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Date: 03/05/2019
भारतीय रिज़र्व बैंक ने मडगाम अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., मडगांव, गोवा के लिए निर्देश जारी किए

3 मई 2019

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मडगाम अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., मडगांव, गोवा के लिए निर्देश जारी किए

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) इस बात से संतुष्ट है कि जनता के हित में, मडगाम अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मडगांव, गोवा को कुछ निर्देश जारी करना आवश्यक है। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 35ए की उप-धारा (1) के तहत इसमें निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए (जैसा कि सहकारी समितियों पर लागू है) बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित, इसके द्वारा निर्देश देता है कि, मडगाम अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मडगांव, गोवा 02 मई 2019 को कारोबार की समाप्ति से, भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्वानुमति लिए बिना, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचित निदेशों के अलावा किसी भी ऋण और अग्रिम को मंजूर या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियाँ उधार लेने और नई जमाराशियाँ स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा भले ही, भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से संबंधित या अन्यथा हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्य किसी रीति से उसका निपटान करेगा :

i. प्रत्येक जमाकर्ता को प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते में या किसी अन्य जमा खाते में, जिस किसी नाम से कहा जाए, कुल शेष में से 5000/-(पांच हजार रूपए मात्र) से अधिक राशि आहरित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, बशर्ते कि ऐसे जमाकर्ता की बैंक के प्रति किसी भी तरीके की देयता हो, अर्थात या तो एक उधारकर्ता या जमानती के रूप में, राशि को पहले संबंधित उधारकर्ता खाते से समायोजित किया जाएगा।

ii. एक ही नाम और एक ही क्षमता में परिपक्वता पर मौजूदा सावधि जमा को नवीनीकृत कर सकते हैं।

iii. निम्नलिखित मदों के संबंध में बैंक द्वारा किए जानेवाले व्यय का खर्च उठाना पड़ सकता है:

  1. कर्मचारियों के वेतन,

  2. किराया, दरें और कर

  3. बिजली का बिल,

  4. प्रिंटिंग, स्टेशनरी आदि

  5. डाक आदि

  6. कानूनी खर्च जिसमें स्टांप ड्यूटी / पंजीकरण शुल्क / मध्यस्थता शुल्क शामिल हैं, जो संबंधित विधियों या न्यायालय / आरसीएस / डीआरटी के नियमों में निर्धारित दरों पर देय हैं।

  7. न्यायालय के आदेशों / विधियों के प्रावधानों के अनुपालन में न्यायालय शुल्क।

  8. प्रत्येक मामले में वकीलों को केवल 5000/-(केवल पाँच हजार) तक शुल्क का भुगतान उससे अधिक राशि नहीं।

iv. निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम को देय प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं।

v. बैंक के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन कार्य करने हेतु आवश्यक होने पर बैंक की राय में अब तक किसी अन्य मद पर खर्च करना, बशर्ते कि कैलेंडर माह में किसी भी मद पर कुल व्यय, निर्देश की तारीख से पहले छह महीने की अवधि के दौरान उस मद के औसत मासिक खर्च से अधिक नहीं होगा या यदि अतीत में उस मद पर कोई व्यय नहीं हुआ है, तो यह 1000/- की राशि से अधिक नहीं होना चाहिए (रुपए केवल एक हजार)।

vi. सरकार / एसएलआर अनुमोदित प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते हैं।

vii. मासिक आधार पर आरबीआई को सूचित करते हुए बैंक के मौजूदा सदस्यों से पूंजी के लिए योगदान स्वीकार कर सकते हैं।

viii. सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ग्रेच्युटी / भविष्य निधि लाभ के संबंध में भुगतान कर सकते हैं।

ix. आरबीआई की स्वीकृति के साथ सेवानिवृत्त / सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अवकाश नकदीकरण और सेवानिवृत्ति लाभ के संबंध में भुगतान कर सकते है।

x. जब तक कि विशेष रूप से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लिखित रूप से अनुमोदित नहीं किया जाता है, तब तक किसी अन्य दायित्व को लागू या समाप्त नहीं किया जा सकता।

बैंक को जमा के खिलाफ ऋण निर्धारित करने की अनुमति दी जाती है, यदि उधारकर्ता के साथ ऋण समझौते के नियम और शर्तें यह प्रदान करती हैं कि उसके विशिष्ट जमा खाते में राशि (जिस किसी भी नाम से पुकारा जाए) बैंक द्वारा उसके ऋण खाते के लिए विनियोजित / समायोजित किया जा सकता है, ऋण खाते में बकाया राशि की सीमा तक इस तरह का विनियोग / समायोजन निम्नलिखित शर्तों के अधीन किया जा सकता है:

  1. समायोजन की तारीख तक खातों को केवाईसी के अनुरूप होना चाहिए।

  2. किसी तृतीय पक्ष द्वारा प्रस्तुत डिपॉजिट जो गारंटर/ ज़मानत तक सीमित नहीं है, को समायोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

  3. जमाकर्ता को सामान्य रूप से उन मामलों में उचित विकल्प के तहत इस विकल्प का उपयोग किया जाना चाहिए, जहां सेंटिंग ऑफ में देरी हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप ऋण खाता एनपीए हो सकता है। मानक ऋण की स्थापना (नियमित रूप से सर्विस) और ऋण समझौते के नियमों और शर्तों में किसी भी तरह का विचलन, जमाकर्ता की पूर्व लिखित सहमति- उधारकर्ता आवश्यक होगी।

  4. जमा या इसका सेट ऑफ किसी भी प्रतिबंधों के अधीन नहीं होना चाहिए जैसे राज्य सहकारी समितियां अधिनियम आदि के प्रावधान के अंतर्गत जैसे कि कुर्की आदेश / कानून का वैधानिक आदेश या वैधानिक प्राधिकरण या कानून के तहत अधिकार प्राप्त अन्य प्राधिकरण, बयाना धन जमा,विश्वास की बाध्यता,तीसरे पक्ष के ग्रहणाधिकार ।

इस निर्देश की एक प्रति बैंक द्वारा प्रत्येक जमाकर्ता को भेजी जानी चाहिए और इसे बैंक की वेबसाइट के मुख पृष्ठ पर भी प्रदर्शित किया जाना चाहिए।

भारतीय रिज़र्व बैंक आगे निर्देश देता है कि द मडगाम अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मडगांव, गोवा, अपने परिचालन से संबंधित ऐसे विवरण जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस संबंध में निर्धारित किए जा सकते हैं, महाप्रबंधक (प्रभारी-अधिकारी), भारतीय रिज़र्व बैंक, गेरा इम्पीरियम II, 7 वीं मंजिल, ईडीसी कॉम्प्लेक्स, पट्टो प्लाजा, पणजी- 403 001 (गोवा) में प्रस्तुत करेंगे।

ये निर्देश 02 मई 2019 को कारोबार की समाप्ति से छह महीने की अवधि के लिए लागू रहेंगे और समीक्षा के अधीन होंगे।

शैलजा सिंह
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/2601

 
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