भारिबै/2016-17/229
बैंविवि.आरआरबी.बीसी.सं 53/31.01.001/2016-17
16 फरवरी 2017
सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
महोदय/महोदया,
स्वर्ण ऋण की चुकौती
कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 22 सितंबर 2010 का परिपत्र ग्राआऋवि.केंका. आरआरबी.बीसी.सं.22/03.05.34/2010-11 देखें जिसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को एकमुश्त चुकौती के विकल्प सहित एक लाख रुपए तक के स्वर्ण ऋण प्रदान करने की अनुमति दी गई थी।
2. समीक्षा किए जाने पर, यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित शर्तों के अधीन योजना के अंतर्गत प्रदान किए जाने वाले ऋण की मात्रा को 1 लाख रुपये से 2 लाख रुपये कर दिया जाए।
i. ऋण की अवधि मंजूरी की तारीख से 12 माह से अधिक न हो।
ii. इस खाते पर मासिक अंतराल पर ब्याज लगाया जाएगा किंतु वह केवल मंजूरी की तारीख से 12 माह के अंत में मूलधन की चुकौती के साथ ही भुगतान के लिए देय होगा।
iii. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को ब्याज सहित ऋण की बकाया राशि पर लगातार आधार पर 75% मूल्य पर ऋण (एलटीवी) अनुपात बनाए रखना होगा, जिसके न होने पर ऋण को अनजर्क आस्ति (एनपीए) माना जाएगा।
iv) स्वर्ण का मूल्यांकन दिनांक 1 जुलाई 2014 के परिपत्र आरपीसीडी.आआरबी.आरसीबी.बीसी.सं. 08/03.05.33/2014-15 के पैरा 3 में निहित अनुदेशों के अनुसार होगा।
3. यह स्पष्ट किया जाता है कि स्वर्ण/स्वर्ण के आभूषणों के संपार्श्विक जमानत पर मंजूर किए गए फसल ऋण ऐसे ऋणों के लिए आय निर्धारण,आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण के मौजूदा मानदंडों द्वारा अधिशासित होते रहेंगे।
भवदीय
(सौरभ सिन्हा)
मुख्य महाप्रबंधक |