19 अगस्त 2015
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भुगतान बैंकों के लिए दिया 11 आवेदकों को अनुमोदन
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज निर्णय लिया है कि 27 नवंबर 2014 (दिशानिर्देश) को जारी भुगतान बैंकों की लाइसेंसिंग संबंधी दिशानिर्देशों के अंतर्गत भुगतान बैंकों की स्थापना के लिए निम्नलिखित 11 आवेदकों को “सैद्धांतिक” अनुमोदन दिया जाए।
- आदित्य बिड़ला नूवो लिमिटेड
- एयरटेल एम कॉमर्स सर्विसेज़ लिमिटेड
- चोलामंडलम डिस्ट्रिब्यूशन सर्विसेज़ लिमिटेड
- डाक विभाग
- फिनो पेटेक लिमिटेड
- नेशनल सिक्युरिटीज़ डिपॉजिटरी लिमिटेड
- रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड
- श्री दिलिप शांतिलाल सांघवी
- श्री विजय शेखर शर्मा
- टेक महिंद्रा लिमिटेड
- वोडाफोन एम-पैसालिमिटेड
चयन प्रक्रिया
आवेदकों के चयन की प्रक्रिया निम्नानुसार रही :
पहले, डॉ. नचिकेत मोर, निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की अध्यक्षता वाली एक बाह्य परामर्शदात्री समिति (ईएसी) द्वारा विस्तृत रूप से छानबीन की गई। ईएसी की सिफारिशें गवर्नर और चार उप गवर्नरों को समाहित करते हुए गठित आंतरिक अनुवीक्षण समिति (आईएससी) के लिए निविष्टि सूचना बनीं। इस आंतरिक अनुवीक्षण समिति ने स्वतंत्र रूप से सभी आवेदन-पत्रों की छानबीन करने के बाद केंद्रीय बोर्ड समिति के लिए सिफारिशों की अंतिम सूची तैयार की। 19 अगस्त 2015 को संपन्न अपनी बैठक में केंद्रीय बोर्ड समिति ने आवेदन-पत्रों, ईएसी और आईएससी की सिफारिशों पर विचार किया तथा आवेदकों की घोषित सूची का अनुमोदन किया।
अंतिम सूची को अंतिम रूप देते समय सीसीबी ने उभरते भुगतान कारोबार में सर्वाधिक सफल हो सकने वाले मॉडल का आकलन इस स्तर पर करने में कठिनाई महसूस की। सीसीबी ने यह भी पाया कि भुगतान बैंक ऋण देने का कार्य नहीं कर सकते हैं, इसलिए भुगतान बैंकों को उन सभी जोखिमों का सामना करना नहीं पड़ेगा जितना एक संपूर्ण सेवा बैंक को सामना करना पड़ता है। अत: सीसीबी ने आवेदकों का इस आशय से मूल्यांकन किया कि क्या भुगतान बैंक के सीमित कार्यकलापों के बावजूद उनमें कोई अस्वीकार्य जोखिम पैदा होगा। उसने विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव-प्राप्त और विभिन्न प्रकार की क्षमताओं वाली संस्थाओं का चयन किया है ताकि कई मॉडलों का परीक्षण किया जा सके। उसने यह सुनिश्चित किया कि चयनित सभी आवेदक देश के कोने-कोने में अब तक वंचित ग्राहकों को सेवा प्रदान करने की पहुंच तथा प्रौद्योगिकीय व वित्तीय शक्ति रखते हैं। तथापि, ये सैद्धांतिक अनुमोदन दिशानिर्देशों में बताई गई शर्तों के अधीन हैं, जिसके अंतर्गत चालू मामलों में हो रही गतिविधियां भी शामिल हैं।
भविष्य में रिज़र्व बैंक इस लाइसेंसिंग दौर से मिलने वाली सीख का उपयोग दिशानिर्देशों को समुचित रूप से संशोधित करने तथा वास्तव में नियमित रूप से “ऑन टैप” आधार पर लाइसेंस देते रहने में करना चाहता है। रिज़र्व बैंक को उम्मीद है कि जो संस्थाएं इस दौर में पात्र नहीं बन पाईं, वे आगामी दौरों में सफल सिद्ध होंगी।
पृष्ठभूमि
यह स्मरण होगा कि रिज़र्व बैंक ने 27 अगस्त 2013 को अपनी वेबसाइट पर भारत में बैंकिंग संरचना - आगामी मार्ग नामक विषय पर एक नीतिगत चर्चा पत्र प्रस्तुत किया था। उक्त चर्चा पत्र में यह पाया गया कि भारत में विशेष प्रकार की बैंकिंग की आवश्यकता है, तथा विभेदित लाइसेंसिंग इस दिशा में एक समुचित कदम हो सकती है, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण, थोक बैंकिंग तथा रिेटल बैंकिंग के संदर्भ में।
उसके बाद छोटे कारोबारों और निम्न आय वाले परिवारों के लिए व्यापक वित्तीय सेवाएं पर गठित समिति (अध्यक्ष : डॉ. नचिकेत मोर) ने जनवरी 2014 में जारी अपनी रिपोर्ट में सर्वव्यापी भुगतान नेटवर्क और बचत की सार्वभौमिक पहुंच से जुड़े मुद्दों पर विचार किया तथा आबादी के अंतर्गत अब तक वंचित वर्गों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए भुगतान बैंकों की लाइसेंसिंग की सिफारिश की।
माननीय वित्त मंत्री ने 10 जुलाई 2014 को केंद्रीय बजट 2014-2015 प्रस्तुत करते हुए यह घोषित किया कि :
“मौजूदा ढांचे में उपयुक्त परिवर्तन करने के बाद वर्तमान वित्त वर्ष में निजी सेक्टर में सार्वभौमिक बैंकों को सतत् प्राधिकार देने के लिए एक ढांचा तैयार किया जाएगा। छोटे बैंकों और अन्य विशिष्ट बैंकों को लाइसेंस देने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक एक ढांचा तैयार करेगा। आला हितों की पूर्ति करने वाले विशिष्ट बैंक, स्थानीय क्षेत्र के बैंक, भुगतान बैंक आदि की परिकल्पना छोटे कारोबारों, असंगठित क्षेत्र, निम्न आय वाले परिवारों, किसानों और प्रवासी कार्य बल की ऋण और प्रेषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई है।”
भुगतान बैंकों की लाइसेंसिंग के संबंध में दिशानिर्देशों का प्रारूप जनता की राय लेने हेतु 17 जुलाई 2014 को जारी किया गया था। इस प्रारूप के संबंध में प्राप्त राय और सुझावों के आधार पर 27 नवंबर 2014 को भुगतान बैंकों की लाइसेंसिंग के लिए अंतिम दिशानिर्देश जारी किए गए। रिज़र्व बैंक ने 01 जनवरी 2015 को दिशानिर्देशों के बारे में उठाए गए प्रश्नों (संख्या- 144) का स्पष्टीकरण भी जारी किया था। रिज़र्व बैंक को भुगतान बैंकों के लिए 41 आवेदन-पत्र प्राप्त हुए।
“सैद्धांतिक” अनुमोदन के ब्यौरे
प्रदान किया गया “सैद्धांतिक” अनुमोदन 18 महीनों की अवधि के लिए वैध रहेगा जिस समय के दौरान आवेदकों को दिशानिर्देशों के अंतर्गत दी गई अपेक्षाओं का अनुपालन करना होगा और रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित की गई अन्य शर्तों को पूरा करना होगा।
इस बात पर संतुष्ट होने कि आवेदकों ने रिज़र्व बैंक द्वारा “सैद्धांतिक” अनुमोदन के भाग के रूप में निर्धारित की गई सभी आवश्यक शर्तों का अनुपालन किया है, रिज़र्व बैंक उन्हें बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22(1) के अंतर्गत बैंकिंग कारोबार शुरू करने के लिए लाइसेंस प्रदान करने पर विचार करेगा। जब तक नियमित लाइसेंस जारी नहीं किया जाता है, आवेदक कोई भी बैंकिंग कारोबार नहीं कर सकते हैं।
अतिरिक्त ब्यौरे
दिशानिर्देशों में प्रावधान किया गया है कि प्रथम दृष्ट्या पात्रता की शुरुआती छानबीन के बाद आवेदनों को इस प्रयोजन के लिए गठित बाह्य परामर्शदात्री समिति (ईएसी) को भेजा जाएगा। तदनुसार, आवेदन-पत्रों की छानबीन करने तथा केवल उन आवेदकों, जिन्होंने दिशानिर्देशों का पालन किया हो, को लाइसेंस देने के लिए सिफारिश करने के लिए रिज़र्व बैंक ने 04 फरवरी 2015 को डॉ. नचिकेत मोर, निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की अध्यक्षता में एक ईएसी का गठन किया। इस ईएसी में तीन सदस्य शामिल थे : सुश्री रूपा कुडवा, भूतपूर्व एमडी और सीईओ, सीआरआईएसआईएल लिमिटेड, सुश्री शुभलक्ष्मी पनसे, भूतपर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, इलाहाबाद बैंक तथा डॉ. दीपक पाठक, चेयर प्रोफेसर, आईआईटी, मुंबई। बाद में सुश्री रूपा कुडवा ने स्वयं ही इस समिति की सदस्यता छोड़ दी और रिज़र्व बैंक ने मई 2015 में श्री नरेश टक्कर, प्रबंध निदेशक और ग्रुप सीईओ, आईसीआरए लिमिटेड को इस समिति में शामिल किया।
इन दिशानिर्देशों में बताए अनुसार ईएसी ने आवेदन-पत्रों की छानबीन के लिए अपनी प्रक्रियाएं निर्धारित कीं, जिनके अंतर्गत अपेक्षानुसार और अधिक सूचना मंगाना भी शामिल है। आवदेन-पत्रों की छानबीन वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए की गई, अर्थात् प्रवर्तक तथा प्रवर्तक समूह की प्रमुख संस्थाओं का पिछले पांच वर्ष का ट्रैक रिकार्ड। इस मूल्यांकन के अंतर्गत कई बातें शामिल हैं जैसे समुचित सावधानी रिपोर्टों और/या जानबूझकर व बार-बार कानून/विनियमों के उल्लंघन को दर्शाने वाली सूचना के आधार पर प्रवर्तकों के लिए ‘समुचित और उपयुक्त’ मानदंड पर ध्यान देते हुए गवर्नेंस से जुड़े कई मुद्दे; मौजूदा व प्रदर्शित भौतिक ग्रामीण पहुंच के योगदान में उत्तरोत्तर विकास, कारोबार मॉडल नवोन्मेष, प्रौद्योगिकीय व परिचालनात्मक क्षमता को दर्शाने वाला कोई ऐसा मॉडल, जो अपेक्षित मात्रा में लेनदेनों व धनराशि को विश्वसनीय व सुरक्षात्मक तरीके से संभालता हो; तथा उत्पाद मिश्र, नवोन्मेष प्रौद्योगिकीय समाधानों, भौगोलिक ऐक्सेस और व्यवहार्य वित्तीय योजना के संदर्भ में प्रस्तावित कारोबार योजना।
आउटरीच और बड़ी मात्रा में कम मूल्य के लेनदेनों को संभालने की क्षमता के मूल्यांकन को सार्थक बनाने की दृष्टि से आवेदकों से अतिरिक्त आंकड़े प्राप्त किए गए तथा ईएसी ने निर्णय लेने में उनका उपयोग किया। ईएसी ने अपनी रिपोर्ट 06 जुलाई 2015 को प्रस्तुत की।
अल्पना किल्लावाला
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/437 |