23 जनवरी 2018
दी भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल- बैंकिंग लाइसेंस रद्द करना
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 17 जनवरी 2018 के आदेश से दी भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल, मध्य प्रदेश को बैंकिंग कारोबार संचालित करने के लिए दिए गए लाइसेंस को 22 जनवरी 2018 के कारोबार की समाप्ति से रद्द किया है । सहकारी सोसाइटी के पंजीयक मध्य प्रदेश से बैंक के कारोबार को समाप्त करने और बैंक के लिए परिसमापक नियुक्त करने हेतु अनुरोध किया गया है।
भारतीय रि़ज़र्व बैंक ने इस बैंक के लाइसेंस को रद्द किया है क्योंकि :
-
बैंक के पास पर्याप्त पूंजी संरचना और आय की संभावना नहीं है। अत: यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 11 (1) और धारा 22 (3)(डी) के साथ पठित धारा 56 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है।
-
बैंक अपने वर्तमान और भावी जमाकर्ताओं को, उनके द्वारा दावे किए जाने पर, पूर्ण रूप से भुगतान करने की स्थिति में नहीं है, अत: बैंक बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22 (3)(ए) के साथ पठित धारा 56 में उल्लिखित शर्तों का अनुपालन नहीं करता है।
-
बैंक द्वारा की जाने वाली गतिविधियां वर्तमान और भावी जमाकर्ताओं के हित के लिए प्रतिकूल है अत: बैंक बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22 (3) (बी) के साथ पठित धारा 56 में उल्लिखित शर्तों का अनुपालन नहीं करता है।
-
बैंक द्वारा पूंजी वृद्धि और वित्तीय पुनर्गठन के लिए कोई सकारात्मक उपाय नहीं किया गया तथा पुनरुद्धार के लिए कोई ठोस / व्यवहार्य योजना नहीं तैयार की गई है।
-
बैंक की वित्तीय स्थिति में पुनरुद्धार की कोई संभावना नहीं है जबकि बैंक को इसे सुधारने के लिए पर्याप्त समय और अवसर दिया गया था।
-
यदि बैंक को अपना बैंकिंग कारोबार जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो यह सार्वजनिक हित के प्रतिकूल होगा।
लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप दी भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल, मध्य प्रदेश को तत्काल प्रभाव से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 (बी) में यथापरिभाषित “बैंकिंग” कारोबार, जिसमें जमाराशि स्वीकार करना और अदा करना भी शामिल है, करने की अनुमति तत्काल प्रभाव से समाप्त / रद्द की जाती है ।
लाइसेंस रद्दीकरण के बाद और परिसमापन के कार्य शुरू होने के अनुक्रम में दी भोपाल नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड, भोपाल, मध्य प्रदेश के जमाकर्ताओं को डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के अनुसार राशि अदा की जाने वाली प्रक्रिया शुरू की जाएगी। परिसमापन के दौरान प्रत्येक जमाकर्ता सामान्य नियम व शर्तों के अधीन निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से ₹ 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) तक की जमा राशि प्राप्त करने के लिए हकदार होगा।
अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता
प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/2010 |