19 जुलाई 2019
रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों से मुलाकात की
गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के मुख्य कार्यपालक के साथ आज एक बैठक की। अपने प्रारंभिक उद्बोधन में, गवर्नर ने बैंकिंग क्षेत्र में सुस्पष्ट सुधारों की बात स्वीकार करते हुए यह भी अधोरेखित किया कि कई चुनौतियों, विशेष रूप से दबावग्रस्त परिसंपत्ति समाधान और जरूरतमंद क्षेत्रों को ऋण प्रवाह संबंधी चुनौतियों का समाधान अभी भी बाकी है।
बैठक के दौरान निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा की गई:
-
मौद्रिक नीति दरों का वांछित स्तर से कम प्रसारण;
-
एक धीमी अर्थव्यवस्था की वापसी पर ऋण और जमा वृद्धि; विवेकपूर्ण उधार, मजबूत जोखिम मूल्यांकन और निगरानी मानकों का पालन करते हुए जरूरतमंद क्षेत्रों में ऋण प्रवाह;
-
वसूली प्रयासों में सुधार;
-
7 जून 2019 को रिजर्व बैंक द्वारा घोषित समाधान के संशोधित ढांचे द्वारा प्रदान की गई सुविधा से दबावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान को प्रोत्साहन;
-
धोखाधड़ी जोखिम के बेहतर प्रबंधन के लिए आंतरिक नियंत्रण तंत्र को मजबूत करना;
-
एनबीएफसी से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए हाल की पहलें और विलंब संबंधी चिंताओं को कम करने में बैंक क्या भूमिका निभा सकते हैं;
-
डिजिटल भुगतानों में गहनता लाना ।
गवर्नर ने डिजिटल भुगतानों में गहनता लाने संबंधी समिति की रिपोर्ट (अध्यक्ष: श्री नंदन नीलकणी) और रिज़र्व बैंक के भुगतान प्रणाली विज़न दस्तावेज़ 2021 की सिफारिशों के अनुरूप डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के विस्तार और उसमें गहनता लाने के महत्व को भी रेखांकित किया। इस संदर्भ में, गवर्नर के सुझाव के बाद, इस बात पर सहमति हुई कि बैंकों द्वारा प्रत्येक राज्य में एक जिले की पहचान की जाएगी ताकि उसे एसएलबीसी, राज्य सरकारों, रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों आदि सहित सभी हितधारकों के समन्वय और सहयोग से एक वर्ष की समय सीमा के भीतर 100% डिजिटल रूप में सक्षम बनाया जा सके। संभव सीमा तक, ऐसे जिलों को भारत सरकार के 'आकांक्षापूर्ण जिलों का रूपांतरण' कार्यक्रम के साथ अभिमुख किया जा सकता है। आईबीए द्वारा भी इस संबंध में एक उत्प्रेरक भूमिका निभाए जाने की उम्मीद है ।
योगेश दयाल
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/207 |