भारिबैं/2012-13/23
गैबैंपवि.नीति प्रभा.कंपरि. सं.283/03.10.042/2012-13
2 जुलाई 2012
जमाराशियाँ स्वीकारने वाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ
(अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों सहित) तथा एनबीएफसी-एनडी-एसआई
महोदय,
मास्टर परिपत्र-धोखाधड़ी-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी निरोधक निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण
जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने मास्टर परिपत्र सं.229 जारी किया था, उसे अब 30 जून 2012 तक अद्यतन कर दिया गया है। मास्टर परिपत्र बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है। संशोधित मास्टर परिपत्र की एक प्रति संलग्न है।
भवदीया ,
(सी. आर.संयुक्ता)
मुख्य महाप्रबंधक
विषय सूची
परिचय
1.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी की घटनाएं चिंता का विषय हैं। चूँकि धोखाधड़ी को रोकने की प्राथमिक जिम्मेदारी स्वयं गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों की है, अतः, गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियां, एनबीएफसी-डी और एनबीएफसी-एनडी-एसआई दोनो धोखाधड़ियों के संबंध में सूचना देने के लिए निम्नलिखित पैराग्राफों में निर्दिष्ट की गई सूचना प्रणाली अपनाएं । (रू 100 करोड तथा उससे की अधिक परिसंपत्ति रखने वाली गैर बिंकिंग वित्तीय कंपनी) 1
1.2 यह देखा गया है कि प्राय: धोखाधड़ी हो जाने के काफी समय बाद गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को उसकी जानकारी मिलती है । अत: गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सूचना - प्रणाली का अमल करें ताकि धोखाधड़ियों से संबंधित सूचना अविलंब दी जा सके। गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे रिजर्व बैंक को सूचना देने में होने वाले विलंब के संबंध में स्टाफ को जवाबदेह बनाएं ।
1.3 धोखाधड़ियों से संबंधित सूचना देर से देने से और बेईमान उधारकर्ताओं की कार्य-प्रणाली के संबंध में अन्य गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को सतर्क करने और उनके विरुद्ध चेतावनी सूचनाएं जारी करने में देर होने से इसी प्रकार की धोखाधड़ियां किसी अन्य स्थान पर भी हो सकती हैं । अत: गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे भारतीय रिजर्व बैंक को धोखाधड़ियों के मामलों की सूचना देने के लिए इस परिपत्र में निर्धारित समय सीमा का कड़ाई से पालन करें अन्यथा उनके विरुद्ध भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 का अध्याय V में निर्धारित प्रावधान के तहत दण्डनात्मक कार्यवाई की जा सकती है।
1.4 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे महाप्रबंधक या उसके बराबरी के स्तर के किसी पदाधिकारी को विशेष रूप से इस बात के लिए नामित करें जो इस परिपत्र में दी गई सभी विवरणियों को प्रस्तुत करने के लिए उत्तरदायी होंगे ।
1.5 यह नोट किया जाए कि गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग को शून्य सूचना भेजने की आवश्यकता नहीं है । साथ ही जनता से जमाराशियाँ स्वीकारने वाली गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियाँ समुचित सावधानी बरतें ताकि उनके द्वारा रिपोर्ट किये जाने वाले ऐसे मामले विधिवत धोखो धडी निगरानी कक्ष / गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को यथा लागू रिपोर्ट करें ।
1.6 2 रू 100 करोड और अधिक की परिसंपत्ति आकार वाली जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां तथा जमा राशि स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, वर्ष में कंपनी को किए गए रिपोर्ट में धोखाधडी से संबंधित राशि का खुलासा अपने तुलनपत्र में करें। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा धोखाधडी मामलो की रिपोर्टिंग रिज़र्व बैंक को नहीं करने पर , भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 का अध्याय V में निर्धारित प्रावधान के तहत दण्डनात्मक कार्यवाई की जा सकती है।
2. धोखाधड़ियों का वर्गीकरण
2.1 धोखाधड़ियों के मामलों की सूचना देने में एकरूपता लाने के लिए धोखाधड़ियों को भारतीय दंड संहिता के उपबंधों के आधार पर निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है :
(क) दुर्विनियोजन और आपराधिक विश्वास भंग ।
(ख) जाली लिखतों, लेखा-बहियों में हेर-फेर अथवा बेनामी खातों के जरिये कपटपूर्ण नकदीकरण और संपत्ति का परिवर्तन ।
(ग) पुरस्कृत करने अथवा अवैध तुष्टीकरण के लिए दी गयी अनाधिकृत ऋण सुविधाएं ।
(घ) लापरवाही और नकदी की कमी ।
(ङ) छल और ज़ालसाजी ।
(च) विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेनों में अनियमितताएं ।
(छ) अन्य किसी प्रकार की धोखाधड़ी, जो उक्त किसी विशिष्ट शीर्ष के अंतर्गत शामिल न हो ।
2.2 उक्त मद (घ और च ) में संदर्भित `लापरवाही और नकदी की कमी' तथा `विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेनों में अनियमितताओं' के मामलों को धोखाधड़ी के रूप में सूचित किया जाए, यदि छल करने/धोखा देने के इरादों का संदेह हो/का इरादा साबित हो गया हो। तथापि, निम्नलिखित मामलों में जहाँ पकड़े जाने के समय कपटपूर्ण इरादा संदेह वाला न हो/साबित न हो गया हो, को धोखाधड़ी माना जाएगा और रिपोर्ट किया जाएगा:
(क) 10,000/- रुपए से अधिक की नकदी की कमी के मामले; और
(ख) प्रबंध-तंत्र/लेखापरीक्षक/ निरीक्षण अधिकारी द्वारा पकड़े गए 5,000/- रुपए से अधिक की नकदी की कमी के मामले जो नकदी का काम करने वाले व्यक्ति द्वारा घटित होने पर रिपोर्ट न किये गये हों।
2.3 विदेश व्यापार शाखाओं/कार्यालयों वाली गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे ऐसी शाखाओं/कार्यालयें में होने वाली सभी धोखाधड़ियों की सूचना नीचे पैरा 3 में दिए गए फार्मेट और प्रक्रिया के अनुसार रिज़र्व बैंक को भी दें ।
3. धोखाधड़ियों की सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक को देना
3.1 एक लाख रुपए तथा उससे अधिक की राशि वाली धोखाधड़ियां
3.1.1 एक लाख रुपए और उससे अधिक की धोखाधड़ियों के ऐसे मामलों की धोखाधड़ी रिपोर्टें प्रस्तुत की जाए जो गलत बयानी, विश्वास भंग, लेखा बहियों में हेर-फेर, सावधि जमा रसीदों के कपटपूर्ण नकदीकरण, गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को प्रभारित प्रतिभूतियों पर अनधिकृत रूप से कार्य करने में, अधिकार के दुरुपयोग, गबन, निधियों के दुर्विनियोजन, संपत्ति के परिवर्तन, भुल , कमी, अनियमितताओं आदि के माध्यम से हुए हों।
3.1.2 धोखाधड़ी की रिपोर्टें ऐसे मामलों में भी प्रस्तुत की जाएं जहां केन्द्रीय जांच एजेंसियों ने स्वयं ही आपराधिक कार्यवाही प्रारंभ कर दी हो और/अथवा जहां रिज़र्व बैंक ने निदेश दिया हो कि उन्हें धोखाधड़ी के रूप में रिपोर्ट किया जाए ।
3.1.3 3 जहां कहीं जानकारी उपलब्ध हो, वहां गैर बैंकेग वित्तीय कंपनी अपनी अनुषंगियों, सहायक संस्थाओं/संयुक्त उद्यमों में हुई धोखाधड़ियों की भी सूचना दें । तथापि, ऐसी धोखाधड़ियों को बकाया धोखाधड़ियों तथा नीचे पैरा 4 में उल्लिखित तिमाही प्रगति रिपोर्टों में शामिल न किया जाए ।
3.1.4 धोखाधड़ी रिपोर्टें एफएमआर -1 में दिए गए फार्मेट में धोखाधड़ी का पता चलने के तीन सप्ताह के अंदर भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को जहाँ धोखाधड़ी की राशि पच्चीस लाख रुपये या उससे अधिक हो तथा जहाँ यह राशि उससे कम हो गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेजी जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आता है।
जहाँ धोखाधड़ीगत राशि 25 लाख रुपए या अधिक हो, FMR-1 विवरणी की एक प्रति गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भी प्रस्तुत की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का पंजीकृत कार्यालयय आता हो।
3.2 बेईमान किस्म के उधारकर्ताओं द्वारा की गई धोखाधड़ियां
3.2.1 यह देखा गया है कि बड़ी संख्या में धोखाधड़ियां बेईमान किस्म के उधारकर्ताओं द्वारा, जिनमें कंपनियां, भागीदार फार्म /स्वाम्य प्रतिष्ठान और/अथवा उनके निदेशक/भागीदार शामिल हैं, निम्नलिखित सहित विभिन्न तरीकों से की जाती हैं
(i) लिखतों की कपटपूर्ण भुनाई ।
(ii) गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी की जानकारी के बिना गिरवी रखे गए स्टॉक को कपटपूर्ण ढंग से हटाना/दृष्टिबंधक रखे गए स्टॉक को बेचना/स्टॉक विवरण में स्टॉकों का मूल्य बढ़ाकर दर्शाना तथा अतिरिक्त वित्त का आहरण ।
(iii) उधारकर्ता इकाइयों के बाहर निधियों का अपयोजन/विशाखन, उधारकर्ताओं, उनके भागीदारों आदि के स्तर पर रुचि का अभाव अथवा आपराधिक उपेक्षा तथा प्रबंधन में चूक के कारण इकाई का रुग्ण होना और गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों के कर्मियों के स्तर पर उधार खातों में होने वाले परिचालनों पर प्रभावी पर्यवेक्षण में कमी के कारण अग्रिमों की वसूली में कठिनाई होना ।
3.2.2 4"उधार खातों में हुई धोखाधड़ियों के संबंध में एफएमआर-1 के भाग 'बी' के तहत यथानिर्धारित अतिरिक्त जानकारी भी प्रस्तुत की जाए"।
3.3 25 लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियां
पच्चीस लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियों के संबंध में उपर्युक्त पैराग्राप-3.1 तथा 3.2 में दी गई अपेक्षाओं के अलावा गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि धोखाधड़ियों की रिपोर्ट, गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों के ध्यान में ऐसी धोखाधड़ियां आने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग , भारतीय रिज़र्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय, धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को संबोधित अर्द्धशासकीय पत्र द्वारा करें तथा उसकी प्रतिलिपि प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग, केंद्रीय कार्यालय को परांकित करें। पत्र में धोखाधड़ी के संक्षिप्त विवरण जैसे कि धोखाधड़ी की राशि, धोखाधड़ी का स्वरूप, संक्षेप में आपराधिक कार्य-प्रणाली, शाखा/कार्यालय का नाम, धोखाधड़ी में शामिल पार्टियों के नाम (यदि वे स्वामित्व/ भागीदारी के प्रतिष्ठान या निजी लिमिटेड कंपनियां हैं, तो मालिकों,भागीदारों तथा निदेशकों के नाम) शामिल अधिकारियों के नाम, तथा पुलिस के पास शिकायत दर्ज़ किए जाने के बारे में विवरण दिए जाएं । धोखाधड़ी की सूचना देने के लिए अर्द्धशासकीय पत्र की प्रतिलिपि गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भी परांकित की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कंपनी का पंजीकृत कार्यालय कार्यरत है ।
3.4 धोखाधड़ी का प्रयास करने संबंधी मामले
धोखाधड़ी का प्रयास करने संबंधी ऐसे मामले, जहां धोखाधड़ी यदि हो गई होती तो पच्चीस लाख रुपए और अधिक की हानि होना संभव थी तो ऐसी धोखाधड़ियां उनकी आपराधिक कार्य प्रणाली तथा उनका पता कैसे लगाया गया, इसके बारे में उल्लेख करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, बैकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केन्द्रीय कार्यालय, धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को रिपोर्ट की जानी चाहिए तथा उसकी प्रतिलिपि गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग, केंद्रीय कार्यालय को भी परांकित की जाए । ऐसे मामले रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की जानेवाली अन्य विवरणियों में शामिल नहीं किए जाने चाहिए ।
4. तिमाही विवरणियां
4.1 धोखाधड़ियों के बकाया मामलों पर रिपोर्ट
4.1.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे एफएमआर-2 में दिए गए फार्मेट में धोखाधड़ियों के बकाया मामलों की तिमाही रिपोर्ट की एक-एक प्रति संबंधित तिमाही की समाप्ति के 15 दिन के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, गैर बैंकिंग पर्यवेक्षन विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आता हो भले ही ये मामले किसी भी राशि के क्यों न हों ।
4.1.2 रिपोर्ट के भाग-ए में तिमाही के अंतमें धोखाधड़ियों के बकाया मामले शामिल किए जाते हैं । रिपोर्ट के भाग- बी तथा सी में तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों के क्रमश: श्रेणी-वार तथा अपराधी-वार विवरण दिए जाते हैं । भाग- बी तथा सी में दर्शाए अनुसार तिमाही के दौरान रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ियों के मामलों की कुल संख्या तथा राशि रिपोर्ट के भाग-ए के कालम सं.4 तथा 5 के कुल जोड़ से मेल खानी चाहिए ।
4.1.3 उपर्युक्त रिपोर्ट के भाग के रूप में गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियां इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें कि तिमाही के दौरान एफएमआर-1 में रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट किए गए एक लाख रुपए तथा उससे अधिक के सभी व्यक्तिगत धोखाधड़ी के मामले भी गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों के बोर्ड के समक्ष रखे गए हैं तथा एफएमआर-2 के भाग - ए (कालम 4 तथा 5) एवं भाग- बी तथा सी में शामिल किए गए हैं ।
4.2 धोखाधड़ियों के संबंध में प्रगति रिपोर्ट
4.2.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे एक लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियों पर मामले-वार तिमाही प्रगति रिपोर्टे एफएमआर-3 में दिए गए फार्मेट में संबंधित तिमाही की समाप्ति के 15 दिन के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग केन्द्रीय कार्यालय, धोखो धड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को यदि ऐसी राशि ` 25 लाख एवं अधिक हो तथा `25 लाख से कम के मामलो में गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें जिसके अधिकार क्षेत्र में गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी का पंजीकृत कार्यालय स्थित है ।
4.2.2 जिन धोखाधड़ियों के मामले में तिमाही के दौरान कोई प्रगति नहीं हुई हो, ऐसे मामलों की एक सूची शाखा का नाम तथा सूचना देने की तारीख के संक्षिप्त विवरण सहित एफएमआर-3 में प्रस्तुत करें ।
5. बोर्ड को रिपोर्ट प्रस्तुत करना
5.1 धोखाधड़ियों की रिपोर्ट
5.1.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि एक लाख रुपए और उससे अधिक की सभी धोखाधड़ियों की सूचना पता लगने के तुरंत बाद उनके बोर्डों को प्रस्तुत की जाएं ।
5.1.2 ऐसी रिपोर्टों में अन्य बातों के साथ-साथ संबंधित शाखा अधिकारियों तथा नियंत्रक प्राधिकारियों के स्तर पर हुई चूकों का उल्लेख किया जाए तथा धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई प्रारंभ किए जाने के लिए विचार किया जाए ।
5.2 धोखाधड़ियों की तिमाही समीक्षा
5.2.1 मार्च, जून तथा सितंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए धोखाधड़ियों से संबंधित जानकारी संबंधित तिमाही के अगले माह के दौरान निदेशक बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत की जाए ।
5.2.2 इनके साथ अनुपूरक सामग्री होनी चाहिए, जिसमें सांख्यिकीय सूचना और प्रत्येक धोखाधड़ियों के ब्यौरों का विश्लेषण किया गया हो ताकि बोर्ड के पास धोखाधड़ियों के दंडात्मक और निवारक पहलुओं के संबंध में कारगर रूप से योगदान देने के लिए पर्याप्त सामग्री हो ।
5.2.3 सभी धोखाधड़ियों के मामले जो पच्चीस लाख रुपये या उससे अधिक के हों की निगरानी और समीक्षा गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी के बोर्ड की लेखापरीक्षा समिति द्वारा की जानी चाहिए और यदि बोर्ड की लेखापरीक्षा समिति न हो तो बोर्ड की अन्य किसी समिति द्वारा की जाए। मामलों की संख्या को देखते हुए इस समिति की बैठकों की आवधिकता तय की जा सकती है। तथापि, जब कभी भी पच्चीस लाख रुपये और उससे अधिक राशि की धोखाधड़ी उजागर हो, यह समिति बैठक करके उसकी समीक्षा करे ।
5.3 धोखाधड़ियों की वार्षिक समीक्षा
5.3.1 गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे धोखाधड़ियों की वार्षिक समीक्षा करें तथा निदेशक बोर्ड के समक्ष जानकारी देने के लिए नोट प्रस्तुत करें । दिसंबर को समाप्त वर्ष के लिए समीक्षाएं अगले वर्ष के मार्च की समाप्ति के पहले बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत की जाएं । ऐसे समीक्षा नोट भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजने की आवश्यकता नहीं है । इन्हें रिज़र्व बैंक के निरीक्षण अधिकारियों के सत्यापन के लिए सुरक्षित रखा जाए ।
5.3.2 ऐसी समीक्षा करते समय ध्यान में रखे जाने वाले प्रमुख पहलुओं में निम्नलिखित मुद्दे शामिल किये जाएं :
(क) क्या धोखाधड़ी हो जाने पर कम से कम समय में उस का पता लगाने के लिए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी में विद्यमान प्रणाली पर्याप्त है ?
(ख) क्या धोखाधड़ियों की स्टाफ की दृष्टि से जांच की जाती है ?
(ग) क्या जहां कहीं उपयुक्त पाया गया वहां जिम्मेदार पाये गये व्यक्तियों के लिए निवारक सजा दी गई ?
(घ) क्या धोखाधड़ियां प्रणालियों और क्रियाविधियों का पालन करने में शिथिलता के कारण हुईं और यदि ऐसा हो तो क्या यह सुनिश्चित करने के लिए कारगर कार्रवाई की गयी कि संबंधित स्टाफ् द्वारा प्रणालियों और क्रियाविधियों का पूरी सावधानी से पालन किया जाता है।
(ङ) क्या धोखाधड़ियों के बारे में, यथास्थिति, स्थानीय पुलिस को जांच-पड़ताल के लिए सूचना दी जाती है।
5.3.3 वार्षिक समीक्षाओं में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित ब्यौरे भी शामिल होने चाहिए
(क) वर्ष के दौरान पता लगायी गई कुल धोखाधड़ियां तथा पिछले दो वर्ष की तुलना में उनमें फंसी हुई राशि।
(ख) पैरा 2.1 में दी गई विभिन्न श्रेणियों के अनुसार धोखाधड़ियों का विश्लेषण तथा बकाया धोखाधड़ियों पर तिमाही रिपोर्ट में उल्लिखित विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों का भी विश्लेषण (एफएमआर -2 के अनुसार)।
(ग) वर्ष के दौरान रिपोर्ट की गई मुख्य-मुख्य धोखाधड़ियों की वर्तमान स्थिति सहित उनकी आपराधिक कार्य-प्रणाली।
(घ) एक लाख रुपए और उससे अधिक की धोखाधड़ियों का ब्यौरे-वार विश्लेषण।
(ङ) वर्ष के दौरान धोखाधड़ियों के कारण गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी को हुई अनुमानित हानि, वसूल हुई राशि तथा किए गए प्रावधान।
(च) जहां स्टाफ् शामिल है,ऐसे मामलों की संख्या (राशि सहित) एवं उनके खिलाफ् की गई कार्रवाई।
(छ) धोखाधड़ी के मामलों का पता लगाने में लगा समय (धोखाधड़ी होने के तीन महीने, छह महीने, एक वर्ष के भीतर पता लगाये गये मामलों की संख्या)।
(ज) पुलिस को रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों की स्थिति।
(झ) धोखाधड़ी के ऐसे मामलों की संख्या जिनमें गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा अंतिम कार्रवाई हो गयी है और मामले निपटा दिए गए हैं।
(ञ) धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी करने/उन्हें न्यूनतम रखने के लिए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा वर्ष के दौरान किये गये निवारक/दण्डात्मक उपाय।
6. पुलिस को धोखाधड़ियों की सूचना देने हेतु दिशा-निर्देशः
अवैध तुष्टीकरण के लिए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा दी गयी अनधिकृत ऋण सुविधाएँ, लापरवाही और नकदी कम हो जाने,छल, जालसाजी आदि जैसी धोखाधड़ियों के संबंध में राज्य पुलिस अधिकारियों को सूचित करने के लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए
(क) धोखाधड़ियों/गबन के मामलों पर कार्रवाई करते हुए गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को, मात्र संबंधित राशि के शीघ्र वसूल करने के लिए ही प्रवृत्त नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें लोक-हित से और यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रेरित होना चाहिए कि दोषी व्यक्ति दण्डित हुए बिना नहीं छूटे.
(ख) अतः सामान्य नियमानुसार निम्नलिखित मामले अनिवार्यतः राज्य पुलिस के पास भेजे जाने चाहिए
(i) बाहरी व्यक्तियों द्वारा स्वयं तथा/या गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी के स्टाफ् / अधिकारियों की सांठ-गांठ से गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी में एक लाख रुपये या उससे अधिक की राशि के धोखाधड़ी के मामले।
(ii) गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी के कर्मचारियों द्वारा किये गये धोखाधड़ी के मामले, जिनमें गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी की 10,000 रुपये से अधिक की राशियां शामिल हों।
परिशिष्ट
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