आरबीआई/2013-14/212
बैंपविवि. सं. बीएपीडी. बीसी. 46 /22.01.009/2013-14
02 सितंबर 2013
अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी
(सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र के बैंकों को छोड़कर)
महोदय
बैंकिंग सेवाओं के विस्तार द्वारा वित्तीय समावेशन - बैंक नोट तथा
सिक्कों के वितरण हेतु व्यवसाय प्रतिनिधियों (बीसी) का उपयोग – वैकल्पिक रास्ते
कृपया 03 मई 2013 को घोषित मौद्रिक नीति कथन 2013-14 का पैरा 110 (उद्धरण संलग्न) देखें।
2. दिनांक 28 सितंबर 2010 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 43/22.01.009/ 2010-11 के पैरा 4 के अनुसार बीसी की गतिविधियों के दायरे में निम्नलिखित शमिल होंगे - (i) उधारकर्ताओं की पहचान;(ii) ऋण आवेदन पत्र एकत्र करना और उनकी प्राथमिक प्रोसेसिंग करना, जिसमें प्राथमिक सूचना/आंकड़ों का सत्यापन शमिल है; (iii) बचत और अन्य उत्पादों के संबंध में जागरूकता का प्रसार करना तथा धन प्रबंधन के संबंध में शिक्षण और सलाह देना तथा ऋण संबंधी परामर्श देना; (iv) आवेदन पत्र की प्रोसेसिंग करना और बैंकों को आवेदन पत्र प्रस्तुत करना; (v) स्वयं-सहायता समूह/संयुक्त देयता समूह/ऋण समूह/अन्य समूहों को प्रवर्तित करना, प्रोत्सहित करना और उनकी निगरानी करना; (vi) ऋण मंजूरी के बाद निगरानी करना; (vii) ऋण की वसूली के लिए अनुवर्ती कार्रवाई करना; (viii) अल्प मूल्य वाले ऋणों का संवितरण करना; (ix) मूल धन की वसूली करना /ब्याज का संग्रहण करना; (x) अल्प मूल्य वाली जमारशियों का संग्रहण करना ; (xi) माइक्रो बीमा/म्युचुअल फंड उत्पाद/पेंशन उत्पाद/अन्य थर्ड पार्टी उत्पादों की बिक्री करना और (xii) अल्प मूल्य वाले प्रेषणों/अन्य अदायगी लिखतों की प्राप्ति और सुपुर्दगी करना।
3. देश में बैंक नोट तथा सिक्कों की बढ़ती हुई मांग को प्रभावी तरीके से पूरा करने की दृष्टि से इस बात की आवश्यकता है कि बैंकों द्वारा बैंक नोट तथा सिक्कों के वितरण के लिए वैकल्पिक रास्तों की पहचान की जाए। अतएव यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को यह अनुमति दी जाए कि वे व्यवसाय प्रतिनिधियों द्वारा किए जा सकने वाले कार्यों के दायरे में बैंक नोट तथा सिक्कों के वितरण को भी शामिल करें।
भवदीय
(प्रकाश चन्द्र साहू)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नक: यथोक्त
(03 मई 2013 को घोषित मौद्रिक नीति वक्तव्य 2013-14 का उद्धरण)
बैंकनोट और सिक्कों का वितरण- वैकल्पिक माध्यम
110. देश में बैंकनोट और सिक्कों की बढ़ती मांग को पूरा करने करने के लिए, आवश्यक है कि बैंक उनके वितरण के वैकल्पिक माध्यमों की पहचान करें। इस मामले में, बैंक इन सेवाओं को बिजनेस करोसपोन्डेंट्स (बीसी) के जरिये देने की संभावना तलाश सकते हैं और मार्गस्थ नकदी (सीआईटी) इकाइयों की सेवाएं लेने पर विचार कर सकते है, जिससे दूर-दराज़ के लोगों को जोड़ने की दिशा में भी कुछ काम हो।
जून 2013 के अंत तक विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
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