22 मई 2017
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 को कार्यान्वित
करने के लिए कार्ययोजना की रूपरेखा बनाई
आज एक प्रेस प्रकाशनी में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 की घोषणा के बाद से उठाए गए कदमों और जिन पर चर्चा हो रही है, उनकी रूपरेखा बनाई।
2. अध्यादेश और इसके बाद केंद्रीय सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के माध्यम से बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 में संशोधन भारतीय रिज़र्व बैंक को किसी बैंकिंग कंपनी या बैंकिंग कंपनियों को चूक के मामले में शोध अक्षमता और दिवालियापन कोड, 2016 (आईबीसी) के प्रावधानों के अंतर्गत शोध अक्षमता समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए निदेश जारी करने में सशक्त बनाते हैं। यह रिज़र्व बैंक को दबावग्रस्त आस्तियों के संबंध में निदेश जारी करने तथा ऐसे सदस्यों वाले एक या दो प्राधिकरणों या समितियों को विनिर्दिष्ट करने में समर्थ भी बनाता है जिन्हें बैंक दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान पर बैंकिंग कंपनियों को परामर्श देने के लिए बैंक द्वारा नियुक्त करे या नियुक्ति का अनुमोदन दे।
3. अध्यादेश की घोषणा के तुरंत बाद, रिज़र्व बैंक ने दबावग्रस्त आस्तियों के निपटान पर मौजूदा विनियमों में निम्नलिखित बदलाव करने के लिए निदेश जारी किया था।
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यह स्पष्ट किया गया कि सुधारात्मक कार्ययोजना में लचीली पुनर्संरचना, एसडीआर और ए4ए शामिल हो सकता है।
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जेएलएफ में निर्णय निर्माण की सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से किसी प्रस्ताव के अनुमोदन हेतु सहमति को पूर्ववर्ती 75 प्रतिशत मूल्य से बदलकर 60 प्रतिशत कर दिया जाए जबकि संख्या 50 प्रतिशत रखी जाए।
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जेएलएफ द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव पर जो बैंक अल्पमत में थे, उनसे अपेक्षित है कि वे निर्धारित समय के अंदर एवजी नियमों का अनुपालन करने बाहर निकलें या जेएलएफ के निर्णय का पालन करें।
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सहभागिता करने वाले बैंकों को अधिदेश दिया गया है कि वे बिना किसी अतिरिक्त शर्त के जेएलएफ के निर्णय को कार्यान्वित करें।
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बैंकों के बोर्डों को सूचित किया गया कि वे बिना किसी आगामी संदर्भ के जेएलएफ निर्णयों को कार्यान्वित करने के लिए अपने कार्यपालकों को सशक्त बनाएं।
बैंकों को यह स्पष्ट किया गया कि इनका पालन नहीं करने पर प्रवर्तन कार्रवाई की जाएगी।
4. वर्तमान में निगरानी समिति (ओसी) में दो सदस्य हैं। इसका गठन भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से भारतीय बैंक संघ द्वारा किया गया है। यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के तत्वाधान में निगरानी समिति को पुनर्गठित किया जाए तथा इसमें और सदस्यों को शामिल करने के लिए इसका विस्तार भी किया जाए ताकि निगरानी समिति इसको भेजे जाने वाले मामलों के निपटान हेतु अपेक्षित बेंच गठित कर सके। जबकि पुनर्गठित निगरानी समिति में वर्तमान सदस्य बने रहेंगे, कुछ और सदस्यों के नामों की जल्दी ही घोषणा की जाएगी। रिज़र्व बैंक वर्तमान समय में यथाअपेक्षित एस4ए के अंतर्गत आने वाले मामलों से अधिक मामले निगरानी समिति को भेजने के लिए इसके कार्यक्षेत्र में विस्तार करने की योजना बना रहा है।
5. रिज़र्व बैंक एक ढांचे पर कार्य कर रहा है जो उन मामलों के संबंध में वस्तुनिष्ठ और अनुरूप निर्णय निर्माण प्रक्रिया की सुविधा प्रदान करेगा जिन मामलों का आईबीसी के अंतर्गत समाधान करने के संदर्भ के लिए निर्धारण किया जा सके। रिज़र्व बैंक पहले से ही बैंकों की बड़ी दबावग्रस्त आस्तियों की वर्तमान स्थिति पर सूचना प्राप्त कर चुका है। भारतीय रिज़र्व बैंक एक समिति का गठन करेगा जिसमें मुख्य रूप से इसके स्वतंत्र बोर्ड सदस्य होंगे जो इस संबंध में इस सलाह देंगे।
6. बैंकिंग प्रणाली में बड़ी दबावग्रस्त आस्तियों का मूल्य अनुकूलन तरीके में समाधान करने के लिए जरूरी समझे जाने वाले संशोधनों के लिए पुनर्संरचना संबंधी वर्तमान दिशानिर्देश समीक्षाधीन हैं। रिज़र्व बैंक इस मामले में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना कर रहा है, रेटिंग शॉपिंग और किसी प्रकार के हित-टकराव से बचने के लिए रिज़र्व बैंक रेटिंग कार्यों (असाइनमेंट) की व्यवहार्यता की खोजबीन कर रहा है जिसका निर्धारण रिज़र्व बैंक स्वयं करेगा और उसका भुगतान बैंकों तथा रिज़र्व बैंक के अंशदान से सृजित निधि से किया जाएगा।
7. रिज़र्व बैंक नोट करता है कि संवृद्धित सशक्तिकरण की उचित कार्रवाई में अनेक स्टेकधारकों से समन्वय और सहयोग की जरूरत होगी जिनमें बैंक, एआरसी, रेटिंग एजेंसियां, आईबीबीआई और पीई फर्में शामिल हैं जिसके लिए रिज़र्व बैंक इन स्टेकधारकों के साथ निकट भविष्य में बैठकें आयोजित करेगा।
8. रिज़र्व बैंक आवश्यक समझी जाने वाली आगे की अद्यतन जानकारी उचित समय पर जारी करेगा।
जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/3138 |