भारिबैं/2016-17/9
विसविवि.जीएसएसडी.केंका.बीसी.सं.07/09.01.01/2016-17
01 जुलाई, 2016
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
महोदय / महोदया
मास्टर परिपत्र - दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम)
कृपया आप 30 जुलाई 2015 का मास्टर परिपत्र विसविवि.जीएसएसडी.केंका.बीसी.सं.09/09.01.01/2015-16, देंखें जिसमें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के संबंध में बैंकों को जारी दिशानिर्देश / अनुदेश / निदेश संकलित किए गए हैं । ग्रामीण विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास विभाग, भारत सरकार ने अपने दिनांक 29 मार्च 2016 के पत्र द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) का नाम दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) के रूप में बदल दिया है । इस मास्टर परिपत्र में 30 जून 2016 तक डीएवाई - एनआरएलएम पर जारी अनुदेशों को समाविष्ट करते हुए, जिन्हे परिशिष्ट के रूप में सूचीबध्द किया गया है, उसे यथोचित रूप से अद्यतन किया गया है और रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (http://www.rbi.org.in) पर भी डाला गया है।
कृपया प्राप्ति सूचना दें।
मास्टर परिपत्र की प्रति संलग्न है ।
भवदीया
(उमा शंकर)
मुख्य महाप्रबंधक
अनुलग्नक : यथोक्त
मास्टर परिपत्र
दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम)
1. पृष्ठभूमि
1.1. ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2013 से स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) की पुनर्संरचना करते हुए उसके स्थान पर दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) नामक नया कार्यक्रम प्रारंभ किया है। इसके बारे में विस्तृत “दिशानिर्देश” दिनांक 27 जून 2013 के रिज़र्व बैंक के परिपत्र ग्राआऋवि.जीएसएसडी.केंका.सं.81/09.01.03/2012-13 द्वारा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को परिचालित किए गए हैं।
1.2. डीएवाई - एनआरएलएम भारत सरकार का गरीबों, विशेष रूप से महिलाओं की मजबूत संस्थाओं के निर्माण के माध्यम से गरीबी कम करने को बढ़ावा देने, और कई वित्तीय सेवाओं और आजीविका सेवाओं का उपयोग कर पाने के लिए इन संस्थाओं को सक्षम बनाने संबंधी प्रमुख कार्यक्रम है। डीएवाई - एनआरएलएम एक अत्यंत गहन कार्यक्रम के रूप में बनाया गया है और इसमें गरीबों को कार्यात्मक प्रभावी समुदाय के स्वामित्व वाली संस्थाओं में जुटाने, उनके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और उनकी आजीविका को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से मानवी और भौतिक संसाधनों के गहन प्रयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है। डीएवाई - एनआरएलएम गरीबों की सेवाओं के इन संस्थागत प्लेटफार्मों का पूरक है जिनमें वित्तीय और पूंजी सेवाएं देना, उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने वाली सेवाएं, प्रौद्योगिकी, ज्ञान, कौशल और इनपुट, बाजार संबद्धता, आदि शामिल है। समुदाय संस्थाएं गरीबों को अपने अधिकारों और हकों और सार्वजनिक सेवा का उपयोग करने के लिए समभिरुपता और विभिन्न हितधारकों के साथ साझेदारी का वातावरण निर्मित करते हुए एक मंच भी प्रदान करती हैं।
1.3 आपसी समानता के आधार पर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह का एक साथ आना डीएवाई - एनआरएलएम समुदाय संस्थागत डिजाइन का प्राथमिक आधार है। डीएवाई - एनआरएलएम का ध्यान स्वयं सहायता समूहों और गांवों एवं उच्च स्तरों पर उनके फेडरेशनों सहित गरीब महिलाओं के संस्थानों के निर्माण, पोषण और सुदृढ़ीकरण पर केंद्रित है। इसके अलावा, डीएवाई - एनआरएलएम में ग्रामीण गरीबों की आजीविका संस्थाओं को बढ़ावा दिया जाएगा। उक्त मिशन द्वारा गरीबों के संस्थानों के प्रति घोर गरीबी से ऊपर उठने तक 5-7 साल की अवधि के लिए एक सतत मदद का हाथ (सहायता प्रदान करना) बढ़ाया जाएगा। डीएवाई - एनआरएलएम के तहत बनी समुदाय संस्थागत संरचना द्वारा एक बहुत लंबी अवधि के लिए और अधिक गहनता से समर्थन प्रदान किया जाएगा।
1.4 डीएवाई - एनआरएलएम समर्थन में निम्नलिखित शामिल हैं - स्वयं सहायता समूहों के चहुमुखी क्षमता निर्माण जिसमें यह सुनिश्चित हो कि उक्त समूह अपने सदस्यों के चिंता के विषयों पर प्रभावी ढ़ंग से कार्य करता है, वित्तीय प्रबंधन, कमजोरियों और उच्च लागतवाली ऋणग्रस्तता को दूर करने के लिए उन्हें प्रारंभिक कोष समर्थन प्रदान करता है, एसएचजी फेडरेशन का गठन और पोषण करता है, फेडरेशन को मजबूत समर्थन संगठनों के रूप में विकसित करता है, गरीबों की आजीविका चिरस्थाई बनाता है, आजीविका संगठनों का गठन एवं पोषण करता है, या स्वयं उद्यम का कार्य करने या संगठित क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए ग्रामीण युवाओं का कौशल विकास करना जिससे इन संस्थानों को प्रमुख विभागों, आदि से उनके हकों तक पहुंच प्रदान करने के लिए सक्षमता प्राप्त हो।
1.5 डीएवाई - एनआरएलएम का कार्यान्वयन 1 अप्रैल 2013 से एक मिशन मोड का है। डीएवाई - एनआरएलएम में राज्यों को अपने राज्यों की विशिष्ट गरीबी निर्मूलन कार्य योजना तैयार करने के लिए सक्षम बनाने के लिए एक मांग आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाता है। डीएवाई - एनआरएलएम से राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों को राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर के उनके मानव संसाधनों को व्यावसायिक बना लेने की सक्षमता प्राप्त होती है। उक्त राज्य मिशनों को ग्रामीण गरीबों को विविध प्रकार की उच्च गुणवत्ता वाली सेवा देने के लिए सक्षमता प्रदान की जाती है। डीएवाई - एनआरएलएम निम्न बातों पर जोर देता है - निरंतर क्षमता निर्माण, गरीबों को आवश्यक कौशल और आजीविका के संगठित क्षेत्र में उभरने वाले अवसरों सहित आजीविका के अवसर प्रदान करना और गरीबी में कमी के परिणामों के लक्ष्यों के मुकाबले निगरानी करना। ऐसे ब्लॉक और जिले गहन ब्लॉक और जिले होंगे जिनमें डीएवाई - एनआरएलएम के सभी घटकों को चाहे एसआरएलएम या साझेदारी संस्थाओं या गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा, जबकि शेष होंगे गैर- गहन ब्लॉक और जिले। गहन जिलों का चयन भौगोलिक जनसांख्यिकीय वलनरेबिलिटी के आधार पर राज्यों के द्वारा किया जाएगा। यह कार्य अगले 7 – 8 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। देश के सभी ब्लॉक एक समयांतर में गहन ब्लॉक बन जाएंगे। डीएवाई - एनआरएलएम की मुख्य विशेषताएं अनुबंध I में दी गई हैं। एसजीएसवाई से प्रमुख अंतर अनुबंध II में प्रस्तुत है।
2. महिला स्वयं सहायता समूह और उनके फेडरेशन
2.1 डीएवाई - एनआरएलएम के तहत महिला स्वयं सहायता समूह 10-15 व्यक्तियों का होता है। विशेष एसएचजी जैसे दुर्गम क्षेत्रों, विकलांग व्यक्ति युक्त समूहों और दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में बने समूहों के मामले में यह संख्या न्यूनतम 5 व्यक्तियों की हो सकती है।
2.2 डीएवाई - एनआरएलएम में समानता आधारित महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा दिया जाएगा।
2.3 केवल विकलांग व्यक्तियों और अन्य विशेष श्रेणियों जैसे बुजुर्गों, विपरीतलिंगी के साथ गठित समूहों के लिए डीएवाई - एनआरएलएम में स्वयं सहायता समूहों में पुरुष और महिलाएं दोनों होंगे।
2.4 एसएचजी एक अनौपचारिक समूह होता है और इसके लिए किसी सोसायटी अधिनियम, राज्य सहकारी अधिनियम या एक साझेदारी फर्म के अंतर्गत पंजीकरण अनिवार्य नहीं है देखें 24 जुलाई 1991 का परिपत्र ग्राआऋवि.सं.प्लान बीसी 13/ पीएल-09.22/ 90-91। हालांकि, गांव स्तर, क्लस्टर स्तर, और उच्च स्तर पर गठित स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशनों को उनके अपने-अपने राज्य में प्रचलित उचित अधिनियमों के तहत पंजीकृत किया जाना चाहिए।
स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता
3. परिक्रामी (रिवाल्विंग) फंड (आरएफ): डीएवाई - एनआरएलएम 3/6 महीने की एक न्यूनतम अवधि के लिए अस्तित्व में रहने वाले और एक अच्छी एसएचजी के मानदंडों अर्थात् पंच सूत्रों - नियमित बैठकें करना, नियमित बचत करना, नियमित रूप से आंतरिक उधार देना, नियमित रूप से वसूली करना और खाता बहियों का उचित रखरखाव करना, का पालन करनेवाले स्वयं सहायता समूहों को परिक्रामी निधि (आरएफ) का समर्थन प्रदान करेगा। केवल ऐसे स्वयं सहायता समूहों, जिन्हें पहले कोई आरएफ प्राप्त नहीं हुआ है, को ही प्रति एसएचजी, कोष के रूप में, न्यूनतम ₹10,000 और अधिकतम ₹15,000 तक आरएफ प्रदान किया जाएगा। आरएफ का उद्देश्य उनकी संस्थागत और वित्तीय प्रबंधन क्षमता को मजबूत बनाना और समूह के भीतर एक अच्छी साख इतिहास का निर्माण करना है।
4. डीएवाई - एनआरएलएम के तहत पूंजी सब्सिडी को बंद कर दिया गया है :
किसी भी स्वयं सहायता समूह को डीएवाई - एनआरएलएम के कार्यान्वयन की तारीख से कोई पूंजी सब्सिडी स्वीकृत नहीं की जाएगी।
5. सामुदायिक निवेश समर्थन कोष (सीआईएफ)
गहन ब्लॉकों में स्थित स्वयं सहायता समूहों को ग्राम स्तर / क्लस्टर स्तर के फेडरेशन के माध्यम से सीआईएफ उपलब्ध कराया जाएगा जिसे फेडरेशन द्वारा निरंतर रूप से बनाए रखा जाना होगा। फेडरेशन उक्त सीआईएफ को स्वयं सहायता समूहों को ऋण प्रदान करने के लिए और / या सामान्य / सामूहिक सामाजिक - आर्थिक गतिविधियां करने के लिए उपयोग में लाएगा।
6. ब्याज सबवेंशन लागू करना :
महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों द्वारा बैंकों / वित्तीय संस्थाओं से लिए जानेवाले सभी क्रेडिट पर प्रति एसएचजी अधिकतम ₹3,00,000 के लिए बैंकों की उधार दर और 7 प्रतिशत के बीच के अंतर को कवर करने के लिए डीएवाई - एनआरएलएम में ब्याज दर सबवेंशन का प्रावधान है। देश भर में यह दो प्रकारों में उपलब्ध होगा:
i. पहचान किए गए 150 जिलों में बैंक महिला स्वयं सहायता समूहों को ₹3,00,000/- तक की एकीकृत (aggregated) ऋण राशि तक 7 प्रतिशत की दर पर उधार देंगे। स्वयं सहायता समूहों को शीघ्र भुगतान करने पर 3 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन भी प्राप्त होगा जिससे ब्याज की प्रभावी दर घटकर 4 प्रतिशत हो जाएगी।
ii. शेष जिलों में भी, डीएवाई - एनआरएलएम का पालन करनेवाले महिला स्वयं सहायता समूहों को एसआरएलएम के साथ पंजीकृत किया जाएगा। ये स्वयं सहायता समूह 3 लाख रुपये तक के ऋण के लिए उधार संबंधी दरों और 7 प्रतिशत के बीच अंतर की सीमा तक ब्याज सबवेंशन के पात्र हैं, जो संबंधित एसआरएलएम द्वारा निर्धारित मानदंडों की शर्त पर होगा। योजना के इस भाग को एसआरएलएम द्वारा परिचालित किया जाएगा।
(21 जनवरी 2016 को एक अलग परिपत्र सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को जारी किया गया जिसमें पहचान किए गए 150 जिलों की सूची के साथ वर्ष 2015-16 के लिए ब्याज सबवेंशन और देश भर में उसके संचालन संबंधी विस्तृत दिशानिर्देश शामिल किए गए थे तथा अलग पत्र कुछ निजी क्षेत्र के बैंकों को जारी किये गये। इस योजना की प्रमुख विशेषताएं और कार्यान्वयन की प्रक्रिया अनुबंध III में संलग्न हैं। बाद के वर्षों के लिए ब्याज सबवेंशन पर भारत सरकार / भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकों को अलग से सूचित किया जाएगा।)
7. बैंकों की भूमिका :
7.1 बचत खाते खोलना : बैंकों की भूमिका सभी महिला स्वयं सहायता समूहों, विकलांग के सदस्यों वाले स्वयं सहायता समूहों और स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन के लिए खाते खोलने के साथ शुरू हो जाएगी। ग्राहकों की पहचान के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट प्रकार से 'अपने ग्राहक को जानिए' (केवाईसी) मानदंड लागू होंगे।
7.2 उधार संबंधी मानदंड :
7.2.1 ऋण का लाभ उठाने हेतु स्वयं सहायता समूहों के लिए पात्रता मानदंड
-
स्वयं सहायता समूहों की कम से कम पिछले 6 महीनों की खाता बहियों के अनुसार और न कि बचत खाता खोलने की तिथि से एसएचजी सक्रिय रूप से अस्तित्व में होने चाहिए।
-
एसएचजी ‘पंच सूत्रों’ का पालन करने वाले होने चाहिए अर्थात् नियमित बैठकें करना, नियमित बचत करना, नियमित रूप से आंतरिक उधार देना, समय पर चुकौती करना और खाता बहियों का अद्यतन रखरखाव करना।
-
नाबार्ड द्वारा तय ग्रेडिंग के मानदंडों के अनुसार अर्हताप्राप्त होने चाहिए। जब कभी स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन अस्तित्व में आएंगे, बैंकों को समर्थन प्रदान करने के लिए फेडरेशन द्वारा ग्रेडिंग का कार्य किया जा सकता है।
-
मौजूदा अकार्यक्षम स्वयं सहायता समूह भी, यदि उन्हें पुनर्जीवित किया जाता है और वे 3 महीने की एक न्यूनतम अवधि के लिए सक्रिय बने रहते हैं तो, ऋण के लिए पात्र होंगे।
7.2.2. ऋण राशि : डीएवाई - एनआरएलएम के तहत कई बार सहायता प्रदान किए जाने पर बल दिया जाता है। इससे आशय है कि एसएचजी को चिरस्थाई आजीविका शुरू करने और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए अधिक मात्रा में ऋण पाने के सक्षम बनाने हेतु बार-बार सहायता प्रदान करते हुए उसकी एक समयावधि तक मदद करना। क्रेडिट की विभिन्न अंशों की राशि निम्नानुसार होनी चाहिए :
-
प्रथम अंश : वर्ष के दौरान प्रस्तावित कोष के 4-8 गुना या ₹50,000, इनमें से जो भी अधिक हो।
-
दूसरा अंश : मौजूदा कोष के 5-10 गुना और अगले बारह महीनों के दौरान प्रस्तावित बचत अथवा ₹1 लाख, इनमें से जो भी अधिक हो।
-
तीसरा अंश : स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए और फेडरेशन / सहायता एजेंसी द्वारा मूल्यांकित माइक्रो क्रेडिट प्लान तथा पिछले क्रेडिट रिकार्ड के आधार पर न्यूनतम ₹2 लाख ।
-
चौथा और बाद के अंश : चौथे अंश के लिए ऋण राशि ₹ 5-10 लाख के बीच तथा / अथवा बाद वाले अंशों में उच्चतर हो सकती है। उक्त ऋण राशि स्वयं सहायता समूहों और उनके सदस्यों के माइक्रो क्रेडिट प्लान के आधार पर होगी।
उक्त ऋण का उपयोग स्वयं सहायता समूहों के भीतर के अलग-अलग सदस्यों द्वारा सामाजिक जरूरतों को पूरा करने, उच्च लागत वाले ऋणों को स्वैप करने और चिरस्थाई आजीविका शुरू करने अथवा एसएचजी द्वारा शुरू की गई किसी भी व्यवहार्य सामान्य गतिविधि के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है।
(कोष में उस एसएचजी द्वारा प्राप्त परिक्रामी निधि, यदि कोई हो, अपने स्वयं की बचत और अन्य संस्थानों / गैर सरकारी संगठनों द्वारा बढ़ावा दिए जाने के मामले में अन्य स्रोतों से प्राप्त राशि शामिल है।)
7.3 सुविधा के प्रकार और चुकौती :
7.3.1 एसएचजी आवश्यकतानुसार या तो मीयादी ऋण या सीसीएल ऋण या दोनों का उपभोग कर सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर पिछला ऋण बकाया रहने पर भी अतिरिक्त ऋण मंजूर किया जा सकता है।
7.3.2 चुकौती कार्यक्रम निम्नप्रकार से हो सकता है :
-
ऋण का पहला अंश 6-12 किश्तों में चुकाया जाएगा।
-
ऋण का दूसरा अंश 12-24 माह में चुकाया जाएगा।
-
ऋण का तीसरा अंश माइक्रो क्रेडिट प्लान के आधार पर मंजूर किया जाएगा, चुकौती नकदी प्रवाह के आधार पर या तो मासिक / त्रैमासिक / अर्ध वार्षिक हो सकती है और यह 2 से 5 वर्षों के बीच होनी चाहिए।
-
चौथे अंश से चुकौती नकदी प्रवाह के आधार पर या तो मासिक / त्रैमासिक / अर्ध वार्षिक हो सकती है और यह 3 से 6 वर्षों के बीच होनी चाहिए।
7.4 जमानत एवं मार्जिन : एसएचजी को 10 लाख रुपए तक की सीमा हेतु न कोई संपार्श्विक और न कोई मार्जिन लगाया जाएगा। एसएचजी के बचत बैंक खातों के विरुद्ध कोई ग्रहणाधिकार नहीं लगाया जाएगा तथा ऋण मंजूरी के समय जमाराशि के लिए कोई आग्रह न किया जाए।
7.5 चूक करनेवालों के साथ व्यवहार :
7.5.1 यह वांछनीय है कि जान-बूझकर चूक करने वालों को डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत वित्त नहीं दिया जाना चाहिए। यदि जान-बूझकर चूक करने वाले किसी समूह के सदस्य हों तो उन्हें परिक्रामी निधि की सहायता से निर्मित कोष सहित समूह की क्रेडिट गतिविधियों तथा मितव्ययिता के लाभ प्राप्त करने की अनुमति हो सकती है। लेकिन आर्थिक गतिविधियों के लिए सहायता के चरण पर जान-बूझकर चूक करने वालों को बकाया ऋण की चुकौती न किए जाने तक आगे और सहायता का लाभ प्राप्त नहीं होना चाहिए। समूह के जान-बूझकर चूक करने वाले को डीएवाई - एनआरएलएम योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त नहीं होने चाहिए तथा समूह को ऋण के दस्तावेज़ीकरण के समय ऐसे चूक करने वालों को छोड़कर वित्त प्रदान किया जा सकता है।
7.5.2 साथ ही, जान-बूझकर चूक न करने वालों को ऋण प्राप्त करने से रोकना नहीं चाहिए। वास्तविक कारणों से चूक करने वालों के मामलों में बैंक संशोधित चुकौती कार्यक्रम के साथ खाते के पुनर्गठन हेतु सुझाए गए मानदंडों का पालन कर सकते हैं।
8. क्रेडिट लक्ष्य प्लानिंग
8.1 नाबार्ड द्वारा तैयार किए गए संभाव्यता सहबद्ध प्लान / राज्य केंद्रित पेपर के आधार पर एसएलबीसी उप-समिति जिला-वार, ब्लॉक-वार और शाखा-वार क्रेडिट प्लान तैयार कर सकती है। उप-समिति को राज्य के लिए क्रेडिट लक्ष्य तैयार करने हेतु एसआरएलएम द्वारा सुझाए गए अनुसार मौजूदा एसएचजी, प्रस्तावित नए एसएचजी तथा नए और दोहराए गए ऋणों हेतु पात्र एसएचजी पर विचार करना चाहिए। ऐसे निश्चित किए गए लक्ष्य एसएलबीसी में अनुमोदित किए जाने चाहिए तथा इनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आवधिक समीक्षा और निगरानी की जानी चाहिए।
8.2 जिला-वार क्रेडिट प्लान डीसीसी को सूचित किया जाना चाहिए। ब्लॉक-वार / क्लस्टर-वार लक्ष्य नियंत्रकों के माध्यम से बैंक शाखाओं को सूचित किए जाने चाहिए।
9. क्रेडिट उपरांत फॉलो-अप
9.1 एसएचजी को प्रांतीय भाषाओं में ऋण पास-बुक जारी किए जाएं जिनमें उन्हें संवितरित ऋणों के सभी ब्योरे तथा स्वीकृत ऋण पर लागू शर्तें निहित हों। एसएचजी द्वारा किए गए प्रत्येक लेन-देन पर पास-बुक को अद्यतन किया जाना चाहिए। ऋण के दस्तावेजीकरण तथा संवितरण के समय वित्तीय साक्षरता के एक भाग के रूप में शर्तों को स्पष्ट रूप से समझाना उपयुक्त होगा।
9.2 बैंक शाखाएं एक पखवाड़े में ऐसा एक दिवस तय करें जिस दिन स्टाफ फील्ड पर जा सके और एसएचजी और फेडरेशन की बैठकों में उपस्थित हो सके ताकि वे एसएचजी के कार्य देख सके तथा एसएचजी बैठकों और कार्य-निष्पादन की नियमितता का पता कर सके।
10. चुकौती :
कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने हेतु ऋणों की शीघ्र चुकौती करना आवश्यक है। ऋण की वसूली सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को सभी संभव उपाय अर्थात् व्यक्तिगत संपर्क, जिला मिशन प्रबंधन इकाई (डीपीएमयू) / डीआरडीए के साथ संयुक्त वसूली कैम्पों का आयोजन करना चाहिए। ऋण वसूली के महत्व के मद्देनजर बैंकों को प्रत्येक माह डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत चूक करने वालों की सूची तैयार करनी चाहिए और उस सूची को बीएलबीसी, डीएलसीसी बैठकों में प्रस्तुत करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जिला / ब्लॉक स्तर का डीएवाई - एनआरएलएम स्टाफ चुकौती शुरू करने में बैंकरों की सहायता करता है।
11. एसआरएलएम में बैंक अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति
डीपीएमयू / डीआरडीए को सशक्त बनाने के उपाय के रूप में तथा बेहतर क्रेडिट वातावरण का संवर्द्धन करने के लिए डीपीएमयू / डीआरडीए में बैंक अधिकारियों को प्रतिनियुक्त करने का सुझाव दिया गया है। बैंक राज्य सरकारों / डीआरडीए में उनके परामर्श से विभिन्न स्तरों पर अधिकारी प्रतिनियुक्त करने पर विचार कर सकते हैं।
12. योजना का पर्यवेक्षण और निगरानी : बैंक क्षेत्रीय / अंचल कार्यालय में डीएवाई - एनआरएलएम कक्ष गठित करें। इन कक्षों को आवधिक रूप से निम्न कार्य करने होंगे - एसएचजी को ऋण उपलब्धता की निगरानी और समीक्षा, योजना के दिशानिर्देशों का सुनिश्चित कार्यान्वयन, शाखाओं से डाटा संग्रहित करना और समेकित डाटा प्रधान कार्यालय और जिलों / ब्लॉकों की डीएवाई - एनआरएलएम इकाइयों को उपलब्ध करवाना। कक्ष को राज्य स्टाफ और सभी बैंकों के साथ संप्रेषण को प्रभावी रखने के लिए एसएलबीसी, बीएलबीसी और डीसीसी बैठकों में नियमित रूप से इस समेकित डाटा पर चर्चा भी करनी चाहिए।
12.1 राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति : एसएलबीसी एसएचजी-बैंक सहलग्नता पर एक उप-समिति गठित करें। उप-समिति में राज्य में कार्यरत सभी बैंकों, भारतीय रिज़र्व बैंक, नाबार्ड से सदस्य, एसआरएलएम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, राज्य ग्रामीण विकास विभाग के प्रतिनिधि, सचिव - संस्थागत वित्त और विकास विभागों आदि के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए। उप-समिति समीक्षा के विशिष्ट एजेंडा, एसएचजी-बैंक सहलग्नता के कार्यान्वयन और निगरानी और क्रेडिट लक्ष्य प्राप्ति के मामलों / बाधाओं को लेकर माह में एक बार बैठक करें। एसएलबीसी के निर्णय उप-समिति की रिपोर्टों के विश्लेषण से निकाले जाने चाहिए।
12.2 जिला समन्वयन समिति : डीसीसी (डीएवाई - एनआरएलएम उप-समिति) जिला स्तर पर एसएचजी को ऋण उपलब्धता की निगरानी नियमित रूप से करेगा तथा उन मामलों का समाधान करेगा जो जिला स्तर पर एसएचजी को ऋण उपलब्धता में बाधक हो। इस समिति की बैठक में एलडीएम, नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक, बैंकों के जिला समन्वयकों और डीएवाई - एनआरएलएम का प्रतिनिधित्व करने वाले डीपीएमयू स्टाफ तथा एसएचजी फेडरेशनों के पदधारियों की सहभागिता होनी चाहिए।
12.3 ब्लॉक स्तरीय बैंकर्स समिति : बीएलबीसी नियमित रूप से बैठकें करेंगी तथा ब्लॉक स्तर पर एसएचजी - बैंक सहलग्नता के मामलों पर विचार करेंगी। इस समिति में, एसएचजी / एसएचजी के फेडरेशनों को फोरम में अपनी आवाज उठाने हेतु सदस्यों के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। बीएलबीसी में एसएचजी ऋण की शाखा-वार स्थिति की निगरानी की जानी चाहिए। (इस प्रयोजन के लिए अनुबंध बी और सी को प्रयोग में लाया जाए।)
12.4 जिला अग्रणी प्रबंधकों को रिपोर्टिंग : शाखाओं को चाहिए कि वे हर माह में डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों में हुई प्रगति / कमियों की रिपोर्ट अनुबंध ‘V’ और अनुबंध ‘VI’ में दिए गए फार्मेट में एलडीएम को प्रस्तुत करें जो आगे एसएलबीसी द्वारा गठित विशेष संचालन समिति / उप समिति को भेज दी जाएगी।
12.5 भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्टिंग : बैंक डीएवाई - एनआरएलएम पर की गई प्रगति की राज्य-वार समेकित रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक / नाबार्ड को तिमाही अंतराल पर प्रस्तुत करें।
12.6 एसएचजी - बैंक सहलग्नता (लिंकेज) पर रिपोर्टिंग : नाबार्ड 'एसएचजी बैंक- सहलग्नता' पर मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा जिसका डाटा नियमित आधार पर डीएवाई - एनआरएलएम के सीबीएस प्लेटफॉर्म से प्राप्त होगा।
12.7 एलबीआर विवरणियां : विधिवत सही कोड प्रस्तुत करते हुए एलबीआर विवरणियां प्रस्तुत करने की मौजूदा प्रणाली जारी रहेगी।
13. डाटा शेयरिंग :
वसूली आदि सहित विभिन्न ऋण नीतियां शुरू करने के लिए एसआरएलएम को परस्पर स्वीकृत फार्मेट / अंतराल पर डाटा शेयरिंग उपलब्ध कराया जाए। नियमित डाटा शेयरिंग के लिए वित्त पोषण करने वाले बैंक सीबीएस प्लैटफार्म के माध्यम से राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ एक समझौता ज्ञापन (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग) निष्पादित करें।
14. बैंकरों को डीएवाई - एनआरएलएम समर्थन :
14.1 एसआरएलएम प्रमुख बैंकों के साथ विभिन्न स्तरों पर सामरिक भागीदारी विकसित करें। वह पारस्परिक प्रतिफल संबंध के लिए बैंकों और गरीबों दोनों के लिए सक्षमता युक्त परिस्थितियां निर्मित करने में निवेश करें।
14.2 एसआरएलएम एसएचजी को वित्तीय साक्षरता प्रदान करने, बचत, ऋण पर परामर्शी सेवाएं देने, क्षमता निर्माण में सन्निहित माइक्रो-निवेश योजना पर प्रशिक्षण सहायता प्रदान करेगा।
14.3 ग्राहक सहसंबंध प्रबंधकों (बैंक मित्र) की तैनाती से गरीब ग्राहकों को प्रदत्त बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता सुधारना।
14.4 आईटी मोबाइल प्रौद्योगिकी और गरीब और युवा संस्थानों को व्यवसाय सुविधा प्रदाता और व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में प्रोन्नत करना।
14.5 समुदाय आधारित वसूली तंत्र : एसएचजी - बैंक सहलग्नता के लिए गांव / क्लस्टर / ब्लॉक स्तर पर एक विशिष्ट उप-समिति बनाई जाए जो बैंकों को ऋण राशि, वसूली आदि का उचित उपयोग सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान करेगी। परियोजना स्टाफ सहित प्रत्येक गांव स्तर फेडरेशन से बैंक सहलग्नता उप-समिति के सदस्य शाखा परिसर में शाखा प्रबंधक की अध्यक्षता में बैंक सहलग्नता संबंधी एजेंडा मदों के साथ माह में एक बार बैठक करेंगे।
अनुबंध I
डीएवाई - एनआरएलएम की मुख्य विशेषताएं
1. सर्वव्यापी सामाजिक जागरण : आरंभ में डीएवाई - एनआरएलएम यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक पहचाने गए ग्रामीण गरीब परिवार से कम से कम एक सदस्य, विशेषकर महिला सदस्य, को समयबद्ध ढंग से स्वयं सहायता समूह नेटवर्क में लाया गया है। इसके बाद महिला और पुरूष दोनों को आजीविका संबंधी मामलों अर्थात् कृषक संगठन, दूध उत्पादक सहकारी संगठन, बुनकर संघ, आदि, का समाधान करने के लिए संगठित किया जाएगा। ये सभी संस्थाएं समावेशी हैं और इनमें किसी गरीब को वंचित नहीं रखा जाएगा। डीएवाई - एनआरएलएम समाज के दुर्बल वर्गों का पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित करेगा जिससे कि बीपीएल परिवारों के शत-प्रतिशत कवरेज के अंतिम लक्ष्य के मद्देनजर 50 प्रतिशत लाभार्थी अजा / अजजा, 15 प्रतिशत लाभार्थी अल्पसंख्यक और 3 प्रतिशत लाभार्थी अपंग व्यक्ति हो।
2. गरीबों की सहभागितात्मक पहचान (पीआईपी) : एसजीएसवाई के अनुभव से यह पता चलता है कि वर्तमान बीपीएल सूची में बड़े पैमाने पर समावेशन और वंचन की भूलें हुई हैं। डीएवाई - एनआरएलएम लक्ष्य समूहों को बीपीएल सूची के बाहर व्यापक बनाने तथा सभी जरूरतमंद गरीबों को समाविष्ट करने के लिए समुदाय आधारित प्रक्रियाएं अर्थात् लक्ष्य समूह की पहचान करने के लिए गरीबों की सहभागिता के लिए प्रक्रिया करेगा। स्वस्थ पद्धतियों और साधनों (सामाजिक मैपिंग एवं तंदुरूस्ती (सुख) का श्रेणीकरण, वंचन के संकेतक) पर आधारित सहभागितात्मक प्रक्रिया और स्थानीय रूप से जाने-पहचाने तथा मान्य मानदंडों में स्थानिकों का ऐसा मतैक्य रहता है, जिससे समावेशन एवं वंचन की भूलें कम हो जाती है और पारस्परिक बंधुत्व के आधार पर समूह निर्माण करना संभव हो जाता है। कई वर्षों के बाद, गरीबों की पहचान की सहभागितात्मक पद्धति विकसित हो गई है और इसे आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे राज्यों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
पीआईपी प्रोसेस के जरिए गरीब के रूप में पहचान किए गए परिवारों को डीएवाई - एनआरएलएम लक्ष्य समूह के रूप में स्वीकार किया जाएगा और ये उक्त कार्यक्रम के अंतर्गत सभी लाभों के पात्र होंगे। पीआईपी प्रोसेस के बाद बनी अंतिम सूची ग्राम सभा द्वारा जांची जाएगी तथा ग्राम पंचायत इसे अनुमोदित करेगी।
जब तक राज्य द्वारा पीआईपी प्रोसेस किसी विशेष जिले / ब्लॉक के लिए चलाई नहीं जाती है तब तक बीपीएल की आधिकारिक सूची में पहले ही शामिल ग्रामीण परिवारों को डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत लक्षित किया जाएगा। जैसाकि डीएवाई - एनआरएलएम के कार्यान्वयन के ढांचे में पहले ही प्रावधान किया गया है, एसएचजी की कुल सदस्यता में से 30 प्रतिशत सदस्य गरीबी की रेखा के कुछ ही ऊपर की आबादी में से हो सकता है जो कि समूह के बीपीएल सदस्यों के अनुमोदन की शर्त के अधीन होगा। इस 30 प्रतिशत में ऐसे वंचित गरीब लोग भी शामिल होंगे जो बीपीएल की सूची में शामिल लोगों के समान ही वास्तव में गरीब हैं, परंतु इनका नाम सूची में नहीं है।
3. जन संस्थाओं को बढ़ावा : गरीबों की सुदृढ़ संस्था यथा – स्वयं सहायता समूह और उनके ग्राम स्तरीय तथा उच्च स्तरीय फेडरेशन गरीबों के लिए स्थान, भूमिका और संसाधन उपलब्ध कराना और बाहरी एजेंसियों पर उनकी निर्भरता कम करने के लिए आवश्यक हैं। वे उन्हें अधिकार संपन्न बनाते हैं। वे ज्ञान के साधन तथा प्रौद्योगिकी प्रसार और उत्पादन, सामूहिकीकरण और वाणिज्य के केन्द्र के रूप में भी कार्य करते हैं। अत: डीएवाई - एनआरएलएम विभिन्न स्तरों पर ऐसी संस्थाएं स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अतिरिक्त, डीएवाई - एनआरएलएम अधिक उत्पादन, हरसंभव सहायता, सूचना, ऋण, प्रौद्योगिकी, बाजार आदि उपलब्ध कराकर विशिष्ट संस्थाओं यथा – आजीविका समूहों, उत्पादन, सहकारी संघों / कंपनियों को बढ़ावा देगा। उक्त आजीविका समूह गरीबों को अपनी सीमित संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की सक्षमता प्रदान करेंगे।
4. सभी विद्यमान एसएचजी और गरीबों के फेडरेशनों को सुदृढ़ बनाना : वर्तमान में सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रयासों द्वारा निर्मित गरीब महिलाओं के संगठन मौजूद हैं। डीएवाई - एनआरएलएम सभी मौजूदा संस्थाओं को साझेदारी स्वरूप में सुदृढ़ बनाएगा। सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन दोनों में स्वयं सहायता संवर्द्धन करने वाली संस्थाएं अधिकाधिक पारदर्शिता लाने के लिए सामाजिक जबाबदेही प्रथाएं अपनायेंगी। यह एसआरएलएम और राज्य सरकारों द्वारा बनाए जाने वाले तंत्र के अतिरिक्त होगा। डीएवाई - एनआरएलएम में सीखने की प्रमुख पद्धति होगी एक-दूसरे से सीख प्राप्त करना।
5. प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और कौशल निर्माण पर बल : डीएवाई - एनआरएलएम यह सुनिश्चित करेगा कि गरीबी को निम्नलिखित के लिए पर्याप्त कौशल उपलब्ध कराया जाता है : अपनी संस्थाओं का प्रबंधन करना, बाजार के साथ संपर्क स्थापित करना, मौजूदा आजीविका का प्रबंधन करना, उनकी ऋण उपयोग क्षमता तथा ऋण साख बढ़ाना, आदि। लक्षित परिवारों, स्वयं सहायता समूहों, उनके फेडरेशनों, सरकारी कर्मियों, बैंकरों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य मुख्य स्टेकहोल्डरों के लिए बहु-सूत्रीय दृष्टिकोण की संकल्पना की गई है। स्वयं सहायता समूहों और उनके फेडरेशनों तथा 'अन्य समूहों' के क्षमता निर्माण के लिए सामुदायिक पेशेवरों और सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों के विकास एवं उन्हें कार्य में लगाने पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। डीएवाई - एनआरएलएम ज्ञान-प्रसार और क्षमता निर्माण को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आईसीटी का व्यापक उपयोग करेगा।
6. परिक्रामी निधि और सामुदायिक निवेश सहायक निधी (सीआईएफ) : पात्र एसएचजी को प्रोत्साहन राशि के रूप में एक परिक्रामी निधि उपलब्ध करायी जाएगी ताकि वे बचत की आदत बना सकें तथा अपनी दीर्घकालीन ऋण आवश्यकताओं एवं उपभोग संबंधी अल्पकालीन आवश्यकताओं को सीधे पूरा करने के लिए निधियां संचित कर सकें। सीआईएफ कोष के रूप में होगा और सदस्यों की ऋण संबंधी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए और बैंक वित्त का पुन:-पुन: लाभ लेने के लिए प्रेरक पूंजी के रूप में होगा। एसएचजी को फेडरेशनों के माध्यम से सीआईएफ उपलब्ध कराया जाएगा। गरीबी से ऊपर उठने के लिए युक्तिसंगत दरों पर वित्त की तब तक सतत एवं सहज उपलब्धता आवश्यक है जब तक कि वे बड़ी मात्रा में अपनी निधियां संचित न कर लें।
7. सर्वव्यापी वित्तीय समावेशन : डीएवाई - एनआरएलएम सभी गरीब परिवारों, स्वयं सहायता समूहों और उनके फेडरेशनों को बुनियादी बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के अतिरिक्त सर्वव्यापी वित्तीय समावेशन हासिल करने के लिए कार्य करेगा। डीएवाई - एनआरएलएम वित्तीय समावेशन के मांग एवं आपूर्ति पक्ष से संबंधित कार्य करेगा। मांग पक्ष की ओर यह गरीबों के बीच वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देगा और स्वयं सहायता समूहों एवं उनके फेडरेशनों को प्रेरक पूंजी उपलब्ध कराएगा। आपूर्ति पक्ष की ओर, यह वित्तीय क्षेत्र के साथ समन्वय करेगा तथा सूचना, संचार एवं प्रौद्योगिकी (आईसीटी) आधारित वित्तीय प्रौद्योगिकियों, व्यवसाय प्रतिनिधि (बिजनेस कॉरसपोन्डेंट) एवं सामुदायिक सुविधादाता यथा – 'बैंक मित्र' के उपयोग को प्रोत्साहित करेगा। यह मृत्यु, स्वास्थ्य एवं परिसंपत्तियों के नष्ट होने की स्थिति में ग्रामीण गरीब के सर्वव्यापी कवरेज के लिए कार्य करेगा। साथ ही, यह विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां पलायन स्थानिक है, रेमिटेंस से संबंधित कार्य करेगा।
8. ब्याज सबवेंशन उपलब्ध कराना : ग्रामीण गरीबों को कम ब्याज दर पर तथा विविध मात्रा में ऋण की आवश्यकता होती है ताकि उनके प्रयासों को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाया जा सके। सस्ता ऋण उपलब्ध कराने के लिए डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत सभी पात्र स्वयं सहायता समूहों जिन्होंने मुख्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण प्राप्त किया है, के लिए 7 प्रतिशत से अधिक ब्याज दर पर सबवेंशन का प्रावधान है।
9. निधियन पद्धति : डीएवाई - एनआरएलएम एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है और इस कार्यक्रम का वित्तपोषण, केंद्र और राज्यों के बीच के 75:25 अनुपात ( सिक्किम सहित पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में 90:10 ; संघ राज्य क्षेत्रों के मामले में पूर्णत: केन्द्र से) में होगा। राज्यों के लिए नियत केंद्रीय आवंटन का वितरण मोटे तौर पर राज्यों में गरीबी के अनुपात में होगा।
10. चरणबद्ध कार्यान्वयन : गरीबों की सामाजिक पूंजी में गरीबों की संस्थाएं, उनके नेता, विशेषकर सामुदायिक पेशेवर तथा सामुदायिक स्रोत युक्त (रिसोर्स) व्यक्ति (गरीब महिलाएं जिनका जीवन उनकी संस्थाओं के सहयोग से परिवर्तित हुआ है) शामिल हैं। शुरू के वर्षों में सामाजिक पूंजी के निर्माण में कुछ समय लगता है, परन्तु कुछ समय बाद इसमें तेजी से वृद्धि होती है। डीएवाई - एनआरएलएम में यदि गरीबों की सामाजिक पूंजी की महत्वपूर्ण भूमिका न हो तो, वह जनता का कार्यक्रम नहीं बन सकता। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि पहलों की गुणवत्ता एवं प्रभावशीलता में कमी न आए। इसीलिए, डीएवाई - एनआरएलएम के मामले में चरणबद्ध कार्यान्वयन संबंधी दृष्टिकोण अपनाया जाता है। डीएवाई - एनआरएलएम 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक सभी जिलों में पहुंच जाएगा।
11. व्यापक ब्लॉक : जिन ब्लॉकों में डीएवाई - एनआरएलएम का व्यापक रूप से कार्यान्वयन किया जाएगा, वहां प्रशिक्षित पेशेवर स्टाफ उपलब्ध कराया जाएगा और सार्वभौम एवं गहन सामाजिक एवं वित्तीय समावेशन, आजीविका, भागीदारी आदि जैसी गतिविधियां निष्पादित की जाएंगी। तथापि, शेष ब्लॉकों या कम सघन ब्लॉकों में गतिविधियां मात्रा एवं सघनता के संदर्भ में सीमित रूप से होंगी।
12. ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) : आरसेटी की संकल्पना ग्रामीण विकास स्वरोजगार संस्थान (रूडसेटी) के मार्गदर्शक मॉडेल पर बनाई गई है - यह एसडीएमई न्यास, सिंडीकेट बैंक और केनरा बैंक के बीच एक सहयोगपूर्ण साझेदारी है। इस मॉडेल में बेरोजगार युवकों को एक अल्पावधिक अनुभवजन्य अभ्यास कार्यक्रम के माध्यम से निडर स्वनियोजित उद्यमी के रूप में परिवर्तित करने की परिकल्पना की गई है जिसमें बाद में सुनियोजित दीर्घकालिक सहायक (हैण्ड होल्ड) समर्थन दिया जाता है। जरुरत आधारित उक्त प्रशिक्षण से उद्यमिता गुणवत्ताएं निर्मित होती हैं, आत्मविश्वास बढ़ जाता है, नाकामयाबी का जोखिम घट जाता है और प्रशिक्षु परिवर्तित एजेंटों के रूप में विकसित होते हैं। चयन, प्रशिक्षण एवं प्रशिक्षणोपरांत अनुवर्ती कार्रवाई के चरणों पर बैंक पूरी तरह शामिल रहते हैं। गरीब लोगों की गरीबों की संस्थाओं के माध्यम से पता चलने वाली जरुरतों द्वारा आरसेटी को अपने स्वरोजगार और उद्यमों के व्यवसाय के लिए सहभागियों / प्रशिक्षुओं को तैयार करने में मार्गदर्शन मिलेगा। डीएवाई - एनआरएलएम देश के सभी जिलों में आरसेटी स्थापित करने के लिए सरकारी क्षेत्र के बैंकों को प्रोत्साहित करेगा।
अनुबंध II
एसजीएसवाई से प्रमुख भिन्नता
1. डीएवाई - एनआरएलएम में प्रमुख बदलाव को बढ़ावा दिया जा रहा है जो निवल ‘आवंटन आधारित’ रणनीति से बदलकर ‘मांग संचालित’ रणनीति बनाना है; इसमें राज्यों को महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों और फेडरेशनों, बुनियादी संरचनाओं और विपणन की क्षमता निर्माण और स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु नीति के लिए अपने स्वयं के प्लान विकसित करने की लोच प्राप्त है।
2. डीएवाई - एनआरएलएम गरीबों के लक्ष्य समूह की पहचान बीपीएल सूची का उपयोग करने की प्रक्रिया जैसा कि एसजीएसवाई में किया जा रहा था, की बजाय 'गरीबों की सहभागिता पहचान' के माध्यम से करेगा। इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बेआवाज, गरीब से गरीब लोग वंचित नहीं रह जाते हैं। वस्तुत: डीएवाई - एनआरएलएम के तहत पहली वरीयता गरीब से गरीब परिवारों को दी जाती है।
3. डीएवाई - एनआरएलएम में समानता के आधार पर और न कि एक सामान्य गतिविधि के आधार पर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के गठन को बढ़ावा दिया जाएगा जैसा कि एसजीएसवाई के तहत हुआ करता था। निश्चित रूप से यह संभव है कि समानता के आधार पर एकत्रित होने वाले सदस्यों की गतिविधि एक ही रहेगी।
4. एसजीएसवाई के विपरीत, डीएवाई - एनआरएलएम में एक संतृप्ति दृष्टिकोण अपनाया गया है और इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक गांव के सभी गरीबों को शामिल किया जाता है तथा प्रत्येक गरीब परिवार से एक महिला को स्वयं सहायता समूह में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाता है।
5. एसएचजी फेडरेशन : एक गांव के सभी एसएचजी ग्राम स्तर पर एक फेडरेशन बनाने के लिए साथ आते हैं। सदस्यों और उनके स्वयं सहायता समूहों के लिए गांव फेडरेशन एक बहुत ही महत्वपूर्ण समर्थन संरचना है। फेडरेशन का अगला स्तर है क्लस्टर फेडरेशन। एक क्लस्टर में किसी ब्लॉक के भीतर के गांवों का एक समूह शामिल होता है। एक राज्य से दूसरे राज्य का यथार्थ विन्यास (कनफिगरेशन) अलग होगा, लेकिन आम तौर पर एक क्लस्टर में 25-40 गांव होते हैं। गरीबी की स्थिति से ऊपर उठने की अपनी लंबी यात्रा में एसएचजी और उनके सदस्यों के लिए गांव फेडरेशन और क्लस्टर फेडरेशन दो महत्वपूर्ण समर्थक संरचनाएं होती हैं।
6. डीएवाई - एनआरएलएम स्वयं सहायता समूहों और उनके फेडरेशन को निरंतर मित्रता (हैंड होल्डिंग) समर्थन प्रदान करेगा। एसजीएसवाई में इस बात का अभाव था। डीएवाई - एनआरएलएम के तहत यह समर्थन बड़े पैमाने पर एसएचजी फेडरेशनों में क्षमता निर्माण द्वारा और गरीब महिलाओं के बीच सामुदायिक व्यावसायिकों के एक काडर के निर्माण द्वारा प्रदान किया जाएगा। मिशन द्वारा फेडरेशन और सामुदायिक व्यावसायिकों को आवश्यक कौशल प्रदान किया जाएगा ।
7. यह सुनिश्चित करना डीएवाई - एनआरएलएम का उद्देश्य है कि स्वयं सहायता समूहों को चिरस्थाई आजीविका और सभ्य जीवन स्तर प्राप्त किए जाने तक, पुन: - पुन: वित्त का उपयोग करने में बैंकों से पहुंच उपलब्ध रहती है। एसजीएसवाई, जहां बल एक बार के समर्थन पर दिया जाता था, में यह बात नहीं थी ।
अनुबंध III
महिला एसएचजी के लिए ब्याज सबवेंशन योजना
I. सभी वाणिज्यिक बैंकों (केवल सरकारी क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक) और सहकारी बैंकों के लिए 150 जिलों में महिला एसएचजी को दिए जाने वाले ऋण पर ब्याज सबवेंशन (छूट) योजना
i) सभी महिला एसएचजी 7 प्रतिशत वार्षिक की दर पर ₹3 लाख तक के ऋण पर ब्याज सबवेंशन के पात्र होंगे। एसजीएसवाई के अंतर्गत अपने वर्तमान बकाया ऋणों के अंतर्गत पहले ही पूंजी सब्सिडी प्राप्त एसएचजी इस योजना के अंतर्गत लाभ पाने के पात्र नहीं होंगे।
ii) वाणिज्य बैंक और सहकारी बैंक उक्त 150 जिलों में स्थित सभी महिला एसएचजी को 7 प्रतिशत की दर पर उधार देंगे। अनुबंध IV में इन 150 जिलों के नाम उपलब्ध हैं।
iii) प्रभारित भारित औसत ब्याज (वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवाएं विभाग द्वारा यथा निर्दिष्ट डब्ल्यूएआईसी) तथा 5.5 प्रतिशत की अधिकतम सीमा की शर्त पर 7 प्रतिशत के बीच के अंतर की मात्रा तक सभी वाणिज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) को आर्थिक सहायता (सबवेंशन) प्रदान की जाएगी। यह सबवेंशन सभी बैंकों को इस शर्त पर उपलब्ध होगा कि वे उक्त 150 जिलों के एसएचजी को 7 प्रतिशत वार्षिक की दर पर ऋण उपलब्ध कराएंगे।
iv) अधिकतम उधार दरों (नाबार्ड द्वारा यथा निर्दिष्ट) और 7 प्रतिशत के बीच के अंतर की मात्रा तक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी जो 5.5 की अधिकतम सीमा की शर्त पर होगी। सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों को उक्त सबवेंशन इस शर्त पर उपलब्ध होगा कि वे उक्त 150 जिलों के एसएचजी को 7 प्रतिशत वार्षिक की दर पर ऋण उपलब्ध कराएंगे। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों को नाबार्ड से रियायती पुनर्वित्त भी प्राप्त होगा। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों को नाबार्ड द्वारा विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
v) साथ ही, ऋण की तत्परता से चुकौती करने पर एसएचजी को 3 प्रतिशत का अतिरिक्त सबवेंशन उपलब्ध कराया जाएगा। तत्परता से चुकौती पर 3 प्रतिशत के अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन के प्रयोजन के लिए ऐसे एसएचजी खाते को तत्पर आदाता के रूप में तब माना जाएगा यदि वह एसएचजी निम्नलिखित मानदंड पूरे करता हो।
क. नकदी ऋण सीमा हेतु :
i. बकाया शेष 30 दिनों से अधिक समय के लिए निरंतर रूप से सीमा / आहरण शक्ति से अधिक बना न रहें।
ii. खाते में नियमित रूप से जमा और नामे लेनदेन होते रहने चाहिए। किसी माह के दौरान हर हालत में कम से कम एक ग्राहक प्रेरित क्रेडिट जरूर होना चाहिए।
iii. ग्राहक प्रेरित क्रेडिट माह के दौरान नामे डाले गए ब्याज को कवर करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए।
ख. मीयादी ऋणों के लिए :
ऐसे मीयादी ऋण खाते को तत्पर भुगतान युक्त खाता तब माना जाएगा जब ऋण की अवधि के दौरान सभी ब्याज भुगतान और / या मूलधन की किस्तों की चुकौती नियत तारीख से 30 दिनों के भीतर की गई हो। सूचना देने की तिमाही के अंत में सभी तत्पर आदाता एसएचजी खाते 3 प्रतिशत के अतिरिक्त सबवेंशन के लिए पात्र होंगे। बैंकों को पात्र एसएचजी ऋण खातों में 3 प्रतिशत ब्याज सबवेंशन की राशि जमा कर देनी चाहिए और तत्पश्चात प्रतिपूर्ति की मांग करनी चाहिए।
vi) ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा चयनित किसी नोडल बैंक के माध्यम से सभी वाणिज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) के लिए उक्त ब्याज सबवेंशन योजना कार्यान्वित की जाएगी।
vii) नाबार्ड द्वारा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों के लिए उक्त योजना अल्पावधि फसल ऋण योजना की तरह ही परिचालन में लायी जाएगी।
viii) कोर बैंकिंग सोल्यूशन (सीबीएस) पर परिचालन करने वाले सभी वाणिज्य बैंक (सरकारी क्षेत्र के बैंक, निजी बैंक तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) इस योजना के अंतर्गत ब्याज सबवेंशन प्राप्त करेंगे।
ix) एसएचजी को 7 प्रतिशत की दर से दिए गए ऋण पर ब्याज सबवेंशन पाने के लिए सभी वाणिज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) के लिए आवश्यक है कि वे अपेक्षित तकनीकी विशेषताओं के अनुसार नोडल बैंक के पोर्टल पर एसएचजी ऋण खाता संबंधी जानकारी अपलोड करें। बैंकों को 3 प्रतिशत के अतिरिक्त सबवेंशन के दावे उसी पोर्टल पर प्रस्तुत करने ।
x) बैंक द्वारा प्रस्तुत दावे सांविधिक लेखा परीक्षक के प्रमाणपत्र (मूल रूप में) के साथ प्रस्तुत किए जाने चाहिए जिसमें प्रमाणित किया गया हो कि सबवेंशन के दावे सत्य एवं सही हैं।
xi) सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों के लिए एसएचजी को 7 प्रतिशत की दर से एसएचजी को दिए गए ऋण पर ब्याज सबवेंशन पाने के लिए आवश्यक है कि वे नाबार्ड के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को अपने दावे जून, सितंबर, दिसंबर और मार्च की स्थिति के अनुसार तिमाही आधार पर प्रस्तुत करें। अंतिम तिमाही के लिए दावे सांविधिक लेखा परीक्षक के इस आशय के प्रमाणपत्र के साथ किए जाने चाहिए कि वित्तीय वर्ष के दावे सत्य एवं सही हैं। मार्च को समाप्त तिमाही के लिए किसी बैंक के दावों का निपटान ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा बैंक से संपूर्ण वित्तीय वर्ष के लिए सांविधिक लेखा परीक्षक का प्रमाणपत्र प्राप्त होने के बाद ही किया जाएगा।
xii) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक संपूर्ण वर्ष के दौरान किए गए वितरणों पर 3 प्रतिशत के अतिरिक्त सबवेंशन से संबंधित अपने समेकित दावे नाबार्ड के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को उनके सही होने के बारे में सांविधिक लेखा परीक्षकों के प्रमाणन के बाद प्रति वर्ष जून तक प्रस्तुत कर सकते हैं।
xiii) वर्ष के दौरान किए गए वितरणों से संबंधित कोई शेष और वर्ष के दौरान समाविष्ट न किए गए दावे को अलग से समेकित किया जाए और ‘अतिरिक्त दावा’ के रूप में चिह्नित किया जाए और वह नोडल बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर सभी वाणिज्य बैंकों के लिए) तथा नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों (सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों के लिए) को उसके सही होने के बारे में सांविधिक लेखा परीक्षकों के प्रमाणन के बाद प्रति वर्ष जून तक प्रस्तुत किया जाए।
xiv) सरकारी क्षेत्र के बैंकों और निजी बैंकों द्वारा दावों में किसी प्रकार के सुधार को लेखा परीक्षक के प्रमाणपत्र के आधार पर बाद के दावों से समायोजित किया जाएगा। तदनुसार नोडल बैंक के पोर्टल पर सुधार करना होगा।
xv) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों द्वारा दावों के प्रस्तुतिकरण की प्रक्रिया के संबंध में नाबार्ड विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा।
II. संवर्ग II जिलों (150 जिलों के अलावा) के लिए ब्याज सबवेंशन योजना :
संवर्ग II के जिले जिनमें उक्त 150 जिलों को छोड़कर अन्य जिले शामिल हैं, के लिए डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत सभी महिला एसएचजी 7 प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण सुविधा प्राप्त करने हेतु ब्याज सबवेंशन के पात्र होंगे। इस सबवेंशन का निधियन राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। इस बजट शीर्ष के अंतर्गत प्रावधान का राज्य-वार वितरण प्रत्येक वर्ष निर्धारित किया जाएगा। संवर्ग II जिलों में बैंक एसएचजी के लिए अपने संबंधित उधार मानकों के आधार पर एसएचजी को प्रभार लगायेंगे तथा उधार दरों और 7 प्रतिशत के बीच के अंतर के लिए 5.5 प्रतिशत की अधिकतम सीमा के अधीन आर्थिक सहायता (सबवेंशन) एसआरएलएम द्वारा एसएचजी के ऋण खातों में दी जाएगी। उक्त के अनुसरण में संवर्ग II जिलों हेतु ब्याज सबवेंशन के संबंध में मुख्य-मुख्य बातें तथा परिचालन संबंधी दिशा-निर्देश निम्नानुसार हैं :
(क) बैंकों की भूमिका :
ऐसे सभी बैंक जो कोर बैंकिंग सोल्यूशन (सीबीएस) में कार्य करते हैं उनके लिए आवश्यक है कि वे एसएचजी के ऋण संवितरण और बकाया ऋण का ब्योरा ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा दिए गए वांछित फार्मेट में सीधे सीबीएस प्लेटफार्म से ग्रामीण विकास मंत्रालय (एफटीपी के माध्यम से) और एसआरएलएम को प्रस्तुत करेंगे। उक्त जानकारी मासिक आधार पर उपलब्ध करायी जानी चाहिए ताकि ब्याज सबवेंशन राशि की गणना और एसएचजी को उसके वितरण में सुविधा हो सके।
(ख) राज्य सरकारों की भूमिका :
i. 70 प्रतिशत से अधिक बीपीएल या ग्रामीण गरीब सदस्यों (सहभागिता पहचान प्रक्रिया के अनुसार ग्रामीण गरीब) वाले सभी महिला एसएचजी डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत एसएचजी माने जाते हैं। ऐसे डीएवाई - एनआरएलएम लक्षित समूह के ग्रामीण सदस्यों के एसएचजी प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की दर से लिए गए ₹3 लाख तक के ऋण के लिए तत्परता से चुकौती करने पर ब्याज सबवेंशन के पात्र होंगे।
ii. यह योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) द्वारा कार्यान्वित की जाएगी। ऐसे पात्र एसएचजी को एसआरएलएम ब्याज सबवेंशन उपलब्ध कराएगा जिन्होंने वाणिज्य और सहकारी बैंकों से ऋण लिया हो। इस सबवेंशन का निधियन केंद्रीय आवंटनों के प्रति राज्य का अंशदान के 75:25 के अनुपात से किया जाएगा।
iii. एसएचजी को बैंकों की उधार दर और 7 प्रतिशत के बीच के अंतर के लिए 5.5 प्रतिशत की अधिकतम सीमा के अधीन एसआरएलएम द्वारा सबवेंशन (आर्थिक सहायता) सीधे ही मासिक / तिमाही आधार पर दिया जाएगा। एसआरएलएम द्वारा उक्त सबवेंशन राशि का ई-अंतरण तत्परता से चुकौती करने वाले एसएचजी के ऋण खाते में किया जाएगा।
iv. एसजीएसवाई के अंतर्गत अपने वर्तमान ऋणों के अंतर्गत पहले ही पूंजी सब्सिडी प्राप्त महिला एसएचजी इस योजना के अंतर्गत अपने वर्तमान (सबसिस्टिंग) ऋण के लिए ब्याज सबवेंशन का लाभ पाने के पात्र नहीं होंगे।
v. पात्र एसएचजी के ऋण खातों में अंतरित सबवेंशन राशियों को दर्शाते हुए एसआरएलएम द्वारा तिमाही उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
राज्य विशिष्ट ब्याज सबवेंशन योजना वाले राज्यों को सूचित किया जाता है कि वे अपने दिशानिर्देश उक्त केंद्रीय योजना के अनुरूप बना लें।
परिशिष्ट
|