26 अप्रैल 2019
रिजर्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए
लोकपाल योजना शुरु की
04 अप्रैल, 2019 को मौद्रिक नीति वक्तव्य के विकासात्मक और विनियामक नीतियों के विवरण के पैरा 11 में की गई घोषणा के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (रिजर्व बैंक) ने आज गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए लोकपाल योजना, 2018 (योजना) की कवरेज को पात्र, जमा न स्वीकारने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी-एनडी), जिनके पास 26 अप्रैल 2019 की अधिसूचना के अनुसार ग्राहक इंटरफ़ेस में 100 करोड़ या उससे अधिक की परिसंपत्ति है, तक बढ़ा दिया है।
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी-इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी –आईएफसी), कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (सीआईसी), इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड-नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (आईडीएफ-एनबीएफसी) और लिक्विडेशन के तहत एनबीएफसी को इस योजना के दायरे से बाहर रखा गया है।
रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45-आईए के तहत रिजर्व बैंक के साथ पंजीकृत एनबीएफसी के खिलाफ शिकायतों के निवारण के लिए 23 फरवरी, 2018 को योजना शुरू की गई थी और जमा स्वीकार करने वाली सभी एनबीएफसी को शुरू में इसमें शामिल किया गया था। इस योजना के तहत एनबीएफसी द्वारा सेवाओं में कमी से संबंधित एक लागत रहित और त्वरित शिकायत निवारण तंत्र प्रदान किया गया है। एनबीएफसी लोकपाल कार्यालय चार मेट्रो केंद्रों पर अर्थात चेन्नई, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली में कार्य कर रहे हैं और संबंधित क्षेत्रों के ग्राहकों की शिकायतों का निपटान कर रहे हैं।
यह योजना एक अपीलीय तंत्र भी प्रदान करती है जिसके तहत शिकायतकर्ता / एनबीएफसी के पास लोकपाल के निर्णय के खिलाफ समक्ष अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील करने का विकल्प होता है।
पूरी योजना रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
योगेश दयाल
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2018-2019/2542 |