25 अक्तूबर 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि घाटाल पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल
पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 21 सितंबर 2023 के आदेश द्वारा दि घाटाल पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पश्चिम बंगाल (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता', 'एक्सपोजर मानदंड और सांविधिक/ अन्य प्रतिबंध – शहरी सहकारी बैंक', 'भारतीय रिजर्व बैंक - (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016' संबंधी निदेशों के अननुपालन और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि योजना, 2014- बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए- परिचालनगत दिशानिर्देश’ के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए ₹1.50 लाख (एक लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) और प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 (4) के साथ पठित धारा 25 (1) (iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक (i) सीआईसी को क्रेडिट जानकारी अपलोड करने में विफल रहा, (ii) विवेकपूर्ण अंतर-बैंक काउंटर-पार्टी एक्सपोजर सीमा का उल्लंघन किया, (iii) खातों के जोखिम वर्गीकरण की समय-समय पर समीक्षा के लिए कोई प्रणाली तैयार नहीं की, और (iv) सभी पात्र जमाराशियाँ जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता निधि में अंतरित नहीं की। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उपर्युक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर बैंक के उत्तर, अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों और सांविधिक प्रावधान के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1176 |