31 जनवरी 2019
शीघ्र सुधारात्मक कार्रवाई ढांचा
वर्तमान में शीघ्र सुधारात्मक कार्रवाई ढांचे (पीसीएएफ) के अंतर्गत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कार्यनिष्पादन की समीक्षा करने के उपरांत, यह देखा गया है कि दिसंबर 2018 को समाप्त तिमाही के लिए उनके प्रकाशित परिणामों के अनुसार, आस्तियों पर प्रतिफल को छोड़कर, कुछ बैंक पीसीए मानदंडों का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। तथापि, हालांकि आस्तियों पर प्रतिफल नकारात्मक ही बना हुआ है, यह पूंजी पर्याप्तता संकेतक में प्रतिबिंबित हुआ है। इन बैंकों ने लिखित वचनबद्धता प्रदान की है कि न्यूनतम विनियामकीय पूंजी मानदंडों, निवल एनपीए और लीवरेज़ अनुपात का चालू आधार पर अनुपालन करेंगे तथा उन्होंने भारतीय रिज़र्व बैंक को उनके द्वारा शुरू किए गए संरचनागत तथा प्रणालीगत सुधारों के बारे में अवगत कराया है जो इन बैंकों को इन वचनबद्धताओं को पूरा करने में मदद करते रहेंगे। इसके अतिरिक्त, सरकार ने यह भी आश्वस्त किया है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान बैंक-वार आबंटन करते समय इन बैंकों की पूंजीगत अपेक्षाओं का विधिवत रूप से ध्यान रखा जाएगा।
उपर्युक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र जो विनियामकीय मानदंडों को पूरा करते हैं जिसमें पूंजी संरक्षण बफर (सीसीबी) शामिल है और जिनका तीसरी तिमाही के परिणामों के अनुसार निवल एनपीए 6 प्रतिशत से कम है, उन्हें कतिपय शर्तों और निरंतर निगरानी के अधीन पीसीए ढांचे से बाहर किया गया है। ऑरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के मामले में, हालांकि निवल एनपीए तीसरी तिमाही के प्रकाशित परिणामों के अनुसार 7.15 प्रतिशत था, सरकार ने तब से पर्याप्त पूंजी उपलब्ध कराई और उक्त बैंक एनपीए को 6 प्रतिशत से नीचे ले आया। इसलिए, यह निर्णय लिया गया है कि पीसीए ढांचे के अंतर्गत ऑरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स पर लगाए गए प्रतिबंधों को कतिपय शर्तों और निकट निगरानी के अधीन हटा लिया जाए।
भारतीय रिज़र्व बैंक विभिन्न मानदंडों के अंतर्गत इन बैंकों के कार्यनिष्पादन की निरंतर निगरानी करेगा।
जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/1807 |