आरबीआई/2019-20/67
डीपीएसएस.सीओ.पीडी सं.629/02.01.014/2019-20
20 सितंबर 2019
प्राधिकृत भुगतान प्रणालियों के सभी परिचालक और प्रतिभागी
महोदया/महोदय,
प्राधिकृत भुगतान प्रणालियों का उपयोग करते हुए विफल हुए लेनदेन के लिए टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) और ग्राहक क्षतिपूर्ति को सुसंगत बनाना।
कृपया दिनांक 4 अप्रैल 2019 को जारी मौद्रिक नीति वक्तव्य के भाग के रूप में जारी विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य का संदर्भ लें, जिसमें यह प्रस्तावित किया गया था कि भारतीय रिज़र्व बैंक सभी प्राधिकृत भुगतान प्रणालियों में ग्राहकों की शिकायतों के निपटान के लिए टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) पर एक ढांचा और क्षतिपूर्ति संबंधी एक ढांचा तैयार करेगा।
2. यह देखा गया है कि बड़ी संख्या में ग्राहक शिकायतें असफल या 'विफल' लेनदेन के कारण उत्पन्न होती हैं। यह विफलता विभिन्न कारकों के कारण हो सकती है जिनके लिए ग्राहक सीधेतौर पर उत्तरदायी नहीं होता है जैसे कि संचार से संबन्धित लिंक में व्यवधान, एटीएम में नकदी की अनुपलब्धता, सत्र का टाइम आउट होना, विभिन्न कारणों से लाभार्थी के खाते में क्रेडिट न होना इत्यादि। इन 'विफल' लेनदेनों के लिए ग्राहक को अदा की गई परिशोधन / क्षतिपूर्ति राशि एक समान नहीं होती है।
3. विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के बाद, विफल लेनदेन और उसकी क्षतिपूर्ति के लिए टीएटी के ढांचे को अंतिम रूप दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा और इसके कारण विफल लेनदेन के प्रसंस्करण में एकरूपता आएगी। यह इस परिपत्र में अनुलग्नक के रूप में संलग्न है।
4. यह नोट किया जाए कि:
5. जहाँ कहीं भी वित्तीय क्षतिपूर्ति सम्मिलित है, वहाँ ग्राहक की ओर से शिकायत किए जाने या उसकी ओर से दावा किए जाने की प्रतीक्षा किए बिना ग्राहक के खाते में स्वतः ही क्षतिपूर्ति की जानी अपेक्षित है।
6. जिन ग्राहकों को टीएटी में वर्णित किए गए अनुसार विफल हुए लेनदेन संबंधी समाधान प्राप्त नहीं होता है, वे रिज़र्व बैंक – एकीकृत लोकपाल योजना, 2021 (समय-समय पर यथा संशोधित) के समक्ष शिकायत पंजीकृत करा सकते हैं।
7. यह निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के अंतर्गत जारी किया गया है और यह 15 अक्टूबर 2019 से लागू होगा।
भवदीय
(पी. वासुदेवन)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नक : यथोक्त
अनुबंध
(दिनांक 20 सितंबर, 2019 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.पीडी सं.629/02.01.014/2019-20 का अनुबंध)
प्राधिकृत भुगतान प्रणालियों का उपयोग करते हुए विफल हुए लेनदेन के लिए टर्न अराउंड
टाइम (टीएटी) और ग्राहक क्षतिपूर्ति को सुसंगत बनाना।
टीएटी से संबन्धित सामान्य निर्देश :
1. टीएटी के पीछे का सिद्धांत निम्नलिखित पर आधारित है :
क. यदि लेन-देन एक 'क्रेडिट-पुश' फंड ट्रांसफर है और लाभार्थी खाते को क्रेडिट नहीं किया जाता है, जबकि प्रवर्तक के खाते से डेबिट किया गया है, तब क्रेडिट को निर्धारित समय अवधि के भीतर सम्पन्न किया जाना चाहिए और ऐसा न कर पाने की स्थिति में लाभार्थी को क्षतिपूर्ति राशि दी जाएगी।
ख. यदि टीएटी के पश्चात, प्रवर्तक बैंक की ओर से लेनदेन आरंभ करने में देरी होती है, तब प्रवर्तक को क्षतिपूर्ति देनी होगा।
2. 'विफल लेनदेन' एक ऐसा लेन-देन है जो किसी भी कारण से पूरी तरह से सम्पन्न नहीं हुआ है और जिसके लिए ग्राहक उत्तरदायी नहीं है जैसे कि कम्यूनिकेशन लिंक्स में त्रुटि होना, एटीएम में नकदी की अनुपलब्धता, सेशन्स का समय समाप्त हो जाना इत्यादि। विफल लेनदेनों में ऐसे क्रेडिट भी सम्मिलित होंगे जो पूरी जानकारी के अभाव में या सही जानकारी के अभाव में और रिवर्सल लेन-देन आरंभ करने में देरी के कारण लाभार्थी के खाते में नहीं किए जा सके।
3. शब्द जैसे अधिग्राहक, लाभार्थी, जारीकर्ता, प्रेषक इत्यादि के अर्थ सामान्य बैंकिंग के अनुसार हैं।
4. टी लेन-देन का दिन है और यह कैलेंडर की तारीख को संदर्भित करता है।
5. आर वह दिन है जिस दिन रिवर्सल समाप्त हो जाता है और जारीकर्ता / प्रवर्तक द्वारा धन प्राप्त किया जाता है। जारीकर्ता / प्रवर्तक द्वारा रिवर्सल उसी दिन कर दिया जाना चाहिए जिस दिन लाभार्थी के द्वारा धन प्राप्त कर लिया जाता है।
6. बैंक शब्द में गैर-बैंक भी शामिल हैं और जहां कहीं भी वे परिचालन हेतु प्राधिकृत हैं वहाँ उन पर लागू होता है।
7. घरेलू लेनदेन अर्थात, वे जहां प्रवर्तक और लाभार्थी दोनों भारत के भीतर से हैं वे इस ढांचे के अंतर्गत आते हैं।
प्राधिकृत भुगतान प्रणालियों का उपयोग करते हुए विफल हुए लेनदेन के लिए टर्न अराउंड
टाइम (टीएटी) और ग्राहक क्षतिपूर्ति को सुसंगत बनाना।
क्र.सं. |
घटना का विवरण |
ऑटो-रिवर्सल और क्षतिपूर्ति के लिए रूपरेखा |
ऑटो-रिवर्सल के लिए समय सीमा |
देय क्षतिपूर्ति |
I |
II |
III |
IV |
1 |
माइक्रो एटीएम सहित स्वचालित टेलर मशीनें (एटीएम) |
क |
ग्राहक के खाते से डेबिट हो गया, लेकिन नकदी नहीं निकली। |
टी + 5 दिनों की अधिकतम अवधि के भीतर विफल हुए लेनदेन का प्रो-एक्टिव रिवर्सल (R)। |
टी + 5 दिन से अधिक विलंब के लिए खाताधारक को ₹ 100/- प्रति दिन की दर पर क्रेडिट किया जाए। |
2 |
कार्ड लेन-देन |
क |
कार्ड टू कार्ड ट्रांसफर कार्ड खाते से डेबिट हो गया लेकिन लाभार्थी कार्ड खाते को क्रेडिट नहीं किया गया। |
यदि लाभार्थी के खाते में क्रेडिट नहीं होता है तो, टी + 1 दिन के भीतर लेन-देन को रिवर्स किया जाए। |
टी + 1 दिन से अधिक विलंब होने पर ₹ 100/- प्रति दिन। |
ख |
पीओएस पर नकदी सहित प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) (कार्ड प्रेजेंट)
खाते से डेबिट किया गया, लेकिन मर्चेंट लोकेशन पर इसकी पुष्टि प्राप्त नहीं हुई अर्थात चार्ज-स्लिप जनरेट नहीं हुई। |
टी + 5 दिनों के भीतर ऑटो-रिवर्सल। |
टी + 5 दिनों के बाद विलंब होने पर ₹ 100/- प्रति दिन। |
ग |
कार्ड नॉट प्रेजेंट (सीएनपी) (ई-कॉमर्स) खाते से डेबिट हो गया, लेकिन व्यापारी के सिस्टम में इसकी पुष्टि नहीं हुई। |
3 |
तत्काल भुगतान प्रणाली (आईएमपीएस) |
क |
खाते से डेबिट हो गया है लेकिन लाभार्थी के खाते में क्रेडिट नहीं किया गया है। |
यदि लाभाग्राही के खाते में क्रेडिट करने में असमर्थ हैं, तो लाभाग्राही बैंक द्वारा टी + 1 दिन के भीतर ऑटो रिवर्सल (आर) कर दिया जाना चाहिए। |
टी + 1 दिन के बाद विलंब होने पर ₹ 100/- प्रति दिन। |
4 |
एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (यूपीआई) |
क |
खाते से डेबिट हो गया है लेकिन लाभार्थी के खाते में क्रेडिट नहीं किया गया है। (धनराशि का अंतरण)। |
यदि लाभाग्राही के खाते में क्रेडिट करने में असमर्थ हैं, तो लाभाग्राही बैंक द्वारा टी + 1 दिन के भीतर ऑटो रिवर्सल (आर) कर दिया जाना चाहिए। |
टी + 1 दिन के बाद विलंब होने पर ₹ 100/- प्रति दिन। |
ख |
खाते से डेबिट किया गया लेकिन व्यापारी स्थान (व्यापारी को भुगतान) पर लेनदेन की पुष्टि प्राप्त नहीं हुई। |
टी + 5 दिनों के भीतर ऑटो-रिवर्सल। |
टी + 5 दिन के बाद विलंब होने पर ₹ 100/- प्रति दिन। |
5 |
आधार समर्थित भुगतान प्रणाली (आधार पे सहित) |
क |
खाते से डेबिट किया गया लेकिन व्यापारी स्थान (व्यापारी को भुगतान) पर लेनदेन की पुष्टि प्राप्त नहीं हुई। |
अधिग्राहक को टी + 5 दिनों के भीतर "क्रेडिट एडजस्टमेंट" शुरू करना चाहिए। |
टी + 5 दिन के बाद विलंब होने पर ₹ 100/- प्रति दिन। |
ख |
खाते से डेबिट किया गया लेकिन लाभार्थी के खाते में क्रेडिट नहीं किया गया। |
6 |
आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम (एपीबीएस) |
क |
लाभार्थी के खाते में क्रेडिट करने में विलंब। |
लाभार्थी बैंक टी + 1 दिन के भीतर लेनदेन को रिवर्स करे। |
टी + 1 दिन के बाद विलंब होने पर ₹ 100/- प्रति दिन। |
7 |
नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (एनएसीएच) |
क |
लाभार्थी के खाते को क्रेडिट करने में विलंब अथवा राशि का रिवर्सल। |
लाभार्थी बैंक टी + 1 दिन के भीतर क्रेडिट न किए गए लेनदेन को रिवर्स करेगा। |
टी + 1 दिन के बाद विलंब होने पर ₹ 100/- प्रति दिन। |
ख |
ग्राहक द्वारा बैंक को दिये गए डेबिट अधिदेश के निरस्त होने के बाद भी खाते से डेबिट किया गया। |
ऐसे डेबिट के लिए ग्राहक का बैंक उत्तरदायी होगा। टी + 1 दिन के भीतर समाधान होना चाहिए। |
8 |
प्रीपेड भुगतान लिखत (पीपीआई) - कार्ड / वॉलेट |
क |
ऑफ- अस लेनदेन यह लेनदेन यूपीआई, कार्ड नेटवर्क, आईएमपीएस इत्यादि पर किया जाएगा, जैसा भी मामला हो। संबंधित प्रणाली का टीएटी और क्षतिपूर्ति नियम लागू होगा। |
ख |
ऑन -अस -लेन-देन लाभाग्राही का पीपीआई क्रेडिट नहीं किया गया। पीपीआई पर बहस हुई लेकिन व्यापारी स्थान पर लेनदेन की पुष्टि नहीं हुई। |
टी + 1 दिन के भीतर रेमिटर के खाते में रिवर्सल किया गया। |
टी + 1 दिन के बाद विलंब होने पर ₹ 100/- प्रति दिन। |
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