भा.रि.बैं./2017-18/129
बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.100/21.04.048/2017-18
07 फरवरी, 2018
भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा विनियमित सभी बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी)
महोदया/महोदय,
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत पंजीकृत एमएसएमई उधारकर्ताओं के लिए राहत
वर्तमान में, भारत में बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) के द्वारा सामान्य तौर पर क्रमशः 90 दिन और 120 दिन के चूक के मानदंड के आधार पर ऋण खाते को अनर्जक आस्ति (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। हमें इस प्रकार के अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं कि जीएसटी के तहत पंजीकरण के माध्यम से कारोबार को औपचारिक रूप देने का प्रतिकूल प्रभाव परिवर्तन के चरण के दौरान अपेक्षाकृत छोटी संस्थाओं के नकदी प्रवाह पर पड़ा है, जिसके फलस्वरूप बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) के प्रति चुकौती संबंधी उनके दायित्वों को पूरा करने में कठिनाई हुई। उक्त संस्थाओं के द्वारा औपचारिक कारोबारी माहौल में परिवर्तन को सहारा देने के उपाय के रूप में यह निर्णय लिया गया है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम 2006 के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ता के प्रति बैंकों और एनबीएफसी के एक्सपोज़र को निम्नलिखित शर्तों के अधीन बैंकों और एनबीएफसी की बहियों में मानक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किया जाना जारी रहेगा:
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उधारकर्ता 31 जनवरी 2018 की स्थिति के अनुसार जीएसटी व्यवस्था के तहत पंजीकृत हो।
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बैंकों और एनबीएफसी का उधारकर्ता के प्रति समग्र एक्सपोजर, गैर-निधि आधारित सुविधाओं सहित, 31 जनवरी 2018 की स्थिति के अनुसार ₹ 250 मिलियन से अधिक न हो।
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उधारकर्ता का खाता 31 अगस्त 2017 की स्थिति के अनुसार मानक रहा हो।
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उधारकर्ता से दिनांक 1 सितंबर 2017 की स्थिति के अनुसार अतिदेय राशि और 1 सितंबर 2017 और 31 जनवरी 2018 के बीच उधारकर्ता से बकाया भुगतान की चुकौती उनकी संबंधित मूल बकाया तिथि से 180 दिनों के भीतर की जाएगी।
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इस परिपत्र के अनुसार एनपीए के रूप में वर्गीकृत न किए गए एक्सपोजर के प्रति बैंकों/ एनबीएफसी के द्वारा 5% का प्रावधान किया जाएगा। खाते के संबंध में प्रावधान को 90/1201 दिन, जो भी मामला हो, के मानदंड से अधिक समय तक कोई राशि अतिदेय न रहने की दशा में प्रतिवर्ती किया जाए।
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अतिरिक्त समय केवल आस्ति वर्गीकरण के प्रयोजन से प्रदान किया जा रहा है, न कि आय निर्धारण के लिए, अर्थात् यदि उधारकर्ता से ब्याज 90/1202 दिनों से अधिक समय से अतिदेय होगा, तो उक्त को उपचय के आधार पर निर्धारित नहीं किया जाएगा।
भवदीय,
(एस. के. कर)
मुख्य महाप्रबंधक
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