भारिबैं/2011-12/342
भुनिप्रवि(केंका) ईपीपीडी सं. 1204/04.03.01/2011-12
05 जनवरी 2012
एनईएफटी में भागीदार सभी सदस्य बैंकों के
अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी/भारतीय बैंक संघ
महोदया/महोदय,
विलंब से किए गए क्रेडिट/एनईएफटी लेनदेनों की वापसी के लिए दंड के रूप में ब्याज का भुगतान और ग्राहक सुविधा केंद्रों का कुशल कामकाज
लाभार्थी ग्राहक के खाते को क्रेडिट करने में देरी के मामले में बैंकों द्वारा दंड के रूप में ब्याज के भुगतान में एकरूपता लाने या बिना क्रेडिट की हुई राशि को धन प्रेषक को लौटाने के विषय पर कृपया हमारे दिनांक 1 सितंबर 2010 के परिपत्र भुनिप्रवि(केंका) ईपीपीडी सं.477/04.03.01/2010-11 का संदर्भ लें. वर्तमान दिशा निर्देशों के तहत, बैंकों द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक एलएएफ रेपो दर से दो प्रतिशत अधिक की दर पर विलंब की अवधि तक/धन वापसी की तारीख तक, जैसा भी मामला हो, प्रभावित ग्राहकों को दंड के रूप में ब्याज का भुगतान करना आवश्यक हैं. इन उपायों को ग्राहक सेवा और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेनों में बड़े पैमाने पर वृद्धि के मद्देनज़र प्रणाली के दक्षता मानकों को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया.
2. हालांकि, ग्राहक शिकायतों के विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से हमारी जानकारी में आया है कि बैंकों द्वारा इस अनुदेश पालन नहीं किया जा रहा है. विलंब से क्रेडिट के मामलों में, दंड के भुगतान से बचने के लिए बैंक ग्राहक के खाते में क्रेडिट की वैल्यू-डेटिंग का सहारा ले रहे हैं जो कि इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेश के अनुरूप नहीं है. इसे गंभीरता से लिया जा रहा है और यह हमारे अनुदेशों का उल्लंघन है.
3. बैंक ऐसी कार्यप्रणाली को तत्काल बंद करें और अपने आप ग्राहकों से दावों की प्रतीक्षा किए बिना ग्राहकों को निर्धारित दर पर दंड के रूप में ब्याज का भुगतान करने के वर्तमान अनुदेशों का सख्ती से अनुपालन करें. बैंकों को एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि वर्तमान अनुदेशों के अनुपालन की स्थिति और ऐसे दंड के भुगतान के लिए बनायी गई व्यवस्था की सूचना हमें अपने बोर्ड के अनुमोदन से तत्काल दें. भुगतान की गई दंड की राशि के बारे में डेटा व्याख्यात्मक नोट और ऐसी घटनाओं को कम करने के लिए की जाने वाली प्रस्तावित कार्रवाई के साथ बोर्ड की अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाना चाहिए. इस मुद्दे पर बोर्ड के संकल्प के साथ बोर्ड नोट की एक प्रति बोर्ड की बैठक के बाद हमें तुरंत उपलब्ध कराएं.
4. इसके अलावा, एनईएफटी प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों के तहत बैंकों को एनईएफटी लेनदेनों से संबंधित ग्राहक प्रश्नों/शिकायतों को निपटाने के लिए समर्पित ग्राहक सुविधा केंद्रों (सीएफसी) की स्थापना करने की आवश्यकता है. ग्राहकों की आसान उपलब्धता के लिए सीएफसी के संपर्क विवरण बैंकों की वेबसाइटों और भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. आप अनुभव करेंगे कि पीड़ित ग्राहकों के लिए सीएफसी पहला संपर्क बिंदु है और एनईएफटी प्रणाली की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हालांकि, यह देखा गया है कि कई मामलों में दिए गए सीएफसी संपर्क विवरण दिया निष्क्रिय / पुराने हैं और/या इन नंबरों या मेल आईडी से कोई जवाब नहीं मिलता है, जिससे ऐसे केंद्रों की स्थापना का उद्देश्य ही बेकार हो जाता है.
5. ग्राहक सेवा के इस महत्वपूर्ण मुद्दे के समाधान के उद्देश्य से, बैंकों को एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि वे अपने सीएफसी के संपर्क विवरण हमेशा अद्यतन रखें और किसी भी परिवर्तन की स्थिति में तुरंत राष्ट्रीय समाशोधन कक्ष, नरीमन प्वाइंट, भारतीय रिज़र्व बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट की केंद्रीय निर्देशिका में अद्यतन करने के लिए सूचित करें. बैंक यह भी सुनिश्चित करें कि सीएफसी को किए गए फोन/भेजे गए ई-मेल को तुरंत निपटा रहे हैं और इसके लिए पर्याप्त संसाधन रखे गए हैं. इस आशय का अनुपालन भी बैंक के बोर्ड की अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाए और उसकी एक प्रति बोर्ड की बैठक के बाद हमें तुरंत भेजी जाए.
ये निर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं.
कृपया इसकी प्राप्ति और अनुपालन की सूचना दें.
भवदीय
(विजय चुग)
मुख्य महाप्रबंधक
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