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nesce >> FAQs - Display
Date: 01/08/2016
निवासी व्यष्टि के विदेशी मुद्रा खाते

(01 अगस्त 2016 को अद्यतन)

“अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्नों’ का यह खण्ड इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा आम तौर पर पूछे जानेवाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का एक प्रयास है। तथापि किसी प्रकार का लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लिया जाए। इससे संबंधित मूल विनियमावली 21 जनवरी 2016 की अधिसूचना सं.फेमा 10(आर)/2015-आरबी के तहत जारी की गई विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी व्यक्ति के विदेशी मुद्रा खाते) विनियमावली, 2015 है। इस संबंध में जारी किए गए विभिन्न निदेश ‘जमा राशियां और खाते’ विषय पर जारी मास्टर निदेश सं.14 के भाग-I में समेकित किए गए हैं। मूल विनियमावली में किए गए संशोधन, यदि कोई हों, को परिशिष्ठ में जोड़ा गया है ।

प्रश्न.1 भारत में निवासी व्यक्ति कौन होता है ?
प्रश्न.2 विदेशी मुद्रा खाता क्या होता है ?
प्रश्न.3 किसी निवासी व्यष्टि द्वारा भारत में कौन- से प्रमुख विदेशी मुद्रा खाते खोले जा सकते हैं?
प्रश्न.4 भारत में विदेशी मुद्रा खाता किस रूप में खोला जा सकता है ?
प्रश्न.5 कोई निवासी व्यष्टि भारत के बाहर विदेशी मुद्रा खाता कब खोल सकता है ?
प्रश्न.6 क्या कोई निवासी भारत के बाहर ऐसा खाता रख सकता है, जो उसने अपने अनिवासी होने पर खोला था?
प्रश्न.7 खाताधारक की मृत्यु हो जाने पर भारत से बाहर धारित किए गए उसके खाते की स्थिति क्या होगी ?

प्रश्न.1 भारत में निवासी व्यक्ति कौन होता है ?

उत्तर : विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) की धारा-2(वी) में ‘भारत में निवासी व्यक्ति’ को परिभाषित किया गया है; जो निम्नानुसार है:

(i) ऐसा कोई व्यक्ति जो पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के दौरान एक सौ बयासी दिन से अधिक समयावधि तक भारत में निवास कर रहा था किन्तु इसके अंतर्गत :-

(ए) ऐसा व्यक्ति शामिल नहीं है जो –

(क) भारत से बाहर रोजगार हेतु नियोजित होने के लिए या नियोजित हो जाने पर; या

(ख) भारत के बाहर कोई कारोबार करने या भारत के बाहर कोई व्यवसाय करने के लिए; अथवा

(ग) ऐसी परिस्थितियों में, किसी अन्य प्रयोजन के लिए जिनसे उसका भारत से बाहर अनिश्चित अवधि तक ठहरने का आशय उपदर्शित होता हो,

भारत से बाहर चला गया है या भारत से बाहर ठहरता है,

(बी) ऐसा व्यक्ति भी नहीं जो-

(क) भारत में रोजगार पर नियोजित होने के लिए या नियोजित होने पर, या

(ख) भारत में कोई कारोबार करने या भारत में कोई व्यवसाय चलाने के लिए; या

(ग) ऐसी परिस्थितियों में, किसी अन्य प्रयोजन के लिए जिनसे उसका भारत में अनिश्चित अवधि तक ठहरने का आशय उपदर्शित होता हो,

भारत लौट आता है या भारत में ठहरता है।

(ii) कोई व्यक्ति या भारत में पंजीकृत अथवा निगमित कोई कॉर्पोरेट निकाय ;

(iii) भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन भारत में कोई कार्यालय, शाखा या एजेंसी;

(iv) भारत में निवासी किसी व्यक्ति के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन भारत में कोई कार्यालय, शाखा या एजेंसी।

प्रश्न 2. विदेशी मुद्रा खाता क्या होता है ?

उत्तर: भारत अथवा नेपाल या भूटान की मुद्रा के अलावा किसी अन्य मुद्रा में धारित किया गया अथवा रखा गया खाता विदेशी मुद्रा खाता कहलाता है।

प्रश्न 3. किसी निवासी व्यष्टि द्वारा भारत में कौन- से प्रमुख विदेशी मुद्रा खाते खोले जा सकते हैं ?

निवासी व्यष्टि द्वारा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी (एडी) बैंक में खोले जाने वाले कुछ प्रमुख विदेशी मुद्रा खातों की जानकारी उनकी विशेषताओं के साथ नीचे दी गई है :

ब्योरा विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता
(ईईएफ़सी खाता)
निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाता
[आरएफ़सी(डी) खाता]
निवासी विदेशी मुद्रा खाता
[आरएफ़सी खाता]
खाता कौन खुलवा सकता है ? विदेशी मुद्रा अर्जक संस्थाएं व्यष्टि व्यष्टि
संयुक्त खाता यह खाता खोलने के लिए पात्र किसी भी व्यक्ति के साथ;

अथवा

पूर्व या उत्तरजीवी आधार पर निवासी के रिश्तेदार (रिश्तेदारों) के साथ।

कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत यथापरिभाषित रिश्तेदार (अर्थात हिन्दू अविभक्त परिवार के सदस्य, पति या पत्नी, माता-पिता, सौतेले माता-पिता, पुत्र, सौतेला बेटा, बहू, बेटी, दामाद, भाई / बहन, सौतेला भाई / सौतेली बहन)

संयुक्त खाताधारक रिश्तेदार मुख्य खाताधारक के जीवन काल के दौरान खाते का संचालन नहीं कर सकता है।
यह खाता खोलने के लिए पात्र किसी भी व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से ईईएफ़सी के लिए लागू शर्तों के समतुल्य
खाते का प्रकार केवल चालू खाता केवल चालू खाता चालू/ जमा / सावधि जमा खाता
ब्याज ब्याज अनर्जक ब्याज अनर्जक अविनियमित (एडी बैंक के निर्णयानुसार)
अनुमत जमा 1) निर्यात लेनदेन से प्राप्त विदेशी मुद्रा का 100%

2) किसी निर्यातक द्वारा माल या सेवाओं के निर्यात पर प्राप्त अग्रिम विप्रेषण की राशि

3) विदेशी आयातकों को दिए गए ऋणों की चुकौती

4) एडीआर/ जीडीआर के रूपांतरण पर विनिवेश से हुई आय।

5) व्यावसायिक आय जैसे निदेशक के रूप में/ परामर्श सेवाओं पर / व्याख्यान हेतु प्राप्त शुल्क, मानदेय और इसी तरह की अन्य कोई आय जो किसी पेशेवर द्वारा अपनी व्यक्तिगत क्षमता में सेवाएं प्रदान करके प्राप्त की जाती है।

6) खाते में जमा राशि पर अर्जित ब्याज

7) खाते से पूर्व में आहरित की गई किंतु उपयोग न हुई विदेशी मुद्रा को पुनः जमा करना।

8) स्टार्टअप या उसकी किसी विदेशी सहायक कंपनी द्वारा की गई बिक्री / निर्यात से भारतीय स्टार्टअप को विदेशी मुद्रा में प्राप्त प्राप्त भुगतान की राशि
1) विदेश यात्रा के दौरान भुगतान/ सेवा/ उपहार/ मानदेय के रूप में प्राप्त विदेशी मुद्रा अथवा भारत की यात्रा पर आए किसी अनिवासी से प्राप्त विदेशी मुद्रा।

2) किसी प्राधिकृत व्यापारी से विदेश यात्रा के लिए ली गई विदेशी मुद्रा की व्यय न हुई राशि।

3) किसी करीबी रिश्तेदार से उपहार

4) माल/ सेवाओं के निर्यात से हुई आय अथवा रॉयल्टी की राशि।

5) शेयरों को एडीआर/ जीडीआर में बदलने पर विनिवेश की राशि ।

6) किसी भारतीय बीमा कंपनी से प्राप्त बीमा पॉलिसी के दावों/ परिपक्वता/ सरेंडर वैल्यू से प्राप्त आय जिसे विदेशी मुद्रा में समाशोधित किया गया हो।
1) किसी विदेशी नियोक्ता से सेवा निवृत्ति पर अधिवर्षिता/ अन्य मौद्रिक लाभों के रूप में कर्मचारी को प्राप्त विदेशी मुद्रा।

2) फेमा की धारा 6(4) में संदर्भित की गई आस्तियों के रूपांतरण पर प्राप्त विदेशी मुद्रा।

3) फेमा की धारा 6(4) में संदर्भित व्यक्ति से उपहार/विरासत के रूप में प्राप्त राशि।

4) 8 जुलाई 1947 से पहले अर्जित की गई या भारतीय रिजर्व बैंक की अनुमति से भारत से बाहर धारित की गई विदेशी मुद्रा अथवा उससे अर्जित कोई आय।

6) किसी भारतीय बीमा कंपनी से प्राप्त बीमा पॉलिसी के दावों/ परिपक्वता/ सरेंडर वैल्यू से प्राप्त आय जिसे विदेशी मुद्रा में समाशोधित किया गया हो।

7) निवास की स्थिति में परिवर्तन होने पर एनआरई/ एफसीएनआर(बी) खातों में जमा राशि।
अनुमत डेबिट 1) कोई भी अनुमत चालू या पूंजी खाता लेनदेन

2) खरीदे गए माल की लागत

3) सीमा शुल्क

4) व्यापार संबंधी ऋण और अग्रिम
किसी भी अनुमत चालू/ पूंजी खातेगत लेनदेन के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। भारत में/ भारत के बाहर उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

प्रश्न: 4. भारत में विदेशी मुद्रा खाता किस रूप में खोला जा सकता है?

उत्तर: जब तक कि खाते के स्वरूप में विशेष रूप से उल्लेख न किया गया हो, और जहां खाताधारक भारत में निवासी व्यष्टि हो, तब ऐसे मामलों में वह भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा खाता चालू या बचत या सावधि जमा खाते के रूप में खोल सकता है, रख सकता है अथवा उसे धारित कर सकता है। इसके अलावा अन्य सभी मामलों में ऐसे खाते चालू या सावधि जमा खाते के रूप में होंगे। इस तरह के खाते को खोलने, रखने और धारित करने हेतु पात्र व्यक्ति के नाम पर ऐसा खाता अकेले या संयुक्त रूप से धारित किया जा सकता है।

प्रश्न: 5. कोई निवासी व्यष्टि भारत के बाहर विदेशी मुद्रा खाता कब खोल सकता है ?

उत्तर: कोई निवासी व्यष्टि निम्नलिखित मामलों में भारत से बाहर किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है:

1) कोई निवासी छात्र जो विदेश में अध्ययन हेतु वहाँ रहने गया हो,ऐसे मामलों में इन खातों में भारत से किए जाने वाले सभी निक्षेप फेमा और उसके तहत बनाए गए नियमों और विनियमों के अनुसार किए जाने चाहिए। पढ़ाई पूरी करने के बाद उस छात्र के भारत लौटने पर, ऐसे खाते को उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) के तहत खोला गया खाता माना जाएगा।

2) कोई निवासी यदि निश्चित अवधि के लिए विदेश में रहने के उद्देश्य से विदेश यात्रा पर गया हो, ऐसे मामलों में खाताधारक के भारत लौटने पर खाते में शेष राशि भारत में संप्रत्यावर्तित की जाएगी।

3) किसी प्रदर्शनी / व्यापार मेले में भाग लेने के लिए विदेश गया कोई व्यक्ति वहाँ अपने माल की बिक्री से प्राप्त हुई आय को जमा करने हेतु खाता खोल सकता है। ऐसी प्रदर्शनी/ व्यापार मेले के बंद होने की तिथि से एक माह के भीतर शेष राशि भारत में संप्रत्यावर्तित कर दी जाए।

4) निम्नलिखित व्यक्ति भारत में उसे देय अपना संपूर्ण वेतन विप्रेषित करने/ प्राप्त करने के लिए खाता खोल सकता है:

(ए) भारत में निवासी कोई विदेशी नागरिक, जो किसी विदेशी कंपनी का कर्मचारी है और भारत में उस कंपनी के कार्यालय/ शाखा/ अनुषंगी/ संयुक्त उद्यम/ समूह कंपनी में प्रतिनियुक्ति पर है;

(बी) कोई ऐसा व्यक्ति जो भारतीय नागरिक है और किसी विदेशी कंपनी का कर्मचारी है और भारत में उस कंपनी के कार्यालय / शाखा / अनुषंगी / संयुक्त उद्यम / समूह कंपनी में प्रतिनियुक्ति पर है; तथा

(सी) कोई विदेशी नागरिक, जो भारत में निवासी है और किसी भारतीय कंपनी में कार्यरत है।

5) उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत राशि विप्रेषित करने के लिए ।

प्रश्न: 6. क्या कोई निवासी भारत के बाहर ऐसा खाता बनाए रख सकता है, जो उसने अपने अनिवासी होने पर खोला था?

उत्तर : भारत में निवासी व्यक्ति भारत के बाहर उन मामलों में कोई विदेशी मुद्रा खाता रख सकता है, यदि उसने वह खाता अपने भारत के बाहर निवासी होने की स्थिति में खोला हो, या भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति से इसे विरासत में पाया हो।

प्रश्न: 7. खाताधारक की मृत्यु हो जाने पर भारत से बाहर धारित किए गए उसके खाते की स्थिति क्या होगी ?

उत्तर : भारत से बाहर धारित ऐसे खाते के निवासी नॉमिनी व्यक्ति को वह खाता बंद करना होगा और बैंकिंग चैनलों के माध्यम से खाते की राशि को भारत में संप्रत्यावर्तित करना होगा।

मूल विनियमावली में किए गए संशोधन :

अधिसूचना सं. फेमा 10(आर) (1)/2016-आरबी दिनांक 01 जून 2016

 
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