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Date: 01/07/2011
मास्टर परिपत्र-मुद्रा तिजोरी लेनदेनों की विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देने पर दंडात्मक ब्याज लगाना और अपात्र राशियों को मुद्रा तिजोरी शेषों में शामिल करना

आरबीआई/2011 -12/77
डीसीएम (सीसी ) सं. जी -2 / 03.35.01/2011-2012

01 जुलाई 2011

1. अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी मुद्रा तिजोरी वाले सभी बैंक

2. कोषागार निदेशक (राज्य सरकार - संलग्न सूची के अनुसार)

प्रिय महोदय/महोदया

मास्टर परिपत्र-मुद्रा तिजोरी लेनदेनों की विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना देने पर दंडात्मक ब्याज लगाना और अपात्र राशियों को मुद्रा तिजोरी शेषों में शामिल करना

यह परीपत्र , मुद्रा तिजोरी लेनदेनों की विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देने पर दण्डात्मक ब्याज लगाने से संबंधित प्रचलित समस्त अनुदेशों/दिशा-निर्देशों का अधिक्रमण करते हुए जारी किया गया है :

1. मुद्रा तिजोरी लेनदेनों की विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना देने पर दण्डात्मक ब्याज

क) मुद्रा तिजोरी लेनदेनों की सूचना

मुद्रा तिजोरियों में जमा करने/मुद्रा तिजोरियों से आहरण करने की न्यूनतम राशि 1,00,000/-रुपये होगी और उसके बाद से यह 50,000/- रुपये के गुणकों में होगी ।

() सूचना देने के लिए निर्धारित समय -सीमा

(i)मुद्रा तिजोरियों को आईकॉम्ज के माध्यमसे अपने समस्त लेनदेनों की सूचना संपर्क कार्यालयों को अनिवार्यत: उसी दिन सिक्योर्ड वेबसाइट पर अपलोडिंग करके अधिकतम 9 बजे रात तक देनी होगी तथा संपर्क कार्यालयों द्वारा समेकित स्थिति की सूचना अनिवार्यत: उसी दिन रात्री 11 बजे तक देनी होगी।

(ii)उप कोषागार कार्यालयों द्वारा अपने समस्त लेनदेनों की सूचना सीधे भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालय को उसी दिन रात्री 11 बजे तक देनी होगी ।

(ग)   बैंकों में हड़ताल के दौरान छूट

सामान्य/विशिष्ट हड़ताल की स्थिति में, सूचना देने की अवधि में छूट देने पर प्रत्येक मामले में अलग -अलग विचार किया जाएगा ।

()     विलंब के लिए दण्डात्मक ब्याज लगाना   

i) मुद्रा तिजोरी की लेनदेनों की विलंब से सूचना देने के मामलों में इस परिपत्र के पैरा-3 मेंनिर्दिष्ट दर से , विलंब की अवधि के लिए , दण्डात्मक ब्याज, तिजोरी वाले बैंक से प्राप्य राशि पर लगाया जायेगा । दण्डात्मक ब्याज टी+0 आधार पर लगाया जायेगा अर्थात् संपर्क कार्यालय द्वारा तिजोरी लेनदेनों की सूचना निर्गम कार्यालय को उसी दिन 11 बजे रात तक न देनेपर दण्डात्मक ब्याज लगाया जायेगा । तथापि,भारतीय रिज़र्व बैंक अपने विवेक से दण्डात्मक ब्याज लगाने के लिए समय सीमा में उचित अनुग्रह अवधि  प्रदान कर सकता है ।

ii ) निर्गम कार्यालयों से सीधे संबद्ध उस क्षेत्र के एकल मुद्रा तिजोरी/उप कोषागार द्वारा तिजोरी पर्चियों को देने में विलंब होने पर भी उपरोक्त दर से दंड लगाया जायेगा ।

ड़ ) गलत सूचना देना और दण्डात्मक ब्याज लगाया जाना

गलत सूचना देने के सभी मामलों में भी रिज़र्व बैंक से संशोधित सूचना प्राप्त होने की तारीख तक की अवधि के लिये उपर्युक्त की भाँति दण्डात्मक ब्याज लगाया जायेगा । चूँकि बैंक के चालू खातों में नामे/जमा संपर्क कार्यालय विवरणी में सूचित की गई सूचना के आधार पर किए जाते हैं अत:दंडात्मक ब्याज उन सभी मामलों पर अनिवार्यत: लगाया जाएगा जिनमें यद्यपि मुद्रा तिजोरी पर्ची में सही सूचना दी गई हो परंतु संपर्क कार्यालय विवरणी में गलत सूचना दी गई है । संपर्क कार्यालयों से यह अपेक्षा है कि वे संबंधित मुद्रा तिजोरियों द्वारा दिये गये आंकड़ों की परिशुध्दता सुनिश्चित करें । संपर्क कार्यालय की विवरणी में मुद्रा तिजोरियों के लिए नये नोट/टों के प्रेषणों को, लेन देन जमा के रुप में न दिखाए  जाएं ,इसे सुनिश्चित करने  के लिए विशेष सावधानी बरती जाए ।

)     दंडात्मक ब्याज की अधिकतम राशि

गलत/विलंब से सूचना देने की स्थिति में लगाए जाने वाले दंडात्मक ब्याज की अधिकतम राशि के संबंध में कोई सीमा निर्धारित नहीं है ।चूँकि उद्देश्य मुद्रा तिजोरी के लेन-देनों की सही और समय पर सूचना सुनिश्चित करना है,अत: दंडात्मक ब्याज, लेन-देन की राशि/दंडात्मक ब्याज की राशि पर ध्यान दिए बिना, निकटतम रुपए में पूर्णांकित करते हुए सभी प्रयोज्य मामलों में वसूल किया जायेगा ।

2.     मुद्रा तिजोरी शेषों में अपात्र राशियों के समावेश पर दंडात्मक ब्याज

  1. ऐसे सभी मामलों में दंडात्मक ब्याज लगाया जाएगा जहाँ पर विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देनें के कारण बैंक ने  भारतीय रिज़र्व बैंक में उसके चालू खाते में अपात्र क्रेडिट का लाभ उठाया हो ।

  2. इसके अतिरिक्त, केवल संयुक्त अभिरक्षकों की अभिरक्षा में रखी तथा उन्हें निर्बाध रुप से उपलब्ध नकदी राशि ही तिजोरी शेषों में शामिल किये जाने योग्य है । इस प्रकार, सुरक्षित अभिरक्षा के लिए सील कवर में रखी नकदी राशि/संयुक्त अभिरक्षकों के अलावा किसी अधिकारी/अधिकारियों के ताले से बंद ट्रंकों/बिनों में रखी नकदी राशि/संयुक्त अभिरक्षकों के दो तालों के अलावा किसी अन्य अधिकारी  द्वारा तीसरा ताला लगाये जाने पर वह राशि मुद्रा तिजोरी शेषों में शामिल किये जाने योग्य नहीं होगी । इस प्रकार की नकदी राशि यदि मुद्रा तिजोरी शेषों में मिला दी जाती है तो इसे गलत सुचना के रूप में माना जायेगा और उस राशि पर पैरेग्राफ 3 में निर्दिष्ट दर से  दंडात्मक ब्याज लगाया जाएगा ।

  3. उपर्युक्त सभी मामलों में अपात्र राशि को तिजोरी शेषों में शामिल किये जाने की तारीख से लेकर तिजोरी शेषों से यह राशि निकाल दिये जाने की तारीख तक के लिए दंडात्मक ब्याज लगाया जाएगा ।

3.     दंडात्मक ब्याज की दर

मुद्रा तिजोरि शेषों में अपात्र राशियों को शामिल करने के बारे में विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देनें की अवधि के लिए प्रचलित बैंक दर से ऊपर अधिक 2% के हिसाब से दंडात्मक ब्याज लगाया जायेगा ।

4. कोषागारों की मुद्रा तिजोरियों के लिए दंडात्मक ब्याज

उपर्युक्त अनुदेश कोषागारों/उप कोषागारों की मुद्रा तिजोरियों पर भी लागू होंगे ।

5.   प्रत्यावेदन

  1. चूँकि विलम्ब से सूचना के मामलों में दिनों की संख्या दंडात्मक ब्याज लगाये जाने का मुख्य मानदंड है, अत: सामान्यतया बैंकों के लिये इस बात की गुंजाइश नहीं बचती है कि वे किसी मामले में रिज़र्वबैंक के निर्णय पर पुनर्विचार हेतु अनुरोध करें । तथापि,खासकर पहाड़ी/दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित मुद्रा तिजोरियों/प़ाकृतिक आपदाओं आदि से पीड़ित अन्य मुद्रा तिजोरियों के प्रत्यावेदन यदि कोई हों, तो वास्तविक कठिनाइयों के आधार पर केवल संबधित निर्गम कार्यालय को संबंधित बैंक को नामे करने की तारीख से 1 महीने के भीतर संबंधित बैंक के प्रधान /नियंत्रक कार्यालय के माध्यम से भेजे जा सकते हैं ।

  2. गलत सूचना देने के मामलों में छूट देने हेतु अभ्यावेदनों पर विचार नही किया जाएगा (देखे उपर्युक्त अनुच्छेद 1 (ङ)) ।

  3. दंडात्मक ब्याज लगाये जाने के पीछे मंशा यह है कि बैंकों में त्वरित/सही सूचना सुनिश्चित करने के लिये अनुशासन की भावना उत्पन्न हो, अत: बैंकों द्वारा विलम्ब से सूचना देने/गलत सूचना देने/सूचना न देने के लिए दिये गये तर्क जैसे कि भारतीय रिज़र्व बैंक की निधियों का उपयोग न करना, नकदी प्रारक्षित अनुपात/सांविधिक तरलता अनुपात मे कोई कमी न होना, लिपिकीय त्रुटि, गैर इरादतन अथवा अंकगणितीय त्रुटि/प्रथमत्रुटि/ अनअनुभवी स्टाफ , आदि को दंडात्मक ब्याज से छूट के लिये वैध कारण नहीं माना जायेगा ।

6.   यह मास्टर परिपत्र हमारी वेब-साईट www.rbi.org.in पर उपलब्ध है ।

भवदीय

(डॉ. कृष्ण मोहन )
मुख्य महाप्रबंधक

 
   भारतीय रिज़र्व बैंक सर्वाधिकार सुरक्षित

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