9 नवंबर 2018
बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथा लागू) की धारा 35 क के अंतर्गत - निदेश – सीकर अर्बन को-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, सीकर (राजस्थान)
जनता के सूचनार्थ एतद्वारा अधिसूचित किया जाता है कि बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथा लागू) की धारा 35 क की उपधारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सीकर को-ओपरेटिव बैंक लिमिटेड, सीकर को कतिपय निदेश जारी किए गए हैं कि दिनांक 9 नवंबर 2018 को कारोबार समाप्ति से, उपर्युक्त बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्वानुमति लिए बिना भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 26 अक्तूबर 2018 के निदेशों में अधिसूचित सीमा और रीति को छोड़कर, कोई भी ऋण और अग्रिम मंजूर नहीं करेगा या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियाँ उधार लेने और नई राशियाँ स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा भले ही, भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से या अन्यथा से संबन्धित क्यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्यथा रीति से उसका निपटान करेगा। अधिसूचित निदेश की प्रतिलिपि हित रखने वाले जनता के सदस्यों के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई है। भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों में उल्लिखित शर्तों के अधीन प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते में या किसी भी अन्य जमा खाते में कुल शेष में से प्रत्येक जमाकर्ता को अधिकतम रू 2,000/- (रूपये दो हजार मात्र) तक की राशि आहरित करने की अनुमति दी गई है।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निदेश जारी करने का यह अर्थ नहीं लगाया जाये कि रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेन्स रद्द कर दिया है। बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार करना जारी रखेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक, परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है।
अनिरुद्ध डी. जाधव
सहायक प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/1085 |