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Date: 09/12/2014
भारतीय स्‍टेट बैंक के लिए पर्यवेक्षी कॉलेज

9 दिसंबर 2014

भारतीय स्‍टेट बैंक के लिए पर्यवेक्षी कॉलेज

भारतीय स्‍टेट बैंक के लिए दूसरे पर्यवेक्षी कॉलेज का आयोजन मुंबई में 08 दिसंबर 2014 को किया गया। श्री एस.एस. मूंदड़ा, उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस पर्यवेक्षी कॉलेज का उद्घाटन किया। श्री मूंदड़ा ने अपने संबोधन में पर्यवेक्षी कॉलेजों के गठन पर संक्षेप में जानकारी दी और भारतीय बैंकिंग प्रणाली तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों के पर्यवेक्षण हेतु प्रयुक्‍त विभिन्‍न साधनों का विहंगावलोकन प्रस्‍तुत किया। उन्‍होंने बताया कि हालांकि किसी भी भारतीय बैंक ने वैश्वि‍क स्‍तर पर प्रणालीगत रूप से महत्‍वपूर्ण बैंक (जी-एसआईबी) का दर्जा हासिल नहीं किया है, फिर भी कुछ बड़े बैंक हमारे लिए प्रणालीगत रूप से महत्‍व रखते हैं। चूंकि भारतीय स्‍टेट बैंक सबसे बड़ा भारतीय बैंक है, अत: यह हमारी बैंकिंग प्रणाली में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। उप गवर्नर ने निष्‍कर्ष के तौर पर यह बताया कि आज की बैठक एक शुरुआत मात्र है। कॉलेज के सदस्‍यों और बैंकिंग समूह के बीच विचारों का आदान-प्रदान निरंतर आधार पर होते रहना चाहिए ताकि पर्यवेक्षण का एक बेहतर परिवेश तैयार किया जा सके।

श्री पी.आर. रवि मोहन, प्रभारी मुख्‍य महाप्रबंधक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक ने जोखिम आधारित पर्यवेक्षण (आरबीएस), स्‍वचालित डेटा फ्लो और केंद्रीय बड़े ऋणों की सूचना रिपोजि़टरी (सीआरआईएससी) के संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला। श्री सुदर्शन सेन, प्रभारी मुख्‍य महाप्रबंधक, बैंकिंग विनियमन विभाग ने उपस्थित सदस्‍यों को विनियमन में किए गए परिवर्तनों की जानकारी दी। श्रीमती अरुंधती भट्टाचार्य, अध्‍यक्ष, भारतीय स्‍टेट बैंक ने कॉलेज के समक्ष बैंक के अंतरराष्‍ट्रीय परिचालनों सहित बैंक के बारे में प्रस्‍तुतीकरण दिया और मेज़बान पर्यवेक्षकों द्वारा किए गए प्रश्‍नों का उत्‍तर दिया।

इस पूर्ण दिवसीय कार्यक्रम में मेज़बान और गृह पर्यवेक्षकों दोनों ने पारस्‍परिक रूप से महत्‍व रखने वाले कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। मेज़बान पर्यवेक्षकों ने अपने-अपने देशों में भारतीय स्‍टेट बैंक की उपस्थिति और परिचालन के संबंध में विचार व्‍यक्‍त किए। चौदह विदेशी कार्यक्षेत्रों के तेईस पर्यवेक्षकों ने भारतीय स्‍टेट बैंक के इस कॉलेज में भाग लिया। इस कॉलेज में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) और पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकारण (पीएफआरडीए) के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय बैंकों के विदेशी परिचालनों के पर्यवेक्षण के एक अंश के रूप में बड़े पैमाने पर अंतरराष्‍ट्रीय उपस्थिति रखने वाले बैंकों के लिए पर्यवेक्षी कॉलेजों का गठन किया है। पर्यवेक्षी कॉलेजों का गठन करने का मुख्य उद्देश्य पर्यवेक्षकों के बीच सूचना विनिमय और सहयोग बढ़ाना है ताकि बैंकिंग समूह की जोखिम रूपरेखा की समझ में सुधार किया जा सके और अंतरराष्ट्रीय रूप से सक्रिय बैंकों का अधिक प्रभावी पर्यवेक्षण हो सके। रिज़र्व बैंक ने दिसंबर 2012 में भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक लि. के लिए पहले पर्यवेक्षी कॉलेजों की स्‍थापना की। बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया और एक्सिस बैंक लि. के लिए क्रमशः फरवरी और सितंबर 2014 में कॉलेज स्थापित किए गए थे। आशा की जाती है कि इन कॉलेजों से पर्यवेक्षकों के बीच पारस्परिक विश्वास और सहयोग में वृद्धि होगी।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1191

 
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