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Date: 30/10/2015
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल (मध्‍य प्रदेश) पर जारी निदेशों की अवधि बढ़ाई

30 अक्‍टूबर 2015

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड,
भोपाल (मध्‍य प्रदेश) पर जारी निदेशों की अवधि बढ़ाई

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल (मध्‍य प्रदेश) पर कतिपय निदेश जारी किए हैं। ये निदेश आगे के छ: महीनों की अवधि के लिए समीक्षा के अधीन 01 नवंबर 2015 से 30 अप्रैल 2016 तक बैंक पर लागू रहेंगे। यह बैंक 31 अक्‍टूबर 2012 को कारोबार की समाप्ति से निदेशाधीन है।

रिजर्व बैंक के निदेशों के अनुसार 31 अक्‍टूबर 2012 को कारोबार की समाप्ति से, भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल (मध्‍य प्रदेश) भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्वानुमति लिए बिना, भारतीय रिज़र्व बैंक के 29 अक्‍टूबर 2012 में अधिसूचित निदेशों के अलावा किसी भी ऋण और अग्रिम को मंजूर या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियाँ उधार लेने और नई जमाराशियाँ स्‍वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा भले ही, भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्‍वों की चुकौती से या अन्‍यथा से संबंधित क्‍यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्‍यवस्‍था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्‍य किसी रीति से उसका निपटान करेगा।

विेशेष रुप से यह बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक निदेशों में उल्लिखित शर्तों के अधीन प्रत्‍येक बचत बैंक या चालू खाते में या किसी भी अन्‍य जमा खाते में, कुल शेष में से प्रत्‍येक जमाकर्ता को 1,000/- (एक हज़ार रुपए मात्र) तक की राशि आहरित करने की अनुमति दे सकता है। निदेशों की अवधि समय समय पर अगले छ: महिनों के लिये पुन: बढ़ाई गई तथा पिछली बार उक्‍त निदेशों को 01 मई 2015 से 31 अक्‍टूबर 2015 तक की अवधि हेतु बढ़ाया गया था।

ये निदेश बैं‍ककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसाइटियों पर यथालागू) की धारा 35 क की उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए हैं। निदेश की प्रतिलिपि इच्‍छुक जन सदस्‍यों के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उक्‍त निदेश जारी करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। बैंक अपनी वित्‍तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार करना जारी रखेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/1046

 
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