12 जून 2023
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि को-ऑपरेटिव बैंक ऑफ राजकोट लिमिटेड, राजकोट (गुजरात)
पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 5 जून 2023 के आदेश द्वारा दि को-ऑपरेटिव बैंक ऑफ राजकोट लिमिटेड, राजकोट (गुजरात) (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘बैंकों के ग्राहकों द्वारा अनधिकृत लेन-देन की रिपोर्टिंग', 'पंजीकरण प्रमाणपत्र और लाइसेंस में प्रकाशित अनुसार नाम - प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)' और 'शहरी सहकारी बैंकों में धोखाधड़ी: निगरानी और रिपोर्टिंग पद्धति में परिवर्तन' संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए ₹10.00 लाख (दस लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2022 तक के बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, तथा निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि बैंक ने (ए) (i) अपनी वेबसाइट के होम पेज पर अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की रिपोर्टिंग के लिए विशिष्ट विकल्प के साथ शिकायत दर्ज करने हेतु एक सीधा लिंक प्रदान नहीं किया था (ii) अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन और/या कार्ड आदि जैसे भुगतान लिखत के खो जाने या चोरी हो जाने की सूचना देने के लिए कई चैनलों के माध्यम से 24x7 पहुंच प्रदान नहीं की थी (iii) ग्राहकों को बैंक द्वारा भेजे गए एसएमएस और ई-मेल अलर्ट पर "प्रतिउत्तर" द्वारा तुरंत जवाब देने में सक्षम नहीं किया गया; (बी) कई अवसरों पर सोशल मीडिया पोस्ट में अपने नाम के संक्षिप्त रूप का इस्तेमाल किया, जिसमें बैंकिंग लाइसेंस में प्रकाशित बैंक का पूरा नाम प्रमुखता से प्रदर्शित नहीं किया गया था और साथ ही पूरे नाम के लिए इस्तेमाल किए गए फ़ॉन्ट का आकार संक्षिप्त नाम के लिए इस्तेमाल किए गए फ़ॉन्ट से छोटा था।; और (सी) भारतीय रिज़र्व बैंक को निर्धारित समय-सीमा के भीतर धोखाधड़ी के मामले की सूचना नहीं दी, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए उपरोक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों के उल्लंघन के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/394
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