आरबीआई/2011-12/536
ए.पी.(डीआईआर सीरीज)परिपत्र सं. 117
07 मई 2012
सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंक और प्राधिकृत बैंक
महोदया/महोदय,
अनिवासी सामान्य (एनआरओ) खाते से अनिवासी विदेशी
(एनआरई) खाते में निधियों का अंतरण
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के तहत व्यक्तियों को उपलब्ध सुविधाओं की समीक्षा करने के लिए गठित समिति (अध्यक्षा : श्रीमती के. जे. उदेशी) ने सिफारिश की थी कि अनिवासी भारतीयों/भारतीय मूल के व्यक्तियों को, लागू करों के भुगतान की शर्त पर, उनके एनआरओ खाते से प्रति वित्तीय वर्ष 1 मिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र उच्चतम सीमा के भीतर भारत में अपने एनआरई खाते में राशि जमा करने के लिए अनुमति दी जाए। वर्तमान में, एनआरओ खाते से एनआरई खाते में निधियों का अंतरण अनुमत नहीं है।
2. पुनरीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि, समय समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.5/2000-आरबी में समाविष्ट विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 में यथा परिभाषित अनिवासी भारतीय अब से एनआरओ खाते से एनआरई खाते में प्रति वित्तीय वर्ष एक मिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र उच्चतम सीमा के भीतर, यथा लागू (अर्थात यदि निधियाँ विदेश में विप्रेषित की गयी हों तो यथा लागू) कर के भुगतान की शर्त पर, निधियों के अंतरण के लिए पात्र होगा । एनआरई खाते में निधियों का इस प्रकार जमा करना 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.5/2000-आरबी की अनुसूची-1 के पैराग्राफ 3 (जे) के अनुसार पात्र जमा के रूप में समझा जाएगा ।
3. सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी बैंक और प्राधिकृत बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।
4. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा),1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं ।
भवदीय,
(रुद्र नारायण कर)
मुख्य महाप्रबंधक
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