4 मई 2022
मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2022-23
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
2 और 4 मई 2022
वर्तमान और उभरती समष्टि आर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (4 मई 2022) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:
परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 4.15 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 4.65 प्रतिशत हो गई है।
ये निर्णय, संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है।
इस निर्णय में अंतर्निहित मुख्य विचार नीचे दिए गए विवरण में व्यक्त की गई हैं
आकलन
वैश्विक अर्थव्यवस्था
2. अप्रैल 2022 में एमपीसी की बैठक के बाद से, भू-राजनीतिक तनावों और प्रतिबंधों से प्रेरित व्यवधान, कमियाँ और कीमतों में बढ़ोत्तरी स्थिर बनी हुई हैं और अधोगामी जोखिम बढ़ गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने तीन महीने से भी कम अंतराल में 2022 के लिए वैश्विक उत्पादन संवृद्धि के अपने पूर्वानुमान को 0.8 प्रतिशत अंक घटाकर 3.6 प्रतिशत कर दिया है। विश्व व्यापार संगठन ने 2022 के लिए विश्व व्यापार संवृद्धि के अनुमान को 1.7 प्रतिशत अंक घटाकर 3.0 प्रतिशत कर दिया है।
घरेलू अर्थव्यवस्था
3. मार्च-अप्रैल में कोविड-19 की तीसरी लहर के कम होने और प्रतिबंधों में ढील के साथ घरेलू आर्थिक गतिविधि स्थिर हो गई। ऐसा प्रतीत होता है कि शहरी मांग ने विस्तार बनाए रखा है लेकिन ग्रामीण मांग में कुछ कमजोरी बनी हुई है। निवेश गतिविधि जोर पकड़ती दिख रही है। वस्तु निर्यात ने अप्रैल में लगातार चौदहवें महीने दोहरे अंकों में विस्तार दर्ज किया। घरेलू मांग में सुधार के कारण गैर-तेल गैर-स्वर्ण के आयात में भी मजबूती वृद्धि हुई।
4. समग्र प्रणाली चलनिधि में वृहद अधिशेष बनी रही। 22 अप्रैल 2022 तक बैंक ऋण में 11.1 प्रतिशत की वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) हुई। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2022-23 में (22 अप्रैल तक) 6.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर घटकर 600.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
5. मार्च 2022 में, हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति फरवरी में 6.1 प्रतिशत से बढ़कर 7.0 प्रतिशत हो गई, जो बड़े पैमाने पर भू-राजनीतिक स्पिलओवर के प्रभाव को दर्शाती है। खाद्य मुद्रास्फीति 154 आधार अंक बढ़कर 7.5 प्रतिशत और मूल मुद्रास्फीति 54 आधार अंक बढ़कर 6.4 प्रतिशत हो गई। मुद्रास्फीति में तेजी से वृद्धि ऐसे माहौल में हो रही है जिसमें दुनिया भर में मुद्रास्फीति के दबाव बढ़ रहे हैं। आईएमएफ का अनुमान है कि 2022 में उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति 2.6 प्रतिशत अंक बढ़कर 5.7 प्रतिशत हो जाएगी और उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में 2.8 प्रतिशत अंक बढ़कर 8.7 प्रतिशत हो जाएगी।
संभावना
6. अत्यधिक अनिश्चितता मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र को घेर हुए है, जो उभरती भू-राजनीतिक स्थिति पर काफी निर्भर है। वैश्विक कमोडिटी मूल्य गतिशीलता भारत में खाद्य मुद्रास्फीति का कारण बनी हुई है, जिसमें मुद्रास्फीति संवेदनशील वस्तुओं की कीमतें शामिल हैं जो उत्पादन हानि और प्रमुख उत्पादक देशों द्वारा निर्यात प्रतिबंधों के कारण हो रही वैश्विक कमी से प्रभावित हैं। अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें उच्च लेकिन अस्थिर बनी हुई हैं, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रभावों के माध्यम से मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र के लिए काफी ऊर्ध्वगामी जोखिम पैदा कर रही हैं। आने वाले महीनों में मूल मुद्रास्फीति के उच्च बने रहने की संभावना है, जो उच्च घरेलू पंपों कीमतों और आवश्यक दवाओं की कीमतों के दबाव को दर्शाती है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कोविड-19 संक्रमण के फिर से बढ़ने के कारण पुनः लगने वाले लॉकडाउन और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान लंबे समय तक उच्च लॉजीस्टिक लागत को बनाए रख सकते हैं। ये सभी कारक एमपीसी के अप्रैल के वक्तव्य में निर्धारित मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र के लिए महत्वपूर्ण ऊर्ध्वगामी जोखिम पैदा करते हैं।
7. जहां तक घरेलू आर्थिक गतिविधि के संभावनाओं का संबंध है, सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान खरीफ उत्पादन की संभावनाओं को बढ़ा देता है। तीसरी लहर की कमी और बढ़ते टीकाकरण कवरेज के कारण संपर्क-गहन सेवाओं में सुधार जारी रहने की उम्मीद है। निवेश गतिविधि को मजबूत सरकारी पूंजीगत व्यय, क्षमता उपयोग में सुधार, सुदृढ़ कॉर्पोरेट बैलेंस शीट और अनुकूल वित्तीय स्थितियों से संवृद्धि मिलनी चाहिए। दूसरी ओर, उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक नीति के सामान्यीकरण से अस्थिर प्रभाव-विस्तार के साथ बिगड़ते बाह्य वातावरण, वस्तुओं की उच्च कीमतें और लगातार आपूर्ति बाधाओं से विकट बाधाएँ पैदा होती हैं। सभी पहलुओं पर विचार करने पर, भारतीय अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक परिस्थितियों में गिरावट का सामना करने में सक्षम प्रतीत होती है, लेकिन जोखिमों संतुलन की निरंतर निगरानी करना विवेकपूर्ण है।
8. इस पृष्ठभूमि में, एमपीसी का विचार है कि जबकि आर्थिक गतिविधि अंतर्निहित बुनियादी सिद्धांतों और बफर के बल पर आघात सहनीयता के साथ दुनिया का सामना करने वाली ताकतों के भंवर को मार्ग निर्देशन कर रही है, निकट अवधि के मुद्रास्फीति संभावनाओं के जोखिम तेजी से मूर्त हो रहे हैं, जैसा कि मार्च के मुद्रास्फीति प्रिंट और उसके बाद की गतिविधियों में परिलक्षित होता है। इस परिवेश में, एमपीसी को उम्मीद है कि मुद्रास्फीति उच्च बनी रहेगी, जिससे मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर करने और दूसरे दौर के प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए दृढ़ और कैलिब्रेटेड कदमों की आवश्यकता होगी। तदनुसार, एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करते हुए निभावकारी बने रहने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे चलकर संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे।
9. एमपीसी के सभी सदस्य – डॉ. शंशाक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, प्रो. जयंत आर. वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने नीतिगत रेपो दर को 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत करने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया।
10. सभी सदस्यों अर्थात् डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, प्रो. जयंत आर. वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने सर्वसम्मति से निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करते हुए निभावकारी बने रहने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे चलकर संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे।
11. एमपीसी की बैठक का कार्यवृत्त 18 मई 2022 को प्रकाशित किया जाएगा।
12. एमपीसी की अगली बैठक 6-8 जून 2022 के दौरान निर्धारित है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/154 |