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Date: 21/02/2018
मौद्रिक नीति समिति की 6-7 फरवरी 2018 को हुई बैठक के कार्यवृत्त

21 फरवरी 2018

मौद्रिक नीति समिति की 6-7 फरवरी 2018 को हुई बैठक के कार्यवृत्त
[भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडएल के अंतर्गत]

संशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडबी के अंतर्गत गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की नौवीं बैठक 6 और 7 फरवरी 2018 को भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई में आयोजित की गई।

2. बैठक में सभी सदस्य – डॉ. चेतन घाटे, प्रोफेसर, भारतीय सांख्यिकी संस्थान; डॉ. पामी दुआ, निदेशक, दिल्ली अर्थशास्त्र स्कूल; और डॉ. रविन्द्र एच. ढोलकिया, प्रोफेसर, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद; डॉ. माइकल देबब्रत पात्र, कार्यपालक निदेशक (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडबी(2)(सी) के अंतर्गत केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित रिज़र्व बैंक का अधिकारी); डॉ. विरल वी. आचार्य, उप-गवर्नर, मौद्रिक नीति प्रभारी उपस्थित हुए और इसकी अध्यक्षता डॉ. उर्जित आर. पटेल, गवर्नर द्वारा की गई।

3. संशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडएल के अनुसार, रिज़र्व बैंक मौद्रिक नीति समिति की प्रत्येक बैठक के चौदहवें दिन इस बैठक की कार्यवाहियों के कार्यवृत्त प्रकाशित करेगा जिसमें निम्नलिखित शामिल होगा :–

(क) मौद्रिक नीति समिति की बैठक में अपनाया गया संकल्प;

(ख) उपर्युक्त बैठक में अपनाए गए संकल्प पर मौद्रिक नीति के प्रत्येक सदस्य को प्रदान किया गया वोट; और

(ग) उपर्युक्त बैठक में अपनाए गए संकल्प पर धारा 45जेडआइ की उप-धारा (11) के अंतर्गत मौद्रिक नीति समिति के प्रत्येक सदस्य का वक्तव्य।

4. मौद्रिक नीति समिति ने उपभोक्ता विश्वास, परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशा, कॉर्पोरेट क्षेत्र का कार्यनिष्पादन, क्रेडिट स्थिति, औद्योगिक, सेवा और बुनियादी सुविधा क्षेत्रों की संभावना तथा व्यावसायिक पूर्वानुमानकर्ताओं के अनुमानों का आकलन करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा करवाए गए सर्वेक्षणों की समीक्षा की। समिति ने इन संभावनाओं के विभिन्न जोखिमों के ईर्द-गिर्द स्टाफ के समष्टि आर्थिक अनुमानों और वैकल्पिक परिदृश्यों की विस्तृत रूप से समीक्षा की। उपर्युक्त पर और मौद्रिक नीति के रुख पर व्यापक चर्चा करने के बाद एमपीसी ने संकल्प अपनाया जिसे नीचे प्रस्तुत किया गया है।

संकल्प

5. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज आयोजित अपनी बैठक में वर्तमान और उभरती समष्टि आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर निर्णय लिया है कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) की नीति रेपो दर 6.0 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखी जाए।

परिणामस्वरूप, चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत प्रतिवर्ती रेपो दर 5.75 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहेंगी।

एमपीसी का निर्णय मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख के अनुरूप है जो वृद्धि को सहारा देते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति का 4% का उद्देश्य +/- 2 प्रतिशत के बैंड के भीतर हासिल करने के मध्यम अवधि के लक्ष्य के अनुरूप है। इस निर्णय को रेखांकित करने वाले मुख्य विचारों को नीचे वक्तव्य में दिया गया है।

आकलन

6. दिसंबर 2017 में एमपीसी की अंतिम बैठक के समय से, सभी क्षेत्रों में वृद्धि की भावनाओं के अधिक समन्वित होने के साथ वैश्विक आर्थिक गतिविधि ने और गति प्राप्त की है। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) में यूरो क्षेत्र में मजबूत गति पर विस्तार हुआ है जिसमें उपभोग और निवेश ने सहायता दी। कम होती बेरोजगारी और कम ब्याज दरों के साथ आर्थिक आशावाद सुधार में सहयोग कर रहा है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2017 की चौथी तिमाही में वृद्धि के मंदा होने के साथ कुछ गति खो दी, हालांकि विनिर्माण गतिविधि ने दिसंबर में बहुत महीनों के उच्च स्तर को छुआ। जापानी अर्थव्यवस्था का बढ़ना जारी है क्योंकि विनिर्माण गतिविधि ने मजबूत बाह्य मांग के कारण जनवरी में गति पकड़ी है जो पहले के मजबूत कारोबारी विश्वास को प्रोत्साहन प्रदान कर रही है।

7. वर्ष 2017 के अंतिम तिमाही में उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में आर्थिक गतिविधि में तेजी आई। चीनी अर्थव्यवस्था अधिकारिक लक्ष्य से अधिक बढ़ी जिसका कारण मजबूत घरेलू उपभोग और सुदृढ़ निर्यात रहा। तथापि, वृद्धि के लिए कुछ डाउनसाइड जोखिम बने हुए हैं, विशेषरूप से ऐसा सहज होती स्थायी परिसंपत्ति निवेश और बढ़ते ऋण स्तरों से हो रहा है। रूस में, मजबूत निजी उपभोग, तेल की बढ़ती कीमतें और उच्च निर्यात से आर्थिक गतिविधि में सहायता मिल रही है, हालांकि कमजोर निवेश और आर्थिक मंजूरियां इसकी वृद्धि संभावनाओं पर प्रभाव डाल रही हैं। ब्राजील में, परिवार खर्च और बेरोजगारी से संबंधित आंकड़े चौथी तिमाही में सकारात्मक रहे। तथापि, राजनीतिक अनिश्चितता के चलते सुधार कमजोर बना हुआ है जिसने उपभोक्ता विश्वास को कम कर दिया है। दक्षिण अफ्रीका घरेलू और बाह्य दोनों मोर्चों पर चुनौतियां का सामना कर रहा है जिसमें उच्च बेरोजगारी और कम होती फैक्टरी गतिविधि शामिल है

8. वैश्विक व्यापार में विस्तार जारी है जिसे मजबूत निवेश और सुदृढ़ विनिर्माण गतिविधि द्वारा सहायता प्रदान की गई है। कच्चे तेल की कीमतों ने तीन वर्ष के उच्च स्तर को छु लिया क्योंकि कम होती इन्वेंटरी के साथ ओपेक द्वारा उत्पादन कटौती ने वैश्विक मांग-आपूर्ति संतुलन पर प्रभाव डाला। बुलियन कीमतों ने कमजोर अमेरिकी डॉलर के कारण बहु-महीनों के उच्च स्तर को छु लिया। यूके को छोड़कर अधिकांश उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) में मंद मजदूरी दबावों के कारण मुद्रास्फीति नियंत्रित रही। मुद्रास्फीति देश-विशिष्ट कारकों के कारण मुख्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में भिन्न-भिन्न रही।

9. जनवरी पे-रोल आंकड़ों की दृष्टि से यूएस फेडरल की मौद्रिक नीति के सामान्यीकरण की गति पर अनिश्चितता के कारण हाल के दिनों में वित्तीय बाजार अस्थिर हो गए हैं, इन आंकड़ों में तेजी से बढ़ती मजदूरी वृद्धि और संभावना से बेहतर रोजगार दिखाया गया है। ब्रेग्जिट के समय से अस्थिरता सूचकांक (VIX) अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के इक्विटी बाजारों ने तेज सुधार दर्शाया है। अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल काफी सख्त हो गया है जो जनवरी में देखे गए ऊपरी दबावों को बढ़ा रहा है, जिससे अन्य उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में बॉन्ड प्रतिफलों में सहगामी वृद्धि हुई। विदेशी बाजार भी अस्थिर हो गए हैं। हाल की अस्थिरता की इस घटना तक वैश्विक वित्तीय बाजारों में निवेशक द्वारा जोखिम उठाने की क्षमता, यूएस द्वारा कॉर्पोरेट कर में कटौती और स्थिर आर्थिक स्थिति के चलते काफी उछाल था। इक्विटी बाजारों में जनवरी में काफी उछाल आया जिसका कारण सुदृढ़ चीनी वृद्धि, पण्य-वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और सामान्य रूप से सकारात्मक कॉर्पोरेट भावना थी। मुद्रा बाजारों में, अमेरिकी डॉलर ने 1 फरवरी को बहु-महीनों के निम्न स्तर को छुआ जिसका कारण राजकोषीय जोखिम और अन्य उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि की संभावनाओं में सुधार होना था।

10. घरेलू मोर्चे पर केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमानों (एफएई) के अनुसार वास्तविक संवृद्धित सकल मूल्य (जीवीए) वृद्धि का वर्ष 2016-17 के 7.1 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2017-18 में 6.1 प्रतिशत तक होने का अनुमान है, इसका मुख्य कारण कृषि और संबद्ध कार्यकलापों, खनन और उत्खनन, विनिर्माण तथा लोक प्रशासन तथा रक्षा (पीएडीओ) सेवाओं में कमी होना था।

11. तथापि, सीएओ द्वारा एफएई जारी करने के बाद उपलब्ध सूचना सामान्यतः सकारात्मक रही है। विनिर्माण आउटपुट ने नवंबर में औद्योगिकी उत्पादन (आईआईपी) सूचकांक की वृद्धि को बढ़ावा दिया। लंबी कमजोरी की अवधि के बाद सीमेंट उत्पादन ने नवंबर-दिसंबर में मजबूत वृद्धि दर्ज की जिसने इस्पात उत्पादन में निरंतर अच्छी वृद्धि के साथ नवंबर में इन्फ्रास्ट्रक्चर माल उत्पादन में अभिवृद्धि को बढ़ाया। नए आदेशों से जनवरी में विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) में लगातार छठे महीने विस्तार हुआ। भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में समग्र कारोबारी भावना के आकलन में तीसरी तिमाही में सुधार हुआ जैसाकि रिज़र्व बैंक के औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण (आईओएस) में प्रतिलक्षित हुआ। तथापि, कोयला, कच्चे तेल, इस्पात और विद्युत के उत्पादन में संकुचन/कमी के कारण दिसंबर में कोर क्षेत्र वृद्धि में कमी आई। गेहूं, तिलहन और मोटे अनाज के मामले में रकबा पिछले वर्ष की तुलना में कम रहा। परिणामस्वरूप, रबी फसल के लिए बुआई क्षेत्र में कमी बढ़कर 2 फरवरी को (-)1.5 प्रतिशत हो गई जो 29 दिसंबर 2017 को (-)1.0 प्रतिशत थी।

12. सेवा क्षेत्र में, कुछ उच्च बारंबारता सूचकों में सुधार हुआ। वाणिज्यिक वाहन बिक्री ने दिसंबर में आठ वर्ष के उच्च स्तर को छुआ। समुद्र, रेल और वायु द्वारा लेकर जाया जाने वाले माल ने भी नवंबर में उच्चतर वृद्धि दर्ज की, किंतु दिसंबर में मिश्रित कार्यनिष्पादन दर्शाया। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्री ट्रैफिक तथा विदेशी पर्यटकों के आगमन जैसे अन्य सूचकों में नवंबर-दिसंबर में तेज गति से बढ़ोतरी हुई। सेवाओं के पीएमआई में क्रमिक रूप से दिसंबर और जनवरी में विस्तार हुआ जिसका कारण उच्चतर कारोबारी गतिविधि रही।

13. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में वर्ष-दर-वर्ष हुए परिवर्तन द्वारा आकलित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में लगातार छठे महीने में बढ़ी जिसका कारण मजबूत प्रतिकूल आधार प्रभाव था। नवंबर में तुरंत बढ़ने के बाद खाद्य कीमतें दिसंबर में आंशिक रूप से कम हो गई जो मुख्य रूप से मौसमी नरमी को दर्शाती हैं, हालांकि दलहन की कीमतों में निरंतर कमी के साथ सब्जियों की कीमतें नरम रही। अनाज मुद्रास्फीति दिसंबर में स्थिर कीमतों के साथ नरम रही। तथापि, खाद्य के कुछ घटकों – अंडे; माँस और फिश; तेल और वसा; तथा दूध में वृद्धि हुई। ईंधन और लाइट समूह की मुद्रास्फीति जिसने नवंबर में तेज वृद्धि दिखाई थी, दिसंबर में कुछ नरम हो गई जिसका कारण विद्युत, एलपीजी और केरोसिन मुद्रास्फीति में नरमी थी।

14. खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति नवंबर और दिसंबर में और बढ़ गई, ऐसा मुख्य रूप से 7वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) अवार्ड के अंतर्गत सरकारी कर्मचारियों के उच्चतर आवास किराया भत्तों (एचआरए) के लागू होने के बाद आवास मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण हुआ। स्वास्थ्य और व्यक्तिगत देखभाल तथा इसके सामान में मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई। घरेलू पेट्रोलियम उत्पाद कीमतों में अपूर्ण पास-थ्रू को प्रतिलक्षित करते हुए, परिवहन और संचार में मुद्रास्फीति दिसंबर में मंद रही। वस्त्र और फुटवेयर, घर के सामान और सेवाओं, मनोरंजन तथा शिक्षा में भी मुद्रास्फीति कम हुई।

15. रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए परिवार सर्वेक्षण से आकलित परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं आगे के तीन महीनों और आगे के एक वर्ष के लिए उच्च बनी रही, हालांकि एक वर्ष आगे की मुद्रास्फीति प्रत्याशा में थोड़ी सी कमी आई। रिज़र्व बैंक के औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण (आईओएस) में प्रतिक्रिया देने वाली फर्मों ने तीसरी तिमाही में इनपुट मूल्य दबावों और बिक्री मूल्यों में वृद्धि की रिपोर्ट की। इसकी पुष्टि विनिर्माण और सेवा फर्मों द्वारा भी की गई जिन्हें पीएमआई द्वारा पोल कराया गया। संगठित क्षेत्र की मजदूरी वृद्धि स्थायी रही जबकि ग्रामीण मजदूरी वृद्धि में कमी आई।

16. प्रणाली में चलनिधि अधिशेष मोड में बनी हुई है किंतु यह स्थिर रूप से तटस्थता की ओर बढ़ रही है। भारित औसत कॉल दर (डब्ल्यूएसीआर) दिसंबर-जनवरी के दौरान रेपो दर से 12 आधार अंकों के नीचे ट्रेड हुई जबकि नवंबर में यह रेपो दर से 15 आधार अंक नीचे थी। दिसंबर और जनवरी के कुछ दिनों में, सरकारी खर्च में कमी और ज्यादा कर संग्रह के कारण प्रणाली में कमी की स्थिति बनी जिसने रिज़र्व बैंक के लिए चलनिधि उपलब्ध कराना आवश्यक कर दिया। 16 दिसंबर 2017 से शुरू होने वाले दो सप्ताहों के दौरान रिज़र्व बैंक ने प्रणाली में 388 बिलियन की औसत दैनिक निवल चलनिधि उपलब्ध कराई। तथापि, पूरे दिसंबर के लिए रिज़र्व बैंक ने 316 बिलियन (निवल दैनिक औसत आधार पर) अवशोषित की। चूंकि जनवरी के चौथे सप्ताह में फिर से प्रणाली में कमी की स्थिति बन गई, तो रिज़र्व बैंक ने 145 बिलियन की औसत निवल चलनिधि उपलब्ध कराई। जनवरी के लिए, सामान्य रूप से रिज़र्व बैकं ने 353 बिलियन (निवल दैनिक औसत आधार पर) अवशोषित की।

17. व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात में नवंबर और दिसंबर में फिर से उछाल आया। जबकि पेट्रोलियम उत्पादों, अभियांत्रिकी सामान और रसायन की इस वृद्धि में तीन-चौथाई हिस्सेदारी रही, बने बनाए कपड़ों के निर्यात में कमी आई। इसी अवधि के दौरान व्यापारिक वस्तुओं के आयात वृद्धि क्रमिक रूप से बढ़ी जिसमें एक-तिहाई से अधिक वृद्धि पेट्रोलियम (कच्चे तेल और उत्पाद) से हुई जिसका मुख्य कारण उच्च अंतरराष्ट्रीय कीमतें रहीं। पिछले तीन महीनों में गिरावट के बाद दिसंबर में सोने का आयात मूल्य और मात्रों दोनों मामलों में बढ़ गया। मोती और बहुमूल्य नगीना, इलेक्ट्रॉनिक सामान तथा कोयला गैर-तेल गैर-स्वर्ण आयात वृद्धि के प्रमुख योगदानकर्ता रहे। आयात वृद्धि के निर्यात वृद्धि से अधिक होने से दिसंबर माह का व्यापार घाटा 14.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।

18. हालांकि क्रमिक आधार पर वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में चालू खाता घाटा तेजी से कम हुआ, फिर भी यह एक वर्ष पहले के अपने स्थर से उच्चतर था जिसका कारण व्यापार घाटे का व्यापक होना था। जबकि निवल प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) अंतर्वाह में एक वर्ष पहले के इसके स्तर से अप्रैल-अक्टूबर 2017 में नरमी आई, निवल विदेशी संविभाग निवेश (एफपीआई) अंतर्वाह में वर्ष 2017-18 (1 फरवरी तक) में उछाल रहा। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 फरवरी 2018 को 421.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।

परिदृश्य

19. दिसंबर द्विमासिक संकल्प में वर्ष 2017-18 की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति का 4.3-4.7 के दायरे में रहने का अनुमान लगाया गया जिसमें एचआरए में वृद्धि के प्रभाव को भी शामिल किया गया। वास्तविक परिणामों के मामले में, हेडलाइन मुद्रास्फीति तीसरी तिमाही में औसतन 4.6 प्रतिशत रही जिसका मुख्य कारण नवंबर में खाद्य कीमतों में असाधारण वृद्धि थी। यद्यपि, कीमतें दिसंबर में सहज हो गईं, सर्दियो की मौसमी खाद्य मूल्य नरमी साधारण से कम थी। पेट्रोल और डीजल की घरेलू पंप कीमतें जनवरी में तेजी से बढ़ी जिन्होंने कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में पिछली वृद्धि के पास-थ्रू के पीछे रहना दर्शाया। इन कारकों पर विचार करते हुए, मुद्रास्फीति को अब चौथी तिमाही में 5.1 पर अनुमानित किया गया है जिसमें एचआरए प्रभावी भी शामिल है।

20. चालू वर्ष से परे मुद्रास्फीति परिदृश्य कई कारकों से प्रभावित रहने की संभावना है। सबसे पहला कारक, अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें अगस्त 2017 से तेजी से बढ़ी हैं, जो मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों द्वारा संचालित होती हैं। दूसरा कारक, गैर-तेल औद्योगिक कच्चे माल की कीमतों में भी एक वैश्विक तेजी देखी गई है। रिज़र्व बैंक के आईओएस में पॉल करने वाली फर्मों ने निवेश कीमतों के चौथी तिमाही में सख्‍त होने की उम्मीद की है। आर्थिक गतिविधियों में सुधार के एक परिदृश्य में, बढ़ती निवेश लागत उपभोक्ताओं तक आगे बढ़ने की संभावना है। तीसरा, मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान मानसून पर निर्भर करेगा, जिसे सामान्य माना जा रहा है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2018-19 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का अनुमान पहली छमाही में 5.1-5.6 प्रतिशत की सीमा में रहने का अनुमान है, जिसमें केंद्र सरकार के कर्मचारियों के घटते सांख्यिकीय एचआरए प्रभाव और दूसरी छमाही में 4.5-4.6 प्रतिशत की कमी और बढ़ते जोखिम शामिल है। (चार्ट 1)। सरकार द्वारा सामान्य मानसून और प्रभावी आपूर्ति प्रबंधन की धारणा को देखते हुए, सातवें सीपीसी के एचआरए प्रभाव के कम हो जाने और नरम खाद्य मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान के साथ, दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति में मजबूत अनुकूल आधारभूत प्रभावों के चलते सुधार अनुमानित है।

21. विकास के दृष्टिकोण की ओर बढ़ते हुए 2017-18 के लिए जीवीए विकास 6.6 प्रतिशत पर अनुमानित किया गया है। चालू वर्ष से परे, विकास का परिदृश्य कई कारकों से प्रभावित होगा। सबसे पहले, जीएसटी कार्यान्वयन स्थिर हो रहा है, जो आर्थिक गतिविधि के लिए अच्छा है। दूसरा, निवेश गतिविधि में पुनरुद्धार के शुरुआती लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जोकि क्रेडिट की छूट में सुधार, प्राथमिक पूंजी बाजार से बड़े संसाधन जुटाने और पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन और आयात में सुधार के रूप में प्रतिबिंबित हो गए है। तीसरा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण की प्रक्रिया चल रही है। दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत समाधान के लिए बड़े दबावग्रस्‍त उधारकर्ताओं को संदर्भित किया जा रहा है। इससे क्रेडिट प्रवाह और नए निवेश की मांग में सुधार होना चाहिए। चौथा, हालांकि वैश्विक विकास में सुधार के कारण निर्यात में वृद्धि की उम्मीद है, विशेष रूप से तेल की कीमतों में बढ़ोतरी, कुल मांग पर प्रभाव के रूप में कार्य कर सकती है। उपरोक्त कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2018-19 के जीवीए विकास का कुल अनुमान समान रूप से संतुलित जोखिमों के साथ - पहली छमाही में 7.3-7.4 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 7.1-7.2 प्रतिशत की सीमा में - 7.2 प्रतिशत है (चार्ट 2)।


22. एमपीसी नोट करती है कि मुद्रास्फीति दृष्टिकोण ऊपर की ओर की कई अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है। सबसे पहले, विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा एचआरए बढ़ाने का विचलनात्‍मक प्रभाव 2018-19 की आधार-रेखा के ऊपर प्रमुख मुद्रास्फीति को आगे बढ़ा सकता है और संभावित रूप से दूसरे दौर के प्रभाव पैदा कर सकता है। दूसरा, वैश्विक विकास में तेजी घरेलू मुद्रास्फीति के प्रभाव के साथ कच्चे तेल और कमोडिटी कीमतों पर और दबाव डाल सकता है। तीसरा, केंद्रीय बजट 2018-19 ने खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर पहुंचने के लिए संशोधित दिशानिर्देशों का प्रस्ताव रखा है, हालांकि इस स्तर पर मुद्रास्फीति पर इसके प्रभाव का सही परिमाण पूरी तरह से मूल्यांकित नहीं किया जा सकता है। चौथा, केंद्रीय बजट में कई मदों पर सीमा शुल्क में बढ़ोतरी का भी प्रस्ताव है। पांचवीं, केंद्रीय बजट में बताई गई राजकोषीय गिरावट मुद्रास्फीति की धारणा पर असर डाल सकती है। मुद्रास्फीति पर सीधे प्रभाव के अलावा, राजकोषीय गिरावट से व्यापक समग्र-वित्तीय प्रभाव पड़ता है, विशेषकर विस्तृत अर्थव्यवस्था में उधार लेने की लागत पर जो पहले से ही बढ़ना शुरू हो जाती हैं। इससे मुद्रास्फीति का पोषण हो सकता है। छठे, प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं द्वारा घरेलू वित्तीय विकास और मौद्रिक नीति के सामान्यीकरण के संगम से वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है जो बाह्य निवेशकों के विश्वास को कमजोर कर सकता है। इसलिए, आने वाले महीनों में उभरते मुद्रास्फीति परिदृश्य के विषय में सतर्क रहने की आवश्यकता है।

23. गंभीरता कम करनेवाले भी कुछ कारक हैं। सबसे पहले, क्षमता के उपयोग में कमी बनी हुई है। दूसरा, तेल की कीमतें हाल की अवधि में दोनों तरफ बढी हैं और उत्पादन की प्रतिक्रिया के आधार पर मौजूदा स्तरों से संभावित रूप से नरम हो सकती है। तीसरा, ग्रामीण वास्तविक मजदूरी वृद्धि नरम है।

24. तदनुसार, एमपीसी ने नीति रेपो दर को अपरिवर्तित रखने और तटस्थ रुख को जारी रखने का फैसला किया है। एमपीसी टिकाऊ आधार पर हेडलाइन मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के करीब रखने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है।

25. एमपीसी नोट करती है कि अर्थव्यवस्था सुधार पथ पर है, जिसमें निवेश गतिविधि के पुनरुद्धार के प्रारंभिक संकेत शामिल हैं। वैश्विक मांग में सुधार हो रहा है, जिससे घरेलू निवेश गतिविधि को मजबूत करने में मदद होनी चाहिए। ग्रामीण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों पर केंद्रीय बजट का ध्यान भी एक स्वागत योग्य गतिविधि है, क्योंकि यह ग्रामीण आय और निवेश को समर्थ करेगी और बदले में कुल मांग और आर्थिक गतिविधि को वृद्धि प्रदान करेगी। नकारात्मक पक्ष में, सार्वजनिक वित्त में गिरावट से निजी वित्तपोषण और निवेश के बाहर हो जाने का जोखिम है। समिति का मानना है कि नवजात सुधार को सावधानी से संगठित करने की और अनुकूल और स्थिर समग्र-वित्तीय प्रबंधन के माध्यम से एक निरंतर उन्‍नत मार्ग पर वृद्धि दर्ज किए जाने की जरूरत है।

26. डॉ. चेतन घाटे, डॉ. पामी दुआ, डॉ. रविंद्र एच. ढोलकिया, डॉ. विरल वी. आचार्य और डॉ. उर्जित आर. पटेल ने मौद्रिक नीति निर्णय के पक्ष में वोट किया। डॉ. माइकल देबब्रत पात्र ने नीति दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि के लिए वोट किया। मौद्रिक नीति समिति के कार्यवृत्‍त 21 फरवरी 2018 तक प्रकाशित किए जाएंगे।

27. एमपीसी की अगली बैठक 4 और 5 अप्रैल 2018 को होना निर्धारित है।

नीति रेपो दर को 6.0 प्रतिशत पर अपरिवर्तित करने के संकल्प पर वोटिंग

सदस्य वोट
डॉ. चेतन घाटे हां
डॉ. पामी दुआ हां
डॉ. रविन्द्र एच. ढोलकिया हां
डॉ. माइकल देबब्रत पात्र नहीं
डॉ. विरल वी. आचार्य हां
डॉ. उर्जित आर. पटेल हां

डॉ. चेतन घाटे का वक्तव्य

28. पिछली समीक्षा के समय से हेडलाइन मुद्रास्फीति (नवंबर 4.9 प्रतिशत, दिसंबर 5.2 प्रतिशत) में तेज वृद्धि हुई है। चिंता की बात है कि नवीनतम रीडिंग सभी प्रमुख समूहों में बढ़ती हुई मुद्रास्फीति के कारण रही है। खाद्य और ईंधन दोनों प्रकार की मुद्रास्फीति भी बढ़ गई है जिसमें खाद्य मुद्रास्फीति में साधारण मौसमी सहजता में दिसंबर तक विलंब हुआ। विश्व जीडीपी के वर्ष 2018 में अनुमानित लगभग 3.9 प्रतिशत पर बढ़ने के साथ वैश्विक मांग तेल की कीमतों को बढ़ा सकती है। मुद्रास्फीति के सभी उपायों को 5 प्रतिशत के ऊपर अभिसरित किया गया है। आपूर्ति पक्ष के प्रतिकूल झटकों से अर्थव्यवस्था का फिलिप कर्व ऊपरी की ओर बढ़ सकता है जो 4 प्रतिशत के मध्यावधि मुद्रास्फीति लक्ष्य के लिए बड़ा जोखिम है।

29. खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति (दिसंबर 5.2 प्रतिशत) उच्च है, हालांकि इसका मुख्य कारण केंद्र का एचआरए का सांख्यिकीय प्रोत्साहन है। फर्मों के मूल्यनिर्धारण निर्णय से संभवतः इनपुट लागतों में हाल की वृद्धि को अधिक जवाब मिल सकता है और ऐसा श्रम बाजार के कड़े होने या उच्चतर क्षमता उपयोग के कारण स्टाफ लागत की अपेक्षा अंतरराष्ट्रीय पण्य-वस्तु चक्र में प्रत्यावर्तन के कारण हुआ है। यह दर्शाता है कि खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति लागत-प्रेरित कारकों के चलते ज्यादा बढ़ सकती है जो वृद्धि-मुद्रास्फीति ट्रेड-ऑफ को बदतर बना देगी।

30. बढ़ती मुद्रास्फीति के लिए उपशमन कारक पिछले दो महीनों की तुलना में कम हैं। ग्रामीण मजदूरी वृद्धि नरम बनी हुई है किंतु इजाफे के साथ, जो संभवतः निर्माण गतिविधि में बढ़ोतरी दिखा रहा है। दलहन में अवस्फीति लगातार बनी हुई है किंतु यह वर्ष 2018-2019 के केंद्रीय बज़ट में घोषित नई खरीद नीति के साथ प्रत्यावर्तित हो सकती है। यद्यपि वर्तमान समय में, मोटे अनाज और सब्जियों (अस्थिर मद) की स्ट्रिपिंग, जून 2017 में अपने ट्रफ से अस्थिर मदों के मुद्रास्फीति नेट में वृद्धि कम दिखाई दे रही है। तीन माह और एक वर्ष आगे के मुद्रास्फीतिकारी प्रत्याशाएं भी स्थिर हैं।

31. मेरी अंतिम समीक्षा में, मैंने बताया था कि सरकार द्वारा एमएसपी में वृद्धि से किस प्रकार सामान्यीकृत मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और मौद्रिक अंतरण बदतर हो सकता है, यह अनुसंधान (सह-लेखकों) पर आधारित है। जबकि सही खरीद नीति से संबंधित ब्यौरों की प्रतीक्षा की जा रही है, वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बज़ट में अधिक विस्तृत खरीद नीति के लागू होने से राज्य वित्त पर दबाव पड़ेगा। भारत में राजकोषीय फिसलन मुद्रास्फीतिकारी हैं।

32. आर्थिक वृद्धि के संबंध में, पिछले कुछ महीनों में आंकड़ों की प्रवृति मुख्य रूप से सकारात्मक रही है जैसाकि कई उच्च आवृति संकेतकों द्वारा दर्शाया गया है। पिछली कुछ समीक्षाओं में मेरी मुख्य चिंता यह थी कि क्या अर्थव्यवस्था में सक्रियता से जीडीपी वृद्धि आधार प्रभाव से पर कायम रहेगी जिसने वर्ष 2017-18 की तीसरी और चौथी तिमाही में वृद्धि को प्रेरित किया। इसकी काफी संभावना लगती है।

33. विनिर्माण क्षेत्र में लाभ मार्जिन में सुधार हो रहा है जिसमें बिक्री वास्तविक रूप से उच्चतर रही। सेवा में पीएमआई दिसंबर और जनवरी में बढ़ गया। भारतीय रिज़र्व बैंक उद्यम सर्वेक्षणों में भी मांग स्थिति में काफी सुधार दर्शाया गया है। अनेक उच्च बारंबारता गतिविधि संकेतक बढ़ गए है जो इस बात का सुझाव देते हैं कि वृद्धि में मंदी निचले स्तर पर पहुंच गई है। बैंकों और गैर-बैंकों द्वारा वित्तीय संसाधनों का प्रवाह भी बढ़ रहा है। तथापि, काफी संभावना है कि वर्तमान वृद्धि प्रवृत्तियों से अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीतिकारी चरण में तेजी से बढ़ेगी। इसे लेजर जैसी सटीकता के साथ देखने की आवश्यकता है।

34. अंततः जीडीपी की वृद्धि में किसी प्रकार की टिकाऊ वृद्धि निवेश मांग पर निर्भर करेगी। नीचे दी गई आकृति जिसमें केएलईएमएस डेटाबेस का उपयोग किया गया है, में वर्ष 1980 और 2011 के बीच प्रति श्रमिक के हिसाब से पूंजी स्टॉक में वृद्धि की तुलना में प्रति श्रमिक आउटपुट में वृद्धि दर्शाती है। जबकि यह आकृति केवल सांकेतिक है, यह संकेत करती है कि इस अवधि के दौरान प्रति श्रमिक आउटपुट ने पूंजी प्रति श्रमिक का अच्छी तरह से ट्रैक किया है जिसमें सुझाव दिया गया है कि मध्यावधि में भारत में प्रति श्रमिक आउटपुट में गतिकी का सोलो-स्वान स्टाइल मॉडल द्वारा उचित रूप से वर्णन किया गया है। प्रति श्रमिक आउटपुट में कोई भी टिकाऊ वृद्धि केवल प्रति श्रमिक पूंजी में वृद्धि से आएगी। उस सीमा तक, निवेश/जीडीपी अनुपात में हाल की बढ़ोतरी उत्साहवर्धक है।

35. इन पर विचार करते हुए, मैं मौद्रिक नीति समिति की आज की बैठक में नीति रेपो दर में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करने के लिए वोट करता हूं।

डॉ. पामी दुआ का वक्तव्य

36. नवंबर और दिसंबर 2017 में सीपीआई मुद्रास्फीति का उर्ध्वगामी ट्राजेक्टरी जारी रहा जो दिसंबर में आंशिक रूप से प्रतिकूल आधार प्रभाव के कारण बढ़कर कर 17 महीनों के उच्चतम स्तर 5.2 प्रतिशत हो गई। यह वृद्धि कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों हुई वृद्धि के कारण ईंधन मुद्रास्फीति के साथ खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण हुई। खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति दिसंबर में भी बढ़ी, ऐसा आंशिक रूप से 7वें केंद्रीय वेतन आयोग के अंतर्गत सरकारी कर्मचारियों को आवास किराया भत्ता के प्रभावों के कारण हुआ।

37. आगे, मुद्रास्फीति के लिए कुछ अपसाइड जोखिम भी हैं। इनमें वैश्विक पण्य-वस्तु कीमतों में वृद्धि और कच्चे तेल की उच्चतर कीमतें शामिल हैं। राजकोषीय घाटे में फिसलन और प्रत्याशित की अपेक्षा धीमा राजकोषीय समेकन तथा राज्य सरकारों द्वारा दिए जाने वाले आवास किराया भत्ता का अल्पकालिक (स्टैगर्ड) प्रभाव भी मुद्रास्फीति पर प्रभाव डाल सकता है। बज़ट में खरीफ फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को उत्पादन की लागत के 1.5 गुणा से जोड़ने का प्रस्ताव भी मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है, हालांकि अभी तक इसके प्रभाव का पता नहीं चल सका है। केंद्रीय बज़ट में अनेक मदों पर सीमाशुल्क में वृद्धि भी प्रस्तावित की गई है। इसके अतिरिक्त, भारतीय रिज़र्व बैंक का औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण (आईओएस) इनपुट कीमतों के बढ़ने का संकेत करता है जो उपभोक्ता पर डाला जा सकता है और इससे सीपीआई मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है। भारतीय रिज़र्व बैंक के परिवार सर्वेक्षण के अनुसार परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं आगे के तीन महीनों और एक वर्ष के पूर्वानुमान के लिए उच्च बनी रहेंगी। इसी बीच, मुद्रास्फीति का अग्रदूत इंडियन फ्यूचर इंफ्लेशन गेज (इकॉनोमिक साइकल रिसर्च इंस्टिट्यूट (ईसीआरआई), न्यू यॉर्क जिससे लेखक संबंधित है) हाल के महीनों में बढ़ गया है जो मुद्रास्फीति दबावों में बढ़ोतरी की ओर संकेत कर रहा है।

38. इसी समय आर्थिक वृद्धि के सकारात्मक संकेत दिखाई दे रहे हैं। शुरू में, जीएसटी का कार्यान्वयन स्थिर हो रहा है। अन्य सकारात्मक कारकों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पुनर्पूंजीकरण और दिवाला तथा शोधन अक्षमता कोड के अंतर्गत एनपीए समाधान के लिए कदम शामिल हैं। क्रेडिट वृद्धि दिसंबर में भी बढ़ गई है। आर्थिक गतिविधि को पुनर्जीवित करने के लिए केंद्रीय बज़ट में भी कदम उठाए गए हैं जिनमें ग्रामीण और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

39. तथापि, ईसीआरआई के भारतीय अग्रणी सूचकांक में वृद्धि जो भावी आर्थिक गतिविधि का पूर्वानुमानकर्ता है, में हाल में सहजता आई है जो मंद होती आर्थिक वृद्धि संभावनाओं की ओर संकेत करती है। ईसीआरआई का अंतरराष्ट्रीय अग्रणी सूचकांक भी दर्शाते हैं कि इस वर्ष वैश्विक वृद्धि में सहजता आएगी। इसके अलावा, ईसीआरआई का भारतीय अग्रणी निर्यात सूचकांक जो निर्यात वृद्धि की दिशा का अनुमान लगाता है, मंद रहा है। भारतीय निर्यात वृद्धि की संभावना नियंत्रित रही है।

40. बढ़ते वैश्विक बॉन्ड प्रतिफलों और प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं द्वारा मौद्रिक नीति के सामान्यीकरण के संबंध में अनिश्चितता की पृष्ठभूमि में वैश्विक वित्तीय बाजार अस्थिरता के बारे में भी चिंता है।

41. इस प्रकार, मुद्रास्फीति के लिए अपसाइड जोखिमों और धुमिल वृद्धि संभावनाओं के साथ नीति ब्याज दर में यथास्थिति के साथ प्रतीक्षा और निगरानी कार्यनीति अपनाने तथा वर्तमान में तटस्थ रुख की सिफारिश की जाती है।

डॉ. रविन्द्र एच. ढोलकिया का वक्तव्य

42. दिसंबर, 2017 की एमपीसी की पिछली बैठक से मुद्रास्फीति और वृद्धि मोर्चों पर विकास करीब-करीब अपेक्षित लाइनों पर रहा है। हालांकि नवंबर और दिसंबर 2017 में प्रमुख मुद्रास्फीति में वृद्धि की उम्मीद थी, वृद्धि की सीमा मेरी उम्मीद की तुलना में अधिक रही जबकि, अनुकूल आधार प्रभाव और मौसमी कारकों के कारण अगले 3-4 महीनों में इसमें गिरावट आने की संभावना है। जीवीए के विकास में सुधार की उम्मीद 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण में बनी रही है,जिसका मैंने एमपीसी की पिछली बैठक में अपने बयान में अनुमान लगाया था। क्षमता का उपयोग लगभग 72 प्रतिशत पर बना रहा जो विनिर्माण क्षेत्र में अतिरिक्त क्षमता की निरंतर उपस्थिति को दर्शाता है। मैं सूचित करना चाहता हूं कि आउटपुट का अंतर नकारात्मक और विस्तारात्‍मक बना रहा है। सर्वेक्षण की अवधि के दौरान तेजी से बढ़ती हेडलाइन मुद्रास्फीति के बावजूद आगामी 12 महीने के लिए परिवारों की मुद्रास्फीति संबंधी उम्मीदों में पिछले दौर की तुलना में मामूली गिरावट आईं है। 2500 से अधिक उत्तरदाताओं के साथ भारतीय प्रबंधन संस्‍थान,अहमदाबाद (आईआईएमए) द्वारा किए गए नवीनतम कारोबारीय मुद्रास्फीति संबंधी प्रत्‍याशा संबंधी सर्वेक्षण (बीआईईएस) के अनुसार आगामी 12 महीनों में उनकी उम्मीदें लागत में 40 आधार अंकों की वृद्धि दर्शाती है लेकिन वह अभी भी 3.7 फीसदी बनी हुई है। यहां तक ​​कि आगामी 12 महीनों के लिए रिज़र्व बैंक का प्रमुख मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5-4.6 फीसदी है।

43. हालांकि, मुद्रास्फीति के रुझान को सावधानी से देखा जाना चाहिए यद्यपि अगले 3-4 महीने में आधार प्रभाव अनुकूल होने जा रहे हैं, लेकिन तेल की कीमतों में वृद्धि अनिश्चितता पैदा कर सकती है और गंभीर उल्टा जोखिम पैदा कर सकती है। 2018-19 के बजट के लिए केंद्रीय बजट में गिरावट के कारण भविष्य में तेल की कीमतों में भारी झटके का सामना करने के लिए राजकोषीय समायोजन अनुपस्थित है। प्रमुख मुद्रास्फीति पर बजट में प्रस्तावित कस्टम ड्यूटी और एमएसपी में वृद्धि का असर फिर से अनिश्चित है। यद्यपि केन्द्र में पर्याप्त राजकोषीय गिरावट है, लेकिन प्रमुख राज्यों के राजकोषीय कार्य-निष्‍पादन को देखा जाना चाहिए। उनका राजस्व अब अधिक निश्चित है और केंद्र सरकार ने राज्यों को बजट में जीडीपी के 0.2 प्रतिशत अंक तक की राजस्व बढ़ोतरी प्रदान की है। नतीजतन, राज्यों द्वारा राजकोषीय अनुशासन का अनुपालन एक महत्वपूर्ण विचार करने योग्‍य कारक है कि - क्या यह केंद्र के वित्तीय अनुशासनहीनता में वृद्धि या क्षतिपूर्ति करता है। इसके अलावा, एचआरए संशोधनों का राज्यों और विश्‍वविद्यालयों जैसे अन्य निकायों द्वारा कार्यान्वयन और प्रमुख मुद्रास्फीति पर उसका असर भी अनिश्चित है, हालांकि इसका प्राथमिक प्रभाव केवल सांख्यिकीय है।

44. इन सभी अनिश्चितताओं और विवादित प्रवृत्तियों के अंतर्गत, विवेक के साथ प्रतीक्षा और अवलोकन की नीति का अनुपालन करना और स्पष्ट तस्वीर उभरने की अनुमति देना ही उचित है। इसलिए, मैं नीति दर और तटस्थ रुख दोनों पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए वोट देता हूं।

डॉ. माइकल देबब्रत पात्र का वक्तव्य

45. पिछले साल अप्रैल में, मैंने प्रथमत: नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के लिए वरीयता व्यक्त की, यह देखते हुए कि विमुद्रीकरण से मुद्रास्फीति की गतिमानता बढ़ रही है। हालांकि, मैंने जून और अगस्त की बैठकों के माध्यम से अस्थायी प्रभाव को पूरी तरह से पारित करने के लिए अपरिवर्तित दर रखने के लिए मतदान किया था। अगस्त में यथास्थिति के लिए मेरा मत बनाए रखा था, भले ही बहुमत से समिति ने उस बैठक में पॉलिसी रेट को 25 आधार अंक से घटा दिया।.

46. अक्टूबर की बैठक में, मेरा रुख स्‍पष्‍ट हो गया। आगे, मैंने देखा कि वर्ष के अंत तक लक्ष्य से अधिक मुद्रास्फीति ने घर किराए पर भत्ते के प्रभाव को छीन लिया। चिंता यह भी कि एक दुष्‍चक्र का विकास हो सकता है - इनपुट लागत; पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू कीमतें; मुद्रास्फ़ीति की उम्मीदें - वर्ष की दूसरी छमाही में विकास में मंदी के बने रहने और वृद्धि के लिए तैयार हो जाने के मद्देनजर मैंने विशिष्ट दिशा निर्देश दिए।

47. यथास्थिति के लिए मेरा मत मुद्रास्फीति के ड्राइवरों के मजबूत बन जाने पर नीति दर बढ़ाने की तत्परता के साथ, मुद्रास्फीति के लक्ष्य के भीतर रहने के अधीन था। दिसंबर की बैठक तक, गार्ड लेने का समय आ गया था, अप्रैल के बाद से क्रिटिकल मॅस को लाने के लिए मैंने अपना रुख स्पष्ट कर दिया।

48. वर्तमान की ओर वापस मुड़ते हुए, मुद्रास्फीति के कई ड्राइवर - अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के जवाब में घरेलू पीओएल कीमतों में उर्ध्‍वमुखी समायोजन, रोके गए अंतर्वाहों के समायोजन के साथ; आसन्न एमएसपी वृद्धि; राजकोषीय गिरावट; सीमा शुल्क में वृद्धि - एक ही समय में फायरिंग कर रहे हैं। अंतर्निहित मुद्रास्फीति के विभिन्न उपाय हेडलाइन मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से ऊपर की ओर बढ़ा रहे हैं। अपेक्षाएं ऊंची और अस्थिर है । निश्चित आय बाजार हमें बता रहे हैं कि हम कर्व के पीछे गिर चुके हैं।

49. निकट अवधि दृष्टिकोण (2018 के मध्य तक) में, मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर अच्छी तरह से बढ़ने की संभावना है। यह पहचानना ​​जरूरी है कि जुलाई 2018 और मार्च 2019 के बीच पूर्वानुमान की सीमा के बाहरी महीनों में अनुमानित मुद्रास्फीति में कमी – घटते एचआरए प्रभाव के कारण बड़े पैमाने पर सांख्यिकीय है। लक्ष्य के पहुंच से बाहर निकलने का खतरा है और अगले कुछ महीनों में, ऊपरी सहनीयता बैंड को भी खतरा है। इससे लक्ष्य के प्रति समिति की प्रतिबद्धता की विश्वसनीयता को गंभीर हानि पहुंच सकती है।

50. अर्थव्यवस्था की स्थिति की ओर देखें तो, 2017-18 की तीसरी तिमाही में बदलाव शुरू हो गया है - बिक्री तेजी से बढ़ रही है, जबकि इनवेंटरी में कमी आ रही है; कैपेक्स चक्र शुरू हो रहा है; और मूल्य निर्धारण शक्ति वापस लौट रही है। आसियान दरों पर निर्यात के बढ़ने से बाह्य मांग समर्थन प्रदान कर रही है। गैर तेल गैर बुलियन आयात में तेजी से बढ़ोतरी घरेलू आपूर्ति को प्रतिबिंबित करती है, जिसमें प्रतिस्थापन प्रभाव होता है, आपूर्ति प्रतिक्रिया में सुस्ती के साथ बेचैनी होती है।

51. एक लगातार नकारात्मक स्थिति से निष्‍पादन अंतराल बदलाव शुरू कर रहा है। यदि 2018-19 के परिप्रेक्ष्य के लिए 7% से अधिक विकास के बारे में पेशेवर अर्थशास्त्रियों की अनुकूलता कार्यान्वित होती है तो निष्‍पादन अंतराल आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं है।

52. यदि एचआरए प्रभाव के सांख्यिकीय प्रत्‍यावर्तन के माध्यम से देखा जाए, तो वास्तविक नीति दर 1 प्रतिशत से नीचे है और नीतिगत कार्रवाई की अनुपस्थिति में उसके और गिरने की संभावना है। यह अंतर्निहित मूल सिद्धांतों और अर्थव्यवस्था की संभावनाओं के पूरी तरह से विपरित है जिस समय गतिविधियां तेज हो रही है। यथास्थिति की लंबी अवधि को ध्यान में रखते हुए, अत्यधिक समायोजन को दूर करने के लिए दर वृद्धि की एक श्रृंखला आवश्‍यक है जिसके शुरू किए जाने का समय हम निर्धारित कर सकते है।

53. मैं समायोजन की वापसी को शुरू करने के लिए पॉलिसी दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि के लिए वोट देता हूं।

डॉ. विरल वी. आचार्य का वक्तव्य

54. पिछली नीति के बाद प्रमुख मुद्रास्फीति लक्ष्य से काफी ऊपर रही है। हालांकि इसका एक हिस्सा केंद्र के एचआरए कार्यान्वयन के कारण सांख्यिकीय है, लेकिन एचआरए के बिना भी मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है। एक बड़ी चिंता का विषय है कि (i) वैश्विक दरों और वस्तु चक्रों में वृद्धि के साथ संयोग से तेल की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है; और (ii) हमारे राजकोषीय घाटे को इस वर्ष के लिए ओवरशॉट किया गया है और अगले साल भी ऐसा किए जाने की संभावना है। इसलिए, यहां तक कि राज्यों के एचआरए के कार्यान्वयन और केंद्रीय बजट में हुई एमएसपी में बढ़ोतरी के फैक्‍टरिंग के बगैर भी, मुद्रास्फीति जोखिम स्पष्ट रूप से ऊपर की तरफ झुकी हुई है। दरअसल, आगामी 12-14 महीनों में रिज़र्व बैंक के अनुमानों ने प्रमुख मुद्रास्फीति को लक्ष्य से अधिक 50 आधार अंक तक बढ़ाया है (तब तक केंद्र के एचआरए कार्यान्वयन का सांख्यिकीय प्रभाव पूरी तरह से घट गया होगा)।

55. इस तरह की मुद्रास्फीति की स्थिति शुद्ध मुद्रास्फीति-लक्ष्यित केंद्रीय बैंक द्वारा पॉलिसी दरों में बढ़ोतरी का संकेत देती है, बदले में "तटस्थ" से "समायोजन वापस लेने" के रुख से बदलाव सूचित होता है। हालांकि, दो कारणों ने ठहराव के लिए मुझे प्रेरित किया है।

56. सबसे पहले, एक प्रमुख कारक जो आगे बढ़ने वाली मुद्रास्फीति को निर्धारित करता है, वह तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से शेल गैस उत्पादन की प्रतिक्रिया होने की संभावना है; जबकि यह प्रतिक्रिया कुछ हद तक धीमी हो गई है, इस निष्क्रियता के सक्रिय हो जाने पर तेल की कीमतों में तेजी से गिरावट आ सकती है। मैं यह देखना चाहता हूं कि अगले कुछ महीनों में यह नकारात्मक जोखिम की मध्यम अवधि की मुद्रास्फीति की गति पर मजबूती से पकड़ के लिए क्या भूमिका होगी।

57. दूसरी बात, एक लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यित ढांचे के लिए, संभावित उत्पादन के सापेक्ष विकास की गति का भी विचार किया जा सकता है।

58. इस मोर्चे पर, निष्‍पादन अंतराल कुछ हद तक नकारात्मक रहा है, हालांकि यह तेजी से समाप्‍त हो रहा है। संरचनात्मक रूप से, पुनर्पूंजीकरण पैकेज के बाद बैंकिंग प्रणाली के बैलेंस शीट में सुधार और बड़े तनावग्रस्त खातों के चल रहे प्रस्ताव ने हाल ही में क्रेडिट वृद्धि में और अधिक स्‍थायी वृद्धि की है। वास्तविक आर्थिक गतिविधि संकेतक भी एक व्यापक आधार वाली वृद्धि के पुनरुद्धार का सुझाव देते हैं। अगले साल के लिए रिज़र्व बैंक के विकास अनुमान हाल की इस उत्साही गतिविधियों के अनुरूप है, वसूली फिर भी शुरूआती है और कम समय में कुछ समर्थन पाने के योग्य है।

59. इन समंजनों को देखते हुए, मैं तटस्थ रुख को अपरिवर्तित रखने के साथ एक ठहराव के लिए वोट देता हूं। अगले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति और विकास के आंकड़े नीति दर के विकास का निर्धारण करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे। यदि वृद्धि मजबूत बनी रहती है और एक साल आगे प्रमुख मुद्रास्फीति को लक्ष्य से ऊपर परियोजित किया जाना जारी रहता है, तो "तटस्थ" से "समायोजन वापस लेने" के दृष्टिकोण में बदलाव पर विचार किया जा सकता है।

60. इस बीच, (i) वास्तविक क्षेत्र में नीति दर में बदलाव के संचरण में सुधार के लिए हमने जो काम किया है उसे आगे बढ़ाने; और (ii) तनावपूर्ण परिसंपत्तियों के लिए तार्किक निष्कर्ष पर समाधानात्‍मक ढांचे को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करना अच्छा होगा।

डॉ. उर्जित आर. पटेल का वक्तव्य

61. दिसंबर में सीपीआई मुद्रास्फीति लगातार छठे महीने में बढ़ी है। दालों में लगातार गिरावट जारी रही फिर भी खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी हुई। ईंधन समूह की मुद्रास्फीति नवंबर में तेजी से बढ़ी और उसके बाद उसमें बढोतरी हुई। बढ़ती इनपुट कीमतों के साथ, मुद्रास्फीति तेजी से सामान्यीकृत हो रही है। मुद्रास्फ़ीति की उम्मीदें ऊंची बनी हुई हैं।

62. आगे देखते हुए, आधारभूत परिदृश्य में मुद्रास्फीति 2018-19 के दौरान 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर रहने का अनुमान है। मुद्रास्फीति के कई उर्ध्‍वगामी जोखिम हैं, विशेषकर विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा एचआरए वृद्धि का प्रभाव (शुद्ध सांख्यिकीय समायोजन के सीपीआई पर सीधे प्रभाव के माध्‍यम से देखा जाए तो, लेकिन दूसरे दौर के प्रभाव जैसे प्रत्‍याशाओं से नहीं); खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर पहुंचने की नीति; और केंद्रीय बजट में बताए अनुसार निजी घरेलू ऋण की लागत के संबंध में अनुवर्ती ‘क्राउडिंग आउट’ निहितार्थों के साथ राजकोषीय गिरावट। उभरती वैश्विक समष्टि पृष्ठभूमि एक चिंता का विषय है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व, जैसे नियमानुसार महत्वपूर्ण केंद्रीय बैंकों द्वारा तंग मौद्रिक नीति, के साथ संयुक्त राज्य का कुछ ढीला वित्तीय नीति रुख, विशेष रूप से उभरते बाजारों के लिए, सहवर्ती परिणामों के साथ वित्तीय अशांति को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। दिसंबर और फरवरी की शुरूआत के बीच अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है, जो चिंताजनक है। हालांकि, मजबूत आपूर्ति की प्रतिक्रिया में तेल की कीमतें कम हो सकती हैं। सरकार द्वारा प्रभावी आपूर्ति प्रबंधन,जैसाकि हाल ही के समय में किया गया था खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, सर्वेक्षण के अनुसार, उद्योग में समग्र क्षमता उपयोग भी प्रतिरोधित है।

63. घरेलू आर्थिक विकास प्रभाव मजबूत हो रहे हैं। विनिर्माण गतिविधि में सुधार हुआ है। नए ऑर्डर के नेतृत्व में मैन्युफैक्चरिंग पर्चेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में जनवरी में लगातार छठे महीने के लिए विस्तार हुआ। निवेश गतिविधि में भी पुनरुद्धार के शुरुआती लक्षण दिखाई दे रहे हैं। कई सेवा क्षेत्र के संकेतकों जैसे वाणिज्यिक वाहन बिक्री, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्री यातायात और विदेशी पर्यटक आगमन, में मजबूत वृद्धि देखी गई है।सेवाओं का पीएमआई में दिसंबर और जनवरी में क्रमिक रूप से विस्तार हुआ है, जो उच्च व्यावसायिक गतिविधि द्वारा समर्थित है। क्रेडिट वृद्धि बढ़ रही है और उसका आधार व्यापक हो रहा है। 2018-19 में जीवीए की वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का पूर्वानुमान है, जो चालू वर्ष में एक महत्वपूर्ण सुधार है।

64. यद्यपि मुद्रास्फीति जोखिम हाल के महीनों में बढ़ गए हैं ,आनेवाले आंकड़ों में मुद्रास्फीति के दबावों की दृढ़ता के बारे में अधिक स्पष्टता दी जानी चाहिए। आर्थिक वसूली भी एक प्रारंभिक अवस्था में है और इस मौके पर सतर्क दृष्टिकोण की आवश्‍यकता है। इसलिए, मैं तटस्थ रुख को बनाए रखते हुए पॉलिसी रेपो रेट को ऑन-होल्‍ड रखने के लिए वोट देता हूंI

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/2263

 
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