22 अक्टूबर 2015
भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वर्ण मुद्राकरण योजना (जीएमएस), 2015 के
कार्यान्वयन के लिए निदेश जारी किया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित स्वर्ण मुद्राकरण योजना, 2015 के कार्यान्वयन पर सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को आज निदेश जारी किया है।
योजना
स्वर्ण मुद्राकरण योजना (जीएमएस) मौजूदा स्वर्ण जमा योजना, 1999 का स्थान लेगी। तथापि, स्वर्ण जमा योजना के अंतर्गत जमा बकाये को परिपक्वता तक रखने की अनुमति होगी जब तक जमाकर्ता उनका समयपूर्व आहरण न करें।
निवासी भारतीय (व्यक्ति, एचयूएफ, ट्रस्ट जिनके अंतर्गत सेबी (म्यूच्युअल फंड) विनियमन और कंपनी के अंतर्गत पंजीकृत म्यूच्युअल फंड/शेयर बाजार ट्रेडेड फंड शामिल है) इस योजना के अंतर्गत जमा करा सकते हैं।
एक समय पर जमा किया जाने वाला न्यूनतम अपरिष्कृत सोना (बार, सिक्के, आभूषण जिसमें रत्न और अन्य धातु शामिल नहीं होंगे) 995 विशुद्धता वाले 30 ग्राम सोने के बराबर होगा। इस योजना के अंतर्गत जमा की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। स्वर्ण को भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा प्रमाणित और इस योजना के तहत केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित संग्रह और विशुद्धता परीक्षण केंद्रों (सीपीटीसी) में स्वीकार किया जाएगा। 995 विशुद्धता के स्वर्ण की बराबरी में जमा प्रमाण-पत्र बैंकों द्वारा जारी किए जाएंगे।
इस योजना के अंतर्गत जमा के मूलधन और ब्याज को स्वर्ण में मूल्यवर्गांकित किया जाएगा।
निर्दिष्ट बैंक अल्पावधिक (1-3 वर्ष) बैंक जमा (एसटीबीडी) और मध्यावधिक (5-7 वर्ष) तथा दीर्घावधिक (12-15 वर्ष) सरकारी जमा योजनाओं में स्वर्ण जमा स्वीकार करेंगे। अल्पावधिक जमा बैंकों द्वारा अपने खाते में स्वीकार की जाएगी, जबकि मध्यावधिक और दीर्घावधिक जमा भारत सरकार की ओर से स्वीकार की जाएगी। न्यूनतम लॉक-इन अवधि के अधीन समयपूर्व आहरण का प्रावधान होगा तथा दंड अलग-अलग बैंकों द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
इस योजना के अंतर्गत जमा किए गए स्वर्ण पर ब्याज परिष्करण के बाद व्यापार योग्य स्वर्ण बार में परिवर्तित होने की तारीख या सीपीटीसी या बैंक की निर्दिष्ट शाखा में स्वर्ण प्राप्त के 30 दिन के बाद, जैसी भी स्थिति हो तथा जो जल्दी हो, मिलना शुरू होगा।
सीपीटीसी या निर्दिष्ट शाखा द्वारा स्वर्ण प्राप्त करने की तारीख से जमा पर ब्याज शुरू होने की तारीख तक की अवधि के दौरान सीपीटीसी या निर्दिष्ट बैंक शाखा द्वारा स्वीकार किए गए स्वर्ण को निर्दिष्ट बैंक के सुरक्षित अभिरक्षण में एक मद माना जाएगा।
आरक्षित निधि अपेक्षाएं
अल्पावधिक बैंक जमाओं पर नकदी प्रारक्षित निधि अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) लागू रहेगा। तथापि, बैंकों द्वारा धारित स्वर्ण स्टॉक को सामान्य एसएलआर अपेक्षा के लिए गिना जाएगा।
केवाईसी लागू होना
स्वर्ण जमा खाते खोलना उन्हीं नियमों के अधीन होंगे जो ग्राहक पहचान के संबंध में अन्य जमा खातों पर लागू हैं।
जीएमएस के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण की उपयोगिता
निर्दिष्ट बैंक एसटीबीडी के अंतर्गत स्वीकार किए गए स्वर्ण को भारतीय स्वर्ण सिक्कों की ढलाई के लिए एमएमटीसी को बेच सकते हैं या उधार दे सकते हैं और आभूषण विक्रेताओं को बेच सकते हैं या उधार दे सकते हैं या जीएमएस में भागीदारी करने वाले अन्य निर्दिष्ट बैंकों को बेच सकते हैं। एमएलटीजीडी के अंतर्गत जमा कराए गए स्वर्ण की एमएमटीसी या केंद्र सरकार द्वारा प्राधिकृत अन्य एजेंसी द्वारा नीलामी की जाएगी और बिक्री से प्राप्त राशि को रिज़र्व बैंक में केंद्र सरकार के खाते में जमा कराया जाएगा। नीलामी में भाग लेने वाली संस्थाओं में रिज़र्व बैंक, एमएमटीसी, बैंक और केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य संस्थाएं शामिल हो सकती हैं। नीलामी में खरीदे गए स्वर्ण का उपयोग बैंक उपर्युक्त प्रयोजन हेतु उपयोग कर सकते हैं।
जोखिम प्रबंधन
निर्दिष्ट बैंक एक उचित सीमाओं सहित एक उपयुक्त जोखिम प्रबंधन तंत्र शुरू करें जिससे कि वे स्वर्ण के अपने निवल एक्सपोज़र के संबंध में स्वर्ण के मूल्य में होने वाली हलचलों से उत्पन्न होने वाले जोखिम का प्रबंध कर सकें। इस प्रयोजन के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय शेयर बाजारों, लंदन बुलियन बाजार संघ को एक्सेस करने या रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अधीन बुलियन मूल्यों की तुलना में एक्सपोज़र को हेज़ करने क लिए ओवर द काउंटर संविदाओं का उपयोग करने की अनुमति दी गई है।
शिकायत निवारण
रसीदों तथा जमा प्रमाण-पत्रों के निर्गम, जमाराशियों के उन्मोचन, ब्याज के भुगतान में किसी भी प्रकार की विसंगति के लिए निर्दिष्ट बैंकों के विरूद्ध शिकायतों का निपटान पहले बैंक की शिकायत निवारण प्रक्रिया से किया जाएगा तथा उसके बाद रिज़र्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल द्वारा किया जाएगा।
यह स्मरण होगा कि भारत सरकार ने 15 सितंबर 2015 के कार्यालय ज्ञापन एफ.सं. 20/6/2015- एफटी के तहत स्वर्ण मुद्राकरण योजना की घोषणा की थी। इस योजना का उद्देश्य देशभर में परिवारों और संस्थाओं द्वारा धारित स्वर्ण को जुटाना और उत्पादक प्रयोजनों के लिए इसके उपयोग को सुगम बनाना तथा अंततः स्वर्ण के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना है। रिज़र्व बैंक ने बैककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए बैंकों को निदेश जारी किया है।
सीपीटीसी और रिफाइनरों की सूची को अंतिम रूप दिया जा रहा है तथा जल्दी ही केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। भारतीय बैंक संघ आवश्यक प्रलेखन को अंतिम रूप दे रहा है जिसमें इस योजना के अंतर्गत निर्दिष्ट बैंकों, सीपीटीसी और रिफाइनरों द्वारा त्रिपक्षीय करार करना शामिल है। बैंक भी इस योजना को कार्यान्वित करने संबंधी आवश्यक प्रणालियां और प्रक्रियाएं शुरू कर रहे हैं। कार्यान्वयन की सटीक तारीख की घोषणा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अगले कुछ दिनों में की जाएगी।
अल्पना किल्लावाला
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/974 |