9 जनवरी 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने गोंदिया डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गोंदिया (महाराष्ट्र)
पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 5 जनवरी 2023 के आदेश द्वारा, गोंदिया डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गोंदिया (महाराष्ट्र) (बैंक) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम), जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि योजना, 2014 (योजना) के प्रावधानों और नाबार्ड द्वारा जारी किए गए "धोखाधड़ी- वर्गीकरण, रिपोर्टिंग और निगरानी के लिए दिशानिर्देश संबंधी निदेशों के उल्लंघन/ अननुपालन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
दिनांक 31 मार्च 2020 की वित्तीय स्थिति के आधार पर बैंक की निरीक्षण रिपोर्ट से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह भी पता चला कि बैंक ने अधिनियम के प्रावधानों और नाबार्ड द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन/ अनुपालन करते हुए (i) दावा रहित पात्र जमाराशियों को निर्धारित समय-सीमा के भीतर जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि में अंतरित नहीं किया और (ii) नाबार्ड को धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग नहीं की/ विलंब से की। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि निदेशों का अननुपालन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
बैंक के उत्तर और बैंक द्वारा किए गए प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अधिनियम के प्रावधानों और नाबार्ड द्वारा जारी निदेशों के अननुपालन का उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1517 |