कार्यपालकों की सूची
श्री शक्तिकान्त दास
गवर्नर
भारतीय रिज़र्व बैंक
18वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
22661872 |
22661784 |
governor@rbi.org.in |
श्री एस. सी. मुर्मू
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
17वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. पर्यवेक्षण विभाग (पर्यवेक्षी मूल्यांकन) |
22700933 |
---- |
edscm@rbi.org.in |
डॉ. ओ.पी. मल्ल
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
17वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग
2. वित्तीय स्थिरता विभाग
|
22633146 |
---- |
edopm@rbi.org.in |
श्री विवेक दीप
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
17वी मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. मुद्रा प्रबंध विभाग
2. भुगतान एवं निपटान प्रणाली विभाग
3. सूचना का अधिकार अधिनियम (वैकल्पिक अपीलीय प्राधिकारी) |
22614228 |
---- |
edvd@rbi.org.in |
श्री जयन्त कुमार दाश
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
17वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. विनियमन विभाग (विवेकपूर्ण विनियमन) |
22704222 |
---- |
edjkd@rbi.org.in |
श्री रोहित जैन
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
17वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. पर्यवेक्षण विभाग (जोखिम विश्लेषिकी एवं सुभेद्यता मूल्यांकन) |
22611089 |
---- |
edrj@rbi.org.in |
श्री राधा श्याम रथ
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
16वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. वित्तीय बाजार परिचालन विभाग
2. वित्तीय बाजार विनियमन विभाग
3. सचिव विभाग
|
22610689 |
---- |
edrsr@rbi.org.in |
श्री अजय कुमार
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
9वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. बाह्य निवेश और परिचालन विभाग
2. आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग
3. राजभाषा विभाग
4. जोखिम निगरानी विभाग
|
22611765 |
---- |
edak@rbi.org.in |
डॉ. राजीव रंजन
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
24वी मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. मौद्रिक नीति विभाग |
22610285 |
22700849, 22610430 |
---- |
श्री नीरज निगम
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
16वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग
2. वित्तीय समावेशन और विकास विभाग 3. निरीक्षण विभाग |
22634739 |
---- |
ednn@rbi.org.in |
श्री पी. वासुदेवन
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
20वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. कॉर्पोरेट कार्यनीति और बजट विभाग (बजट एवं निधि कार्यक्षेत्र को छोड़कर)
2. प्रवर्तन विभाग
3. फिंटेक विभाग
|
22631815 |
---- |
edpv@rbi.org.in |
श्री मनीष कपूर
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
8वीं मंज़िल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग |
22610709 |
---- |
edmk@rbi.org.in |
श्री आर लक्ष्मी कांत राव
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
16वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. विनियमन विभाग (आचार और परिचालन) |
22673338 |
---- |
edrlkr@rbi.org.in |
श्री अर्णब कुमार चौधरी
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम
2. विदेशी मुद्रा विभाग
3. अंतर्राष्ट्रीय विभाग |
---- |
---- |
---- |
श्रीमती चारूलता एस. कर
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
20वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. संचार विभाग
2. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग
3. केंद्रीय सुरक्षा कक्ष सहित मानव संसाधन प्रबंध विभाग |
22630699 |
---- |
edcsk@rbi.org.in |
श्री अविरल जैन
कार्यपालक निदेशक,
भारतीय रिज़र्व बैंक
20वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. विधि विभाग
2. परिसर विभाग
3. सूचना का अधिकार अधिनियम (प्रथम अपीलीय प्राधिकारी) |
22702533 |
---- |
edaj@rbi.org.in |
श्रीमती सुधा बालकृष्णन
मुख्य वित्तीय अधिकारी
भारतीय रिज़र्व बैंक
22वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
1. सरकारी और बैंक लेखा विभाग
2. कॉर्पोरेट कार्यनीति और बजट विभाग (बजट एवं निधि) |
22611952 |
---- |
cfooffice@rbi.org.in |
डॉ. नीना रोहित जैन
मुख्य महाप्रबंधक
|
उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
पहली मंजिल, अमर भवन
सर पी.एम. रोड,
मुंबई-400 001 |
22630483 |
---- |
cgmcepd@rbi.org.in |
श्रीमती रजनी प्रसाद
मुख्य महाप्रबंधक
|
कॉर्पोरेट कार्यनीति और बजट विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
मुख्य भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22610468 |
22610535 |
cgmcsbdco@rbi.org.in |
श्री पुनीत पंचोली
मुख्य महाप्रबंधक
|
संचार विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
9वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
22660502 |
---- |
cgmdoc@rbi.org.in |
श्री संजीव प्रकाश
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|
मुद्रा प्रबंध विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
चौथी मंजिल, अमर भवन
सर पी. एम. रोड,
मुंबई-400 001 |
22610900 |
---- |
cgmincdcm@rbi.org.in |
श्रीमती रेखा मिश्र प्रभारी परामर्शदाता
|
आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
7वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22610761 |
22630061 |
deprprincipaladviser@rbi.org.in |
श्री सुंदर मूर्ती
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|
बाह्य निवेश और परिचालन विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
22वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22631045 |
---- |
cgmincdeio@rbi.org.in |
सुश्री संगीता लालवानी
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|
सरकारी और बैंक लेखा विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन के सामने
मुंबई-400 008 |
23001670 |
---- |
cgmicdgbaco@rbi.org.in |
श्री शैलेंद्र त्रिवेदी
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
14वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत,
मुंबई-400 001. |
22626191 |
22691557 |
cgmincditco@rbi.org.in |
श्री गुणवीर सिंह प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|
भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
14वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22644995 |
---- |
cgmdpssco@rbi.org.in |
श्रीमती उषा जानकीरामन
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|
विनियमन विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
12वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22701223 |
---- |
cgmicdor@rbi.org.in |
डॉ. अजित रत्नाकर जोशी
प्रधान परामर्शदाता
|
सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
सी-8/9, बान्द्रा-कुर्ला कांप्लेक्स,
बान्द्रा, मुंबई-400 051 |
26571253 |
26572319
|
pradsim@rbi.org.in |
श्री टी. के. राजन
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|
पर्यवेक्षण विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
केंद्र I, विश्व व्यापार केंद्र,
मुंबई-400 005 |
22150573 |
22180157 |
cgmicdosco@rbi.org.in |
|
प्रवर्तन विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
मेजेनाइन तल, मुख्य भवन,
फोर्ट, मुंबई |
22650213 |
---- |
cgmincefdco@rbi.org.in |
श्रीमती निशा नम्बियार
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|
वित्तीय समावेशन और विकास विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
केंद्रीय कार्यालय
10वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22610261 |
---- |
cgmincfidd@rbi.org.in |
श्री सेशसाई जी
मुख्य महाप्रबंधक
|
वित्तीय बाजार परिचालन विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय
पहली मंजि़ल, मुख्य भवन शहीद भगत सिंह मार्ग
फोर्ट, मुंबई -400 001 |
22610642 |
22630981 |
cgmfmod@rbi.org.in |
सुश्री डिम्पल भांडिया
मुख्य महाप्रबंधक
|
वित्तीय बाजार विनियमन विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
9वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
22676743 |
---- |
cgmfmrd@rbi.org.in |
श्रीमती काया त्रिपाठी
मुख्य महाप्रबंधक
|
वित्तीय स्थिरता विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
तीसरी मंजिल, अमर भवन,
सर पी.एम. रोड,
मुंबई-400 001 |
22612214 |
---- |
cgmfsd@rbi.org.in |
श्री शुभेंदु पति मुख्य महाप्रबंधक |
फिंटेक विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
12वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22644031 |
---- |
cgmfintech@rbi.org.in |
डॉ. आदित्य गेहा
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|
विदेशी मुद्रा विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
11वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001. |
22610628 |
22610623 |
cgmincfed@rbi.org.in |
श्रीमती वंदना खरे
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |
मानव संसाधन प्रबंध विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
21वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22611954 |
|
cgminchrmd@rbi.org.in |
श्री गौतम प्रसाद बोरा
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
|
निरीक्षण विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
सी-7, बान्द्रा-कुर्ला कांप्लेक्स
बान्द्रा
मुंबई-400 051 |
26572308 |
26570399 |
cgminspco@rbi.org.in |
श्री राकेश त्रिपाठी
मुख्य महाप्रबंधक
|
आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
23वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22610671 |
22644158 |
cgmidmd@rbi.org.in |
श्री योगेश दयाल
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |
अंतरराष्ट्रीय विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
8वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22633047 |
---- |
cgmicid@rbi.org.in |
श्री उण्णिकृष्णन् ए.
प्रधान विधि परामर्शदाता
|
विधि विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
5वीं मंजिल, केंद्र I, विश्व व्यापार केंद्र,
मुंबई-400 005 |
22153480 |
---- |
helplegal@rbi.org.in |
डॉ. (श्रीमती) प्रज्ञा दास प्रभारी परामर्शदाता
|
मौद्रिक नीति विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
24वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22610431 |
22610432 |
cgmincmpd@rbi.org.in |
श्रीमती के निखिला प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|
परिसर विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
5वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001. |
22703072 |
22626698, 22660807 |
cgmincpremises@rbi.org.in |
श्रीमती एन सारा राजेंद्र कुमार
मुख्य महाप्रबंधक और मुख्य सतर्कता अधिकारी
|
राजभाषा विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
केंद्रीय कार्यालय भवन, 20वीं मंजिल
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001.
|
22671400 |
22613856 |
rajbhashaco@rbi.org.in |
श्री मनोरंजन दाश
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|
जोखिम निगरानी विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
केंद्रीय कार्यालय,
अमर बिल्डिंग, तीसरी मंजिल
सर पी.एम. मार्ग
फोर्ट मुंबई - 400 001 |
22618411 |
---- |
cgmrmd@rbi.org.in |
श्री यारासी जयकुमार मुख्य महाप्रबंधक एवं सचिव
|
सचिव विभाग
भारतीय रिज़र्व बैंक
16वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई-400 001 |
22704191 |
---- |
cgmincsd@rbi.org.in |
श्रीमती एन सारा राजेंद्र कुमार
मुख्य महाप्रबंधक और मुख्य सतर्कता अधिकारी |
केंद्रीय सतर्कता कक्ष
भारतीय रिज़र्व बैंक
केंद्रीय कार्यालय भवन, 20वीं मंजिल
शहीद भगत सिंह मार्ग
मुंबई-400 001 |
22671400 |
22613856 |
cvo@rbi.org.in |
नवंबर 2014 में ग्राहक सेवा विभाग का नाम उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग (उशिसंवि) कर दिया गया। यह विभाग भारतीय रिज़र्व बैंक और रिज़र्व बैंक द्वारा नियामित संस्थाओं से दी जानेवाली सेवाओं की कमियों पर प्राप्त सभी बाहरी शिकायतों का निवारण हेतु ‘एकल नोडल बिंदु’ के रूप में कार्य करता है। शिकायत निवारण के अलावा रिज़र्व बैंक के नियामक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत वित्तीय सेवा प्रदाताओं पर नैतिक व्यवहार को लागू करने के लिए नोडल विभाग के रूप में भी उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण विभाग कार्यरत है। यह विभाग बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के बारे में उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करने तथा जनता को शिक्षित करने का कार्य भी करेगा।
मुख्य कार्य:
-
बैंकों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ग्राहक सेवा और शिकायत निवारण संबंधी अनुदेशों/ सूचना का प्रसार करना।
-
रिज़र्व बैंक के विभिन्न कार्यालयों/ विभागों द्वारा दी गई सेवाओं से संबंधित शिकायत निवारण प्रणाली पर निगरानी रखना।
-
बैकिंग लोकपाल योजना (बीओएस) का प्रशासन करना।
-
भारतीय बैकिंग कोड़ एवं मानक बोर्ड (बीसीएसबीआई) के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करना।
-
बैंकों में ग्राहक सेवा से संबंधित कमियों के बारे में सीधे रूप से और भारत सरकार के सीपीग्रामस- CPGRAMS पोर्टल- द्वारा प्राप्त शिकायतों का निवारण सुनिश्चित करना।
-
ग्राहक सेवा तथा शिकायत निवारण से संबद्ध मामलों के बारे में बैंकों, भारतीय बैंक संघ, बीसीएसबीआई, बैंकिंग लोकपाल तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के नियामक विभागों के बीच संपर्क बनाए रखना और इस संबंध में रिज़र्व बैंक के विनियामक विभागों, आईबीए और बीसीएसबीआई को नीतिगत सहयोग देना।
-
बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 का वार्षिक रिपोर्ट को संकलित करना और प्रकशित करना।
कार्य:
-
बैंक का बजट बनाना और उसकी निगरानी, व्यय नियम
-
कॉर्पोरेट कार्यनीति - कार्यान्वयन की निगरानी
-
कारोबार निरंतरता नीति बनाना और बैंक में बीसीएम कार्यान्वित करना
-
अधिवर्षिता निधियों का प्रबंध, देयताओं का वार्षिक आधार पर वास्तविक मूल्यांकन
-
(i) कार्यालय खोलने से संबंधित कार्य और
(ii) बैंक द्वारा वित्तपोषित संस्थाओं से संबंधित कार्य
संचार विभाग की उत्पत्ति काफी समय पहले साठ के दशक में तत्कालीन अर्थशास्त्र विभाग में प्रकाशन और प्रेस संपर्क प्रभाग में खोजी जा सकती है। रिज़र्व बैंक और इसकी संबद्ध संस्थाओं के व्यापक कार्यों तथा प्रभावी प्रचार और जन संपर्क की आवश्यकता को देखते हुए सत्तर के दशक में प्रेस संपर्क अधिकारी के कार्यालय को संपूर्ण प्रेस संपर्क अनुभाग में परिवर्तित किया गया। इस प्रभाग को मार्च 2007 में संपूर्ण विभाग का दर्जा दिया गया और इसका नाम संचार विभाग (डीओसी) रखा गया।
संचार नीति
वर्ष 2008 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने पहली बार अपनी संचार नीति को विस्तार से बताया और इसे रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल के अनुमोदन से भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर डाला गया।
प्रचार-प्रसार
रिज़र्व बैंक के विभिन्न प्रकाशन रिज़र्व बैंक की प्रचार-प्रसार नीति के मुख्य आधार हैं। प्रकाशनों के अलावा, गवर्नर और उप गवर्नरों के भाषण नीतिगत निर्णयों के तर्क और स्पष्टीकरण उपलब्ध कराते हैं। मीडिया और रिज़र्व बैंक के बीच संचार का अनौपचारिक चैनल खुला रखने के लिए प्रत्येक दो महीनों में वित्तीय संपादकों के साथ अनौपचारिक चर्चाएं भी आयोजित की जाती हैं।
रिज़र्व बैंक के अंदर सूचना का प्रचार-प्रसार केंद्रीकृत है। संचार विभाग द्वारा सूचना के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयोग किए जाने वाले संचार के वर्तमान चैनल निम्नलिखित हैं:
-
प्रेस प्रकाशनियां, रिपोर्टों और प्रकाशनों के प्रेस सारांश, गवर्नर/उप गवर्नरों के भाषण और प्रत्युत्तर;
-
प्रेस कान्फ्रेंस, आर्थिक संपादकों की कान्फ्रेंस और मीडिया ब्रीफिंग;
-
रिज़र्व बैंक के अधिकारियों के साथ मीडिया कर्मियों की बैठकें/साक्षात्कार;
-
ई-मेल;
-
मीडिया के लिए शिक्षण सत्र
-
विवरणिका/पम्फलेट;
-
वेबसाइट;
-
विज्ञापन;
-
आवधिक प्रकाशन
प्रतिसूचना (फीडबैक)
360 डिग्री संचार प्रक्रिया के रूप में रिज़र्व बैंक अपनी वेबसाइट के माध्यम से विनियमों पर स्टेकधारकों से सक्रिय रूप से प्रतिसूचनाओं की मांग करता है। संचार विभाग समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार एजेंसियों तथा टेलीविज़न में आने वाली रिपोर्टों पर भी निगरानी रखता है और राष्ट्रीय मीडिया में आने वाली महत्वपूर्ण समाचार मदों का दैनिक समाचार सारांश तैयार करता है।
मुद्रा प्रबंधन विभाग मुद्रा नोटों और सिक्कों के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है। विभाग के अनिवार्य कार्यों में निम्नलिखित संबंधित हैं:
-
मुद्रा नोटों का प्रबंधन, जैसे, डिजाइन, छपाई और समय पर करेंसी नोटों की आपूर्ति और मुद्रा नोटों की वापसी और सिक्कों का वितरण।
-
नकली बैंकनोटों के संचलन को रोकना
-
मुद्रा चेस्ट की निगरानी और नोटों और सिक्कों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाकर जनता को ग्राहक सेवा की उपलब्धता।.
इस अधिदेश के तहत विभाग निम्नलिखित कार्य करता है:
योजन, अनुसंधान और विकास: नए डिजाइन बैंकनोटों की शुरुआत की आवश्यकता का मूल्यांकन और सुरक्षा विशेषताओं को बैंक नोटों में शामिल करने की आवश्यकता है, मुद्रा की जरूरतों, (नोटों और सिक्कों) का आकलन करना और नोटों और सिक्कों की पर्याप्त और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करना।
संसाधन और प्रेषण संचालन: इश्यू कार्यालयों के बीच नोटों और सिक्कों के आबंटन की निगरानी और उनकी आपूर्ति और समग्र संसाधन संचालन के लिए रसद।
मुद्रा तिजोरी परिचालन : मुद्रा तिजोरियों की स्थापना के लिए नीति बनाना, युक्तिकरण तथा उनके परिचालन की निगरानी करना ।
नोट एक्सचेंज परिचालन: गंदे और कटे-फटे नोटों के आदान-प्रदान से संबंधित नीति का अनुपालन और भारतीय रिज़र्व बैंक के इश्यू कार्यालयों एवं बैंकों के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) के नियम का अभिशासन तथा इस संबंध में ग्राहक सेवा की निगरानी करना।
जाली नोट सतर्कता संचालन: जाली नोटों से निपटने, डेटा संकलन और केंद्र और राज्य सरकार के साथ जाली नोटों के मामलों की जानकारी साझा करने और वास्तविक मुद्रा नोटों की सुविधाओं पर सार्वजनिक जागरूकता का आयोजन करने के लिए नीति तैयार करना।
नोट प्रसंस्करण परिचालन: मुद्रा चेस्ट पर जमा हुए गंदे नोटों की निगरानी करना और एक व्यवस्थित और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से उनकी निकासी और निपटान।
सुरक्षा संबंधी परिचालन: इश्यू ऑफिस और करेंसी चेस्ट, पारगमन में खजाना पर सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में नीति बनाना और साथ ही सुरक्षा व्यवस्था की समय-समय पर समीक्षा।
समष्टि आर्थिक नीति उन्मुख अनुसंधान के लिए एक ज्ञान केंद्र, रिज़र्व बैंक के आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग (डीईपीआर) को नीति-संबंधी निर्णय लेने के लिए अनुसंधान इनपुट और प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) सेवाएं प्रदान करने का काम सौंपा गया है। विभाग का अनुसंधान एजेंडा मुख्य रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने समष्टि आर्थिक चुनौतियों पर केंद्रित है और मौद्रिक नीति, विकास और मुद्रास्फीति की गतिशीलता, वित्तीय बाजारों, व्यापक आर्थिक चर, बैंकिंग क्षेत्र, वित्तीय स्थिरता और बाह्य प्रबंधन के पूर्वानुमान से संबंधित बहुआयामी मुद्दों को शामिल करता है।
विभाग भारतीय रिज़र्व बैंक की वैधानिक रिपोर्ट, अर्थात् वार्षिक रिपोर्ट और भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए जिम्मेदार है। विभाग के अन्य प्रकाशनों में राज्य वित्त: बजट का अध्ययन; भारतीय रिजर्व बैंक बुलेटिन; भारतीय के राज्यों पर सांख्यिकी की पुस्तिका, और रिज़र्व बैंक समसामयिक पत्र शामिल हैं । रिज़र्व बैंक का इतिहास भी विभाग द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
विभाग मौद्रिक संकलन, भुगतान संतुलन और बाह्य ऋण, धन के प्रवाह, वित्तीय बचत और राज्य वित्त पर प्राथमिक सांख्यिकी का एक स्रोत है। विभाग प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से समष्टि आर्थिक चरों के होस्ट पर दीर्घावधि श्रृंखला आंकड़ों के प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
यह विभाग अपनी अनुसंधान अध्यक्षता, फेलोशिप, अनुसंधान परियोजनाओं और अध्ययनों का प्रायोजन कर देश में अनुसंधान वातावरण को समर्थन और प्रोत्साहन देता है। विभाग आरबीआई शोधकर्ताओं, मीडिया और निजी क्षेत्र के विश्लेषकों के साथ वार्ता, सेमिनार और परस्पर संवाद सत्र के लिए दुनिया भर के प्रतिष्ठित शोधकर्ताओं, विद्वानों और नीति निर्माताओं को भी आमंत्रित करता है।
विभाग चार व्याख्यान आयोजित करता है - दो पूर्व गवर्नरों श्री सी.डी. देशमुख और श्री एल.के. झा की स्मृति में और दो व्याख्यान। प्रख्यात विद्वानों पी. आर. ब्रह्मानंद और प्रोफेसर सुरेश तेंदुलक की स्मृति।
कार्य
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विदेशी मुद्रा और भारतीय रिज़र्व बैंक की स्वर्ण आस्तियों का निवेश और प्रबंधन
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से संबंधित लेनदेन सहित भारत सरकार की तरफ से बाह्य लेनदेन का प्रबंध
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एशियाई समाशोधन यूनियन में भारत की सदस्यता से संबंधित सभी नीति मामले और
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स्वर्ण नीति, अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक (बीआईएस) की सदस्यता और भारत तथा रूस जैसे अन्य देशों के बीच द्विपक्षीय बैंकिंग व्यवस्था से संबंधित अन्य मामले, द्विपक्षीय और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) की मुद्रा स्वैप व्यवस्था
सरकारी और बैंक लेखा विभाग सरकार का बैंकर होते हुए बैंकों के बैंकर के रूप में मुख्य केंद्रीय बैंकिंग का कार्य करता/निभाता है।
सरकार का बैंकर
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केंद्र और राज्य सरकारों के प्रधान जमा खातों का रखरखाव भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय लेखा अनुभाग, नागपुर में किया जाता है।
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क्षेत्रीय कार्यालयों के बैंकिंग विभागों में निधियों के निपटान के लिए एजेंसी बैंकों के सरकारी लेनदेनों की रिपोर्टिंग के संबंध में प्रतिदिन परिचालन किया जाता है।
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सरकारी कारोबार से संबंधित विषयों जैसे कि एजेंसी बैंकों की नियुक्ति, उनके द्वारा किए जा रहे सरकारी कारोबार की निगरानी और उन्हें कमीशन का भुगतान करने के साथ-साथ एजेंसी बैंकों को अकसर सरकार के साथ परामर्श कर दिशा-निर्देश और अनुदेश जारी करना।
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उनके ई-प्राप्तियों और ई-भुगतान करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के कोर बैंकिंग व्यवस्था –ई-कुबेर के साथ केंद्रीय/ राज्य सरकार के प्रणाली का एकीकरण की निगरानी।
बैंकों का बैंकर
अन्य
सरकारी और बैंक लेखा विभाग (डीजीबीए) क्षेत्रीय कार्यालयों में बैंकिंग विभागों के केंद्रीय कार्यालय के रूप में भी कार्य करता है।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यों के निर्वहन हेतु केंद्रीय और मुख्य घटक है। ऊर्जा-कुशल और कागज रहित कार्यस्थलों सहित सर्वोत्तम श्रेणी और पर्यावरण अनुकूल डिजिटल बुनियादी ढाँचा प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जाता है।
विभाग ऐसे मंचों के माध्यम से पूरी तरह से डिजिटल रूप में जानकारी एकत्र करने, संसाधित करने और संग्रहीत करने की परिकल्पना करता है जो मौजूदा वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को बेहतर और नए बनाने में सक्षम बनाता है, जिससे जनता की सेवा की जा सके और पारदर्शिता, दक्षता और शीघ्रता के साथ अपने नियामक दायित्वों का निर्वहन किया जा सके। भारतीय रिज़र्व बैंक की आईसीटी रणनीति में निम्नानुसार चौतरफा दृष्टिकोण शामिल हैं:
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नई प्रौद्योगिकियों की दक्षता और समावेश के माध्यम से सभी अनुप्रयोगों में उद्यम-व्यापी स्थिरता द्वारा आईसीटी स्थापत्य को बदलना।
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रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (आरपीए), नेक्स्ट-ऑर्बिट सिस्टम, बिग डेटा एनालिटिक्स आदि जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों और उपकरणों के प्रयोग के माध्यम से आधुनिक अनुप्रयोगों का निर्माण।
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आईटी प्रणालियों के डिजाइन और स्थापत्य में अंतर्निहित "सुरक्षा" और "गोपनीयता" के मार्गदर्शक सिद्धांतों के साथ लचीलापन, विश्वसनीयता और लागत दक्षता पर ध्यान केंद्रित करके निरंतर परिचालन उत्कृष्टता बनाए रखना।
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गुणवत्ता आश्वस्ति, डेटा अखंडता और डेटा गोपनीयता के लिए मानक निर्धारित करके आईटी प्रशासन मानकों को सुदृढ़ करना।
विभाग केंद्रीय बोर्ड की आईटी उप-समिति (आईटीएससी) के मार्गदर्शन में कार्य करता है, विशेषकर समग्र आईटी रणनीति, बुनियादी ढांचा और अनुप्रयोग, आईटी और साइबर सुरक्षा, व्यवसाय निरंतरता योजना, आईटी परियोजना कार्यान्वयन आदि से संबंधित मामलों में।
कार्य:
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महत्वपूर्ण भुगतान प्रणालियों और संबद्ध अनुप्रयोगों, अर्थात् एनईएफटी, आरटीजीएस और एसएफएमएस (मैसेजिंग सिस्टम); ई-कुबेर प्रणाली जो सरकारों, बैंकों, चुनिंदा वित्तीय संस्थानों आदि को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के अलावा आंतरिक लेखांकन और बजट की प्रक्रिया करती है, को बनाए रखना और संचालित करना।
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बैंक में आईटी आर्किटेक्चर के लिए व्यापक नीति तैयार करना और उसके अनुसार निरंतर आधार पर आईटी बुनियादी ढांचे को विस्तृत करना, परिवर्तित करना और उन्नयन करना।
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आंतरिक अनुप्रयोगों का रखरखाव और उन्नयन।
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शून्य विश्वास-आधारित दृष्टिकोण और साइबर स्वच्छता संस्कृति के विकास पर आधारित सूचना और साइबर सुरक्षा।
विभाग बैंक की सहायक कंपनियों अर्थात् भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवाएँ (IFTAS) और रिज़र्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड (ReBIT) की देखरेख करता है।
कार्य:
भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग भारतीय रिजर्व बैंक में एक पृथक विभाग के रूप में मार्च 2005 में अस्तित्व में आया।
विभाग के कार्यों में शामिल हैं:
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भुगतान और निपटान प्रणाली के संबंध में नीति निर्माण
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भुगतान और निपटान प्रणालियों / ऑपरेटरों का प्राधिकरण
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भुगतान और निपटान प्रणालियों का विनियमन
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भुगतान और निपटान प्रणाली का पर्यवेक्षण और निगरानी
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भुगतान और निपटान प्रणाली के लिए मानकों का निर्धारण
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राष्ट्रीय महत्व की भुगतान प्रणाली परियोजनाओं को डिजाइन करना, उनका विकास और एकीकारण करना और / अथवा इनके क्रियान्वयन में सहायता प्रदान करना
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अंतर्राष्ट्रीय निपटारों के लिए बैंक द्वारा प्रतिपादित भुगतान प्रणाली से संबंधित अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का कार्यान्वयन
विभाग के चार क्षेत्रीय कार्यालय चेन्नई, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली में हैं।
भुगतान और निपटान प्रणाली के विनियमन और पर्यवेक्षण के लिए बोर्ड
भुगतान और निपटान प्रणाली के विनियमन और पर्यवेक्षण के लिए बोर्ड (बीपीएसएस) ने सभी प्रकार की भुगतान और निपटान प्रणालियों के विनियमन और पर्यवेक्षण से संबंधित नीतियों का प्रावधान किया है। बीपीएसएस मौजूदा और साथ ही साथ भविष्य की भुगतान प्रणालियों के लिए मानकों की स्थापना, भुगतान और निपटान प्रणालियों / ऑपरेटरों को प्राधिकृत करने, इन प्रणालियों की सदस्यता के लिए मानदंड निर्धारित करने के साथ इनके जारी रहने, समाप्ति और सदस्यता को रद्द करने से संबन्धित विषयों पर मार्गदर्शन भी प्रदान करता है। प्रत्येक तिमाही में बीपीएसएस की बैठक होती है।
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भारत में भुगतान और निपटान प्रणालियां भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (पीएसएस अधिनियम) के अंतर्गत विनियमित हैं। पीएसएस अधिनियम और इस अधिनियम के अंतर्गत बनाई गई भुगतान और निपटान प्रणाली विनियमावली 2008 दिनांक 12 अगस्त 2008 से प्रभावी हुई। पीएसएस अधिनियम के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अलावा अन्य कोई भी व्यक्ति भारत में भुगतान प्रणाली को आरंभ और परिचालित नहीं कर सकता है जब तक कि वह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत न किया गया हो।
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भारत में भुगतान और निपटान प्रणाली में चेक आधारित समाशोधन प्रणालियाँ, इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस (ईसीएस) सूट, नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) प्रणाली, डेबिट और क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हुए किए गए इलेक्ट्रॉनिक भुगतान, प्रीपेड भुगतान लिखत, मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग इत्यादि शामिल हैं। जबकि, रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (आरटीजीएस) और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) वित्तीय बाजार की आधारभूत संरचना को बनाते हैं वहीं भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) खुदरा भुगतानों के लिए एक छत्र संगठन है।
यह विभाग, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्रचना एवं प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002, साख सूचना कंपनियां (विनियमन) अधिनियम, 2005 और अन्य प्रासंगिक विधियों द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों, आवास वित्त कंपनियों और आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों सहित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों, जैसे भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्सिम बैंक), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी), भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी), राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक, और साख सूचना कंपनियां, जिन्हें सामूहिक रूप से "विनियमित संस्थाएं" (आर.ई.) कहा जाता है, को विनियमित करता है। विभाग अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रमुख कार्य करता है:
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आर.ई. की लाइसेंसिंग/पंजीकरण, शाखा विस्तार, समामेलन, पुनर्निर्माण, लाइसेंस/पंजीकरण रद्द करना और समापन/परिसमापन।
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अनुषंगियों की स्थापना, नई गतिविधियां शुरू करना, आदि के लिए प्राधिकरण/अनुमोदन प्रदान करना।
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आनुपातिकता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, विवेकपूर्ण और आचरण विनियमों के लिए मानदंड निर्धारित करके एक मजबूत, बहुआयामी और प्रतिस्पर्धी वित्तीय प्रणाली का संवर्धन और बढ़ावा देना।
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प्रमुख विनियामक नीतियां बनाते समय रिज़र्व बैंक के अन्य विभागों, अन्य वित्त क्षेत्र के विनियामकों, आर.ई., उद्योग निकायों और केंद्र/राज्य सरकारों सहित अन्य हितधारकों के साथ परामर्श और समन्वय करना।
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आर.ई. द्वारा नए/उभरते/अभिनव उत्पादों और सेवाओं के विकास के लिए उपयुक्त विनियामक वातावरण प्रदान करना।
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घरेलू और वैश्विक घटनाक्रमों से खुद को अवगत रखना और उपयुक्त नीतिगत प्रतिक्रियाएं तैयार करना, मौजूदा कानूनों में आवश्यक संशोधन और नए कानून बनाने का सुझाव देना।
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आर.ई. के लिए विनियामक मानकों को अंतरराष्ट्रीय मानकों/अंतरराष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के बराबर लाने का प्रयास करना।
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बैंकिंग, कॉर्पोरेट और बाह्य क्षेत्रों पर आंकड़ों का संग्रह, प्रोसेसिंग और विश्लेषण।
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रिज़र्व बैंक के महत्व के क्षेत्र के लिए नियमित रूप से तीव्र प्रतिदर्श सर्वेक्षणों की आयोजना, डिज़ाइनिंग और आयोजन।
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रिज़र्व बैंक के डेटा वेयरहाउस का अनुरक्षण और आंकड़ों/सूचना का प्रसार करना।
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महत्वपूर्ण समष्टि आर्थिक संकेतकों की मॉडलिंग और पूर्वानुमान।
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चर वस्तुओं के माप और अनुमान की पद्धति का विकास तथा समितियों, कार्य समूहों आदि में सहभागिता के माध्यम से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के डेटाबेस में सुधार करना।
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विशिष्ट क्षेत्रों में सांख्यिकी विश्लेषण के संबंध में रिज़र्व बैंक के अन्य विभागों को तकनीकी सहायता प्रदान करना और रिज़र्व बैंक के महत्व के क्षेत्रों का अध्ययन करना।
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प्राप्ति, प्रोसेसिंग, उत्पादन, भंडारण और आंकड़ों की पुनःप्राप्ति के प्रौद्योगिकी आधारित केंद्रीकृत सूचना प्रबंध प्रणाली का निर्माण और डेटा वेयरहाउसिंग दृष्टिकोण के आधार पर इसकी प्रसार प्रणाली। यह प्रणाली निर्णय निर्माताओं, विश्लेषकों और अनुसंधानकर्ताओं को स्वच्छ और अनुरूप पुराने और वर्तमान आंकड़ों की केंद्रीय रिपोजिटरी की ऑनलाइन और तत्काल पहुंच उपलब्ध कराती है।
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एक्सबीआरएल के अंतर्गत वित्तीय आंकड़ों की रिपोर्टिंग में मानकीकरण जिसे डेटा वेयरहाउस के साथ समेकित किया जा रहा है, और आने वाले समय में आवक आंकड़ों को प्राप्त करने और वैध करने के लिए एकमात्र मंच के रूप में परिकल्पना की गई है।
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आंकड़ों की गुणवत्ता कायम रखने के लिए सांख्यिकीय प्रणाली विकसित करना।
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रिज़र्व बैंक के आंकड़ों का प्रकाशन सीधे डेटा वेयरहाउस से करना।
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समष्टि आर्थिक बदलावों और मौद्रिक नीति निर्माण की प्रत्याशाओं पर स्पष्ट सर्वेक्षण कराना। संगत संकेतकों जैसे आवास, नए स्नातकों के लिए रोजगार नियोजन आदि पर आंकड़ों का अंतर पूरा करने के लिए अन्य आवधिक सर्वेक्षण कराना।
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अर्थव्यवस्था के निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र के वित्त से संबंधित अध्ययनों की कवरेज़ में सुधार करना।
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समष्टि आर्थिक चर वस्तुओं और संबंधित अनुभवजन्य कार्य के पूर्वानुमान का सृजन जिसमें पूर्वानुमानों और नीति बनावट के लिए तिमाही समष्टि अर्थमितीय मॉडल विकसित करना शामिल है।
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रिज़र्व बैंक के लिए संगत विभिन्न साख्यिकीय, अर्थमितीय और परिचालनात्मक अनुसंधान तकनीकों का उपयोग करते हुए विश्लेषणात्मक अध्ययन करना।
पर्यवेक्षण विभाग, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, ऋण सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005, वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन एवं प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 और फैक्टर विनियमन अधिनियम, 2011 के कानूनी ढांचे के भीतर सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर), स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, भुगतान बैंकों, लघु वित्त बैंकों, क्रेडिट सूचना कंपनियों, प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, आस्ति पुनर्रचना कंपनियों, फैक्टरिंग कंपनियों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों (एआईएफआई) के पर्यवेक्षण का अधिदेश देता है। हालांकि, आरबीआई द्वारा विनियमित आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) और विभिन्न ग्रामीण सहकारी बैंकों का पर्यवेक्षण आरबीआई द्वारा नहीं किया जाता है।
मुख्य कार्य:
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पर्यवेक्षित संस्थाओं (एसई) की सुरक्षा और सुदृढ़ता संबंधी निगरानी, जिसमें उनकी ऋण शोधन क्षमता की स्थिति की समीक्षा और प्रासंगिक विधियों के प्रावधानों के भीतर उनकी विनियामकीय अनुपालन की स्थिति शामिल है;
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विभिन्न संघटन, कारोबार और आकार की पर्यवेक्षित संस्थाएँ के लिए अपनाए गए विभिन्न मॉडलों/ मानकों के तहत निरीक्षण सहित विभिन्न पर्यवेक्षी प्रक्रियाओं और कार्य प्रणालियों की योजना बनाना और शुरू करना। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए निरीक्षण/ संवीक्षाएं, पर्यवेक्षित संस्थाओं की लेखा परीक्षा अथवा जांच से भिन्न होते हैं;
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विवरणी, आँकड़ा आदि के माध्यम से पर्यवेक्षित संस्थाओं की अप्रत्यक्ष निगरानी और समीक्षा तैयार करना, बैंकों/ एआईएफआई की बैलेंस शीट का विश्लेषण; बड़े क्रेडिट से संबंधित केंद्रीय सूचना भंडार (CRILC) का प्रबंधन; बैंकिंग प्रणाली की समीक्षा के संबंध में विभिन्न विश्लेषण तैयार करना;
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मौजूदा पर्यवेक्षी रुख के अनुरूप पर्यवेक्षण नीति तैयार करना; संशोधित त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे के अंतर्गत आने वाले बैंकों पर निगरानी/ कार्रवाई करना;
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वित्तीय क्षेत्र की धोखाधड़ी की एक केंद्रीकृत रजिस्ट्री का रखरखाव और जनता, बैंकों, सरकार, आदि से प्राप्त पर्यवेक्षित संस्थाओं के खिलाफ पर्यवेक्षी प्रभावों वाली शिकायतों पर ध्यान देना;
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सांविधिक लेखा परीक्षकों और विशेष लेखा परीक्षकों की नियुक्ति हेतु मानदंडों का निर्धारण और लेखा परीक्षा कार्य निष्पादन और प्रकटीकरण प्रथाओं का आकलन;
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नीति तैयार करना और पर्यवेक्षित संस्थाओं के साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचे और परिचालन की निगरानी करना; साइबर सुरक्षा घटनाओं से संबंधित रिपोर्ट का विश्लेषण करना और एडवाइजरी/ अलर्ट/ परिपत्र जारी करने सहित आवश्यक अनुवर्ती कार्रवाई करना;
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वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (बीएफएस) और बीएफएस की उप-समिति के लिए सचिवालय के रूप में कार्य करना;
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अंतर-विनियामकीय फोरम (आईआरएफ), जिसे वित्तीय क्षेत्र विकास परिषद उप-समिति (एफएसडीसी-एससी) के तत्वावधान में 2012 में स्थापित किया गया था, के सचिवालय के रूप में कार्य करना और वित्तीय संगुट (एफसी) के समन्वित पर्यवेक्षण की निगरानी के लिए घरेलू पर्यवेक्षकों, अर्थात् आरबीआई, सेबी, आईआरडीए और पीएफआरडीए, के कॉलेज के रूप में कार्य करना;
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राज्य स्तरीय समन्वय समिति (एसएलसीसी), शहरी सहकारी बैंकों पर कार्यबल (टीएएफसीयूबी), आदि जैसे अंतर-एजेंसी मंचों का समन्वय करना; तथा
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पर्यवेक्षी सूचना साझा करने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू)/ सहकारिता पत्र (एलओसी) के माध्यम से अन्य क्षेत्राधिकारों के पर्यवेक्षकों के साथ जुड़कर पर्यवेक्षकों के बीच सीमा-पार सहयोग को मजबूत करना।
भारतीय रिजर्व बैंक को बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में लागू विभिन्न क़ानूनों के तहत दंड लगाने का अधिकार प्राप्त है। प्रवर्तन प्रक्रिया विभिन्न पर्यवेक्षी / विनियामक विभागों में फैली हुई थी। अप्रैल 2017 में प्रवर्तन विभाग की स्थापना, अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुसरण में विनियामक / पर्यवेक्षण प्रक्रिया से प्रवर्तन कार्रवाई को अलग करने के लिए की गई थी ताकि विनियमित संस्थाओं द्वारा उल्लंघनों की पहचान करके उस पर कार्रवाई के लिए एक संरचित, नियम आधारित दृष्टिकोण तैयार किया जा सके और सभी संस्थाओं में समान रूप से उसे लागू किया जा सके।
विभाग का मुख्य कार्य रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं के विरुद्ध पर्यवेक्षण रिपोर्टों और विनियामक संदर्भों के आधार पर उद्देश्यपूर्ण और सुसंगत तरीके से प्रवर्तन कार्रवाई करना है ताकि एक वित्तीय प्रणाली स्थिरता के व्यापक नियमों का अनुपालन, अधिक से अधिक सार्वजनिक हित और उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा प्रवर्तन नीति में अन्य बातों के साथ-साथ उल्लंघनों के महत्व के निर्धारण के लिए विचारणीय कारकों और जुर्माना की राशि के निर्धारण के लिए वित्तीय पर्यवेक्षण के लिए बोर्ड की मंजूरी पर तैयार ढांचे को शामिल किया गया है।
प्रारंभ में, विभाग को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 47 ए के तहत बनाए गए नियम और दिशानिर्देश/ विनियम तथा रिज़र्व बैंक द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के संबंध में जारी निदेश के तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) को उल्लंघनों के लिए मौद्रिक दंड लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके बाद, बीआर अधिनियम के तहत सहकारी बैंकों तथा रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58जी के तहत गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफ़सी) से संबंधित प्रवर्तन कार्य भी 3 अक्तूबर 2018 से प्रभावी रूप में विभाग के कार्यक्षेत्र में लाया गया। रिज़र्व बैंक को भुगतान और भुगतान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 30, फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011 की धारा 22, ऋण सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 25 और सरफ़ेसी अधिनियम, 2002 की धारा 30 क के तहत विनियमन अधिनियम के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार है। विभाग को एससीबी, सहकारी बैंकों और एनबीएफसी द्वारा उल्लंघनों के लिए उक्त अधिनियमों के तहत प्रवर्तन कार्रवाई करने के लिए भी अधिदेश दिया गया है। संबंधित विनियामक / पर्यवेक्षी विभागों द्वारा फेमा, 1999 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए मौद्रिक दंड और अन्य विनियामक या पर्यवेक्षी कार्रवाई की जाती रहेगी।
प्रवर्तन कार्रवाई की प्रक्रिया में विनियमित इकाई को कारण बताओ नोटिस जारी करना और इसे 'उचित प्रक्रिया' वाले प्रासंगिक न्याय के सिद्धांत के अनुरूप सुनने का एक उचित अवसर प्रदान करना शामिल है। वर्तमान में कार्यपालक निदेशकों की तीन सदस्यीय समिति मामले से संबंधित न्याय-निर्णयन करती है और सकारण (स्पीकिंग) आदेश पारित करती है। प्रवर्तन कार्रवाई का विवरण प्रेस प्रकाशनियों और रिज़र्व बैंक के विभिन्न प्रकाशनों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है।
वर्तमान में आरबीआई को प्रवर्तन कार्रवाई करने में सक्षम करने वाली विधि केवल विनियमित संस्थाओं पर, न कि संस्थाओं के प्रभारी या उल्लंघन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर, मौद्रिक दंड लगाने का अधिकार देती है । यह भी नोट किया जाए कि प्रवर्तन प्रक्रिया ग्राहक शिकायत निवारण की व्यवस्था नहीं है। तथापि, संबंधित पर्यवेक्षी विभाग द्वारा जांच के निष्कर्षों के आधार पर संभावित प्रवर्तन कार्रवाई के लिए उल्लंघन से संबंधित शिकायतों की जांच की जाती है।
विभाग के छह क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई, नागपुर और नई दिल्ली में स्थित हैं।
रिज़र्व बैंक की वित्तीय समावेशन और विकास भूमिका में ग्रामीण और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्रों सहित अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्ध कराने के लिए नीतियां बनाने की परिकल्पना की गई है। वित्तीय शिक्षण और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देना इस कार्य का वर्तमान ध्यानकेंद्रण बिन्दु है और यह वित्तीय समावेशन पर नवीकृत राष्ट्रीय ध्यानकेंद्रण को संक्षेप में प्रस्तुत करता है। संक्षेप में विभाग के कार्य इस प्रकार हैं:
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प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्रों के लिए ऋण प्रवाह को मजबूती प्रदान करने के लिए समष्टि नीति बनाना
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यह सुनिश्चित करना कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार बैंकों के लिए समाज के वित्तीय रूप से वंचित वर्गों के बीच अप्रयुक्त कारोबारी अवसर प्राप्ति का साधन बने
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बुनियादी औपचारिक वित्तीय सेवाओं और उत्पादों की श्रृंखला तक पहुंच सुनिश्चित करना और वित्तीय जागरूकता पहल को बढ़ाना
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एमएसएमई क्षेत्र के लिए ऋण प्रवाह को बढ़ाना और एमएसएमई खातों में व्याप्त दबाव को दूर करने के लिए एक सरल और तेज प्रणाली उपलब्ध कराना
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सरकार द्वारा प्रायोजित चुनिंदा योजनाओं के माध्यम से व्यक्तियों, स्वयं सहायता समूहों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों और अल्पसंख्यक समुदायों में ऋण प्रवाह को बढ़ाना
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राज्य स्तरीय बैंकर समिति और अग्रणी बैंक योजना जैसी संस्थागत व्यवस्था को मजबूत बनाना जिससे कि इन उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके
नवंबर 2014 में वित्तीय बाजार विभाग से बनाए गए वित्तीय बाजार परिचालन विभाग (एफएमओडी) को रिज़र्व बैंक के मौद्रिक नीति उद्देश्यों को कार्यान्वित करने के लिए बाजार परिचालन का कार्य करने का दायित्व सौंपा गया है। यह विभाग रिज़र्व बैंक की तरफ से मुद्रा, सरकारी प्रतिभूतियों और विदेशी मुद्रा बाजार का कार्य करता है। इस दायित्व के भाग के रूप में एफएमओडी विभिन्न बाजार खंडों के विश्लेषण भी करता है और सूचित निर्णय निर्माण के लिए शीर्ष प्रबंध तंत्र को इनपुट उपलब्ध कराता है।
एफएमओडी के विशेष कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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घरेलू विदेशी मुद्रा बाजार परिचालन (स्पॉट, फारवर्ड और स्वैप)
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अगस्त 2014 में संशोधित चलनिधि प्रबंध ढ़ांचे के अंतर्गत चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) परिचालन (रिपो, प्रत्यावर्तनीय रिपो, सीमांत स्थायी सुविधा) जिसमें खुला बाजार परिचालन (सीधी बिक्री/गिल्ट की खरीद)
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विशिष्ट प्रयोजन हेतु विशेष बाजार परिचालन (एसएमओ)
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रिज़र्व बैंक की रुपया संदर्भ दर का अभिकलन और प्रसार
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सांकेतिक प्रभावी दर (एनईईआर) और वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (आरईईआर) का अभिकलन
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बाजार स्थिरता योजना (एमएसएस) के अंतर्गत दिनांकित प्रतिभूतियों का निर्गम और पुनर्खरीद
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बाजार गतिविधियों का विश्लेषण
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बाजारोन्मुखी अनुसंधान और विश्लेषण करना
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बैंकिंग प्रणाली में चलनिधि आवश्यकता का अनुमान लगाना
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रिज़र्व बैंक की वित्तीय बाजार समिति (एफएमसी) को सचिवीय सहायता प्रदान करना
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शीघ्र चेतावनी समूहों (ईडब्ल्यूजी) जिसमें वित्तीय क्षेत्र के विनियामकों और वित्त मंत्रालय शामिल हैं, की बैठकों में सहयोग करना
इसके अतिरिक्त, एफएमओडी वित्तीय बाजार के विभिन्न खंडों, तत्काल सकल निपटान खातों के परिचालन के लिए अंतरा-दिवस सीमाओं का निर्धारण (आईडीएल) करता है और रिज़र्व बैंक के अन्य विभागों, अंतरराष्ट्रीय और अन्य विनियामक संगठनों से प्राप्त संदर्भ देखता है।
वित्तीय बाजार विनियमन विभाग (एफएमआरडी) की स्थापना वित्तीय बाजारों को नियंत्रित करने, विकसित करने और उनकी निगरानी करने के अधिदेश के साथ 3 नवंबर 2014 को की गई है। विभाग के प्रमुख कार्यकलापों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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मुद्रा, सरकारी प्रतिभूतियों, विदेशी मुद्रा बाजारों और संबंधित डेरिवेटिव बाजारों का विनियमन और विकास;
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ब्याज दरों और विदेशी मुद्रा बाजारों के लिए वित्तीय बेंचमार्कों का विनियमन और पर्यवेक्षण;
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मुद्रा, सरकारी प्रतिभूतियों, विदेशी मुद्रा बाजारों और ओवर दि काउंटर (ओटीसी) डेरिवेटिव लेनदेन के लिए ट्रेड रिपोजिटरी सहित संबंधित डेरिवेटिव बाजारों के लिए वित्तीय बाजार मूलभूत सुविधा से संबंधित विकास कार्य;
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मुद्रा, सरकारी प्रतिभूतियों, विदेशी मुद्रा बाजारों और संबंधित डेरिवेटिव बाजारों की निगरानी/निरीक्षण; और
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मुद्रा, सरकारी प्रतिभूतियों और विदेशी मुद्रा बाजारों पर तकनीकी परामर्शदात्री समिति और ब्याज दर तथा करेंसी फ्यूचर्स पर आरबीआई-सेबी तकनीकी समिति के लिए सचिवीय सहायता।
इसके अतिरिक्त एफएमआरडी के एक भाग के रूप में बाजार आसूचना कक्ष स्थापित करना प्रस्तावित है।
वित्तीय संकट का समाधान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पहलों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना के सुदृढ़ीकरण को ध्यान में रखते हुए वित्तीय स्थिरता विभाग (एफएसडी) जुलाई 2009 में स्थापित की गई। एफएसडी के मुख्य कार्य निम्नानुसार हैं:
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सतत आधार पर वित्तीय प्रणाली की समष्टि-आर्थिक निगरानी करना
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वित्तीय स्थिरता रिपोर्टें तैयार करना
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मुख्य वित्तीय संकेतकों की समय-श्रृंखलाओं का विकास
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आघात सहनीयता का आकलन करने के लिए प्रणालीगत दबाव परीक्षण कराना और
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वित्तीय स्थिरता का आकलन करने के लिए मॉडलों का विकास
वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) के गठन के बाद, एफएसडी एफएसडीसी की उप-समिति को सचिवालय उपलब्ध कराती है, एफएसडीसी की अध्यक्षता गवर्नर द्वारा की जाती है। कार्यपालक निदेशक (एफएसडी के प्रभारी) एफएसडीसी उप-समिति के सदस्य सचिव के रूप में कार्य करता है।
विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (फेरा) को निरस्त कर दिया गया और इसके स्थान पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) नामक नया अधिनियम 1 जून 2000 से प्रभावी हुआ। बाह्य व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाने और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के सुव्यवस्थित विकास और सुचारु संचालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह नई व्यवस्था लागू की गयी।
विदेशी मुद्रा लेनदेन सुविधा
चूंकि प्रक्रियाओं को अब सरल बनाया गया है और फेमा, 1999 के तहत शक्तियां प्राधिकृत व्यक्तियों को प्रदान कर दी गयी हैं, इसलिए व्यष्टि नागरिकों के मामले में विदेशी मुद्रा विभाग की भूमिका न्यूनतम है। भारत में निवासी व्यक्तियों को अपनी विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं के लिए केवल प्राधिकृत व्यक्तियों से संपर्क करना होता है। भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित चालू खाता नियमावली और रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित पूंजी खाता विनियमावली में दिए गए निर्देशों के अनुसार व्यष्टियों के विदेशी मुद्रा लेनदेन की सुविधा प्राधिकृत व्यक्ति प्रदान करेंगे। रिज़र्व बैंक केवल उन्हीं आवेदनों पर कार्रवाई करता है जिन पर विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली और (पूंजी खाता लेनदेन) विनियमावली के तहत रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन की अपेक्षा होती है।
फेमा उल्लंघनों की कंपाउंडिंग
फेमा में निहित भावना को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने इस अधिनियम की धारा 15 के तहत रिज़र्व बैंक को शक्ति प्रदान की है कि वह फेमा, 1999 की धारा 3(क) को छोड़कर इस अधिनियम की अन्य सभी धाराओं के उल्लंघनों की कंपाउंडिंग कर सकता है। कंपाउंडिंग के तहत उल्लंघनकर्ता के पास स्वेच्छा से उल्लंघन स्वीकार करने, दोष मानने और निवारण की मांग करने का विकल्प होता है। यह प्रक्रिया जहाँ उन व्यष्टियों और कंपनियों को राहत प्रदान करती है जिन्होंने अनजाने में फेमा का उल्लंघन किया है, वहीं यह इरादतन, दुर्भावनापूर्ण और धोखाधड़ीपूर्ण लेनदेन के प्रति गंभीर रुख रखती है।
मानव संसाधन प्रबन्ध विभाग का विज़न है कि अपने बैंक को केन्द्रीय बैंकिंग के क्रियाकलापों को पूरा करने के बारे में सहायता प्रदान की जाए, यथा – (i) संस्था की दक्षता को बढ़ाने के लिए सही परिवेश का सृजन करना; (ii)स्टाफ का समुचित कार्यनियोजन करके, उसे प्रोत्साहन देकर सर्वोत्कृष्ट कार्यनिष्पादन और (iii)भरोसे का वातावरण तैयार करना, प्रत्याशाओं के प्रति आश्वस्त करना और ऐसी भावना को बढ़ावा देना कि यह संस्था अपने स्टाफ की सुख-सुविधाओं और उनकी अभिलाषाओं का ध्यान रखती है। इससे निजी अभिलाषाओं को व्यवसायिक लक्ष्यों के समतुल्य रखते हुए दक्षता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
विशिष्ट रूप से मानव संसाधन प्रबंध विभाग के निम्नलिखित कार्य हैं:
a. निम्नानुसार मानव संसाधन नीतियों का निरूपण
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भर्ती
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नियुक्ति
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पदोन्नति और करियर का क्रमिक विकास
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कार्यनिष्पादन और क्षमता का मूल्यांकन
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प्रशिक्षण, विकास और कौशल उन्नयन
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गतिशीलता (स्थानांतरण और प्रत्यावर्तन)
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पारितोषिक एवं प्रोत्साहन
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सेवानिवृत्ति/ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से रिक्तियां
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वेतन संरचना एवं अन्य सुविधाएं
- प्रतिनियुक्तियां/सेकेंडमेंट/ड्यूटी पर दौरा
b. बैंक में सामान्यत: अनुशासन प्रबंधन प्रणाली का संचालन करना।
c. बैंक के परिचालन में पारदर्शिता तथा जवाबदेही को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों के अनुसार सूचना का प्रसार करना।
d. बैंक में मानव स्रोतों के डेटाबेस का रख-रखाव कर उसे अद्यतन करना।
e. सद्भावपूर्ण औद्योगिक संबंध बनाए रखना और स्टाफ के विभिन्न वर्गों के विविध मान्यता प्राप्त निकायों से वेतनमान तथा भत्तों, कल्याण योजनाओं, कार्मिक नीतियों इत्यादि पर बातचीत करना।
f. कार्यनिष्पादन के मूल्यांकन प्रणाली की निरंतर समीक्षा करते रहने ताकि इसे मानव संसाधन विकास नीति प्रबंधन का एक प्रभावी साधन बनाया जा सके।
g. तरक्की तथा अनुक्रमण योजनाएं बनाना
h. भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रशिक्षण संस्थानों यथा आंचलिक प्रशिक्षण केन्द्र, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई तथा नई दिल्ली के अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक स्टाफ कॉलेज, चेन्नई तथा कृषि बैंकिंग महाविद्यालय, पुणे की निगरानी करना तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों को औचित्यपूर्ण बनाना।
i. स्टाफ सुझाव योजना का संचालन करना।
j. ग्रीष्मकालीन नियोजन प्रस्तावित करना।
k. गृह पत्रिका – ‘विदाउट रिज़र्व’ का प्रकाशन तथा आरबीआई क्विज़ का आयोजन करना।
l. केन्द्रीय बोर्ड की मानव संसाधन प्रबंध उप समिति के लिए सचिवालय की भूमिका निभाना।
m. कार्य-स्थल पर महिलाओं के यौन शोषण निवारण से संबंधित मामलों की निगरानी सहित केन्द्रीय शिकायत समिति को सचिवालय संबंधी सहायता प्रदान करना।
निरीक्षण विभाग
निरीक्षण विभाग की स्थापना उसी वर्ष अर्थात 1935 में हुई, जिस वर्ष भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपना कार्य आरंभ किया था। विभाग को भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों के परिचालन / कार्यप्रणाली के संबंध में निष्पक्ष और उद्देश्यपरक आश्वासन/फीडबैक देने की जिम्मेदारी सौपी गई थी । विभाग, रिज़र्व बैंक के जोखिम प्रबंधन, आंतरिक नियंत्रणों तथा गवर्नेंस प्रक्रिया की पर्याप्तता और विश्वसनीयता के संबंध में परीक्षण/मूल्यांकन करता है और रिपोर्ट देता है ।
निरीक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की लेखापरीक्षा तथा जोखिम प्रबंधन उप समिति (एआरएमएस) के सचिवालय का कार्य करता है तथा अपने मूल्यांकन की रिपोर्ट उप समिति के समक्ष प्रस्तुत करता है । उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत किए गए लेखापरीक्षा प्रेक्षणों को समीक्षा और मार्गदर्शन के लिए कार्यपालक निदेशक समिति के समक्ष भी प्रस्तुत किया जाता है। सूचना प्रणाली (आईएस) लेखापरीक्षा के निष्कर्षों को भी कार्यपालक निदेशक समिति तथा केंद्रीय बोर्ड की लेखापरीक्षा तथा जोखिम प्रबंधन उप समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है । भारतीय रिज़र्व बैंक की गवर्नेंस-संरचना में आंतरिक लेखापरीक्षा की प्रमुख भूमिका है ।
भारतीय रिज़र्व बैंक में निरीक्षण का स्वरूप
वर्तमान में, विभाग द्वारा निम्नलिखित प्रकार के निरीक्षण किए जाते हैं / उनका समन्वय किया जाता है ।
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जोखिम आधारित आंतरिक लेखापरीक्षा (आरबीआईए)
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सूचना प्रणाली लेखापरीक्षा
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समवर्ती लेखापरीक्षा (सीए)
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नियंत्रण स्व-मूल्यांकन लेखापरीक्षा (सीएसएए)
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अनुपालन लेखापरीक्षा
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परियोजना लेखापरीक्षा
जोखिम आधारित आंतरिक लेखापरीक्षा (आरबीआईए)
जोखिम आधारित आंतरिक लेखापरीक्षा (आरबीआईए) के अंतर्गत निरीक्षण विभाग द्वारा प्रबंध तंत्र को स्वतंत्र और उद्देश्यपरक राय प्रदान की जाती है कि रिज़र्व बैंक की कारोबारी प्रक्रियाओं तथा जोखिमों का उचित तरीके से प्रबंधन किया जा रहा है या नहीं । जोखिम आधारित आंतरिक लेखापरीक्षा (आरबीआईए) द्वारा अन्य लेखापरीक्षाओं के निष्कर्षों की समीक्षा की जाती है । विभिन्न कारोबारी इकाइयों, यथा, केंद्रीय कार्यालय विभागों (कें.का.वि.), क्षेत्रीय कार्यालयों (क्षे.का.), प्रशिक्षण संस्थानों (प्र.सं.), बैंकिंग लोकपाल कार्यालयों (बैं.लो.का.) और संबद्ध संस्थानों (स.सं.) की लेखापरीक्षा 12 से 36 माह के बीच की विभिन्न आवधिकता पर की जाती है ।
सूचना प्रणाली लेखा परीक्षा (आईएसए)
सूचना प्रणाली (आईएस) लेखापरीक्षा, जोखिम आधारित आंतरिक लेखापरीक्षा (आरबीआईए) के एक भाग के रूप में कार्यात्मक लेखापरीक्षा के साथ की जाती है ताकि आंतरिक नियंत्रणों की पर्याप्तता तथा प्रभावकारिता का आकलन किया जा सके और बैंक में उपयोग में लाई जा रही सूचना प्रणालियों के अनुपालन के बारे में स्वतंत्र आश्वासन दिया जा सके । इस लेखापरीक्षा का उद्देश्य बैंक की आईएस नीति के प्रावधानों का पालन किए जाने की जांच करना है ।
समवर्ती लेखा परीक्षा (सीए)
आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था के भाग के रूप में, सभी कारोबारी इकाइयों से अपेक्षित है कि वे अपने लेनदेनों (मुख्य रूप से वित्तीय लेन-देनों) की लेखापरीक्षा बाह्य सनदी लेखाकार फर्मों से ऐसे लेनेदनों के होने के साथ-साथ कराएं ।
नियंत्रण स्व-मूल्यांकन लेखा परीक्षा (सीएसएए)
यह एक स्व-मूल्यांकन / गुणवत्ता परीक्षण की प्रक्रिया है जिससे जोखिम नियंत्रणों में कमियों का मूल्यांकन/पता लगाया जाता है ताकि समय पर समीक्षा की जा सके और इन कमियों को दूर करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें। यह मूल्यांकन उन लोगों द्वारा किए जाते हैं जो मूल्यांकन किए जाने वाले परिचालनों/प्रक्रियाओं से सीधे जुड़े नहीं होते हैं । सभी कारोबार इकाइयों से अपेक्षित है कि वे प्रत्येक वर्ष में कम से कम दो बार अर्थात जून और दिसंबर छमाही में सीएसएए लेखापरीक्षा सुनिश्चित करें ।
अनुपालन लेखापरीक्षा
अनुपालन लेखापरीक्षा संगठन में जोखिम में कमी लाने का एक महत्वपूर्ण साधन है जिसके माध्यम से लेखापरीक्षिती कार्यालयों द्वारा आरबीआईए के लिए प्रस्तुत अनुपालन की स्थिति और इसको बनाए रखने का पता लगाया जाता है । ऐसे लेखापरीक्षाधीन कार्यालयों, जिनको उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया गया है, नकी अनुपालन लेखापरीक्षा उच्च प्रबंधन के निर्देशानुसार निरीक्षण विभाग द्वारा चक्र के बीच में की जाती है ।
परियोजना लेखापरीक्षा
परियोजना लेखापरीक्षा, परियोजना जोखिम आकलन की एक स्वतंत्र, उद्देश्यपरक प्रकिया है जो शीर्ष प्रबंध तंत्र को आश्वासन प्रदान करती है । परियोजना लेखापरीक्षा, निरीक्षण विभाग के तत्वावधान में इसके आंतरिक संसाधनों अथवा बैंक के भीतर से अन्य विभागों से डोमेन विशेषज्ञों अथवा जरूरत पडने पर बाहरी लेखापरीक्षा फर्मों की सहायता से की जाती है। परियोजना लेखापरीक्षा, परियोजना की व्यवहार्यता / बाधाओं का आकलन और पुन: पुष्टि करके, प्रारंभिक चेतावनी संकेत/अलर्ट प्रदान करके, सुधार की गुंजाइश की पहचान और सुझाव देकर तथा समय और लागत की बचत, आदि द्वारा लाभ प्रदान करती है ।
अनुपालन, अनुवर्ती कार्रवाई और रिपोर्टिंग
निरीक्षण विभाग द्वारा लेखापरीक्षा प्रेक्षणों (आरबीआईए, आईएसए, सीए, सीएसएए, अनुपालन लेखापरीक्षा तथा परियोजना लेखापरीक्षा) के संबंध में अनुवर्ती कार्रवाई की जाती है ताकि तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई और जोखिम से बचाव के प्रत्युपाय सुनिश्चित किए जा सकें । विभाग आवश्यकतानुसार, ऑफसाइट और ऑनसाइट मूल्यांकन भी करता है । विभाग द्वारा कारोबार इकाइयों से समय-समय पर रिटर्न प्राप्त करके ऑफसाइट निगरानी की जाती है और उनका विश्लेषण भी किया जाता है तथा आवश्यकतानुसार उन पर अनुवर्ती कार्रवाई की जाती है।
लेखापरीक्षा और जोखिम प्रबंधन उप समिति (एआरएमएस) तथा कार्यपालक निदेशक समिति (ईडीसी) की बैठकें
विभाग द्वारा लेखापरीक्षा तथा जोखिम प्रबंधन उप समिति (एआरएमएस) तथा कार्यपालक निदेशक समिति (ईडीसी) की बैठकों के समन्वयन और समय-समय पर इनके आयोजन की व्यवस्था की जाती है। एआरएमएस और ईडीसी की बैठकें सामान्यत: तिमाही में एक बार आयोजित की जाती है ।
आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग की मुख्य गतिविधियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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जोखिम और लागत प्रभावी ढंग से सरकार के ऋण का प्रबंधन;
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सरकार के ऋण प्रबंधन के लिए अभिनव और व्यावहारिक समाधान प्रदान करना;
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प्राथमिक डीलरों के मजबूत संस्थागत ढांचे का निर्माण।
विभाग में निम्नलिखित प्रभागों के माध्यम से कार्य किया जाता है:
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सरकारी उधार प्रभाग (जीबीडी): भारत सरकार (भारत सरकार के परामर्श से निर्गम कैलेंडर संबंधी तैयारी सहित), सभी राज्य सरकारों और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्र के बाजार उधार कार्यक्रमों, लिखतों का चयन तथा अवधि का प्रबंधन, नीलामी प्रक्रिया का प्रबंधन और राज्य और केंद्र के नकदी शेष की निगरानी करना।
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लेन देन परिचालन प्रभाग (डीओडी): सीएसएफ और जीआरएफ जैसी योजनाओं के अधीन और विदेशी केंद्रीय बैंकों की ओर से योजनाओं के तहत राज्य सरकारों द्वारा निवेश प्रयोजनों के लिए द्वितीयक बाजार से प्रतिभूतियों की खरीद के लिए सरकारी प्रतिभूतियों के बाजार के साथ इंटरफेस। अन्य बातों के अलावा सरकारी प्रतिभूतियों की प्राप्तियों की घटबढ़ पर नजर रखता है तथा शीर्ष प्रबंधन के लिए आवश्यक फीडबैक प्रदान करता है। द्वितीयक बाजार - सरकारी प्रतिभूतियों का मासिक और त्रैमासिक विश्लेषण किया जाता है।
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प्राथमिक व्यापारी विनियमन प्रभाग (पीडीआरडी): प्राथमिक व्यापारियों का विनियमन तथा पर्यवेक्षण करता है और प्राथमिक नीलामी में उनकी बोली-प्रतिबद्धताओं पर नज़र रखता है, प्राथमिक व्यापारियों के कार्यनिष्पादन की समीक्षा करता है और नए प्रतिभागियों को प्राधिकृत करता है।
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अनुसंधान प्रभाग: राज्य वित्त सचिवों के सम्मेलन सहित विभिन्न समितियों के लिए नीति, विश्लेषणात्मक और तकनीकी जानकारी प्रदान करने के लिए नोडल प्रभाग है। इसके अलावा संसदीय प्रश्न, केंद्रीय बोर्ड / केंद्रीय बोर्ड की समितियों के प्रश्नों, बैंक, भारत सरकार और अन्य प्रकाशनों के लिए शोध संबंधी योगदान देने के लिए केन्द्र बिन्दु के रूप में कार्य करता है।
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प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) प्रभाग: सरकार नकदी शेष संबंधी आंकड़ा संचय (डाटाबेस) पर नजर रखना, शीर्ष प्रबंधन के लिए एमआईएस रखना, विभिन्न सांविधिक और आंतरिक प्रकाशनों के लिए डेटा प्रदान करता है, सरकारी प्रतिभूतियों की नीलामी गतिविधियों के लिए प्रौद्योगिकी मंच की देखरेख और विश्लेषणात्मक कार्य करता है । इसके अलावा मुख्य रूप से बैंक की तरलता प्रबंधन प्रयोजनों के लिए सरकारी नकदी शेष के आकलन और अल्पावधिक अनुमानों मूल्याकंन करता है।
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केंद्रीय ऋण प्रभाग (सीडीडी): लोक ऋण प्रबंधन संबंधी कार्यों का लेखा / रिपोर्टिंग रखता है। सरकारी प्रतिभूतियों के डिपॉजिटरी के रूप में कार्य करने साथ ही लोक ऋण का रखरखाव एवं सर्विस करनेवाले लोक ऋण कार्यालयों के लिए नीति तैयार करना तथा निगरानी संबंधी कार्य करता है। सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 / नियम 2007 और लोक ऋण अधिनियम, जहाँ भी 1944 / नियम 1947 लागू करने की व्यवस्था करता है।
रिज़र्व बैंक में अंतरराष्ट्रीय विभाग का गठन 3 नवंबर 2014 को किया गया जिससे कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कूटनीति और वैश्विक विनियामक मानकों के सृजन में सहभागिता पर ध्यानकेंद्रण को बढ़ावा दिया जा सके। यह विभाग अंतरराष्ट्रीय मंच पर भागीदारी करने और इस क्षेत्र में शीर्ष प्रबंध तंत्र के विचारों के आदान-प्रदान में सहायता देने और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग में अपनी संस्था की सहभागिता के लिए जिम्मेदार है। यह विभाग इस क्षेत्र के मुद्दों पर रिज़र्व बैंक के रुख के लिए अनुसंधान उन्मुखी कार्य करता है। विभाग रिज़र्व बैंक की बाह्य सेवाओं और संपर्कों के लिए भी उत्तरदायी है जिसमें अन्य केंद्रीय बैंकों के साथ तकनीकी सहयोग के मामले शामिल हैं।
यह विभाग मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्य देखता है:
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), अंतरराष्ट्रीय निपटान बैंक (बीआईएस), वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी), जी20, ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स), दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ का वित्त (सार्क फाइनान्स), भुगतान और बाजार इंफ्रास्ट्रक्चर समिति (सीपीएमआई), वैश्विक वित्तीय प्रणाली समिति (सीजीएफएस), विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ), एशियाई विकास बैंक (एडीबी) आदि जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं/देशों के समूहों के साथ रिज़र्व बैंक के संबंध।
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अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए नीति महत्व के मुद्दों पर रिज़र्व बैंक के विचार प्रस्तुत करना जिसमें विनियामक मुद्दे और केंद्रीय बैंक के करेंसी स्वैप भी शामिल हों।
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अन्य केंद्रीय बैंकों के अधिकारियों के क्षमता निर्माण के लिए रिज़र्व बैंक की पहल और विदेशी संस्थाओं/बाजार सहभागियों/विश्वविद्यालयों आदि के प्रतिनिधियों के लिए एक्सपोज़र दौरों की व्यवस्था करना।
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अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के वर्तमान मुद्दों पर अनुसंधान टिप्पणियां तैयार करना।
विधि विभाग के प्राथमिक दायित्व निम्नलिखित हैं :-
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रिज़र्व बैंक के सर्वोच्च प्रबंधन, विभागों, क्षेत्रीय कार्यालयों और सहायक संस्थाओं को कानूनी सलाह देना।
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रिज़र्व बैंक तथा निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम की ओर से मुकदमों की देखरेख करना।
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रिज़र्व बैंक के विभिन्न विभागों के परिपत्रों, निर्देशों, विनियमों और करारों की जांच करना। रिज़र्व बैंक द्वारा बनाए जाने वाले विधान का मसौदा तैयार करने में मदद करना।
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सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत रिज़र्व बैंक के प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के सचिवालय के रूप में कार्य करना।
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रिज़र्व बैंक की ओर से केंद्रीय सूचना आयोग और विभिन्न न्यायिक मंचों, जैसे जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण मंच, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, श्रम अदालतों/ औद्योगिक अधिकरणों इत्यादि में उपस्थित होना।
कार्य
अधिदेश और उद्देश्य
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अनुसार, “.......भारत में मौद्रिक स्थिरता प्राप्त करने की दृष्टि से बैंकनोटों के निर्गम को विनियमित करना तथा प्रारक्षित निधि को बनाएं रखना और सामान्य रूप से देश के हित में मुद्रा और ऋण प्रणाली संचालित करना, अत्यधिक जटिल अर्थव्यवस्था की चुनौती से निपटने के लिए आधुनिक मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क रखना, वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना।”
मुख्य कार्य
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मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के लिए एक सचिवालय के रूप में कार्य करना।
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मौद्रिक नीति तैयार करने में एमपीसी की सहायता करना।
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एमपीसी को तकनीकी जानकारी जैसे अल्पकालिक और मध्यम अवधि विकास और मुद्रास्फीति के अनुमानों को प्रदान करना।
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चलनिधि की स्थितियों का आकलन और पूर्वानुमान करके मौद्रिक नीति को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना।
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वित्तीय बाजार समिति (एफएमसी) में भाग लेता है जो नकदी प्रबंधन के साथ-साथ वित्तीय बाजारों के संचालन के मार्गदर्शन के लिए दैनिक आधार पर मिलना।
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नियमित आधार पर मौद्रिक नीति की निगरानी और संचरण का मूल्यांकन।
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मौद्रिक नीति रिपोर्ट (एमपीआर) तैयार करना।
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बैंक ऋण के आंकड़ों का क्षेत्र-वार और उद्योग-वार संकलन।
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बैंकों के सीआरआर/एसएलआर बनाए रखने के अनुपालन को मॉनिटर करना।
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अंतिम ऋणदाता के रुप में कार्य करने के लिए बैंक के नोडल विभाग के रूप में कार्य करना।
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राज्य सरकारों को खाद्य ऋण प्राधिकृत और आबंटित करना।
परिसर विभाग का उत्तरदायित्व बैंक के परिसरों पर अवसंरचना का निर्माण और रखरखाव करना है। विभाग कार्यालय और आवासीय स्थलों की मूलभूत अवसंरचना, अधिग्रहण, रखरखाव, समेकन और व्यवस्थापन संबंधी नीतियां और दिशा-निर्देश जारी करता है। परिसर विभाग क्षेत्रीय कार्यालयों को पूंजी बजट का आबंटन करता है और देशभर के संपदा विभागों के उच्च मूल्य कार्यों/ परियोजनाओं की पारिस्थितिकीय और पर्यावरणीय स्थितियों को ध्यान में रखते हुए निगरानी करता है वर्तमान में विभाग के महत्वपूर्ण क्षेत्र निम्नलिखित है।
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बृहत्तर पर्यावरणीय जागरूकता को बढावा देना, ऊर्जा और जल जैसे संसाधनों का संरक्षण और इनके प्रयोग की लेखा परीक्षा करना
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बैंक की संपत्तियों का सुव्यवस्थीकरण
राजभाषा विभाग भारतीय संविधान और राजभाषा अधिनियम, 1963 में वर्णित प्रावधानों के तहत बैंक के कार्यालयीन कार्यों में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश से कार्य करता है। विभाग के मुख्य कार्य हैं -
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समय-समय पर भारत सरकार से प्राप्त राजभाषा अधिनियम और नियमों और अन्य संबंधित निर्देशों के प्रावधानों का कार्यान्वयन;
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बैंक में राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रचार के लिए नीति निर्माण करना;
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बैंक में हिंदी का उपयोग आसान बनाने के लिए संदर्भ सामग्री तैयार करना;
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बैंक में हिंदी के प्रगामी प्रयोग पर सरकार को विभिन्न डेटा प्रस्तुत करना;
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बैंक की वार्षिक रिपोर्ट, भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट, मौद्रिक नीति रिपोर्ट, वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, बुलेटिन और बैंक के अन्य प्रकाशन जैसे सांविधिक दस्तावेजों का अनुवाद करना;
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बैंकिंग को समर्पित एक व्यावसायिक पत्रिका 'बैंकिंग चिंतन-अनुचिंतन', हिंदी पत्रिका का प्रकाशन;
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कार्यशालाओं का आयोजन करना और भारत सरकार की हिंदी शिक्षण योजना के माध्यम से हिंदी प्रशिक्षण की व्यवस्था करना और प्रदान करना;
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बैंक में राजभाषा के कार्यान्वयन की समीक्षा करना और भारत सरकार की विभिन्न समितियों की बैठकों में बैंक का प्रतिनिधित्व करना;
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संसदीय समिति की सिफारिशों पर महामहिम राष्ट्रपति जी के आदेशों, वार्षिक कार्यक्रम की अपेक्षाओं एवं भारत सरकार से प्राप्त अनुदेशों एवं संसदीय राजभाषा समिति के दौरे के समय उन्हें दिए गए आश्वासनों का समय पर अनुपालन सुनिचित करना;
जोखिम निगरानी विभाग (आरएमडी) का गठन भारतीय रिज़र्व बैंक में उद्यम-व्यापी जोखिम प्रबंधन प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए किया गया है। विभाग में तीन प्रभाग हैं जो परिचालन जोखिम, वित्तीय जोखिम और आईटी तथा साइबर जोखिम की निगरानी करते हैं। रिज़र्व बैंक में जोखिम के प्रभावी पहचान, निर्धारण और निगरानी के एकसमान निधार्रण के लिए आरएमडी को अधिदेशित किया गया है:
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जोखिम निगरानी की व्यापक रूपरेखा तैयार तथा कार्यान्वित करना और रिज़र्व बैंक की नीतियों/प्रणालियों/मैट्रिक्सों की आवधिक समीक्षा के साथ ही कार्यरत इकाइयों के साथ संवाद करना जिससे सभी महत्वपूर्ण जोखिमों की पहचान सुनिश्चित की जा सके।
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कार्यरत इकाइयों द्वारा रिपोर्ट किए गए जोखिमों को संकलित कर, निगरानी और आवधिक तौर पर जोखिम निगरानी समिति (आरएमसी) और लेखापरीक्षा तथा जोखिम प्रबंधन उप-समिति (एआरएमएस) को प्रस्तुत करना।
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रिज़र्व बैंक नीति संबंधी कार्यों से उत्पन्न होनेवाले विभिन्न जोखिमों के प्रावधान निर्मित करने हेतु आवश्यक आर्थिक पूंजी का निर्धारण और रिपोर्टिंग।
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आरक्षित निधि प्रबंधन के लिए कुछ मध्य-कार्यालय कार्यों का उत्तरदायित्व।
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‘हानि‘ और ‘हानि के करीब ‘ की घटनाओं का डाटाबेस तैयार कर संस्थागत स्मृतियों का सृजन करना।
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संगठन में जोखिम संस्कृति विकसित करना।
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बैंक की सूचना सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली का कार्यान्वयन,समीक्षा एवं परिचालन; आईटी/ साइबर सुरक्षा प्रक्रियाओं की निगरानी; साइबर सुरक्षा घटनाओं/ अकस्मात घटनाओं की निगरानी; संपूर्ण संगठन में साइबर जोखिम संबंधी जागरुकता पैदा करना; आईटी/साइबर सुरक्षा संबंधी प्रयासों को प्रोत्साहन देना और बैंक के शीर्ष प्रबंधन को आईटी/साइबर जोखिम के बारे में रिपोर्ट करना।
वर्ष 1935 में भारतीय रिज़र्व बैंक का परिचालन आरंभ होने के साथ ही उन तीन इकाइयों में से सचिव प्रभाग एक था जो बैंक के केंद्रीय कार्यालय का हिस्सा बना। प्रारंभिक वर्षों के दौरान, प्रभाग मुख्य रूप से गवर्नर और केंद्रीय बोर्ड से सीधे जुड़े मामले, लोक ऋण का प्रबंधन, केंद्रीय और प्रांतीय सरकारों की अर्थोपाय आवश्यकताएं तथा बैंक की नीतियों को प्रभावित करने वाले सभी मामलों को देखता था। तदनंतर, वर्ष 1967 में प्रभाग द्वारा किए जा रहे मामलों की मात्रा और जटिलता को ध्यान में रखते हुए सचिव प्रभाग को एक पूर्ण विभाग अर्थात सचिव विभाग के रूप में बना दिया गया। कालांतर में, लोक ऋण प्रबंधन और प्रेस संबंधी जैसे कार्यों को सचिव विभाग से अलग कर दिया गया।
विभाग केंद्रीय बोर्ड और केंद्रीय बोर्ड समिति (सीसीबी) के सचिवालय के रूप में कार्य करता है। विभाग का मुख्य महाप्रबंधक केंद्रीय बोर्ड के सचिव के रूप में कार्य करते हैं। विभाग केन्द्रीय बोर्ड, उसकी समितियों और उप-समितियों, स्थानीय बोर्ड और शीर्ष प्रबंध समितियों जैसे वरिष्ठ प्रबंध समिति तथा उप गवर्नरों की समिति से संबन्धित सभी नीतिगत पहलुओं से जुड़े कार्य करता है और उनके गठन, अभिशासन, प्रणालियों, प्रक्रियाओं व पद्धतियों आदि तथा संबन्धित सांविधिक प्रावधानों तथा नियमों एवं विनियमों से संबंधी कार्य करता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक की सतर्कता इकाई मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के समग्र प्रभार के अंतर्गत है। सतर्कता इकाई का प्रमुख कार्य निवारक सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक उपाय करने के साथ-साथ बैंक के कर्मचारियों के विरुद्ध की गई शिकायतों/आरापों की सतर्कता की दृष्टि से जांच करना (केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा की गई परिभाषा के अनुसार)। सतर्कता इकाई केंद्रीय सतर्कता आयोग (आयोग) द्वारा जारी किए जाने वाले विभिन्न अनुदेशों को भी लागू करती है। जो व्यक्ति भारतीय रिज़र्व बैंक में भ्रष्टाचार का शिकार बन गए हों या उनके पास भ्रष्टाचार की कोई सूचना हो तो वे ई-मेल या डाक द्वारा रिज़र्व बैंक के सीवीओ को अपनी शिकायत भेज सकते हैं:
श्रीमती एन सारा राजेंद्र कुमार
मुख्य महाप्रबंधक और मुख्य सतर्कता अधिकारी
भारतीय रिज़र्व बैंक
केंद्रीय कार्यालय भवन, 20वीं मंजि़ल
शहीद भगतसिंह मार्ग
मुंबई – 400 001
टेलीफोन : 22671400
भारतीय रिजर्व बैंक, आयोग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, प्रतिवर्ष सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाता है।
आम जनता में जागरूकता और सहभागिता बढ़ाने के लिए, आयोग ने सत्यनिष्ठा शपथ की अवधारणा की परिकल्पना की है जिससे कि विशेषकर निजी क्षेत्र में भ्रष्टाचार को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए नागरिकों और अन्य कॉर्पोरेटों/संस्थाओं/फर्मों आदि की सहायता और वचनबद्धता को सूचीबद्ध किया जा सके। शपथ-पत्र आयोग की वेबसाइट https://pledge.cvc.nic.in पर उपलब्ध हैं।