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Date: 02/08/2017
विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य

2 अगस्त 2017

विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य

1. मौद्रिक नीति अंतर में सुधार करने के लिए उपाय

मौद्रिक अंतरण में सुधार करने के लिए अप्रैल 2016 में शुरू की गई सीमांत निधि लागत आधारित उधार दर (एमसीएलआर) का अनुभव पूरी तरह से संतोषजनक नहीं रहा है, हालांकि यह आधार दर प्रणाली की तुलना में प्रगति है। मौद्रिक अंतरण में सुधार करने के दृष्टिकोण और बैंक उधार दरों को सीधे बाजार निर्धारित बेंचमार्कों से जोड़ने के तरीकों को खोजने के लिए एमसीएलआर प्रणाली के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा एक आंतरिक अध्ययन समूह गठित किया गया है। यह समूह 24 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

इसके अतिरिक्त, एमसीएलआर की शुरुआत के बाद कुछ बैंकों द्वारा आधार दर की तीव्र संवीक्षा सुझाती है कि यह एमसीएलआर की अपेक्षा काफी कम बढ़ी है। जबकि आधार दर में बदलाव की सीमा से जरूरी नहीं है कि एमसीएलआर में संशोधन नहीं दर्शाता है, आधार दर की कठोरता वास्तविक अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति के सक्षम अंतरण के लिए चिंता का विषय है। बैंकों के अस्थिर दर ऋण पोर्टफोलियो के बड़े भाग को देखते हुए जो अभी भी आधार दर पर संचालित है, भारतीय रिज़र्व बैंक निकट भविष्य में विभिन्न विकल्पों की तलाश करेगा जिससे कि आधार दर को बैंकों की निधि लागत में बदलावों के प्रति अधिक उत्तरदायी बनाया जा सके।

2. एलसीआर दिशानिर्देशों में संशोधन

चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) पर मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, नकदी जिसमें अपेक्षित न्यूनतम सीआरआर से अधिक प्रारक्षित नकदी शामिल है, उसे स्तर 1 उच्च गुणवत्ता चलनिधि आस्ति (एचक्यूएलए) के रूप में मान्यताप्राप्त है। तथापि, अन्य केंद्रीय बैंकों के पास धारित आवश्यकता से अधिक प्रारक्षित निधियों को स्तर 1 एचक्यूएलए के रूप में मान्यताप्राप्त नहीं है।

अनुदेशों की समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि भारत में निगमित बैंकों द्वारा विदेशी केंद्रीय बैंक में धारित प्रारक्षित निधियां जो मेजबान देश की प्रारक्षित निधियों की आवश्यकता से अधिक हैं को कतिपय शर्तों के अधीन एचक्यूएलए माना जाना चाहिए।

परिपत्र आज जारी किया जा रहा है।

3. भारत के लिए सार्वजनिक क्रेडिट रजिस्ट्री पर उच्च स्तरीय कार्यदल

उधारकर्ताओं और ऋणदाताओं के बीच सूचना विषमता का समाधान करने और क्रेडिट बाजार को अधिक सक्षम बनाने के लिए सामान्य रूप से केंद्रीय बैंक या पर्यवेक्षी प्राधिकरण द्वारा परिचालित निजी क्रेडिट ब्यूरो और सार्वजनिक क्रेडिट रजिस्ट्री (पीसीआर) अधिकांश देशों में एक साथ कार्य करते हैं। भारत में आज की तारीख में चार क्रेडिट ब्यूरो या क्रेडिट सूचना कंपनी (अर्थात सिबिल, इक्विफैक्स, एक्सपीरियन और सीआरआईएफ हाईमार्क) चालू हैं जिन्हें क्रेडिट सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 (सीआईसीआरए 2005) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक के अंदर बड़े क्रेडिट पर केंद्रीय सूचना रिपोजिटरी (सीआरआईएलसी) बनाई गई है जो बड़े एक्सपोज़रों को ट्रैक करके पर्यवेक्षी आवश्यकताओं का ध्यान रखती है। भारतीय रिज़र्व बैंक में व्यापक मूलभूत सांख्यिकी रिटर्न (बीएसआर-1) डेटाबेस है जो क्रेडिट पर लेखा स्तर की सूक्ष्म से सूक्ष्म सूचना रखता है।

एक पीसीआर संभावित रूप से बैंकों को क्रेडिट मूल्यांकन और क्रेडिट मूल्‍य निर्धारण के साथ ही जोखिम आधारित, गतिशील और काउंटरसाइकल प्रावधान करने में मदद कर सकता है। पीसीआर, आरबीआई को यह जानने में मदद कर सकता है कि मौद्रिक नीति संचरण काम कर रहा है या नहीं और यदि नहीं, तो बाधाएं कहां है। इसके अलावा, यह पर्यवेक्षकों, नियामकों और बैंकों को शुरुआती हस्तक्षेप द्वारा तनावग्रस्त बैंक क्रेडिट के प्रभावी पुनर्गठन में मदद कर सकता है।

उपरोक्त के मद्देनजर, विशेषज्ञों और साथ ही प्रमुख हितधारकों के एक उच्च स्तरीय कार्यबल का गठन करने का निर्णय लिया गया है जो (i) भारत में क्रेडिट के बारे में उपलब्‍ध वर्तमान जानकारी की समीक्षा करेगा; (Ii) अंतराल का मूल्यांकन करेगा जिसे व्यापक पीसीआर से भरा जा सकता है; (Iii) अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं का अध्ययन करेगा; और, (iv) भारत के लिए एक पारदर्शी, व्यापक और निकट-तत्‍काल समय पीसीआर विकसित करने के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों सहित एक रोडमैप का सुझाव देगा।

4. ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) द्वारा व्यापक ऋण सूचना रिपोर्ट (सीआईआर) जारी किया जाना

यह देखा गया है कि ऋण सूचना कंपनियां (सीआईसी) क्रेडिट इंस्टीट्यूशन (सीआई) को वाणिज्यिक डेटा, उपभोक्ता डेटा या एमएफआई डेटा जैसे विशिष्‍ट मॉड्यूलों में उपलब्ध क्रेडिट जानकारी के आधार पर ऋण सूचना रिपोर्ट (सीआईआर) के सीमित संस्करण देने की प्रथा का पालन कर रहे हैं।

क्रेडिट संस्थानों द्वारा कुशल ऋण मूल्यांकन की सुविधा के लिए और उधारदाताओं और उधारकर्ताओं के बीच सूचना असमानता को कम करने के लिए, सीआईसी को क्रेडिट इंस्टीट्यूशन (सीआई) में प्रस्तुत सीआईआर में सीआईसी डेटाबेस में सभी मॉड्यूलों में उपलब्ध सभी क्रेडिट जानकारी को शामिल करने का निदेश देने का निर्णय लिया गया है।

परिपत्र आज जारी किया जा रहा है।

5. रिजर्व बैंक के पारिवारिक सर्वेक्षण

आरबीआई नियमित रूप से मौद्रिक नीति के लिए कई सर्वेक्षण करता है। सर्वेक्षणों पर तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसीएस) जिसमें क्षेत्र के प्रतिष्ठित संस्थानों के सदस्यों होते है, इन सर्वेक्षणों का संचालन करने के लिए आरबीआई का मार्गदर्शन करती है। जबकि पारिवारिक मुद्रास्‍फीति प्रत्‍याशाओं का सर्वेक्षण (आईईएसएच) 18 शहरों में आयोजित किया जाता है जिसमें 5,500 परिवारों को कवर किया जाता है,उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण (सीसीएस) 6 शहरों में आयोजित किया जाता है जिसमें करीब 5,400 परिवारों को कवर किया जाता है । उनकी प्रतिनिधित्व क्षमता में सुधार के लिए, टीएसीएस की सिफारिशों के मुताबिक, आईईएसएच के कवरेज का विस्तार ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में करने के प्रयास किए जा रहे हैं; और, सीसीएस के मामले में, कवरेज 6 शहरों से बढ़ाकर 13 शहरों तक कर दिया जाएगा।

6. त्रिपक्षीय रिपो

त्रिपक्षीय रिपो की शुरूआत से कॉर्पोरेट बांड रेपो बाजार में बेहतर तरलता के लिए योगदान मिलेगा, जिससे बाजार को सरकारी प्रतिभूति रेपो के लिए एक वैकल्पिक रेपो साधन उपलब्ध कराया जाएगा। 11 अप्रैल 2017 को सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर त्रिपक्षीय रेपो की शुरूआत के बारे में ड्राफ्ट दिशानिर्देश दिए गए थे। प्रतिक्रिया की जांच की गई है और इसके बारे में अंतिम परिपत्र अगस्त 2017 के मध्य में जारी किया जाएगा।

7. सरलीकृत हेजिंग सुविधा

सरल हेजिंग सुविधा की योजना को पहली बार आरबीआई ने अगस्त 2016 में घोषित किया था और प्रारूप योजना 12 अप्रैल 2017 को जारी की गई थी। इस योजना का उद्देश्य हेजिंग विनिमय दर की प्रक्रिया को दस्तावेजों की आवश्यकताओं को कम करके और उत्पादों, उद्देश्य और हेजिंग लचीलेपन के बारे में अनुशासनिक शर्तों से बचने को सरल बनाने का है। इससे अधिक गतिशील और कुशल हेजिंग संस्कृति को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इस योजना को लागू करने के लिए परिपत्र को अंतिम रूप दिया गया है और सरकार द्वारा फेमा अधिसूचना जारी करने के बाद जारी किया जाएगा।

8. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए ब्याज दर फ्यूचर्स (आईएफआर) की अलग सीमा

वर्तमान में, सरकारी प्रतिभूतियों के लिए एफपीआई सीमा प्रतिभूतियों में निवेश और बॉन्ड फ्यूचर्स में निवेश के बीच प्रतिस्थापित है। आगे बाजार के विकास को सुविधाजनक बनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि जब सरकारी प्रतिभूतियों पर एफपीआई सीमाएं नीलामी के अधीन हैं उस दौरान एफपीआई के फ्यूचर्स तक पहुंच निरंतर बनी रहती है, आईआरएफ में बिक्री से अधिक खरीद के लिए एफपीआई को अलग से 5000 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव है। सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई द्वारा निवेश के लिए निर्धारित सीमाएं ऐसी प्रतिभूतियों को प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से उपलब्ध होगी। हेजिंग प्रयोजनों के लिए ब्याज दर फ्यूचर्स  की एफपीआई की पहुंच पहले की तरह जारी रहेगी। सरकार के साथ परामर्श के बाद इस संबंध में आरबीआई द्वारा परिपत्र जारी किया जाएगा।

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/326

 
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