आरबीआई/2011-12/251
बैंपविवि. सं. एएमएल. बीसी. 47/14.01.001/2011-12
04 नवंबर 2011
13 कार्तिक 1933 (शक)
अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)/स्थानीय क्षेत्र बैंक
महोदय,
चेकों/ड्राफ्टों/भुगतान आदेशों/बैंकर चेकों का भुगतान
भारत में बैंकरों के बीच एक सामान्य प्रथा है कि वे केवल ऐसे चेकों तथा ड्राफ्टों का भुगतान करते रहे हैं जिन्हें लिखत जारी करने के छ: महीने के भीतर भुगतान के लिए प्रस्तुत किया जाता है ।
2. भारत सरकार द्वारा यह बात रिज़र्व बैंक के ध्यान में लाई गई है कि कुछ लोग लिखत जारी करने की तारीख से छ: महीने के भीतर प्रस्तुत चेकों/ड्राफ्टों/भुगतान आदेशों/बैंकर चेकों का भुगतान करने की उक्त प्रथा का अनुचित लाभ उठा रहे हैं क्योंकि इन लिखतों को बाजार में छ: महीने के लिए नकद के रूप में चलाया जा रहा है । रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट है कि जनहित तथा बैंककारी नीति के हित में यह आवश्यक है कि चेकों/ड्राफ्टों/भुगतान आदेशों/बैंकर चेकों को जारी करने की तारीख से उन्हें भुगतान के लिए प्रस्तुत करने की अवधि को छ: महीने से घटाकर तीन महीना कर दिया जाए । तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिज़र्व बैंक एतदद्वारा निदेश देता है कि बैंकों को 01 अप्रैल 2012 या उसके बाद तिथि वाले चेकों/ड्राफ्टों/भुगतान आदेशों/बैंकर चेकों का भुगतान उनके जारी होने की तारीख से तीन महीने के बाद प्रस्तुत किए जाने पर नहीं करना चाहिए ।
3. बैंकों द्वारा इन निदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए और उन्हें 01 अप्रैल 2012 को अथवा उसके बाद जारी चेक पन्नों, ड्राफ्टों, भुगतान आदेशों तथा बैंकर चेकों पर इस प्रथा में बदलाव के बारे में सूचना मुद्रित करके अथवा इस आशय की मुहर लगाकर तथा लिखत की तारीख से तीन महीने के भीतर उसे प्रस्तुत करने का समुचित अनुदेश जारी करके ऐसे लिखतों के धारकों को सूचित करना चाहिए ।
4. कृपया प्राप्ति-सूचना दें ।
भवदीय
(दीपक सिंघल)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |