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Date: 01/07/2014
मास्टर परि‍पत्र - वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

आरबीआई/2014-15/102
बैंपवि‍वि‍. सं. एफआइडी.एफआइसी. 1/01.02.00/2014-15

1 जुलाई 2014

अखि‍ल भारतीय मीयादी ऋणदात्री तथा पुनर्वि‍त्त प्रदान
करनेवाली संस्थाओं के मुख्य कार्यपालक अधि‍कारी
(एक्ज़ि‍म बैंक, नाबार्ड, एनएचबी तथा सि‍डबी)

महोदय

मास्टर परि‍पत्र - वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

कृपया उपर्युक्त वि‍षय पर 1 जुलाई 2013 का मास्टर परि‍पत्र बैंपवि‍वि‍. सं. एफआइडी.एफआइसी.1/ 01.02.00/2013-14 देखें। संलग्न मास्टर परि‍पत्र में 30 जून 2014 तक उक्त वि‍षय पर जारी कि‍ये गये सभी अनुदेशों / दि‍शानि‍र्देशों को समेकि‍त तथा अद्यतन कि‍या गया है। यह मास्टर परि‍पत्र भारतीय रि‍ज़र्व बैंक की वेबसाइट (http://www.rbi.org.in) पर भी उपलब्ध कराया गया है।

2. यह नोट कि‍या जाए कि‍ अनुबंध 4 में सूचीबद्ध परि‍पत्रों में नि‍हि‍त अनुदेशों को इस मास्टर परि‍पत्र में समेकि‍त कि‍या गया है ।

भवदीय

(सुदर्शन सेन)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक : यथोक्त


वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड पर मास्टर परि‍पत्र

उद्देश्य

वि‍शेषीकृत वि‍त्तीय संस्थाओं को अपनी अल्पावधि‍ तथा दीर्घावधि‍ संसाधन आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सहायता देने के लि‍ए ताकि‍ वि‍त्तीय संस्थाओं को उनकी संबंधि‍त संवि‍धि‍ के अनुसार जि‍न परि‍चालनों, उद्देश्य तथा लक्ष्यों के साथ स्थापि‍त कि‍या गया था उनसे संबद्ध ऋण की क्षेत्रीय आवश्यकताओं को वि‍त्तीय संस्थाएं पूरा कर सकें। इस परि‍पत्र का उद्देश्य वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा बॉण्ड जारी करने के संबंध में उनके बीच वि‍नि‍यामक मानदंडों में व्यापक एकरूपता लाकर उन्हें एक समान अवसर दि‍लाना भी है।

पि‍छले अनुदेश

इस मास्टर परि‍पत्र में अनुबंध 4 में सूचीबद्ध परि‍पत्रों में नि‍हि‍त वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा संसाधन जुटाने के संबंध में भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा जारी कि‍ए गए सभी अनुदेशों /दि‍शानि‍र्देशों को समेकि‍त तथा अद्यतन कि‍या गया है।

प्रयोज्यता

सभी अखि‍ल भारतीय मीयादी ऋणदात्री तथा पुनर्वि‍त्त प्रदान करनेवाली संस्थाएं अर्थात, भारतीय नि‍र्यात-आयात बैंक, राष्ट्रीय कृषि‍ और ग्रामीण वि‍कास बैंक, राष्ट्रीय आवास बैंक तथा भारतीय लघु उद्योग वि‍कास बैंक।

1

प्रस्तावना

2

`अंब्रेला सीमा' के अंतर्गत संसाधन जुटाने हेतु मानदंड

2.1

मीयादी जमा

2.2

मीयादी मुद्रा उधार

2.3

जमा प्रमाण पत्र (सीडी)

2.4

वाणि‍ज्य पत्र (सीपी)

2.5

अंतर कंपनी जमाराशि‍यां (आइसीडी)

3

बांडों डि‍बेंचरों के नि‍र्गम संबंधी मानदंड

  अनुबंध 1: वाणिज्य पत्र पर निदेश

 

अनुबंध 2: जुटाये गये कुल संसाधन पर मासि‍क समेकि‍त वि‍वरणी

 

अनुबंध 3: बांडों के माध्यम से जुटाये गये संसाधनों पर मासि‍क वि‍वरणी

 

अनुबंध 4: मास्टर परि‍पत्र में समेकि‍त परि‍पत्रों की सूची

1. प्रस्तावना

नब्बे के दशक के आरम्भ से भारतीय वि‍त्तीय क्षेत्र में सुधारों की प्रक्रि‍या का अखि‍ल भारतीय वि‍त्तीय संस्थाओं (एफ आइ) के संसाधन जुटाने पर गहरा प्रभाव पड़ा है। भारतीय रि‍ज़र्व बैंक की दीर्घकालीन परि‍चालन (एलटीओ) नि‍धि‍ से वि‍त्तीय संस्थाओं को नि‍धि‍यां प्रदान करने को धीरे-धीरे समाप्त कि‍ए जाने तथा उन्हें एसएलआर बांड के आबंटन की प्रणाली समाप्त कि‍ए जाने से, वि‍त्तीय संस्थाएं बांड जारी कर (सार्वजनि‍क और नि‍जी तौर पर आबंटि‍त दोनों तरह के नि‍र्गमों के ज़रि‍ए) बाजार से संसाधन जुटा रही हैं। बाज़ार से बांडों के ज़रि‍ए दीर्घावधि‍ संसाधन जुटाने के लि‍ए कुछ वि‍त्तीय संस्थाएं सांवि‍धि‍क नि‍काय होने के नाते सेबी से अनुमोदन लेती थीं, जबकि‍ अन्य लि‍मि‍टेड कंपनि‍यां होने के नाते भारतीय रि‍ज़र्व बैंक से अनुमोदन लेती थीं । इस संबंध में एकरूपता सुनि‍श्चि‍त करने की दृष्टि‍ से यह नि‍र्णय कि‍या गया कि‍ सभी वि‍त्तीय संस्थाओं को, चाहे वे सांवि‍धि‍क नि‍काय हों या लि‍मि‍टेड कंपनि‍यां, 1998 से भारतीय रि‍ज़र्व बैंक के वि‍नि‍यमों के अधीन लाया जाए। ऐसे अन्य परि‍वर्तन जि‍न्होंने वि‍त्तीय संस्थाओं की संसाधन जुटाने की क्षमता को प्रभावि‍त कि‍या है, उनमें प्रगामी रूप से वि‍नि‍यमन को हटाना, ब्याज दर स्वैप तथा वायदा दर करार (आइआरएस/एफआरए) जैसे रक्षा प्रदान करनेवाले लि‍खत शुरू करना, आस्ति‍ देयता प्रबंधन (एएलएम) प्रणाली लागू करना आदि‍ शामि‍ल हैं। पूर्वोक्त गति‍वि‍धि‍यों के कारण वि‍त्तीय संस्थाओं के संसाधन जुटाने, खास तौर से बांड जारी करने के जरि‍ए, संबंधी दि‍शानि‍र्देशों की समीक्षा की ज़रूरत हुई और भारतीय रि‍ज़र्व बैंक ने 21 जून 2000 को इन दि‍शानि‍र्देशों को संशोधि‍त कि‍या। वि‍त्तीय संस्थाओं से बांड नि‍र्गम के संबंध में प्राप्त संदर्भों पर शीघ्र नि‍र्णय लेने के उद्देश्य से रि‍ज़र्व बैंक ने एक `स्थायी समि‍ति‍' गठि‍त की है जि‍समें संबंधि‍त वि‍त्तीय संस्थाओं के नामि‍ती को भी आमंत्रि‍त कि‍या जाता है। संबंधि‍त वि‍त्तीय संस्था से अनुरोध प्राप्त होने के दि‍न या अगले दि‍न स्थायी समि‍ति‍ की बैठक आयोजि‍त की जाती है। वि‍त्तीय संस्थाओं से अपेक्षि‍त है कि‍ वे प्रस्तावि‍त बांडों के नि‍र्गम के पूरे ब्यौरे भेजें जि‍नमें जुटायी जानेवाली राशि‍, उसे जुटाने का तरीका, वह प्रयोजन जि‍सके लि‍ए नि‍धि‍यों का उपयोग कि‍या जायेगा प्रस्तावि‍त नि‍र्गम के वि‍शेष तत्व जैसे बि‍क्री/खरीद वि‍कल्प आदि‍ तथा बांडों पर परि‍पक्वता आय (वाइटीएम) बतायी गयी हो।

2. `अंब्रेला सीमा' के अंतर्गत संसाधन जुटाने हेतु मानदंड

चयनि‍त अखि‍ल भारतीय वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा संसाधन जुटाना 1990 के दशक से मौद्रि‍क नीति‍ के अनुबद्ध के रूप में भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा वि‍नि‍यमन के अधीन था । प्रारंभ में भारतीय रि‍ज़र्व बैंक ने चयनि‍त वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए लि‍खतवार वह सीमा नि‍र्धारि‍त की थी जहां तक वि‍शि‍ष्ट लि‍खत के जरि‍ए वि‍त्तीय संस्थाएं संसाधन जुटा सकती थीं। मई 1997 में लि‍खतवार अधि‍कतम सीमा के स्थान पर "अंब्रेला सीमा" नि‍र्धारि‍त की गयी जो संबंधि‍त वि‍त्तीय संस्था की `नि‍वल स्वाधि‍कृत नि‍धि‍' से संबद्ध थी और जो नि‍र्दि‍ष्ट लि‍खत के जरि‍ए वि‍त्तीय संस्था द्वारा उधार लेने के लि‍ए समग्र अधि‍कतम सीमा थी। `अंब्रेला सीमा' की प्रणाली अब भी लागू है, हालांकि‍ पि‍छले वर्षों में इस सीमा के अंतर्गत कुछ अति‍रि‍क्त लि‍खतों को शामि‍ल कि‍या गया है । `अंब्रेला सीमा' में वर्तमान में पांच लि‍खत शामि‍ल हैं - अर्थात् मीयादी जमा, मीयादी मुद्रा उधार, जमा प्रमाण पत्र (सीडी), वाणि‍ज्यि‍क पत्र और अंतर-कंपनी जमा (आइसीडी)। इन वि‍नि‍र्दि‍ष्ट लि‍खतों के जरि‍ए जुटाये जानेवाले कुल उधार कभी भी संबंधि‍त वि‍त्तीय संस्था के नवीनतम लेखा परीक्षि‍त तुलन पत्र के अनुसार नि‍वल स्वाधि‍कृत नि‍धि‍ के 100 प्रति‍शत अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एकल वित्तीय संस्था के लिए अनुमोदित राशि से अधि‍क नहीं होने चाहि‍ए। इनमें से प्रत्येक लि‍खत से संबंधि‍त शर्तें नीचे दी गयी हैं :

2.1 मीयादी जमा

मद

अनुदेश

कुल राशि‍

वि‍त्तीय संस्था भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा नि‍श्चि‍त की गयी समग्र अंब्रेला सीमा के अंदर मीयादी जमाराशि‍यां स्वीकार कर सकती है अर्थात् अन्य लि‍खतों, जैसे मीयादी मुद्रा, वाणि‍ज्यि‍क पत्र, जमा प्रमाण पत्र और अंतर-कंपनी जमा के साथ मीयादी जमा, अद्यतन लेखा परीक्षि‍त तुलनपत्र के अनुसार, उसकी नि‍वल स्वाधि‍कृत नि‍धि‍यों के 100 प्रति‍शत से अधि‍क नहीं होने चाहि‍ए।

परि‍पक्वता अवधि‍

1 से 5 वर्ष

ब्याज दर

वि‍त्तीय संस्थाएं ब्याज दर नि‍श्चि‍त करने के लि‍ए स्वतंत्र हैं

न्यूनतम जमाराशि‍याँ

रु. 10,000/-

दलाली

स्वीकृत जमाराशि‍यों का 1 प्रति‍शत

परि‍पक्वता अवधि‍ पूर्व आहरण

i) जमाकर्ता के नि‍धन, मेडि‍कल अनि‍वार्यता, शैक्षि‍क व्यय तथा अन्य ऐसे कारणों से एक वर्ष पूर्ण होने से पहले परि‍पक्वता अवधि‍ पूर्व आहरण के मामले में नि‍म्नलि‍खि‍त मानदंड लागू कि‍या जाये :

(क) छह महीने पहले परि‍पक्वता अवधि‍ पूर्व आहरण - कुछ भी ब्याज न दि‍या जाये

(ख) छह महीने और एक वर्ष के बीच परि‍पक्वता अवधि‍ पूर्व आहरण - अनुसूचि‍त वाणि‍ज्य बैंकों के लि‍ए भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा नि‍र्दि‍ष्ट की गई बचत बैंक दर से अधि‍क ब्याज दर न दी जाये।

(ii) 1 वर्ष से अधि‍क के लि‍ए, वि‍त्तीय संस्थाएं, जमाराशि‍यों के परि‍पक्वता अवधि‍ पूर्व आहरण पर उनकी अपनी दंडस्वरूप ब्याज दर नि‍श्चि‍त करने के लि‍ए स्वतंत्र हैं।

रेटिंग

सेबी द्वारा अनुमोदि‍त रेटिंग एजेन्सि‍यों से रेटिंग अनि‍वार्य है।

अन्य शर्तें

स्वीकृत मीयादी जमाराशि‍यों पर वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा कोई भी ऋण प्रदान नहीं कि‍या जाना चाहि‍ए।

2.2 मीयादी मुद्रा उधार

मद

अनुदेश

कुल राशि‍

वि‍त्तीय संस्था भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा नि‍श्चि‍त की गयी समग्र अंब्रेला सीमा के अंदर मीयादी मुद्रा जुटा सकती है अर्थात् अन्य लि‍खतों, जैसे मीयादी जमा, वाणि‍ज्य पत्र, जमा प्रमाण पत्र और अंतर-कंपनी जमा के साथ मीयादी मुद्रा उधार, अद्यतन लेखा परीक्षि‍त तुलनपत्र के अनुसार, उसकी नि‍वल स्वाधि‍कृत नि‍धि‍यों के 100 प्रति‍शत से अधि‍क नहीं होने चाहि‍ए।

परि‍पक्वता अवधि‍

3 महीने से कम नहीं और 6 महीने से अधि‍क नहीं

ब्याज दर

वि‍त्तीय संस्थाओं को ब्याज दर नि‍श्चि‍त करने की स्वतंत्रता है।

उधार कि‍ससे

वि‍त्तीय संस्थाएं अनुसूचि‍त वाणि‍ज्य बैंकों और सहकारी बैंकों से ही `मीयादी मुद्रा' उधार लेने के लि‍ए पात्र हैं।

2.3 जमा प्रमाण पत्र (सीडी)

मद

अनुदेश

पात्रता

जमा प्रमाण पत्र उन चयनि‍त अखि‍ल भारतीय वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा जारी कि‍ये जा सकते हैं जि‍न्हें भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा नि‍श्चि‍त की गयी अंब्रेला सीमा के अंदर अल्पावधि‍ संसाधन जुटाने के लि‍ए भारतीय रि‍ज़र्व बैंक ने अनुमति‍ दी है।

कुल राशि‍

वि‍त्तीय संस्था भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा नि‍श्चि‍त की गयी समग्र अंब्रेला सीमा के अंदर जमा प्रमाण पत्र जारी कर सकती है, अर्थात् अन्य लि‍खतों जैसे मीयादी मुद्रा, मीयादी जमा, वाणि‍ज्य पत्र और अंतर कंपनी जमा सहि‍त जारी कि‍ये जानेवाले जमा प्रमाण पत्र, अद्यतन लेखा परीक्षि‍त तुलन पत्र के अनुसार, उसकी नि‍वल स्वाधि‍कृत नि‍धि‍यों के 100 प्रति‍शत से अधि‍क नहीं होने चाहि‍ए।

मूल्य वर्ग

जमा प्रमाण पत्र की न्यूनतम राशि‍ एक लाख रुपये होनी चाहि‍ए अर्थात् एकल अभि‍दाता से स्वीकार की जा सकने वाली न्यूनतम जमाराशि‍ 1 लाख रुपये से कम नहीं होनी चाहि‍ए। जारी कि‍ये जानेवाले जमा प्रमाण पत्र 1 लाख रुपये के गुणजों में होंगे।

कौन अभि‍दान कर सकता है ?

जमा प्रमाण पत्र एकल व्यक्ति‍यों (अवयस्कों को छोड़कर), नि‍गमों, कंपनि‍यों, न्यासों, नि‍धि‍यों, संघों आदि‍ को जारी कि‍ये जा सकते हैं । अनि‍वासी भारतीय भी जमा प्रमाण पत्रों में अभि‍दान कर सकते हैं लेकि‍न, केवल अप्रत्यावर्तनीय आधार पर और इस बात का प्रमाणपत्र पर स्पष्टत: उल्लेख कि‍या जाए। ऐसे जमा प्रमाणपत्र अनुषंगी बाज़ार में कि‍सी दूसरे अनि‍वासी भारतीय को परांकि‍त नहीं कि‍ए जा सकते हैं।

परि‍पक्वता अवधि‍

वि‍त्तीय संस्थाएं जारी करने की तारीख से 1 वर्ष से अन्यून अवधि‍ और 3 वर्ष से अनधि‍क अवधि‍ के लि‍ए जमा प्रमाण पत्र जारी कर सकती हैं ।

बट्टा/कूपन दर - स्थि‍र और अस्थि‍र

जमा प्रमाण पत्र अंकि‍त मूल्य पर बट्टा काटकर जारी कि‍ये जाने चाहि‍ए, परंतु उन्हें कूपन युक्त लि‍खत के रूप में भी जारी कि‍या जा सकता है। वि‍त्तीय संस्थाओं को अस्थि‍र दर के आधार पर प्रमाण पत्र जारी करने की अनुमति‍ है, बशर्ते अस्थि‍र दर नि‍र्धारि‍त करने की पद्धति‍ वस्तुनि‍ष्ठ, पारदर्शी तथा बाज़ार आधारि‍त हो।
वि‍त्तीय संस्थाएं बट्टा/कूपन दर नि‍र्धारि‍त करने के लि‍ए स्वतंत्र हैं ।

फार्मेट

वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा जमा प्रमाण पत्र केवल अमूर्त (डि‍मटेरि‍अलाइज़ड) रूप में ही जारी कि‍ये जाने चाहि‍ए । तथापि‍, डि‍पॉजि‍टरीज एक्ट, 1996 के अनुसार नि‍वेशकों को प्रमाण पत्र भौति‍क रूप में प्राप्त करने का वि‍कल्प है । तदनुसार, यदि‍ नि‍वेशक भौति‍क रूप में प्रमाण पत्र का आग्रह करे तो वि‍त्तीय संस्था ऐसे प्रमाण पत्र भौति‍क रूप में जारी कर सकती है, परंतु ऐसे प्रसंगों की मुख्य महाप्रबंधक, वि‍त्तीय बाज़ार वि‍भाग, भारतीय रि‍ज़र्व बैंक केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई-400001 को अलग से सूचना देनी होगी ।

अंतरणीयता

भौति‍क जमा प्रमाणपत्रों को परांकन तथा सुपुर्दगी द्वारा मुक्त रूप से अंतरि‍त कि‍या जा सकता है। जमा प्रमाण पत्रों को अन्य डि‍मेट प्रति‍भूति‍यों पर लागू क्रि‍यावि‍धि‍ के अनुसार अंतरि‍त कि‍या जा सकता है । जमा प्रमाण पत्रों के लि‍ए कोई अवरुद्धता अवधि‍ नहीं है ।

ऋण/पुनर्खरीद

वि‍त्तीय संस्था जमा प्रमाण पत्रों पर न तो ऋण प्रदान कर सकती हैं और न ही अपने जमा प्रमाण पत्रों की परि‍पक्वता अवधि‍ से पहले पुनर्खरीद कर सकती हैं।

मानकीकृत बाज़ार प्रथाएँ और प्रलेखीकरण

इस संबंध में वि‍त्तीय संस्थाएं नि‍र्धारि‍त आय मुद्रा बाज़ार और व्युत्पन्न (डेरि‍वेटि‍व्ज) संघ (एफआइएमएमडीए) द्वारा 20 जून 2002 को जारी कि‍ए गए समय समय पर संशोधि‍त वि‍स्तृत दि‍शानि‍र्देश देखें।

2.4 वाणि‍ज्य‍ पत्र (सीपी)

मद

अनुदेश

पात्रता

जि‍न अखि‍ल भारतीय वि‍त्तीय संस्थाओं को भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा नि‍श्चि‍त की गयी अंब्रेला सीमा के अंतर्गत संसाधन जुटाने की अनुमति‍ दी गयी है वे वाणि‍ज्य पत्र जारी करने के लि‍ए पात्र हैं।

कुल राशि‍

वि‍त्तीय संस्था भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा नि‍श्चि‍त की गयी अंब्रेला सीमा के अंदर वाणि‍ज्य पत्र जारी कर सकती हैं, अर्थात् अन्य लि‍खतों जैसे मीयादी मुद्रा, मीयादी जमा, जमा प्रमाण पत्र और अंतर कंपनी जमा सहि‍त जारी कि‍ये जानेवाले वाणि‍ज्य पत्र, अद्यतन लेखा परीक्षि‍त तुलन पत्र के अनुसार, उसकी नि‍वल स्वाधि‍कृत नि‍धि‍यों के 100 प्रति‍शत से अधि‍क नहीं होने चाहि‍ए।

जारी करने की अवधि‍

जारी करने हेतु प्रस्तावि‍त वाणि‍ज्यि‍क पत्र की कुल राशि‍ जारीकर्ता द्वारा अभि‍दान के लि‍ए नि‍र्गम खुलने की तारीख से दो सप्ताह की अवधि‍ के भीतर जुटायी जानी चाहि‍ए। वाणि‍ज्यि‍क पत्र एक ही तारीख को या अलग-अलग तारीखों को अंशों में जारी कि‍ये जा सकते हैं, बशर्ते अलग-अलग तारीखों के मामले में प्रत्येक वाणि‍ज्य पत्र की परि‍पक्वता तारीख समान हो।
नवीकरण सहि‍त वाणि‍ज्यि‍क पत्र के प्रत्येक नि‍र्गम को नये नि‍र्गम के रूप में माना जाना चाहि‍ए।

मूल्य वर्ग

वाणि‍ज्यि‍क पत्र 5 लाख रुपये या उसके गुणजों के मूल्यवर्ग में जारी कि‍ये जा सकते हैं । एकल नि‍वेशक द्वारा नि‍वेश की गयी राशि‍ 5 लाख रुपये (अंकि‍त मूल्य) से कम नहीं होनी चाहि‍ए।

जारी करने की प्रक्रिया

  1. प्रत्येक जारीकर्ता वाणिज्य पत्र जारी करने के लिए एक आईपीए नियुक्त करेगा।

  2. जारीकर्ता को मानक बाज़ार व्यवहार के अनुसार संभावित निवेशकों को अपनी अद्यतन वित्तीय स्थिति की जानकारी देनी चाहिए।

  3. निवेशक और जारीकर्ता के बीच सौदे के विनिमय की पुष्टि के बाद जारीकर्ता आईपीए के माध्यम से निक्षेपागार में निवेशक के डी-मैट खाते में वाणिज्य पत्र जमा करने की व्यवस्था करेगा।

  4. जारीकर्ता निवेशक को इस आशय के आईपीए प्रमाणपत्र की प्रतिलिपि देगा कि जारीकर्ता का आईपीए के साथ वैध करार है तथा दस्तावेज सही हैं (अनुसूची II)

रेटिंग संबंधी अपेक्षा

वि‍त्तीय संस्था वाणि‍ज्यि‍क पत्र जारी करने के लि‍ए क्रेडि‍ट रेटिंग सेबी के पास पंजीकृत क्रेडि‍ट रेटिंग एजेंसियों में से किसी एक से प्राप्त करेंगी ।
रेटिंग सिम्बल तथा सेबी द्वारा निर्धारित परिभाषा के अनुसार न्यूनतम क्रेडि‍ट रेटिंग ' ए3' होगी । सीपी के नि‍र्गम के समय नि‍र्गमकर्ता यह सुनि‍श्चि‍त करेंगे कि‍ इस तरह से प्राप्त रेटिंग बनी हुई है तथा उसकी समीक्षा का समय नहीं हुआ है ।

कौन अभि‍दान कर सकता है ?

वाणि‍ज्यि‍क पत्र व्यक्ति‍यों, बैंकिंग कंपनि‍यों, भारत में पंजीकृत अथवा नि‍गमि‍त अन्य कंपनी नि‍कायों तथा अनि‍गमि‍त नि‍कायों, अनि‍वासी भारतीयों (एनआरआइ) तथा वि‍देशी संस्थागत नि‍वेशकों को जारी कि‍ये जा सकते हैं तथा वे उन्हें धारि‍त कर सकते हैं। तथापि‍, वि‍देशी संस्थागत नि‍वेशकों द्वारा कि‍ये जानेवाले नि‍वेश भारतीय प्रति‍भूति‍ तथा एक्सचेंज बोर्ड तथा समय-समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999, विदेशी मुद्रा (जमा) विनियम, 2000 और विदेशी मुद्रा प्रबंध(भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गम) विनियम, 2000 के द्वारा उनके नि‍वेशों के लि‍ए नि‍र्धारि‍त उच्चतम सीमा के भीतर होंगे।

परि‍पक्वता अवधि‍

वाणि‍ज्यि‍क पत्र नि‍र्गम की तारीख से न्यूनतम 7 दि‍नों की तथा अधि‍कतम एक वर्ष की परि‍पक्वता अवधि‍ के बीच की परि‍पक्वताओं के लि‍ए जारी कि‍ये जा सकते हैं । तथापि‍ वाणि‍ज्यि‍क पत्र की परि‍पक्वता अवधि‍, नि‍र्गमकर्ता की क्रेडि‍ट रेटिंग की वैधता की तारीख के आगे नहीं बढ़ायी जानी चाहि‍ए।

बट्टा

वाणि‍ज्यि‍क पत्र अंकि‍त मूल्य पर बट्टे पर जारी कि‍ये जाएं तथा बट्टे की दर वि‍त्तीय संस्था द्वारा नि‍र्धारि‍त की जाए।

अंतरणीयता

भौति‍क स्वरूप में वाणि‍ज्यि‍क पत्र, परांकन तथा सुपुर्दगी द्वारा मुक्त रूप से अंतरणीय होंगे। अमूर्त रूप में वाणि‍ज्यि‍क पत्र की अंतरणीयता एफआइएमएमडीए द्वारा जारी दि‍शानि‍र्देशों द्वारा नि‍यंत्रि‍त होगी।

जारी करने की वि‍धि‍

क. वाणि‍ज्यि‍क पत्र, सेबी द्वारा अनुमोदि‍त तथा सेबी में पंजीकृत कि‍सी भी नि‍क्षेपागार के माध्यम से वचन पत्र या प्रॉमि‍सरी नोट के रूप में अथवा अमूर्त रूप में जारी कि‍ये जाएंगे (जैसाकि इन निदेशों की अनुसूची I में विनिर्दिष्ट किया गया है), बशर्ते कि सभी आरबीआई विनियमित संस्थाएं ऐसे निक्षेपागारों के माध्यम से सीपी का सौदा और धारण केवल अमूर्त रूप में ही कर सकते हैं।

ख. सभी आरबीआई विनियमित संस्थाओं द्वारा नए निवेश केवल अमूर्त रूप में ही किए जाएंगे।

ऋण संवर्धन के लि‍ए गारंटी

बैंकेतर संस्थाएं जि‍नमें कंपनि‍यां शामि‍ल हैं, वाणि‍ज्यि‍क पत्र नि‍र्गम के लि‍ए ऋण संवर्धन हेतु बि‍ना शर्त तथा अप्रति‍संहरणीय गारंटी प्रदान कर सकती हैं, बशर्ते,

  1. नि‍र्गमकर्ता, वाणि‍ज्यि‍क पत्र के नि‍र्गम के लि‍ए नि‍र्धारि‍त पात्रता के मानदंडों को पूरा करता है।

  2. गारंटीदाता को अनुमोदि‍त क्रेडि‍ट रेटिंग एजेंसी द्वारा दी गयी रेटिंग, जारीकर्ता की रेटिंग से कम-से-कम एक स्तर उच्च हो; तथा

  3. वाणि‍ज्यि‍क पत्र के प्रस्ताव दस्तावेज़ में गारंटी देनेवाली कंपनी की नि‍वल संपत्ति‍, उन कंपनि‍यों के नाम, जिन्हें गारंटीदाता ने इसी प्रकार की गारंटि‍यां जारी की हैं, गारंटी देनेवाली कंपनी द्वारा प्रस्तावि‍त गारंटि‍यों की सीमा तथा कि‍न परि‍स्थि‍ति‍यों में गारंटी लागू की जाएगी उन्हें स्पष्टत: प्रकट कि‍या गया हो।

वाणि‍ज्यि‍क पत्र का व्यापार और भुगतान

  1. वाणिज्य पत्र के सभी ओटीसी सौदे एफआईएमएमडीए प्लेटफॉर्म पर सौदा होने के 15 मिनट के भीतर रिपोर्ट किए जाएंगे।

  2. वाणि‍ज्यि‍क पत्र के ओटीसी सौदों का भुगतान नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का समाशोधन गृह, अर्थात् भारतीय राष्ट्रीय प्रतिभूति समाशोधन निगम लिमिटेड (एनएससीसीएल) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का समाशोधन गृह अर्थात् इंडियन क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन लि.(आईसीसीएल) के माध्यम से, एनएससीसीएल तथा आईसीसीएल द्वारा समय समय पर विनिर्दिष्ट मानदंड़ों के आधार पर किया जाएगा।

  3. वाणिज्यिक पत्र में ओटीसी सौदों के लिए भुगतान चक्र टी+0 अथवा टी+1 होगा।

निवेश मोचन

  1. वाणि‍ज्यिक पत्र में निवेशकर्ता (प्राथमिक अभिदाता) आईपीए के माध्यम से जारीकर्ता के खाते में वाणि‍ज्यि‍क पत्र का बट्टागत मूल्य अदा करेगा।

  2. जब वाणि‍ज्य पत्र मूर्त रूप में धारि‍त है, तब निवेशक परि‍पक्वता पर उक्त लि‍खत को आइपीए के जरि‍ए जारीकर्ता को चुकौती के लि‍ए प्रस्तुत करेगा।

  3. अमूर्त रूप में वाणि‍ज्य पत्र धारक वाणि‍ज्य पत्र का मोचन कराएगा तथा आईपीए के जरिए भुगतान प्राप्त करेगा।

वाणि‍ज्य पत्र की वापसी खरीद

क. जारीकर्ता द्वारा निवेशक को बेचे गए वाणिज्य पत्रों की वे परिपक्वता अवधि से पूर्व वापसी खरीद कर सकते हैं।

ख. वाणिज्य पत्र की वापसी खरीद द्वितीयक बाजार के जरिए तथा चालू बाजार दर पर की जाएगी।

ग. वाणिज्य पत्र की वापसी खरीद उसे जारी करने की तारीख से न्यूनतम 7 दिन की अवधि से पूर्व नहीं की जाएगी।

घ. जारीकर्ता की गई वापसी खरीद की सूचना आईपीए को देगा।

ङ वाणिज्य पत्र की वापसी खरीद निदेशक मंडल से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद की जानी चाहिए।

कर्तव्य और दायित्व

जारीकर्ता, आईपीए तथा सीआरए के कर्तव्य और दायित्व नीचे दिए गए हैं:

जारीकर्ता
जारीकर्ता यह सुनिश्चित करेगा कि वाणिज्य पत्र जारी करने के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों और प्रक्रियाओं का कड़ाई से पालन किया गया है।

आईपीए
क. आईपीए यह सुनिश्चित करेगा कि जारीकर्ता के पास न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग है, जैसाकि आरबीआई ने निर्धारित किया है, तथा वाणिज्यिक पत्र जारी कर के जुटाई गई राशि विशिष्ट रेटिंग के लिए सीआरए द्वारा स्पष्ट की गई मात्रा के भीतर अथवा निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित, इनमें से जो भी कम हो, है।

ख. आईपीए यह प्रमाणित करेगा कि उसका जारी कर्ता के साथ वैध करार है (अनुसूची II)

ग. आईपीए यह सतयापित करेगा कि जारीकर्ता द्वारा प्रस्तु सभी दस्तावेज, अर्थात् बोर्ड संकल्प की प्रति, प्राधिकृत निष्पादकों के हस्ताक्षर (जब वाणिज्य पत्र मूर्त रूप में जारी किया जाता है) सही हैं, और इस आशय का प्रमाणपत्र जारी करेगा।

घ. आईपीए द्वारा सत्यापित मूल दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपियां आईपीए की अभिरक्षा में रखी जाएंगी।

ङ. आईपीए के रूप में कार्य करने वाले सभी अनुसूचित बैंक वाणिज्यिक पत्र जारी करने की तारीख से दो दिन के भीतर वाणिज्यिक पत्र जारी करने संबंधी ब्योरा आरबीआई के ऑन-लाइन रिटर्न फाइलिंग सिस्टम (ओआरएफएस) में रिपोर्ट करेंगे।

च. आईपीए वाणिज्यिक पत्र की चुकौती में चूक होने पर तत्काल उसका पूर्ण ब्यौरा मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई-400001 (ई मेल) को उस फॉर्मेट में रिपोर्ट करेगा, जैसा कि इन निदेशों की अनुसूची III में दिया गया है।

छ. आईपीए जारीकर्ता द्वारा वाणिज्यिक पत्र की वापसी खरीद के सभी मौके भी मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई-400001 (ई मेल) को उस फॉर्मेट में रिपोर्ट करेगा, जैसा कि इन निदेशों की अनुसूची IV में दिया गया है।

III. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां

  1. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां पूंजी बाजार लिखतों की रेटिंग करने हेतु सेबी द्वारा सीआरए के लिए बनाई गई आचार-संहिता का पालन करेंगी, जो वाणिज्यिक पत्रों की रेटिंग के लिए भी लागू होगी।

  2. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को रेटिंग की वैधता अवधि का निर्धारण करने का अधिकार होगा, जो कि जारीकर्ता की मजबूती के बारे में उनकी समझ पर निर्भर करेगा; तथा वे रेटिंग के समय वह तारीख स्पष्ट रूप से बताएंगे, जब रेटिंग की समीक्षा की जानी है।

  3. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां नियमित अंतराल पर पिछले कार्य-निष्पादन की तुलना में जारीकर्ताओं को दी गई रेटिंग पर निगरानी रखेंगे तथा अपने प्रकाशनों और वेब-साइट के जरिए रेटिंग में संशोधन को सार्वजनिक करेंगे।

वाणि‍ज्यि‍क पत्र नि‍र्गम की हामीदारी/सह-स्वीकृति‍

कि‍सी भी जारीकर्ता के पास हामीदारीकृत अथवा सह-स्वीकृत वाणि‍ज्यि‍क पत्र का नि‍र्गम नहीं होगा ।

प्रलेखीकरण की प्रक्रिया

  1. वाणिज्यिक पत्रों के लिए मानकीकृत क्रिया-विधि तथा प्रलेखीकरण का निर्धारण भारतीय नियत आय मुद्रा बाज़ार और व्युत्पन्नी संघ (एफआईएमएमडीए) के साथ परामर्श कर के अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुसार किया गया है।

  2. जारी कर्ता/आईपीए समय समय पर भारतीय रिझ़र्व बैंक के अनुमोदन से एफआईएमएमडीए द्वारा जारी परिचालनगत दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे।

2.5 अंतर कंपनी जमाराशि‍यां (आईसीडी)

भारतीय रि‍ज़र्व बैंक ने वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा अंतर कंपनी जमाराशि‍यों (आइसीडी) के माध्यम से संसाधन जुटाने के लि‍ए कोई मानदंड नि‍र्धारि‍त नहीं कि‍ये हैं। तथापि‍, जि‍न वि‍त्तीय संस्थाओं का कंपनी अधि‍नि‍यम 1956 के अंतर्गत कंपनी के रूप में वि‍न्यास हुआ है, वे उक्त अधि‍नि‍यम के अंतर्गत अनुमति‍ के अनुसार अंतर कंपनी जमाराशि‍यां जारी करने के लि‍ए पात्र हैं। अंतर कंपनी जमाराशि‍यों के माध्यम से जुटाये गयी राशि‍ भारतीय रि‍ज़र्व बैंक द्वारा नि‍र्धारि‍त समग्र अंब्रेला सीमा के भीतर होनी चाहि‍ए। इस प्रकार अन्य लि‍खतों जैसे मीयादी मुद्रा, मीयादी जमा, जमा प्रमाणपत्र (सीडी) तथा वाणि‍ज्य पत्र (सीपी) सहि‍त अंतर कंपनी जमाराशि‍यां का नि‍र्गम, लेखा परीक्षा कि‍ये गये अद्यतन तुलन पत्र के अनुसार उसकी नि‍वल स्वाधि‍कृत नि‍धि‍यों के 100 प्रति‍शत से अधि‍क नहीं होना चाहि‍ए ।

3. बांडों/डि‍बेंचरों के नि‍र्गम संबंधी मानदंड

3.1 वि‍त्तीय संस्थाओं को बांडों के नि‍र्गम से, चाहे सार्वजनि‍क नि‍र्गम अथवा नि‍जी तौर पर शेयरों के आबंटन द्वारा हों, संसाधन जुटाने के लि‍ए नि‍म्नलि‍खि‍त शर्तों को पूर्ण करने के अधीन रि‍ज़र्व बैंक का नि‍र्गम-वार पूर्वानुमोदन/पंजीकरण मांगने की आवश्यकता नहीं है :

  1. बांड की न्यूनतम परि‍पक्वता अवधि‍ 3 वर्ष होनी चाहि‍ए;

  2. खरीद /वि‍क्रय अथवा दोनों वि‍कल्प वाले बांडों के संबंध में, वह वि‍कल्प बांड के नि‍र्गम की तारीख से एक वर्ष समाप्त होने के पूर्व प्रयोज्य नहीं होना चाहि‍ए;

  3. नि‍र्गम की तारीख से एक वर्ष समाप्त होने से पूर्व बांड पर `एक्ज़ि‍ट' वि‍कल्प प्रस्तावि‍त नहीं कि‍या जाना चाहि‍ए ।

3.2 वि‍त्तीय संस्था द्वारा कि‍सी वि‍शि‍ष्ट समय पर जुटाये गये कुल संसाधन, जि‍नमें रि‍ज़र्व बैंक द्वारा नि‍र्धारि‍त `अम्ब्रेला' सीमा के अंतर्गत जुटायी गयी नि‍धि‍यां शामि‍ल हैं, का बकाया उसके नवीनतम लेखा परीक्षि‍त तुलन पत्र के अनुसार उसकी नि‍वल स्वाधि‍कृत नि‍धि‍यों के 10 गुना अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एकल वित्तीय संस्था के लिए अनुमोदित राशि से अधि‍क नहीं होना चाहि‍ए

3.3 संसाधन जुटाने के लि‍ए नि‍र्धारि‍त सीमा, केवल एक समर्थकारी व्यवस्था है । वि‍त्तीय संस्थाओं को सूचि‍त कि‍या जाता है कि‍ वे अपनी संसाधनों की आवश्यकताओं तथा परि‍पक्वता ढांचा तथा उस पर प्रस्तावि‍त ब्याज की गणना वास्तवि‍क आधार पर करें, जि‍से अन्य बातों के साथ-साथ एएलएम/जोखि‍म प्रबंधन की स्वस्थ प्रणाली से व्युत्पन्न कि‍या गया हो ।

3.4 वि‍त्तीय संस्थाओं को अस्थि‍र दर बांड के मामले में चयनि‍त `संदर्भ दर' तथा अस्थि‍र दर नि‍र्धारण की पद्धति‍यों के संबंध में रि‍ज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना चाहि‍ए। बाद के अलग-अलग नि‍र्गमों के लि‍ए तब तक उक्त अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी जब तक आधार संदर्भ दर तथा अस्थि‍र दर नि‍र्धारण की पद्धति‍ अपरि‍वर्ति‍त बनी रहती है ।

3.5 वि‍त्तीय संस्थाओं को अन्य वि‍नि‍यामक प्राधि‍करण, जैसे सेबी आदि‍ के वि‍वेकपूर्ण मानदंडों का अनुपालन भी करना चाहि‍ए ।

3.6 वि‍त्तीय संस्थाओं को चाहि‍ए कि‍ वे जुटाये गये संसाधनों के ब्यौरों के मासि‍क वि‍वरण अनुबंध 3 तथा 4 में दि‍ये गये फॉर्मेट में भारतीय रि‍ज़र्व बैंक को प्रस्तुत करें। महीने के अंत की स्थि‍ति‍ को दर्शाने वाले वि‍वरण, दूसरे महीने के 10वें दि‍न अथवा उसके पूर्व प्रस्तुत कि‍ये जाने चाहि‍ए। बांड के सार्वजनि‍क नि‍र्गम से संबंधि‍त ब्यौरे उस महीने के वि‍वरण में शामि‍ल कि‍ये जाएं जि‍समें संबंधि‍त नि‍र्गम बंद हुआ है ।

3.7 यह वि‍वरण मुख्य महाप्रबंधक, वि‍त्तीय संस्था प्रभाग, बैंकिंग परि‍चालन और वि‍कास वि‍भाग, भारतीय रि‍ज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 13वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, फोर्ट, मुंबई - 400 001 को भेजें।फैक्स सं. 22701238 ।


अनुबंध 4

मास्टर परि‍पत्र में समेकि‍त परि‍पत्रों की सूची

क्र.

परि‍पत्र सं.

दि‍नांक

वि‍षय

1.

एफआइसी सं. 817/01.02.00/ 95-96

27.05.1996

वि‍त्तीय संस्थाओं के अल्पावधि‍ उधार

2.

सीपीसी 2774/07.01.279(वि‍सं)/96-97

03.05.1997

वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा संसाधन जुटाना

3.

बैंपवि‍. एफआइडी. सं. 28/ 01.02.00/97-98

26.03.1998

वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा बांड नि‍र्गम से संसाधन जुटाना

4.

बैंपवि‍. एफआइडी. सं. 30/ 01.02.00/98-99

09.07.1998

एआइएफआइ द्वारा बांड के नि‍र्गम पर स्थायी समि‍ति‍ - उसका गठन

5.

बैंपवि‍. एफआइडी. सं. 33/ 09.01.02/98-99

14.11.1998

वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा संसाधन जुटाना - नि‍जी तौर पर आबंटन करके बांड जारी करना

6.

बैंपवि‍. एफआइडी. सं. सी-21/ 09.01.02./99-2000

21.06.2000

अखि‍ल भारतीय वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा संसाधन जुटाना

7.

बैंपवि‍. एफआइडी. सं. सी-6/ 09.01.02./2000-01

10.10.2000

मुद्रा बाज़ार में गति‍वि‍धि‍यां -मीयादी जमाराशि‍यों की रेटिंग

8.

बैंपवि‍. एफआइडी. सं. सी-12 / 01.02.00/2000-01

05.12.2000

अखि‍ल भारतीय वि‍त्तीय संस्थाओं द्वारा संसाधन जुटाना - मासि‍क वि‍वरणि‍यां

9.

औनि‍ऋवि‍. 2 /08.15.01/2001-02

23.07.2001

वाणि‍ज्यि‍क पत्र जारी करने के लि‍ए दि‍शा-नि‍र्देश

10.

बैंपवि‍.एफआइडी. सं. सी-4/ 01.02.00/2001-02

28.08.2001

लि‍खतों को अमूर्त रूप में रखना

11.

बैंपवि‍.एफआइडी. सं. सी-15 01.02.00/2001-02

29.04.2002

जमा प्रमाणपत्रों को अमूर्त रूप में जारी करना

12.

बैंपवि‍.एफआइडी. सं. सी-18/ 01.02.00/2000-01

20.06.2002

जमा प्रमाणपत्र - न्यूनतम तथा बहुवि‍ध अपेक्षाएं

13.

बैंपवि‍.एफआइडी. सं. सी-9/ 01.02.00/2002-03

25.11.2002

मौद्रि‍क तथा ऋण नीति‍, 2002-03 की मध्यावधि‍ समीक्षा -जमा प्रमाणपत्र

14.

बैंपवि‍.एफआइडी. सं. सी-6/ 01.02.00/2003-04

06.08.2003

वाणि‍ज्यि‍क पत्र जारी करने के लि‍ए दि‍शा-नि‍र्देश

15.

मौनीवि‍.245/07.01.279/2003-04

05.01.2004

मीयादी जमाराशि‍यां: समयपूर्व आहरण

16.

मौनि‍वि‍. 254/07.01.279/2004-05

12.07.2004

जमा प्रमाणपत्र जारी करने संबंधी दि‍शानि‍र्देशों पर मास्टर परि‍पत्र

17.

मौनि‍वि‍.258/07.01.279/2004-05

26.10.2004

वाणि‍ज्यि‍क पत्र जारी करने के लि‍ए दि‍शानि‍र्देश

18.

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.एफआइसी.1/01.02.00/2006-07

01.07.2006

मास्टर परि‍पत्र - वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

19.

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.एफआइसी.1/
01.02.00/2007-08

02.07.2007

मास्टर परि‍पत्र - वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

20

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.एफआइसी.1/
01.02.00/2008-09

01.07.2008

मास्टर परि‍पत्र - वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

21

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी. 8909/09
01.02/2008-09

08.12.2008

वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

22

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी. 8911/09
01.02/2008-09

08.12.2008

वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

23

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी. 8912/09
01.02/2008-09

08.12.2008

वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

24

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी. 9045/09
01.02/2008-09

08.12.2008

वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

25

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.11379/09
01.02/2008-09

15.01.2009

अम्ब्रेला सीमा में छूट

26.

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी. एफआइसी. 1/01.02.00/2009-10

01.07.2009

मास्टर परि‍पत्र - वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

27.

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.11357/09
01.02/2009-10

01.02.2010

वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

28.

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.11358/09
01.02/2009-10

01.02.2010

वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

29.

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.11359/09
01.02/2009-10

01.02.2010

वि‍त्तीय संस्थाओं के लि‍ए संसाधन जुटाने संबंधी मानदंड

30.

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.No.5539/03.27.29/2010-11

05.10.2010

उधार सीमा-एनएचबी द्वारा वृद्धि के लिए अनुरोध

31.

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.13940/03.27.29/2010-11

08.03.2011

कुल बकाया संसाधनों की निर्धारित सीमा में छूट

32.

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.19202/03.27.12/2010-11

13.06.2011

अम्ब्रेला सीमा के अंतर्गत संसाधन जुटाना

33.

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.19204/03.01.06/2010-11

13.06.2011

अम्ब्रेला सीमा के अंतर्गत संसाधन जुटाना

34.

बैंपवि‍वि‍.एफआइडी.19205/03.01.11/2010-11

13.06.2011

अम्ब्रेला सीमा के अंतर्गत संसाधन जुटाना

35.

आंऋप्रवि.पीसीडी.1284/14.01.02/2012-13

16.10.2012

अधिसूचना: रिज़र्व बैंक वाणिज्य पत्र निदेश, 2012

 
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