14 अगस्त 2013
भारतीय रिज़र्व बैंक ने निवासी भारतीयों द्वारा विदेशी मुद्रा के बहिर्वाह
को विवेकसम्मत बनाने के लिए उपायों की घोषणा की
वर्तमान समष्टि आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज निम्नलिखित उपायों की घोषणा की हैः
(i) सभी नए समुद्रपारीय लेनदेनों के लिए स्वचालित मार्ग के अंतर्गत समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) की सीमा को भारतीय पार्टी की निवल संपत्ति के 400 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया। यह घटी हुई सीमा ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधन क्षेत्रों में भारत से बाहर अनिगमित संस्थाएं स्थापित करने के लिए भारतीय कंपनियों द्वारा समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) के अंतर्गत किए जाने वाले विप्रेषणों के लिए भी लागू होगी। तथापि यह घटी हुई सीमा तेल क्षेत्र में समुद्रपारीय अनिगमित संस्थाओं में नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड और ऑयल इंडिया द्वारा किए जाने वाले समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) पर लागू नहीं होगी।
(ii) निवासी व्यक्तियों द्वारा उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस) के अंतर्गत विप्रेषण की सीमा प्रति वित्तीय वर्ष 200,000 अमेरिकी डॉलर से घटाकर 75,000 अमेरिकी डॉलर कर दी गई। तथापि, अब निवासी व्यक्तियों को संशोधित एलआरएस सीमा के अंदर समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) मार्ग के अंतर्गत भारत से बाहर संयुक्त उद्यम (जेवी)/संपूर्ण रूप से स्वाधिकृत सहायक कंपनी (डब्ल्यूओएस) स्थापित करने की अनुमति दी गई है।
(iii) चूंकि मार्जिन ट्रेडिंग और लॉटरी जैसे प्रतिबंधित लेनदेन के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस) के उपयोग पर वर्तमान प्रतिबंध जारी रहेंगे, अतः भारत से बाहर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए एलआरएस के उपयोग की अनुमति नहीं दी जाएगी।
वर्तमान उपायों का लक्ष्य बहिर्वाह को कम करना है। तथापि, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत इन सीमाओं से अधिक किसी भी वास्तविक आवश्यकता पर विचार किया जाता रहेगा।
अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/323 |