12 फरवरी 2015
भारतीय रिज़र्व बैंक ने जारी की
बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 की वार्षिक रिपोर्ट : 2013-14
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज बैंकिंग लोकपाल योजना की वर्ष 2013-14 की वार्षिक रिपोर्ट जारी की। बैंकिंग लोकपाल योजना की शुरुआत बैंक ग्राहकों की शिकायतों के त्वरित समाधान हेतु 1995 में रिज़र्व बैंक द्वारा की गई। पूरे देश में बैंकिंग लोकपाल (बीओ) के 15 कार्यालय कार्यरत हैं। यह रिपोर्ट बैंकिंग लोकपाल के सभी कार्यालयों के कार्यकलापों की एक रूपरेखा है।
इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2013-14 में लोकपाल कार्यालयों को प्राप्त शिकायतों की संख्या में 8.55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। लोगों ने इलेक्ट्रॉनिक साधनों की तुलना में भौतिक जरियों को प्राथमिकता दी है, जो कि इस बात से स्पष्ट होता है कि 67 प्रतिशत की शिकायतें पत्रों/पोस्ट कार्डों/फैक्स के माध्यम से प्राप्त हुई हैं, जबकि ई-मेल और ऑनलाइन माध्यम से क्रमश: 20 प्रतिशत और 13 प्रतिशत शिकायतें ही प्राप्त हुईं। वर्ष 2013-14 के दौरान प्राप्त कुल शिकायतों में से लगभग 71 प्रतिशत की शिकायतें महानगरीय और शहरी इलाकों से प्राप्त हुई हैं तथा अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों से क्रमश: 16 प्रतिशत और 13 प्रतिशत की शिकायतें प्राप्त हुईं। इस वर्ष के दौरान प्राप्त शिकायतों में से 96 प्रतिशत की शिकायतों का निपटान किया है। इस रिपोर्ट में ग्राहक सेवा की दिशा में रिज़र्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों और वर्ष के दौरान बैंकिंग लोकपालों द्वारा निपटाए गए दृष्टांतरूपी मामलों का उल्लेख किया गया है।
रिपोर्ट के प्रमुख अंश
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वर्ष 2013-2014 के दौरान 76,573 शिकायतें प्राप्त हुईं, जो पिछले वर्ष के दौरान प्राप्त 70,541 शिकायतों की तुलना में 8.55 प्रतिशत अधिक हैं।
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बैंकिंग लोकपाल ने कुल प्राप्त शिकायतों में से 96 प्रतिशत का निपटान किया।
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कुल प्राप्त शिकायतों में से 32 प्रतिशत शिकायतें भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहयोगी बैंकों के खिलाफ थीं तथा 32 प्रतिशत शिकायतें राष्ट्रीयकृत बैंकों से संबंधित थीं, 22 प्रतिशत शिकायतें निजी क्षेत्र के बैंकों के विरुद्ध थीं और 6.5 प्रतिशत की शिकायतें विदेशी बैंकों के खिलाफ थीं।
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प्रतिबद्धता पूरी करने में चूक, उचित व्यवहार संहिताओं का पालन नहीं करने, भारतीय बैंकिंग संहिता और मानक बोर्ड (बीसीएसबीआई) से संबंधित शिकायतों का हिस्सा सर्वाधिक था (कुल प्राप्त शिकायतों का 26.6 प्रतिशत) और उसके बाद कार्ड से संबंधित शिकायतों का बड़ा हिस्सा रहा (24.1 प्रतिशत)।
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अन्य शिकायतों के अंतर्गत निर्धारित कार्य-समय का पालन नहीं करने, करों का भुगतान स्वीकार नहीं करने, या स्वीकार करने में देरी करने, सरकारी प्रतिभूतियां जारी नहीं करने/जारी करने में देरी करने या सेवा प्रदान न करने, उनका मोचन नहीं करने, खातों को बंद नहीं करने या बंद करने में देरी करने से संबंधित शिकायतें शामिल हैं।
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अपील प्राधिकारी ने इस वर्ष के दौरान इस योजना के अंतर्गत 107 अपीलों पर कार्रवाई की है।
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आम जनता के बीच इस योजना की जानकारी प्रदान करने के लिए बैंकिंग लोकपाल ने इस वर्ष के दौरान कई जागरूकता अभियान चलाए।
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बैंकिंग लोकपालों द्वारा निपटाई गई शिकायतों से प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर रिज़र्व बैंक ने इस वर्ष में अनेक ग्राहक-केंद्रित नीतिगत निर्णय लिए।
पृष्ठभूमि
रिज़र्व बैंक ने 14 जून 1995 को भारत में बैंकिंग लोकपाल योजना (बीओएस) शुरू की जिससे कि बैंक ग्राहकों को वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंकों द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली बैंकिंग सेवाओं में कमी से संबंधित उनकी शिकायतों के समाधान के लिए एक द्रुत और मितव्ययी मंच उपलब्ध कराया जा सके। बैंकिंग लोकपाल योजना शुरू करते समय प्राप्त की गई प्रतिसूचना को रिज़र्व बैंक द्वारा वर्ष 2002, 2006, 2007 और 2009 में योजना को संशोधित करने के लिए उपयोग किया गया जिससे कि अन्य बातों के साथ-साथ क्रेडिट कार्ड शिकायतों, इंटरनेट बैंकिंग जैसे नए क्षेत्रों, बैंकों तथा इसके बिक्री एजेंटों द्वारा वादा की गई सेवा प्रदान करने में कमी, ग्राहक को पूर्व में सूचना दिए बिना सेवा प्रभार लगाने, अलग-अलग बैंकों द्वारा अपनाई जाने वाली उचित व्यवहार संहिता का पालन नहीं करना आदि पर ग्राहकों की शिकायतों को शामिल किया गया है। जब बैंकिंग लोकपाल योजना 1995 में शुरू की गई थी तब शिकायतों के कुल 11 प्रकार के आधार थे, वहीं आज बैंकिंग लोकपाल योजना के अंतर्गत बैंक सेवाओं के संबंध में 27 प्रकार के आधारों का प्रावधान है। रिज़र्व बैंक निशुल्क आधार पर बैंकिंग लोकपाल योजना को परिचालित करता है जिससे कि यह सभी की पहुंच में हो सके। इसकी प्रभावक्षमता और उपयोगिता में वृद्धि करने के लिए बैंकिंग लोकपाल योजना का निधियन और स्टाफ की पूर्ति आज पूरी तरह से रिज़र्व बैंक द्वारा की जाती है।
अल्पना किल्लावाला
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1698 |