बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 22 तथा धारा 36 (ए)(2) के अंतर्गत भारत में बैंकिंग कारोबार चलाने के लिए जारी किए गए लाइसेंस को रद्द करना तथा शहरी सहकारी बैंक का को-ऑपरेटिव सोसायटी में रूपांतरण – श्री युगप्रभाव सहकारी बैंक लि. बडौदा, (गुजरात) |
10 अगस्त 2016
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 22 तथा
धारा 36 (ए)(2) के अंतर्गत भारत में बैंकिंग कारोबार चलाने के लिए जारी किए गए लाइसेंस को
रद्द करना तथा शहरी सहकारी बैंक का को-ऑपरेटिव सोसायटी में रूपांतरण –
श्री युगप्रभाव सहकारी बैंक लि. बडौदा, (गुजरात)
जनसाधारण की सूचना के लिए एतद्द्वारा यह अधिसूचित किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 29 जून 2016 के आदेश द्वारा श्री युगप्रभाव सहकारी बैंक लि. बडौदा, (गुजरात) का लाइसेंस रद्द कर दिया है। खराब वित्तीय स्थिति और अनुपालन रिकॉर्ड को देखते हुए बैंक को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) के दायरे से बाहर हो जाने के लिए सूचित किया गया है। बैंक ने श्री युगप्रभाव को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के रूप में परिवर्तित होने के लिए उक्त अधिनियम की धारा 36 (ए)(2) में बताई गई सभी शर्तों को पूरा किया है। तदनुसार उक्त बैंक का बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित अधिनियम की धारा 5 (सीसीआई) में परिभाषित किए गए अनुसार “सहकारी बैंक” के रूप में कार्य करना बंद हो गया है तथा इस अधिनियम के उक्त सहकारी बैंक पर लागू होनेवाले सभी प्रावधान अब उसपर लागू नहीं होंगे। बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 22 के अंतर्गत भारत में बैंकिंग का कारोबार चलाने के लिए बैंक को प्रतिबंधित किया गया है। इसलिए बैंक को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 5(बी) में परिभाषित किए गए अनुसार “बैंकिंग” का कारोबार, जिसमें जमाराशियो की स्वीकृति/ चुकौती शामिल है, करने के लिए मना किया गया है।
अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता
प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/370 |
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