आरबीआई / 2011-12 / 294
डीजीबीए.सीडीडी.एच- 3657/13.01.298/2011-12
09 दिसंबर 2011
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/प्रबंध निदेशकप्रधान कार्यालय (सरकारी लेखा विभाग)
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया/स्टेट बैंक ऑफ पाटियाला/ स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर/
स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर/स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद/ स्टेट बैंक ऑफ मैसूर/ आंध्र बैंक/
इलाहाबाद बैंक/बैंक ऑफ बड़ौदा/ बैंक ऑफ इंडिया/बैंक ऑफ महाराष्ट्र/केनरा बैंक/सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया/कॉर्पोरेशन बैंक/देना बैंक/इंडियन बैंक/इंडियन ओवरसीज बैंक/पंजाब नैशनल बैंक/सिंडीकेट बैंक/
यूको बैंक/यूनियन बैंक ऑफ इंडिया/यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया/विजया बैंक /आईडीबीआई बैंक लि. / आईसीआईसीआई बैंक लि. /एक्सिस बैंक लि. / एचडीएफसी बैंक लि. / एसएचसीआईएल
प्रिय महोदय/महोदया,
लोक सेवाओं की प्रक्रिया और प्रदर्शन लेखापरीक्षा पर समिति (सीपीपीएपीएस)–
रिपोर्ट सं.2- ब्याज और/या मूल के भुगतान में देरी होने पर क्षतिपूर्ति का ढांचा ।
उपरोक्त विषय पर हमारा दिनांक 20 मई 2005 का परिपत्र सं. सीओ.डीटी.नं. 13.01.298/एच-9786/2004-05 देखें । इसके पैरा 3 के अनुसार राहत/बचत बांड के निवेशक को, संबंधित बैंक द्वारा, ब्याज वारंट/ निवेश की परिपक्वता राशि, आदि के देरी से जमा / प्राप्ति, के कारण हुए वित्तीय घाटे के लिए, ‘वर्तमान बचत बैंक दर’ पर क्षतिपूर्ति भुगतान किया जाना चाहिए।
2. इस संबंध में, सूचित किया जाता है कि चूंकि बचत बैंक खातों पर ब्याज दर को नियंत्रण मुक्त (डी- रेग्युलेट) कर दिया गया है, अतः बैंक, राहत/बचत बांड निवेशकों को, उपरोक्त दर्शित वित्तीय घाटे के लिए संबंधित राशि पर क्षतिपूर्ति का भुगतान, अपनी बचत बैंक ब्याज दर (रू.1 लाख तक एवं रु. 1 लाख से अधिक) पर बिना किसी भेदभाव के करेंगे ।
भवदीया,
(संगीता लालवानी)
उप महाप्रबंधक
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