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Date: 28/11/2024
भारतीय रिज़र्व बैंक ने मैक्सवैल्यू क्रेडिट्स एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड, त्रिशूर, केरल पर मौद्रिक दंड लगाया

28 नवंबर 2024

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मैक्सवैल्यू क्रेडिट्स एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड, त्रिशूर, केरल
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 25 नवंबर 2024 के आदेश द्वारा मैक्सवैल्यू क्रेडिट्स एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड, त्रिशूर, केरल (कंपनी) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार करना (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016’ के साथ पठित ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमा स्वीकार न करने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 4.50 लाख (चार लाख पचास हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58बी(5)(एए) के साथ पठित धारा 58जी(1)(बी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2021 को कंपनी की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, कंपनी को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर कंपनी के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि कंपनी के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

कंपनी:

  1. चुकता इक्विटी पूंजी के 26 प्रतिशत से अधिक शेयरधारिता में परिवर्तन के लिए आरबीआई की पूर्व लिखित अनुमति लेने में विफल रही;

  2. आरबीआई की सहमति के बिना अधीनस्थ ऋणों को भुनाया;

  3. जाम स्वीकार न करने वाली एनबीएफसी होने के बावजूद अधीनस्थ ऋणों / गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर के रूप में सार्वजनिक जमाराशि का उपयोग किया; और

  4. वार्षिक वित्तीय विवरणों में कुछ प्रकटन करने में विफल रही।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कंपनी के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1604

 
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