13 जुलाई 2016
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सुरी फ्रेंड्स यूनियन कॉ-आपरेटिव बैंक लिमिटेड,
सुरी, पश्चिम बंगाल पर जारी निदेशों की अवधि बढ़ाई
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सुरी फ्रेंड्स यूनियन कॉ-आपरेटिव बैंक लिमिटेड, सुरी, पश्चिम बंगाल को जारी निदेशों को बढ़ा दिया है। ये निदेश समीक्षाधीन 7 जुलाई 2016 से 6 जनवरी 2017 तक और छह माह की अवधि के लिए बैंक पर लागू रहेंगे। रिज़र्व बैंक ने उक्त बैंक की खराब वित्तीय स्थिति के मद्देनज़र शुरू में 7 अप्रैल 2014 से छह माह की अवधि के लिए इस बैंक को निदेशाधीन किया था और इसकी वैधता को बाद में चार बार 6 जुलाई 2016 तक बढ़ाया गया था।
रिज़र्व बैंक के निदेशानुसार, दि सुरी फ्रेंड्स यूनियन कॉ-आपरेटिव बैंक लिमिटेड भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्वानुमति लिए बिना एवं भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित निदेशों के अलावा किसी भी ऋण और अग्रिम को मंजूर या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियां उधार लेने और नई जमाराशियां स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा भले ही भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से या अन्यथा से संबंधित क्यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्य किसी रीति से उसका निपटान करेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक निदेशों में उल्लिखित शर्तों के अधीन यह बैंक प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते में या किसी भी अन्य जमा खाते के कुल शेष में से प्रत्येक जमाकर्ता को ₹ 1,000/- (एक हजार रुपए मात्र) की अधिकतम राशि आहरित करने की अनुमति दे सकता है।
ये निदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क की उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए हैं। निदेश की प्रतिलिपि इच्छुक आम जनता के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई है।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त निदेश जारी करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। उक्त बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार करना जारी रखेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है।
अनिरुद्ध डी. जाधव
सहायक प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/110 |