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Date: 24/10/2016
एटीएम/डेबिट कार्ड के डेटा का उल्लंघन

24 अक्‍टूबर 2016

एटीएम/डेबिट कार्ड के डेटा का उल्लंघन

भारतीय रिजर्व बैंक ने आज चुनिंदा बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम और कार्ड नेटवर्क ऑपरेटरों के साथ कतिपय कार्ड विवरणों को अप्राधिकृत रूप से सांझा करने से उत्पन्न दुष्परिणामों को रोकने के लिए विभिन्न एजेंसियों द्वारा किए गए उपाय पर एक बैठक बुलाई।

8 सितंबर 2016 को रिजर्व बैंक के ध्यान में यह आया था कि कुछ बैंकों द्वारा जारी किए गए कुछ कार्ड के विवरण सेवा प्रदाताओं में से एक के एटीएम स्विच से जुड़े स्वचालित टेलर मशीन (एटीएम) पर संभवतः सांझा किए गए थे। इस मुद्दे की वर्तमान में पीसीआई-डीएसएस ढांचे के तहत, एक अनुमोदित फॉरेंसिक लेखा परीक्षक द्वारा जांच की जा रही है।

वर्तमान में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, दुरुपयोग कार्ड की संख्या, कम है। एहतियात के तौर पर,तथापि संबंधित कार्ड नेटवर्क ऑपरेटरों को पहले ही इस एक्सपोजर की अवधि के दौरान इस्तेमाल कार्ड के विवरण साझा करने के लिए सूचित किया गया था। इस के आधार पर, बैंक किसी भी असामाजिक तत्वों द्वारा भविष्य में इस तरह के कार्ड के संभावित दुरुपयोग से बचने के लिए और अपने ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई कर रहें है। बैंकों ने ग्राहकों को पिन बदलने के लिए सूचित करने, अंतरराष्ट्रीय स्थानों पर भुगतान को अवरुद्ध करने,आहरण सीमा को कम करने, असामान्य पैटर्न पर नजर रखने, कार्ड को बदलने और गलत तरीके से डेबिट हुई राशि को कार्ड धारकों के खातों में फिर से जमा करने सहित कदम उठाए हैं।

रिजर्व बैंक ने कार्डस्वामित्व बैंक ग्राहकों से आग्रह किया है कि समय समय पर पिन और पासवर्ड बदलना एक अच्छी आदत है और उन्हें किसी भी कारण से किसी के साथ सांझा नही करना चाहिए। यह भी आगाह किया गया कि बैंक अपने ग्राहकों से कार्ड या खाते के विवरण के लिए नहीं पूछते। इसलिए, ग्राहकों को, सावधानी बरतनी चाहिए और फोन या ईमेल पर किसी भी व्यक्ति को इस तरह की जानकारी का खुलासा नहीं करना चाहिए।

रिजर्व बैंक ने पहले ही दिनांक 2 जून 2016 को बैंकों को साइबर सुरक्षा फ्रेमवर्क अपनाने का निर्देश दिया है। बैंकों को एक बार फिर से मौजूदा साइबर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने की सलाह दी गई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस ढांचे के शीघ्र कार्यान्वयन पर जोर दिया है ताकि (i) भविष्य में इस तरह की घटनाओं की संभावना कम से कम हो और (ii) इस तरह की घटनाएं होने पर, तत्काल रोकथाम के उपाय किए जाएं।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/1014

 
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