भारिबै/2019-20/186
विवि.सं.बीपी.बीसी.47/21.04.048/2019-20
27 मार्च 2020
सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/ राज्य सहकारी बैंक/ जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक
सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियां सहित)
महोदया/ महोदय,
कोविड-19 – विनियामकीय पैकेज
कृपया 27 मार्च 2020 को जारी विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों से संबंधित वक्तव्य का संदर्भ लें, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ कोविड-19 महामारी से उत्पन्न व्यवधानों के कारण ऋण अदायगी के बोझ को कम करने के लिए और अर्थक्षम कारोबारों की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए कुछ विनियामकीय उपायों की घोषणा की गई थी। इस संबंध में, विस्तृत अनुदेश निम्नानुसार हैं:
(i) भुगतानों का पुनर्निर्धारण - सावधि ऋण और कार्यशील पूंजी सुविधाएं
2. सभी सावधि ऋणों (कृषि सावधि ऋण, खुदरा और फसल ऋण सहित) के संबंध में, सभी वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक और स्थानीय क्षेत्र बैंक सहित), सहकारी बैंकों, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (आवास वित्त कंपनियां सहित) ("ऋण देने वाली संस्थाएं") को 1 मार्च 2020 और 31 मई 2020 के बीच के सभी किस्तों1 के भुगतान पर तीन महीने का अधिस्थगन देने की अनुमति है। ऐसे ऋणों के पुनर्भुगतान का समय और अवशिष्ट परिपक्वता काल को अधिस्थगन अवधि के बाद सभी स्तरों पर तीन महीने के लिए शिफ्ट किया जाएगा। अधिस्थगन अवधि के दौरान सावधि ऋण के बकाया हिस्से पर ब्याज संचित होना जारी रहेगा।
3. नकद ऋण/ ओवरड्राफ्ट ("सीसी/ ओडी") के रूप में स्वीकृत कार्यशील पूंजी सुविधाओं के संबंध में, उधार देने वाली संस्थाओं को 1 मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक की अवधि ("आस्थगन") के दौरान सभी ऐसी सुविधाओं के लागू ब्याज की वसूली को आस्थगित करने की अनुमति है। इस अवधि के पूरा होने के तुरंत बाद अर्जित संचित ब्याज वसूल किया जाएगा।
(ii) कार्यशील पूंजी के वित्तीयन को आसान बनाना
4. महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक गिरावट से उपजे दबाव का सामना कर रहे उधारकर्ताओं को सीसी/ ओडी के रूप में स्वीकृत कार्यशील पूंजी सुविधाओं के संबंध में, उधार देने वाली संस्थाएं मार्जिन को कम करके और/ या कार्यशील पूंजी चक्र का पुनराकलन करके 'आहरण शक्ति' की पुनर्गणना कर सकती है। यह राहत 31 मई 2020 तक किए गए ऐसे सभी परिवर्तनों के संबंध में उपलब्ध होगी और यह ऋण देने वाले उन संस्थानों के संबंध में लागू होगा जो इस बात से स्वयं संतुष्ट हैं कि ऐसा करना कोविड-19 से उत्पन्न आर्थिक गिरावट के कारण आवश्यक है। इसके अलावा, इन अनुदेशों के तहत राहत प्रदान किए गए खाते कोविड-19 से उत्पन्न आर्थिक गिरावट के कारण राहत हेतु उनके औचित्य के संबंध में बाद के पर्यवेक्षी समीक्षा के अधीन होंगे।
विशेष उल्लिखित खाता (एसएमए) और गैर-निष्पादित आस्ति (एनपीए) के रूप में वर्गीकरण
5. जैसाकि 'आहरण शक्ति' के संबंध में अधिस्थगन / आस्थगन/ पुनर्गणना को विशेष रूप से उधारकर्ताओं को कोविड-19 के कारण उत्पन्न आर्थिक गिरावट का सामना करने में सक्षम बनाने के लिए प्रदान किया जा रहा है, इसलिए, इसे दिनांक 7 जून 2019 के भारतीय रिज़र्व बैंक (दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचा) निदेश, 2019 ("विवेकपूर्ण ढांचा") अनुलग्नक के पैरा 2 के तहत उधारकर्ता की वित्तीय कठिनाई के कारण ऋण समझौतों के नियम और शर्तों में रियायत या परिवर्तन नहीं माना जाएगा। परिणामस्वरूप, इस तरह के उपाय, आस्ति वर्गीकरण में गिरावट नही आने देंगे।
6. पैरा 2 के अनुसार राहत प्रदान किए गए सावधि ऋणों के आस्ति वर्गीकरण को संशोधित नियत तारीखों और संशोधित पुनर्भुगतान अवधि के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। इसी तरह, कार्यशील पूंजी की सुविधाएं जिसे उपर्युक्त पैराग्राफ 3 के अनुसार राहत प्रदान किया जाता है, आस्थगित अवधि के पूरा होने के तुरंत बाद संचित ब्याज के क्रियान्वयन को ध्यान में रखते हुए तथा उपर्युक्त पैरा 4 के अनुसार अनुमन्य संशोधित शर्तों के अनुसार एसएमए और आउट ऑफ ऑर्डर स्थिति को मूल्यांकित किया जाएगा।
7. ब्याज सहित भुगतानों का पुनर्निर्धारण, पर्यवेक्षी रिपोर्टिंग और ऋण प्रदान करने वाले संस्थानों द्वारा क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को रिपोर्टिंग के प्रयोजनों के लिए चूक के रूप में नहीं माना जाएगा। सीआईसी यह सुनिश्चित करेंगे कि उपरोक्त घोषणाओं के अनुसार ऋण देने वाली संस्थाओं द्वारा की गई कार्रवाई लाभार्थियों के क्रेडिट विवरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगी।
अन्य शर्तें
8. ऋण देने वाली संस्थाएँ सभी पात्र उधारकर्ताओं को उपर्युक्त वर्णित राहत प्रदान करने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियां तैयार करेंगे, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ उपर्युक्त पैरा 4 के तहत राहत पर विचार करने के वस्तुनिष्ठ मानदंड शामिल करेंगे और जिसे सार्वजनिक डोमेन में प्रदर्शित किया जाएगा।
9. जहां भी, 1 मार्च 2020 की स्थिति के अनुसार ऋण देने वाली संस्था का किसी उधारकर्ता के प्रति एक्सपोजर रु 5 करोड़ या उससे अधिक है, बैंक अपने उधारकर्ताओं को प्रदान की जाने वाली राहत पर एक एमआईएस विकसित करेंगे, जिसमें अन्य बातों के साथ राहत की प्रकृति और राशि के बारे में उधारकर्ता वार और क्रेडिट सुविधा वार जानकारी शामिल होगी।
10. इस परिपत्र के अनुदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। उधार देने वाली संस्थाओं के बोर्ड और प्रमुख प्रबंधन कार्मिक यह सुनिश्चित करेंगे कि उपरोक्त अनुदेशों की जानकारी उनके संगठन में प्रत्येक स्तर तक उचित रूप से दी गई है, और कार्यान्वयन के संबंध में उनके स्टाफ सदस्यों को स्पष्ट अनुदेश जारी किए गए हैं।
भवदीय,
(सौरभ सिन्हा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
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