आरबीआई/2013-14/171
डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.289/02.10.002/2013-2014
1 अगस्त 2013
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
शहरी सहकारी बैंकों / राज्य सहकारी बैंक /
जिला केंद्रीय सहकारी बैंक
महोदय/महोदया,
एटीएम लेनदेन - ग्राहक सेवा का संवर्धन
पिछले कुछ समय के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने एटीएम पर ग्राहक सेवा के संवर्धन और लेनदेन संबंधी ग्राहकों की शिकायतों से निपटने के संबंध में बैंकों को कई निर्देश जारी किए हैं। इसके बावजूद कुछ परिचालनात्मक मुद्दे अभी भी कायम हैं जिनके कारण इस संबंध में ग्राहकों की शिकायतें/ सुझावों की संख्या बढ़ती जा रही है।
2. घटनाक्रमों की समीक्षा के आधार पर और एटीएम के संचालन में दक्षता बढ़ाने के माध्यम से ग्राहक सेवा में सुधार लाने के उद्देश्य से बैंकों को निम्नलिखित कार्रवाई करने हेतु सूचित किया जाता है:
क) ग्राहक द्वारा लेन - देन की शुरुआत करने से पूर्व ही एटीएम में नकदी की अनुपलब्धता के बारे में संदेश प्रदर्शित किया जाना चाहिए। बैंक इस प्रकार की सूचना स्क्रीन के माध्यम से अथवा अन्य किसी माध्यम से प्रदर्शित करने के विकल्प पर विचार कर सकते हैं।
ख) एटीएम परिसर में एटीएम आईडी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए ताकि ग्राहक शिकायत / सुझाव देते समय उसका उल्लेख कर सके।
ग) हमारे पूर्व परिपत्रों नामत: दिनांक 19 मार्च 2010 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 2018 /02.10.002/2009-10; दिनांक 3 मई 2010 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 2359 /02.10.002/ 2009-10; दिनांक 15 जून 2010 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 2753 /02.10.02/ 2009-2010 और दिनांक 6 जुलाई 2010 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं. 52/ 02.10.02 / 2010-2011 के अंतर्गत जारी किए गए हमारे पूर्व निर्देशों को पुन: दुहराते हुए सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे एटीएम शिकायतें दर्ज कराने के लिए प्रपत्र एटीएम परिसर के अंदर उपलब्ध कराएं और उन अधिकारियों के नाम एवं फोन नंबर भी उपलब्ध कराएं जिनके पास शिकायत दर्ज की जा सकती है। इसके फलस्वरूप शिकायत दर्ज कराने में होने वाले विलंब को टाला जा सकता है।
घ) शिकायतें और गुम हुए कार्डों की रिपोर्ट दर्ज करने/कार्ड अवरोधित कराने में होने वाले विलंब को रोकने के लिए और ऐसे अनुरोधों को प्राथमिकता देने के लिए बैंकों को पर्याप्त मात्रा में टोल फ्री नंबर उपलब्ध कराने चाहिए। स्थानीय हेल्पलाइन नंबर (शहर-वार / केन्द्र-वार) भी बढ़ाए जाने चाहिए और उन्हें प्रमुखता से एटीएम परिसर / बैंकों की वेब साइट में प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
ङ) बैंकों को सक्रिय रूप से अपने ग्राहकों के मोबाइल नंबर / ई - मेल आईडी रजिस्टर करने चाहिए ताकि उन्हें चेतावनियाँ (Alerts) भेजी जा सकें और उन्हें, इनमें किसी भी परिवर्तन की सूचना देने के लिए शिक्षित किया जाए। सभी मौजूदा खातों के संबंध में मोबाइल नंबर और या ई – मेल आईडी को अद्यतन करने के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम तैयार किया जा सकता है। इन विवरणों को केवाईसी (KYC) विवरण के साथ समय-समय पर अद्यतन किया जाना चाहिए।
च) एटीएम पर आहरण संबंधी धोखाधड़ी को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने बकाया राशि जानने संबंधी लेनदेन सहित प्रत्येक लेनदेन के लिए पिन नंबर की प्रविष्टि को अनिवार्य बना दिया है। बैंकों ने पहले से ही एटीएम पर लेनदेन पूरा करने के लिए समय सीमा निर्धारित कर रखी है। तथापि, एक अतिरिक्त सुरक्षा उपाय के रूप में, सामान्य स्थिति में इस तरह के कार्यों के लिए लगने वाले समय की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एटीएम लेन - देन के सभी स्क्रीन / चरणों के लिए टाइम आउट सत्र भी आरंभ किया जाना चाहिए। बैंक इस बात को सुनिश्चित करें कि लेनदेन के किसी भी चरण के लिए उचित समय सीमा के बाहर समय विस्तार की अनुमति न प्रदान की जाए।
छ) इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग उत्पादों के बारे में जागरूकता पैदा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि, इसके फलस्वरूप इस क्षेत्र में होने वाली धोखाधड़ियों को रोका जा सकता है और ग्राहकों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक बनाया जा सकता है। इस क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों को देखते हुए बैंक, भारतीय बैंक संघ के साथ मिलकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में नियमित अंतराल पर विज्ञापन अभियान चला सकते हैं।
3. कृपया इस परिपत्र की प्राप्ति की सूचना दें और अनुपालन सुनिश्चित करें।
भवदीय
(विजय चुग)
मुख्य महाप्रबंधक
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