22 दिसंबर 2017
भारतीय रिज़र्व बैंक का शीघ्र सुधारात्मक कार्रवाई के अंतर्गत बैंकों पर स्पष्टीकरण
भारतीय रिज़र्व बैंक को सोशल मीडिया सहित मीडिया के कुछ खंडों में कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को शीघ्र सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे के अंतर्गत रखने के मद्देनजर इनके बंद होने संबंधी परिचालित गलत-सूचना संप्रेषण का पता चला। इस संबंध में 5 जून 2017 को जारी प्रेस प्रकाशनी की ओर ध्यान आकर्षित किया है जिसमें निम्नानुसार बताया गया थाः
“रिज़र्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि पीसीए ढांचे का आशय आम जनता के लिए बैंकों के परिचालनों को सीमित करना नहीं है।
आगे, सूचित किया जाता है कि रिज़र्व बैंक बैंकों की अच्छी वित्तीय स्थिति बनाए रखने के लिए अपने पर्यवेक्षी ढांचे के अंतर्गत विभिन्न उपायों/साधनों का उपयोग करता है। पीसीए ढांचा ऐसे ही पर्यवेक्षी साधनों में से एक है जिसमें समय पर चेतावनी कार्रवाई के रूप में बैंकों के कुछ कार्यनिष्पादन संकेतकों की निगरानी करना शामिल है तथा पूंजी, आस्ति गुणवत्ता आदि से संबंधित ऐसी थ्रेशोल्ड का उल्लंघन होते ही इस कार्रवाई को शुरू किया जाता है। इसका उद्देश्य बैंकों को समयबद्ध तरीके से रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित उपायों सहित सुधारात्मक उपाय करने की सुविधा प्रदान करना है जिससे कि उनकी वित्तीय स्थिति को पुनर्स्थापित किया जा सके। यह ढांचा रिज़र्व बैंक को उन क्षेत्रों में अधिक निकटता से प्रबंध-तंत्र के साथ मिलकर ऐसे बैंकों पर संकेंद्रित ध्यानाकर्षण करने का अवसर प्रदान करता है। इस प्रकार पीसीए ढांचा का आशय बैंकों को कतिपय जोखिमपूर्ण गतिविधियों से बचने के लिए प्रोत्साहित करना और पूंजी संरक्षण पर ध्यानकेंद्रित करना जिससे कि उनके तुलन-पत्रों को मजबूत बनाया जा सके।
रिज़र्व बैंक ने बल दिया है कि पीसीए ढांचा दिसंबर 2002 से परिचालनरत है और 13 अप्रैल 2017 को जारी दिशानिर्देश पूर्ववर्ती ढांचे का संशोधित संस्करण मात्र है।”
भारतीय रिज़र्व बैंक इसके द्वारा उपर्युक्त स्थिति को पुनःदोहराता है।
जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/1719 |