28 अगस्त 2015
भारतीय रिज़र्व बैंक के मौद्रिक संग्रहालय ने मैसूर सिक्कों की विशेष प्रदर्शनी की शुरुआत की
भारतीय रिज़र्व बैंक के मौद्रिक संग्रहालय ने 20 अगस्त 2015 को मैसूर सिक्कों की विशेष प्रदर्शनी की शुरुआत की। डॉ. दीपाली पंत जोशी, कार्यपालक निदेशक ने इस विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मैसूर सिक्कों की प्रदर्शनी संबंधी 20 पृष्ठों वाले ब्रोशर का भी विमोचन किया गया। श्री यू.एस. पालीवाल, कार्यपालक निदेशक, प्रो. दामोदर आचार्य, रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल में निदेशक तथा श्री एस. रामस्वामी, क्षेत्रीय निदेशक, मुंबई कार्यालय उपस्थित थे।
भारतीय रिज़र्व बैंक के मौद्रिक संग्रहालय में मैसूर सिक्कों की विशेष प्रदर्शनी
इस प्रदर्शनी में 112 मैसूर सिक्के रखे गए हैं (सोने के 13, चांदी के 6 तथा ताम्र के 93 सिक्के), जो तलिकोटा युद्ध के बाद सन् 1565 ई. से चार सदियों की अवधि के दौरान मैसूर का मौद्रिक इतिहास बयां करते हैं। इस प्रदर्शनी में मैसूर वोडयारों, हैदर अली और टीपू सुल्तान के शासन काल में जारी किए गए सिक्कों को महत्व दिया गया है। मैसूर शासकों के शासन काल में सोने के सिक्के अधिक संख्या में पाए गए। कांथिरवा नरसराया सोने के सिक्के जारी करने वाला पहला शासक बना और ये सिक्के कांथिरवा वराह और अर्ध वराह के नाम से जाने जाते थे। ये सिक्के क्रमश: 3.5 ग्रा. और 1.7 ग्रा. वजन के थे, जिनकी एक ओर लक्ष्मी नरसिंह उत्कीर्ण है और दूसरी ओर उसके नाम का नागरी लीजैंड तीन पंक्तियों में दर्शाया गया है। उसने 0.35 ग्रा. के सोने का पणम भी जारी किया, जिसकी एक ओर नरसिंह है और दूसरी ओर उसका नाम है। बाद में दीवान पूर्णैया ने कृष्णराजा-।।। (सन् 1799-1832 ई.) के शासन काल में गिड्डा कांथिरवा पणम (‘गिड्डा’ का शाब्दिक अर्थ होता है ‘गाढ़ा’) का पुन: प्रारंभ किया। यह प्रथा हैदर अली और टीपू सुल्तान के शासन काल में जारी रही।
इन्हें तथा और अधिक सामग्री को देखने के लिए कृपया भारतीय रिज़र्व बैंक के मौद्रिक संग्रहालय, अमर बिल्डिंग (तल मंजि़ल), सर पी.एम. रोड, फोर्ट, मुंबई – 400 001 में पधारें। समय : मंगलवार से रविवार को पूर्वाह्न 10.45 बजे से शाम 05.15 बजे तक; सोमवार और बैंक अवकाशों में बंद।
अल्पना किल्लावाला
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/519 |