6 सितंबर 2011
बैकिंग लोकपाल सम्मेलन : बैंकों की ग्राहक सेवा में सुधार के लिए दस कार्य बिन्दु
1. भारतीय बैंक संघ (आइबीए) कम-से-कम दस महत्वपूर्ण बैंकिंग लेनदेन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण शर्तों (एमआइटीएसी) का मानकीकरण करेगा और उन्हें स्वीकार करने के लिए बैंकों के बीच परिचालित करेगा।
2. बैंक उपलब्ध प्रौद्योगिकी जैसेकि मुख्य बैंकिंग समाधान की सहायता से जमाराशियों, ऋणों आदि सहित ग्राहकों के सभी बैंक खातों पर निरीक्षण उपलब्ध कराने के लिए प्रक्रिया शुरू करेंगे। बैंक यह प्रक्रिया एक वर्ष के भीतर पूरा करेंगे।
3. बैंक, रिज़र्व बैंक को बैंकों में ग्राहक सेवा पर दामोदरन समिति रिपोर्ट की अनुशंसाओं पर एकमत से विचार देंगे जिसका तात्काल कार्यान्वयन किया जा सकेगा।
4. बैंकिंग लोकपाल योजना के बारे में जागरूकता सृजित करने के लिए बैंकिंग लोकपाल वार्षिक रूप से महत्वपूर्ण मामलों और दिए गए निर्णय सहित प्राप्त शिकायतों और किए गए समाधान से संबंधित जानकारी का आदान-प्रदान स्थानीय मीडिया से करेंगे।
5. बैंकों द्वारा बैंकों में ग्राहक सेवा के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए टाऊन हॉल कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी। बैंक ग्राहक, बैंक अधिकारी और बैंकिंग लोकपाल इन कार्यक्रमों में सहभागिता करेंगे।
6. रिज़र्व बैंक/आइबीए बैंक ग्राहकों को हो रहे मानसिक उत्पीड़न के लिए मौद्रिक क्षतिपूर्ति से संबंधित मामलों की जॉंच करेंगे। इस विश्लेषण में ध्यान देने योग्य मुद्दे निम्नप्रकार होंगे :
क्या केवल वास्तविक हानि पर ही क्षतिपूर्ति के लिए विचार किया जाएगा।
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क्या मानसिक उत्पीड़न के मुद्दों को क्षतिपूर्ति के लिए कूटबद्ध किया जा सकता है और क्या क्षतिपूर्ति पर सीमा लगाई जानी चाहिए।
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क्या क्षतिपूर्ति पर बैंकों के बोर्ड की नीतियों में क्षतिपूर्ति हेतु एक आधार के रूप में मानसिक उत्पीडन को शामिल किया जाना चाहिए।
7. बैंक खाताधाकों को सभी प्रकार से विधिवत् पूरे किए गए स्रोत पर कर वसूली (टीडीएस) प्रमाणपत्र जारी करेंगे और उनके डाक पते पर इसे भेजेंगे।
8. एटीएम/इंटरनेट आधारित बैंकिंग लेनदेन के मामले में ग्राहक और बैंक को शामिल करने वाले किसी मौद्रिक विवाद की स्थिति में बैंक का यह दायित्व होना चाहिए कि वह ग्राहक की असावधानी अथवा गलती को प्रमाणित करे। ग्राहक के अनधिकृत लेनदेन से उत्पन्न हानि के लिए ग्राहक को क्षतिपूर्ति की जाए।
9. बैंक 'ग्राहकों के लिए निष्पक्ष व्यवहार' की अपनी संहिता में निम्नलिखित मदों को शामिल करने का उपाय शुरू करेंगे -
- अपने ग्राहकों के क्रेडिट और डेबिट कार्ड लेनदेन पर कुछ विवेकसम्मत राशि का बीमा।
10. बैंक अस्थिर दर ऋणों में पूर्वदत्त प्रभारों की वसूली नहीं करें। बैंक अपने ग्राहकों को दीर्घावधि निर्धारित दर आवास ऋण भी प्रदान करें तथा ब्याज दर स्वैप (आइआरएस) बाज़ार का सहारा लेते हुए उनके आस्ति देयता असंतुलन (एएलएम) मुद्दों का समाधान करें। अस्थिर दर ऋण बैंकों से ब्याज दर जोखिम पर डाल दिए जाते हैं जो उधारकर्ताओं के लिए इसका प्रबंध करने की बेहतर व्यवस्था है और इस प्रकार बैंक संभावित ऋण जोखिम के साथ केवल ब्याज दर जोखिम को प्रस्थापित करने हैं। तथापि बैंक निर्धारित ऋण दरों के मामले में समुचित पूर्वदत्त दण्डों की वसूली करने/प्रभारित करने के लिए स्वतंत्र हैं।
ये निर्णय 5 सितंबर 2011 को भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई में आयोजित बैंकिंग लोकपालों के वार्षिक सम्मेलन में लिए गए। इस सम्मेलन का उद्घाटन भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर डॉ. डी. सुब्बाराव द्वारा किया गया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने बताया कि अक्सर इलाज से रोकथाम बेहतर होती है। ग्राहक सेवा के क्षेत्र में भी अच्छी ग्राहक सेवा प्रदान करना 'रोकथाम' की तरह है और उस 'इलाज' से बेहतर है जो विभिन्न शिकायत निवारण व्यवस्थाओं में हैं। उन्होंने सहभागियों के विचारार्थ बैंकों की ग्राहक सेवा से संबंधित विभिन्न मुद्दों को प्रस्तुत किया। उन्होंने पूछा कि क्या ग्राहक सेवा किसी शाखा स्तरीय अधिकारी के कार्यनिष्पादन मूल्यांकन में एक मानदंड है अथवा किसी बैंक पर लगाया गया दण्ड किसी भी मायने में उस स्टाफ को प्रतिबिंबित करता है जिसके कारण दण्ड लगाया गया है; क्या सभी बैंकों के पास शिकायत निवारण अधिकारी हैं और वे किस स्तर के हैं; क्या बैंक ग्राहकों को दस्तावेज़ हस्ताक्षरित करने के पहले अत्यंत महत्वपूर्ण शर्तों (एमआइटीसी)को स्पष्ट किया गया है और क्या किसी बैंकिंग उत्पाद की अत्यंत महत्वपूर्ण शर्तों से विचलन पारदर्शी है। उन्होंने बैंकरों से आग्रह किया कि वे अपनी ग्राहक सेवा में और सुधार के लिए दस कार्य बिन्दुओं की पहचान करें।
डॉ. के. सी चक्रवर्ती, उप गवर्नर ने सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। सभी पन्द्रह बैंकिंग लोकपाल, श्री एम.डी. माल्या, अध्यक्ष,भारतीय बैंक संघ और अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक, बैंक ऑफ बड़ौदा; श्री प्रतीप चौधुरी, अध्यक्ष, भारतीय स्टेट बैंक; डॉ. के. रामकृष्ण, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, भारतीय बैंक संघ; श्रीमती के. जे. उदेशी, अध्यक्ष और श्री एन. राजा, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, भारतीय बैंकिंग कोड और मानक बोर्ड(बीसीएसबीआइ) तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया। श्री वी. के. शर्मा, कार्यपालक निदेशक ने सहभागियों का स्वागत किया और ग्राहक सेवा विभाग के मुख्य महाप्रबंधक श्री राजेश वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
पृष्ठभूमि
रिज़र्व बैंक ने वर्ष 1995 में बैंकिंग लोकपाल योजना अधिसूचित की। यह योजना बैंकों के विरूद्ध ग्राहक शिकायतों की तीव्र और कम व्यय वाला समाधान उपलब्ध कराती है। बैंकिंग लोकपाल योजना में बैंकिंग सेवा में कमी से संबंधित शिकायतों की व्यापक श्रेणी शामिल है। यह योजना बैंकिंग लोकपाल द्वारा दिए गए निर्णयों के संबंध में शिकायतकर्ताओं और बैंकों से अपील करने की अनुमति भी देती है। इस योजना को दो बार वर्ष 2002 और 2006 में इसके क्षेत्र और व्यापकता में विस्तार के लिए संशोधित किया गया। इस योजना में अंतिम संशोधन वर्ष 2009 में किया गया जिसमें इंटरनेट बैंकिंग, उधारदाताओं के लिए निष्पक्ष व्यवहार संहिता अथवा भारतीय बैंकिंग कोड और मानक कोड (बीसीएसबीआइ) द्वारा जारी ग्राहकों के प्रति बैंक की प्रतिबद्धता के कोड के प्रावधानों का पालन नहीं किए जाने और बैंकों द्वारा वसूली एजेंटों को शामिल करने पर रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किए जाने को शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराने के लिए फार्मेट का सरलीकरण भी किया है।
रिज़र्व बैंक प्रत्येक वर्ष सभी बैंकिंग लोकपालों का एक सम्मेलन आयोजित करता है। भारतीय बैंकिंग कोड और मानक कोड, भारतीय बैंक संघ, भारतीय ऋण सूचना ब्यूरो लिमिटेड (सीआइबीआइएल) और कुछ अग्रणी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी भी सार्थक चर्चा के लिए इस सम्मेलन में आमंत्रित किए जाते हैं। ग्राहक सेवा से संबंधित विभिन्न मुद्दों और बैंकिंग क्षेत्र में ग्राहक सेवा में सुधार के लिए विनियामक उपायों पर इस सम्मेलन में चर्चा की जाती है।
अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/359
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