भारिबैं/ 2012–13/408
ग्राआऋवि.एफएलसी.सं. 7641/ 12.01.018/2012-13
31 जनवरी 2013
अध्यक्ष / अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के मुख्य प्रबंध निदेशक
( क्षेत्रीय ग्रामीण बैकों सहित )
महोदय,
वित्तीय साक्षरता सामग्री
कृपया आप वित्तीय साक्षरता केंद्रों (एफएलसी) पर संशोधित दिशानिर्देशों के संबंध में 6 जून 2012 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.एफएलसी.सं. 12452/12.01.018/2011-12 देखें जिसमें यह सूचित किया गया था कि एफएलसी तथा अनुसूचित वाणिज्य बैंकों की सभी ग्रामीण शाखाओं को कम से कम महीने में एक बार बाह्य वित्तीय साक्षरता कैम्प चलाकर वित्तीय साक्षरता प्रयासों को बढ़ावा देना चाहिए जिससे दो आवश्यक सुविधाएं अर्थात् 'वित्तीय साक्षरता' और 'वित्तीय पहुंच' उपलब्ध कराते हुए वित्तीय समावेशन को सुविधापूर्वक प्राप्त किया जाए।
2. जैसाकि उस परिपत्र में सूचित किया गया था, हमने एक व्यापक वित्तीय साक्षरता गाइड तैयार की है जिसमें प्रशिक्षकों के लिए मार्गदर्शी टिप्पणी, वित्तीय साक्षरता कैम्प के संचालन संबंधी परिचालनात्मक दिशानिर्देश, वित्तीय साक्षरता सामग्री और साथ ही वित्तीय डायरी एवं निम्न उल्लिखित प्रकार से 16 पोस्टरों का एक सेट दिया गया है। प्रारंभ में, समूची सामग्री हिंदी और अंग्रेजी में तैयार की गई है। इसे यथासमय अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुदित कराया जाएगा ।
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वित्तीय साक्षरता गाइड में परिचालनात्मक दिशानिर्देश दिए गए जिनमें वित्तीय साक्षरता कैम्प किस स्वरुप में चलाए जाएं यह सुस्पष्ट रूप से बताया गया है ताकि यह वित्तीय पहुंच की उपलब्धता के साथ समन्वय बनाते हुए समाज के वित्तीय रूप से वंचित वर्ग को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ सके। वित्तीय साक्षरता सामग्री का उद्देश्य आम लोगों में वित्तीय जागरूकता लाने और उन्हें धन प्रबंधन, बचत का महत्व, बैंकों में बचत रखने के लाभ, बैंकों द्वारा दी जानेवाली अन्य सुविधाओं और बैंकों से उधार लेने से होनेवाले लाभ के विषय में शिक्षित करना है। यह गाइड वित्तीय साक्षरता और वित्तीय समावेशन के कार्य में लगे प्रशिक्षकों के लिए रेडी रेकनर स्वरूप का है।
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वित्तीय डायरी लक्षित वर्ग के लोगों में वितरित किए जाने के लिए तैयार की गई है जिसका उद्देश्य उन्हें अपनी आमदनी और खर्चों का रिकार्ड रखने के लिए सक्षम बनाना है जिससे कि वे बेहतर वित्तीय आयोजना कर सकें तथा अपने खर्चों के स्वरूप को समझ सकें।
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पोस्टर सरल तथा रोचक घोष वाक्यों के साथ बने हैं जिनके द्वारा धन प्रबंधन, बचत, उधार एवं बुनियादी बैंकिंग उत्पादों के संदेश सचित्र रूप में संप्रेषित होंगे; इन्हें वित्तीय साक्षरता कैम्प के पहले, कैम्प के दौरान तथा बाद में प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित किया जाए।
3. वंचित वर्ग की मात्रा को ध्यान में रखते हुए बैंकों को ये वित्तीय साक्षरता कैम्प एक मिशन के रूप में चलाने चाहिए जिसमें अंतिम उद्देश्य वित्तीय समावेशन को अछुते रहे कारोबारी अवसरों का लाभ उठाते हुए एक अर्थक्षम कारोबारी मॉडेल बनाना हो। ऊपर वर्णित उद्देश्यों के अनुसरण में बैंकिंग प्रणाली के साथ वंचित घटकों को संबद्ध करने के लिए वित्तीय साक्षरता प्रयासों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाना जरुरी है। एसएलबीसी/डीसीसी अपने क्षेत्राधिकार में रहनेवाले एफएलसी और ग्रामीण शाखाओं के वित्तीय साक्षरता प्रयासों की समीक्षा एसएलबीसी/डीसीसी बैठकों की कार्यसूची की एक नियमित मद के रूप में करेंगे। एफएलसी के पूरे ब्योरे तथा संपर्क का पता संबंधित एसएलबीसी की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए। इसी प्रकार, बैंकों के प्रधान कार्यालय अपने एफएलसी और ग्रामीण शाखाओं द्वारा किए जानेवाले वित्तीय साक्षरता प्रयासों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करेंगे। एफएलसी और ग्रामीण शाखाओं दोनों के लिए एक संरचित निगरानी तंत्र शीघ्र ही स्थापित किया जाएगा।
4. बैंकों के अध्यक्ष एवं कार्यपालक निदेशकों सहित वरिष्ठ प्रबंधतंत्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी ग्रामीण शाखाएं तथा एफएलसी वर्ष के आरंभ में ही वित्तीय साक्षरता कैम्प संचालन का एक कैलेंडर तैयार करे। वे अपने आउटरीच दौरों के समय ग्रामीण शाखाओं और एफएलसी द्वारा संचालित कुछेक कैम्पों में स्वयं उपस्थित रहकर वित्तीय साक्षरता अभियानों का व्यापक प्रचार-प्रसार कर सकते हैं। वित्तीय साक्षरता कैम्पों के दौरान वित्तीय रूप से वंचित लोगों के लक्षित वर्ग को दिए जाने वाले संदेश में एकरूपता लाने के लिए आवश्यक है कि बैंक वित्तीय उत्पादों और सेवाओं की मूलभूत अवधारणाओं का परिचय कराने के लिए एक मानक पाठ्यक्रम के रूप में इस वित्तीय साक्षरता गाइड का प्रयोग करें। वे इस गाइड की विषयवस्तु पर वित्तीय साक्षरता कैम्प में प्रयोग करने के लिए नाटक, स्कीट, वीडियो, फिल्म आदि बनाने पर भी विचार कर सकते हैं। यदि आवश्यक हो तो हमारे परामर्श से वे इस सामग्री को देशी भाषाओं में अनुदित करा सकते हैं। इस संबंध में और जानकारी के लिए आप पर ई-मेल द्वारा संपर्क कर सकते हैं।
भवदीय
(सी.डी.श्रीनिवासन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
अनुलग्नक: यथोक्त
वित्तीय साक्षरता - प्रशिक्षकों के लिए मार्गदर्शी टिप्पणी
1. वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम का उद्देश्य दो अत्यावश्यक अवयवों, साक्षरता एवं सुलभ उपलब्धता के माध्यम से वित्तीय समावेशन को सुविधाजनक बनाना है। इस कार्यक्रम का प्रयोजन आम आदमी को जानकारी प्रदान करना है ताकि वे वित्तीय आयोजना करने, बचत की आदत डालने, एवं वित्तीय उत्पादों के बारे में जानकारी पाने में सक्षम बन जाए तथा वित्तीय सेवाओं का कारगर ढंग से उपयोग कर सके। वित्तीय साक्षरता उन्हें अपने जीवन चक्र की जरुरतों के लिए समय से पहले नियोजन करने में और ऋण का सहारा लिए बिना ही अनपेक्षित आकस्मिकताओं से निपटने में सहायक होनी चाहिए। उनके लिए अपने धन का सकारात्मक ढंग से प्रबंधन करना तथा ऋण के जाल में फंसने से बचना संभव होना चाहिए। इन कार्यक्रमों के माध्यम से दी जानेवाली जानकारी के परिणामस्वरूप आम आदमी में बैंकिंग सुविधाओं के उपयोग की आदत विकसित हो, इसके लिए, वित्तीय साक्षरता को वित्तीय सेवाओं के साथ उपलब्ध कराना होगा जिससे कि आम लोग वित्तीय मामलों से निपटने की सक्षमता हासिल करने के लिए इस जानकारी को प्रभावी रूप से काम में ला सकें। यह गाइड बैंकिंग सेवाओं का प्रयोग करते हुए उन्हें अपनी आर्थिक सुरक्षा बढ़ा पाने में कारगर सिद्ध होनी चाहिए।
2. वित्तीय सेवा प्रदाता के रूप में बैंकों को वित्तीय समावेशन और वित्तीय साक्षरता के प्रचार-प्रसार से देश के दूर दराज़ गांवों में निहित व्यावसायिक अवसर पाने में मदद मिलेगी। छोटे ग्राहक महत्वपूर्ण होते हैं और बैंकों को इनमें उपलब्ध कारोबारी अवसर प्राप्त करने चाहिए। अत: बैंकों को वित्तीय साक्षरता प्रयासों को अपने भावी निवेश के रूप में देखना चाहिए। बैंकों को खाताधारियों को बैंकिंग सेवाओं का समूह उपलब्ध कराना चाहिए जिसमें छोटी ओवरड्राफ्ट सुविधा, भिन्न-भिन्न राशि के आवर्ती जमा खाते, केसीसी तथा धन-प्रेषण सुविधाएं शामिल हो, जिससे कि खाते सक्रीय लेनदेन वाले बन जाएं। लोगों को इन खातो में लेनदेन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि खाता रखने संबंधी खर्चे की लागत वसूल कर यह बैंकों के लिए एक व्यवहार्य एवं लाभकारी कारोबार सिद्ध हो। पर्याप्त ऋण की व्यवस्था केवल ग्राहक के हित में ही नहीं है, अपितु बैंकों के भी हित में होती है, क्योंकि अर्जित ब्याज के माध्यम से प्राप्त आमदनी से वित्तीय समावेशन, वाणिज्यिक रूप से लाभप्रद सिद्ध होगा। बैंकों को ऋण अनुदानित दर पर नहीं वरन् एक प्रतिस्पर्धात्मक यद्यपि गैर शोषक दर पर उपलब्ध कराना चाहिए।
3. खाते खोलने के लिए पहला सोपान है विभिन्न उत्पादों के बारे में जागरूकता पैदा करना और उनकी जानकारी देना तथा ये उत्पाद उन्हें घर पर उपलब्ध कराना। वित्तीय साक्षरता गाइड सुस्पष्ट रूप से आम जनता में धन प्रबंधन, बचत के महत्व, बैंक में बचत के लाभ, बैंकों द्वारा दी जानेवाली अन्य सुविधाओं और बैंक से उधार लेने के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करने तथा उन्हें शिक्षित करने के उद्देश्य से तैयार की गई है। वित्तीय साक्षरता और वित्तीय समावेशन में लगे प्रशिक्षकों के लिए यह गाइड एक रेडी रेकनर है। इसका प्रयोग वित्तीय रूप से वंचित लोगों को इस दिशा में शिक्षित करने के लिए मासिक वित्तीय साक्षरता कैम्प संचालित करने के समय एक मानक पाठ्यक्रम के रूप में किया जाए। उक्त साक्षरता कार्यक्रम करने संबंधी नीति, बैंक सुविधा रहित लोगों को बैंकिंग की परिधि में लाने के उद्देश्य के अनुरूप ही कैम्प स्तर पर खाते खुलवाने और तदनंतर खाते के उपयोग पर बारीकी से निगरानी रखने, की होनी चाहिए। इसके अलावा, खातों के बारंबार प्रयोग में बाधक बनने वाले तत्वों की पहचान करने में अत्यंत बारीकी से समीक्षा उपयोगी होगी। नीति में ऐसे सभी मामलों का निराकरण जल्द से जल्द करने का प्रयास होना चाहिए। साथ ही वित्तीय साक्षरता के कार्यक्रम करते समय स्थानीय सरकारी अधिकारियों और गांव के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल कर लेना अत्यंत वांछनीय है। बैंक वित्तीय साक्षरता के क्षेत्र में सिद्धहस्त एनजीओ को भी साथ लेने पर विचार कर सकते हैं। तथापि, इस गाइड की विषयवस्तु को ही मासिक वित्तीय साक्षरता कैम्प के दौरान वित्तीय रूप से वंचित लोगों को प्रशिक्षण के मानक पाठ्यक्रम के रूप में उपयोग में लाया जाना चाहिए।
वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों का संचालन – परिचालनात्मक दिशानिर्देश
सभी वित्तीय साक्षरता केंद्र और ग्रामीण शाखाओं को चाहिए कि वे बाह्य साक्षरता कार्यक्रम संचालित करने के लिए वार्षिक कैलेंडर बना लें। हर स्थान पर कार्यक्रम तीन महीनों की अवधि में तीन चरणों में आयोजित किए जाए जिनमें तीन सत्र कम-से-कम दो-दो घंटे के हों। लोगों को स्मार्ट कार्ड समय पर दिए जाते हैं यह सुनिश्चित करने के लिए दूसरे सत्र के 15 दिन बाद उस स्थान का एक बार दौरा किया जाए। कार्यक्रम के संचालन के लिए उचित परिसर अथवा अन्य स्थान की पहचान पहले ही कर ली जाए। बैंक किसी स्थान विशेष की आवश्यकताओं और उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप कार्यक्रम को अनुकूलित (कस्टमाइज़) बना सकते हैं। सभी प्रसंगों पर, कार्यक्रम संचालन का निहित उद्देश्य अधिकाधिक सहभागियों को बैंकिंग की परिधि में लाने का होना चाहिए।
प्रथम सत्र
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प्रथम सत्र मुख्य रूप से लोगों के बीच वित्तीय अवधारणाओं, निजी वित्त और धन प्रबंधन के बारे में जागरूकता पैदा करने पर केंद्रित होगा। इस प्रयोजन के लिए बैंक को ग्रामीणों के एक समूह के लिए एक कैम्प आयोजित करना चाहिए। पर्याप्त संख्या में ग्रामीण जनता की कार्यक्रम में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए गांव में इसका पहले से प्रचार करना चाहिए।
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कैम्प आयोजित करने संबंधी कार्य पहले से कर लेने चाहिए जैसे कि क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की सहभागिता जैसे गांव का सरपंच, स्कूल के शिक्षक अथवा ग्रामीणों के साथ अच्छा संपर्क रखनेवाला अन्य किसी व्यक्ति। कार्यक्रम के लिए नियोजित स्थल पर उचित व्यवस्थाएं कर लेनी चाहिए। सहभागियों के आने से पहले ही चार्ट लगा लेने चाहिए।
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सहभागियों के नाम, आयु, व्यवसाय आदि ब्यौरे के साथ सूची बना ली जाए।
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शामिल विषय निम्नप्रकार हो – वित्तीय आयोजना, बजट बनाना, बचत, वित्तीय डायरी कैसे लिखी जाए, बैंक में बचत जमा करने के लाभ, कारोबार प्रतिनिधि (बीसी), उधार के औपचारिक एवं अनौपचारिक स्रोतों में अंतर, उधार के प्रयोजन तथा लागत, विभिन्न प्रकार के उधार आदि, जैसा कि गाइड में बताया गया है।
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प्रत्येक सहभागी को वित्तीय डायरी वितरित करें। बजट तैयार करने और आवधिक लेखे (एकाउंट) रखने के लिए किस प्रकार वित्तीय डायरी का प्रयोग किया जाए इसके बारे में समझाएं। डायरी लिखने के लाभों को दोहराया जाए। अपना बजट बनाने और एक महीने की आमदनी और खर्च लिखने के लिए डायरी का घर पर उपयोग करने के लिए उनसे कहा जाए। उनसे कहा जाए कि वे अगले सत्र में आते समय डायरी जरूर लाएं।
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प्रथम सत्र के अंत में दूसरे सत्र की तारीख घोषित करें और गांववालों को कारोबार प्रतिनिधि के बारे में बता दिया जाए कि दूसरे सत्र में उन्हें इनका परिचय कराया जाएगा। गांववालों को यह तथ्य बता दिया जाए कि उनके खाते कारोबार प्रतिनिधि के माध्यम से खोले जाएंगे। गांववालों को खाता खोलने के लिए आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी दी जानी चाहिए और उनसे कहा जाए कि वे दस्तावेज अगले सत्र में आते समय अपने साथ ले आएं। सभी सहभागियों को दूसरे सत्र में अवश्य उपस्थित रहने की स्पष्ट सूचना दी जाए।
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गांव की पंचायत या सरपंच कार्यालय अथवा स्कूल जैसी एक उचित जगह में सभी चार्ट स्थायी पठन हेतु लगा दिए जाएं।
दूसरा सत्र (पहला सत्र करने के दो सप्ताह बाद )
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उपस्थिति दर्ज करा ली जाए। यदि कोई सहभागी अनुपस्थित हो तो उनके बारे में पूछताछ कर कारण का पता लगाएं। गांव वालों को कारोबारी प्रतिनिधि का परिचय करा दें और बीसी के बैंक के साथ संबंध, बीसी के माध्यम से कार्य करने के लाभ, जमाराशि के ब्यौरे और ऋण उत्पाद एवं बीसी के माध्यम से उपलब्ध होने वाली अन्य सेवाओं के बारे में उन्हें विस्तार से जानकारी दें।
सहभागियों को आइसीटी मशीन के परिचालन का प्रदर्शन करे तथा मशीन के माध्यम से प्रत्येक सुविधा का इस्तेमाल करने की जानकारी दी जाए अर्थात् जमा करने/आहरण करने आदि कार्य करते समय यह किस प्रकार चलती है यह दिखाया जाए।
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उनकी वित्तीय डायरी जांच लें और डायरी लिखने में क्या उन्हें कोई कठिनाई हो रही है इसका पता लगा लें। यदि कोई सुधार आवश्यक हो तो वह बताएं। हर महीने डायरी में नियमित रूप से लिखने का उनसे आग्रह करें।
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खाते की विशेषताएं स्पष्ट करके बताएं जैसे एक महीने में कितनी बार राशि जमा की जा सकती है / निकाली जा सकती है, जमा / राशि निकालने पर सीमा,यदि कोई हो, लागू प्रभारों की राशि, सामाजिक लाभों को सीधे खाते में जमा करने संबंधी कार्य पद्धति, धन प्रेषणों के प्रकार जो खाते के माध्यम से किए जा सकते हैं।
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खाता खोलने संबंधी नामसूची बनाना प्रारंभ करें।
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नामसूची बनाने के बाद उन्हें खाता खोलने में लगभग कितना समय लगेगा उसके बारे में बताएं और यह भी बताएं कि खाते में लेनदेन करने के लिए उन्हें कार्ड मिल जाएंगे। उन्हें बता दें कि कार्ड मिलने के तुरंत बाद वे अपनी दिन प्रतिदिन की जरूरतों के लिए खाते का उपयोग प्रारंभ कर दें।
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दूसरे सत्र के 15 दिन बाद शाखा के अधिकारी गांववालों को कार्ड सौंपा जाना सुनिश्चित करने के लिए उस गांव का दौरा करें। वे इस बात से भी आश्वस्त हो जाएं कि बीसी ने परिचालन कार्य शुरू कर दिया है और गांव के लोग लेनदेन करने में समर्थ हो गए हैं।
तीसरा सत्र (दूसरा सत्र चलाने के दो महीने बाद)
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पिछले सत्र के दौरान गांव के जिन लोगों ने खाता खोलने के लिए नाम दर्ज कराया था उनके साथ एक बैठक कर लें। गांववालों तथा बीसी के साथ बातचीत करें।
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खाते में लेनदेन करने में अथवा आइसीटी आधारित प्रणाली का उपयोग करने में हुई कठिनाई के बारे में उनसे पूछे और इसमें सुधार करने की दृष्टि से उनसे सुझाव मांगे।
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खाते के उपयोग की समीक्षा करें ताकि खाते का प्रयोग करने में बाधक कोई मामला हो तो उसका पता चले।
इसके बाद एक नियमित रिपोर्टिंग प्रणाली के माध्यम से लेन-देन स्तरों के बारे में अनुवर्ती कार्रवाई करें।
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