भारिबैं/2020-21/17
विवि.सं.बीपी.बीसी/4/21.04.048/2020-21
6 अगस्त 2020
सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/ राज्य सहकारी बैंक/ जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक
सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
महोदया/ महोदय,
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र – ऋणों का पुनर्गठन
कृपया उक्त विषय पर 11 फरवरी 2020 का परिपत्र विवि.सं.बीपी.बीसी.34/21.04.048/2019-20 देखें।
2. कोविड 19 से प्रभावित व्यवहार्य एमएसएमई संस्थाओं को निरंतर समर्थन देने की आवश्यकता और कोविड 19 से दबावग्रस्त अन्य ऋणों के समाधान पर ढांचे के साथ इन दिशानिर्देशों को संरेखित करने के लिए उपरोक्त परिपत्र के संदर्भ में अनुमत योजना का विस्तार करने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, 'मानक' के रूप में वर्गीकृत एमएसएमई के मौजूदा ऋणों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन परिसंपत्ति वर्गीकरण में डाउनग्रेड के बिना पुनर्गठित किया जा सकता है:
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1 मार्च 2020 की स्थिति के अनुसार बैंक और एनबीएफसी का उधारकर्ता के गैर-निधि आधारित सुविधाओं सहित कुल एक्सपोजर 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है।
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उधारकर्ता का खाता 1 मार्च 2020 की स्थिति के अनुसार एक 'मानक आस्ति' है।
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उधारकर्ता खाते का पुनर्गठन 31 मार्च 2021 तक लागू किया जाता है।
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उधार लेने वाली इकाई पुनर्गठन के कार्यान्वयन की तारीख पर जीएसटी-पंजीकृत है। हालांकि, यह शर्त उन एमएसएमई पर लागू नहीं होगी जो जीएसटी-पंजीकरण से मुक्त हैं। इसका निर्धारण 1 मार्च, 2020 तक प्राप्त छूट सीमा के आधार पर किया जाएगा।
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मानक के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के आस्ति वर्गीकरण को उसी तरह बरकरार रखा जा सकता है, तथा जो खाते 2 मार्च 2020 से कार्यान्वयन की तारीख के बीच एनपीए श्रेणी में परिवर्तित हुए होंगे, उन्हें पुनर्गठन योजना के कार्यान्वयन के उपरांत 'मानक आस्ति’ के रूप में अपग्रेड किया जा सकता है। इस परिपत्र के प्रावधानों के अनुसार पुनर्गठन किए जाने पर ही परिसंपत्ति वर्गीकरण का लाभ उपलब्ध होगा।
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पहले की तरह, इन दिशा-निर्देशों के तहत पुनर्गठित खातों के लिए, बैंक उनके द्वारा पहले से रखे गए प्रावधान से अधिक 5% का अतिरिक्त प्रावधान बनाए रखेंगे।
3. 11 फरवरी, 2020 के परिपत्र में निर्दिष्ट अन्य सभी अनुदेश लागू रहेंगे।
भवदीय,
(सौरभ सिन्हा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |