तथा इसके लिए न्‍यायालयों द्वारा जुर्माना लगाया जा सकता है या सात साल से लेकर आजीवन कारावास दिया जा सकता है अथवा दोनों सजाएं दी जा सकती हैं, जो किए गए अपराध पर निर्भर होंगी।

भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत उच्च गुणवत्‍ता वाली प्रतिरूपित भारतीय करेंसी संबंधी अपराधों संबंधी अन्वेषण नियम, 2013 तैयार किया है। अधिनियम की तीसरी अनुसूची में उच्च गुणवत्‍ता वाले प्रतिरूपित भारतीय करेंसी नोट को परिभाषित किया गया है। उच्‍च गुणवत्‍ता वाले प्रतिरूपित भारतीय नोट के उत्‍पादन, तस्करी करने या संचरण की गतिविधि को भारतीय न्याय संहिता, 2023 के दायरे में लाया गया है।

4. क्या किसी जाली नोट को रखने से जुर्माना अथवा कारावास की सजा हो सकती है?

जाली नोट रखने मात्र से सजा नहीं होती है। किसी बैंक नोट के जाली अथवा प्रतिरूपित होने के बारे में जानकारी होने या ऐसा मानने के पीछे कारण होने, और उसे असली नोट की तरह प्रयोग करने का इरादा होने या उसे असली नोट की तरह प्रयोग किया जा सकने की जानकारी के साथ जाली या प्रतिरूपित बैंकनोट रखना भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 180 के तहत न्यायालय मे जुर्माना या सात साल तक की सजा या दोनों के लिए दंडनीय है।

5. असली नोटों और जाली नोटों में फर्क करने हेतु आम जनता को प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने क्‍या उपाय किया है?

भारतीय रिज़र्व बैंक काफी मात्रा में नकद राशि संभालने वाले व्यक्तियों, जैसे बैंकों/उपभोक्ता मंचों/व्यापारिक संगठनों/शैक्षणिक संस्थानों/पुलिस पेशेवरों, के लिए बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताओं की प्रामाणिकता संबंधी प्रशिक्षण सत्र आयोजित करता है। इन प्रशिक्षण सत्रों के अतिरिक्त, बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताओं से संबंधित जानकारी बैंक की वेबसाइट https://paisaboltahai.rbi.org.in/hindi/ पर भी उपलब्ध है।

च) सिक्के

1. वर्तमान में कौन से मूल्यवर्ग के सिक्के संचलन में हैं? क्या सिक्के केवल इन मूल्यवर्गों में ही जारी किए जा सकते हैं?

वर्तमान में भारत में 50 पैसे, एक रुपया, दो रुपये, पाँच रुपये, दस रुपये तथा बीस रुपये के मूल्यवर्ग के सिक्के जारी किए जा रहे हैं। 50 पैसे तक के सिक्कों को “छोटे सिक्के” कहा जाता है तथा एक रुपया और इससे अधिक के सिक्कों को “रुपया सिक्का” कहा जाता है। सिक्‍का निर्माण अधिनियम, 2011 के तहत 1000 तक के मूल्यवर्ग के सिक्के जारी किए जा सकते हैं।

2. किस मूल्यवर्ग के सिक्के संचलन से वापस ले लिए गए हैं?

30 जून 2011 से, दिनांक 20 दिसंबर 2010 के राजपत्र अधिसूचना सं 2529 के तहत पच्चीस (25) पैसे के सिक्कों को संचलन से बाहर कर दिया गया है और इसलिए अब ये वैध मुद्रा नहीं हैं। 25 पैसे से कम मूल्यवर्ग के सिक्के बहुत पहले संचलन से वापस ले लिए गए थे। सिक्‍का निर्माण अधिनियम, 2011 के तहत भारत सरकार द्वारा ढाले गए तथा समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संचलन के लिए जारी अन्य सभी मूल्यवर्गों के विभिन्न आकार, विषय-वस्तु (थीम) तथा रूपरेखा (डिजाइन) के सिक्के वैध मुद्रा के रूप में जारी हैं।

3. बैंक खाते में ग्राहक द्वारा कितनी राशि के सिक्के जमा किए जा सकते हैं?

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों में ग्राहकों द्वारा सिक्के जमा करने की कोई सीमा निर्धारित नहीं की है। बैंक अपने ग्राहकों से कितनी भी राशि के सिक्के स्वीकार करने के लिए स्वतंत्र हैं।

4. एक रुपये का नोट भारत सरकार की देयता क्यों है?

सिक्का अधिनियम, 2011 के तहत जारी किए गए एक रुपया के नोट वैध मुद्रा हैं तथा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के सभी उद्देश्यों के लिए रुपया सिक्का की अभिव्यक्ति में ये शामिल हैं। चूंकि सरकार द्वारा जारी रुपया सिक्कों में सरकार की देयता होती है, इसलिए एक रुपया का नोट भी भारत सरकार की देयता है।

5. क्या 10 का सिक्का “रुपये के प्रतीक” के बिना भी वैध मुद्रा है?

हाँ, वर्तमान में 10 के विभिन्न रूपरेखा (डिजाइन) के सिक्के संचलन में हैं। भारत सरकार द्वारा समय-समय पर ढाले गए 10 मूल्यवर्ग के सभी सिक्के (रुपया के प्रतीक के साथ/बिना) वैध मुद्रा हैं। अधिक विवरण के लिए कृपया इस संबंध में जारी हमारी प्रेस प्रकाशनी देखें जो निम्न लिंक पर उपलब्ध है: www.rbi.org.in >> मुद्रा निर्गमकर्ता >> प्रेस प्रकाशनी >>17 जनवरी 2018 https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/FS_PressRelease.aspx?prid=34555&fn=2747

6. समय-समय पर सिक्कों की रूपरेखा (डिजाइन) बदलने के लिए कौन जिम्मेदार है?

विभिन्न मूल्यवर्गों में सिक्कों की ढलाई तथा रूपरेखा (डिजाइन) तैयार करने के लिए भारत सरकार जिम्मेदार है।

7. ढाले जाने वाले सिक्कों की मात्रा का निर्धारण कौन करता है?

भारतीय रिज़र्व बैंक से वार्षिक आधार पर प्राप्त होने वाले मांगपत्र (इंडेंट) के आधार पर ढाले जाने वाले सिक्कों की मात्रा का निर्धारण भारत सरकार करती है।

8. क्या सभी लेन-देन में सिक्कों को वैध मुद्रा के रूप में स्वीकार किया जा सकता है?

50 पैसे, एक रुपये, दो रुपये, पांच रुपये, दस रुपये और बीस रुपये मूल्यवर्ग के सिक्के वैध मुद्रा हैं। भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जनता को सलाह देता रहा है कि वे अपने सभी लेन-देन में सिक्कों को वैध मुद्रा के रूप में बिना किसी झिझक के स्वीकार करें। ये प्रेस विज्ञप्तियाँ हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in पर मुद्रा प्रबंधन > प्रेस विज्ञप्ति के अंतर्गत निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध हैं:

https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/FS_PressRelease.aspx?prid=30357&fn=2747

https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/FS_PressRelease.aspx?prid=34555&fn=2747

https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/FS_PressRelease.aspx?prid=39009&fn=2747

इसके अलावा, आरबीआई प्रिंट, एसएमएस और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाता है और समय-समय पर "RBI says" और "आरबीआई कहता है" के माध्यम से सिक्कों के बारे में जागरूकता फैलाता है। इसके अलावा, रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे अपनी सभी शाखाओं में लेनदेन और विनिमय के लिए सिक्के स्वीकार करें।

9. कोई व्यक्ति स्मारक सिक्के कहाँ से प्राप्त कर सकता है?

स्मारक सिक्कों हेतु एसपीएमसीआईएल की वेबसाइट http://www.spmcil.com देखें अथवा एसपीएमसीआईएल से संपर्क कर सकते हैं।

10. कोई व्यक्ति बैंकों द्वारा सिक्के स्वीकार नहीं किए जाने अथवा नोट तथा सिक्के नहीं बदले जाने की शिकायत कहाँ कर सकता है?

बैंक द्वारा प्रदान की गई सेवाओं से असंतुष्ट होने पर और संबंधित शिकायत का ग्राहक की संतुष्टि के अनुरूप समाधान न होने या 30 दिनों की अवधि के भीतर बैंक द्वारा जवाब न दिए जाने पर रिजर्व बैंक-एकीकृत ओम्बड्समैन योजना, 2021 के अंतर्गत वे आरबीआई लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं। शिकायतें https://cms.rbi.org.in पर ऑनलाइन के साथ-साथ इस कार्य के लिए बनाए गए ईमेल के माध्यम से भी दर्ज की जा सकती हैं या आवश्यक कार्रवाई के लिए सबूत के संलग्नक के साथ बैंक/डाक रसीदों के साथ भारतीय रिजर्व बैंक, चौथी मंजिल, सेक्टर 17, चंडीगढ़ - 160017 में स्थापित 'केन्द्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र' को भौतिक रूप से भेजी जा सकती हैं।

 
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