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Date: 13/01/2025
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कामराज को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु पर मौद्रिक दंड लगाया

13 जनवरी 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि कामराज को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 3 जनवरी 2025 के आदेश द्वारा दि कामराज को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘पर्यवेक्षी कार्रवाई रूपरेखा (एसएएफ)’ के अंतर्गत विशिष्ट निदेशों, ‘पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड - यूसीबी’ और ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए (1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2023 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफल होने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक ने:

  1. एसएएफ के अंतर्गत जारी निदेशों के अननुपालन में पात्र एकल उधारकर्ता एक्सपोज़र सीमा से अधिक ऋण तथा 100% से अधिक जोखिम भार वाले नए ऋण और अग्रिम स्वीकृत किए;

  2. उधार मानदंडों से जुड़े शेयर का अनुपालन किए बिना कतिपय ऋण स्वीकृत किए, जबकि इसका सीआरएआर विनियामक न्यूनतम से कम था;

  3. अपने सदस्यों को शेयर पूंजी की वापसी की अनुमति दी, जबकि इसका सीआरएआर विनियामक न्यूनतम से कम था; और

  4. निर्धारित समय-सीमा के भीतर ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) पर अपलोड करने में विफल रहा।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1917

 
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