5 अगस्त 2016
भारतीय रिज़र्व बैंक ने जिजामाता महिला सहकारी बैंक लिमिटेड, सतारा, महाराष्ट्र
का लाइसेंस रद्द किया
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 30 जून 2016 के आदेश के तहत जिजामाता महिला सहकारी बैंक लिमिटेड, सतारा, महाराष्ट्र का बैंकिंग कारोबार करने का लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह आदेश 4 जुलाई 2016 को कारोबार की समाप्ति से प्रभावी हो गया। रजिस्ट्रार, सहकारी समिति, महाराष्ट्र से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे बैंक के परिसमापन और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने संबंधी आदेश जारी करें।
रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है क्योंकि:
-
बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 11(1) और 18 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है।
-
बैंक अपने मौजूदा और भावी जमाकर्ताओं का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है और बैंक का कारोबार भी मौजूदा और भावी जमाकर्ताओं के हितों के विरूद्ध किया जा रहा है तथा इस प्रकार, इस बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 22(3) (क), 22(3)(ख), 22(3) (ग), 22(3) (घ) और 22(3) (ङ) का अनुपालन नहीं किया।
-
बैंक ने अपने पुनरुज्जीवन के लिए कोई ठोस प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए की प्रयास नहीं किए हैं। इसके अलावा, किसी मजबूत बैंक के साथ विलय करने की संभावना को खोजने की सलाह देने के बावजूद, बैंक द्वारा इस संबंध में कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया गया है।
-
बैंक को इसी प्रकार से आगे कारोबार के लिए अनुमति देने से पूरी संभावना थी कि जनता के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप जिजामाता महिला सहकारी बैंक लिमिटेड, सतारा, महाराष्ट्र को बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
बैंक का लाइसेंस रद्द किए जाने और परिसमापन प्रक्रिया आरंभ करने से जिजामाता महिला सहकारी बैंक लिमिटेड, सतारा, महाराष्ट्र के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) अधिनियम, 1961 के अनुसार जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। परिसमापन के बाद हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर ₹ 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार है।
अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता
प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/336 |