आरबीआई/2015-16/52
डीसीएम(एफएनवीडी) सं. जी - 4/16.01.05/2015-16
1 जुलाई 2015
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
समस्त वाणिज्य बैंक, सहकारी बैंक,
ग्रामीण विकास बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक,
विदेशी बैंक तथा समस्त राज्यों के कोषागार निदेशक
महोदय / महोदया
मास्टर परिपत्र - जाली नोट पकड़ना तथा उन्हें जब्त करना
कृपया जाली नोट पकड़ने तथा उन्हें जब्त करने से संबंधित 30 जून 2014 तक जारी अनुदेशों को समेकित करते हुए जारी हमारे 1 जुलाई 2014 का मास्टर परिपत्र डीसीएम (एफएनवीडी) सं.जी-2/16.01.05/2014-15 देखें । मास्टर परिपत्र में, अब तक जारी सभी निर्देशों को शामिल करते हुए अद्यतन किया गया हैं और इसे बैंक की मुख्य वेबसाइट http://rbi.org.in पर अपलोड किया गया है ।
इस मास्टर परिपत्र में उपरोक्त विषय पर समय-समय पर आरबीआई द्वारा जारी परिपत्रों मे निहित अनुदेशों को समेकित किया गया हैं, जो इस परिपत्र की तारीख पर प्रचलन में हैं ।
भवदीय
(एम.के. मल्ल)
महाप्रबंधक (प्रभारी अधिकारी)
मास्टर परिपत्र – जाली नोटों की पहचान और जब्ती – 2015-16
विषय - वस्तु
भारतीय रिज़र्व बैंक
मुद्रा प्रबंध विभाग
मास्टर परिपत्र – 2015-16
जाली नोटों की पहचान और जब्त करना
पैरा 1 जाली नोटों को जब्त करने का अधिकार
जाली नोट निम्नलिखित द्वारा जब्त किये जा सकते हैं;
(i) सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सभी शाखाओं द्वारा
(ii) निजी क्षेत्र के बैंकों तथा विदेशी बैंकों की सभी शाखाओं द्वारा
(iii) सहकारी बैंकों तथा ग्रामीण विकास बैंकों की सभी शाखाओं द्वारा
(iv) सभी कोषागार और उप कोषागार
(v) भारतीय रिज़र्व बैंक के सभी निर्गम कार्यालय
पैरा 2 जाली नोटों की पहचान
बैंकों के काउंटरों पर या बैक ऑफिस/मुद्रा तिजोरी में बड़े परिमाण में दिए गए बैंक नोट मशीनों के माध्यम से सत्यापित और प्रमाणीकृत किए जाने चाहिए ।
काउंटर पर प्राप्त निविदा में या बैक ऑफिस / मुद्रा तिजोरी में पहचान किए गए जाली नोटों के लिए ग्राहक के खाते में कोई क्रेडिट नहीं दिया जाना है ।
किसी भी स्थिति में, बैंक शाखाओं/ कोषागारों द्वारा जाली नोटों को प्रस्तुतकर्ता को लौटाया या नष्ट नहीं किया जाना चाहिये। बैंकों के स्तर पर पता लगाये गये जाली नोटों की जब्ती में असफलता को संबंधित बैंक की जाली नोटों के संचलन में इरादतन संलिप्तता मानी जाएगी और उनपर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 19 नवंबर 2009 के निर्देश सं.3158/09.39.00(नीति)/2009-10 के उल्लंघन हेतु दण्ड लगाया जायेगा ।
पैरा 3 जाली नोट के रुप में वर्गीकृत नोटों पर निर्धारित (अनुबंध I के अनुसार) "जाली बैंकनोट" स्टैम्प से चिन्हित कर उन्हें जब्त किया जाये | इस प्रकार से जब्त प्रत्येक नोट के ब्यौरे एक अलग रजिस्टर में प्रमाणीकरण के तहत अभिलिखित किये जाएंगे ।
पैरा 4 प्रस्तुतकर्ता को रसीद जारी करना
जब बैंक शाखा के काउंटर पर या कोषागार में प्रस्तुत बैंकनोट जाली पाये जाते हैं, तब उक्त पैरा 2 के अनुसार नोट पर स्टैम्प लगाने के बाद, निविदाकर्ता को निर्धारित फॉर्मेट (अनुबंध II) में प्राप्ति सूचना रसीद जारी की जानी चाहिए | चालू क्रम सं. के अनुसार की गई उक्त रसीद, खजांची और निविदाकर्ता द्वारा प्रमाणित होनी चाहिए | इस आशय का नोटिस आम जनता की जानकारी के लिए कार्यालयों/शाखाओं में विशेष रूप से प्रदर्शित किया जानी चाहिए | जहां निविदाकर्ता संबंधित रसीद पर प्रतिहस्ताक्षर करने के लिए इच्छुक नहीं है, ऐसे मामलों में भी प्राप्ति सूचना रसीद जारी की जानी है |
पैरा 5 जाली नोटों की पहचान - पुलिस और अन्य निकायों को रिपोर्टिंग
बैंक/ कोषागारों में प्राप्त की गई नकदी में पता लगाये गये जाली नोट को उपरोक्त पैरा. 2 में बतलाये गये अनुसार जब्त किया जाये ।
इसके बाद, पुलिस को जाली नोट का पता लगने की घटना की रिपोर्टिग करते समय, निम्न प्रक्रिया का अनुपालन किया जाएं :
एक ही लेन-देन में 4 पीसेस तक जाली नोटों की शिनाख्त के मामलों में, नोडल अधिकारी द्वारा पुलिस प्राधिकरण या नोडल पुलिस स्टेशन को माह की समाप्ति पर संदिग्ध जाली नोटों के साथ निर्धारित फार्मेट में एक समेकित रिपोर्ट (संलग्नक III के अनुसार) भेजी जाए।
एक ही लेन-देन में 5 या उससे अधिक पीसेस तक जाली नोटों की पहचान के मामलों में, नोडल बैंक अधिकारी द्वारा वे जाली नोट एफआईआर दर्ज करते हुए निर्धारित फार्मेट में (संलग्नक IV) जांच-पड़ताल के लिए स्थानीय पुलिस प्राधिकरण या नोडल पुलिस स्टेशन को अग्रेषित किये जाएं।
मासिक समेकित रिपोर्ट/एफआईआर की एक प्रति बैंक के प्रधान कार्यालय में बनाये गये जाली नोट सतर्कता कक्ष को (केवल बैंकों के मामले में) भेजी जाएगी और कोषागार के मामले में, भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय को भेजी जाये ।
पुलिस प्राधिकारियों से उनको मासिक समेकित रिपोर्ट और एफआईआर द्वारा प्रेषित जाली नोटों की प्राप्ति सूचना प्राप्त की जाये । यदि पुलिस को नकली बैंक नोट बीमाकृत डाक द्वारा भेजी गई है तो उनकी प्राप्ति सूचना अनिवार्य रूप से ली जाये और उन्हें रिकार्ड में रखा जाए । पुलिस प्राधिकरण से प्राप्ति सूचना प्राप्त करने के लिए उचित अनुवर्ती कार्रवाई अपेक्षित है ।यदि मासिक समेकित रिपोर्टों को प्राप्त करने/ एफआईआर दर्ज करने पुलिस की अनिच्छा के कारण कार्यालयों / बैंक शाखाओं को किसी भी कठिनाई का सामना करना पड रहा है तो उसका निपटान जाली बैंकनोटों की जांच से संबंधित मामलों की समन्वय हेतु नामित पुलिस प्राधिकरण के नोडल अधिकारी की सलाह से किया जाये । नोडल पुलिस स्टेशन की सूची भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित कार्यालय से प्राप्त की जाएं।
बैंकों को ऐसी पहचान के स्वरुप / प्रवृत्तियों पर निगरानी रखनी चाहिए और संदिग्ध स्वरुप/प्रवृत्तियों को तत्काल भारतीय रिजर्व बैंक/पुलिस प्राधिकारी के ध्यान में लाना चाहिए।
जाली नोटों की पहचान और उक्त की सूचना पुलिस, आरबीआई आदि को देने में बैंकों द्वारा की गई प्रगति और उससे संबंधित समस्याओं पर विभिन्न राज्य स्तरीय समितियाँ अर्थात राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी), करेंसी प्रबंधन पर स्थायी समिति(एससीसीएम) राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति(एसएलएससी), आदि की बैठकों में नियमित रूप से विचार – विमर्श किया जायें ।
बैंक-शाखाओं /कोषागारों में पकड़े गए जाली भारतीय बैंक नोटों के आंकड़े, नीचे दिये गये पैरा- 9 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक, निर्गम कार्यालय को प्रेषित की जानेवाली मासिक विवरणियों में शामिल किये जायें ।
भारतीय दंड संहिता में ''जाली बनाना'' की परिभाषा में विदेशी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी करेंसी नोट भी शामिल हैं । पुलिस और सरकारी एजेंसियों से अभिमत /राय देने हेतु प्राप्त संदिग्ध विदेशी करेंसी नोटों के मामलों में, उन्हें यह सूचित किया जाये कि वे उक्त नोटों को नई दिल्ली स्थित सीबीआई की इंटरपोल विंग के पास उनसे उचित विचार -विमर्श के बाद भेज दें ।
पैरा 6 काउंटरो से जारी करने, एटीएम मशीनों में भरने और आरबीआई निर्गम कार्यालयों को विप्रेषण करने के पूर्व बैंकनोटों की जाँच करना
बैंकों को अपना नकद प्रबंधन कुछ इस तरह पुर्न निर्धारित करना चाहिये जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ₹ 100 और उससे अधिकमूल्यवर्ग की नकद प्राप्तियों को उन नोटों की, मशीन प्रसंस्करण द्वारा पप्रामाणिकता की जांच के बिना पुन: संचलन में नहीं डाला जाए ।
ये अनुदेश दैनिक नकद प्राप्ति के परिमाण को ध्यान में लिए बगैर सभी शाखाओं पर लागू होंगे । इस अनुदेश के किसी भी अननुपालन को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 19 नवंबर 2009 के निदेश सं. 3158/09.39.00(नीति)/ 2009-10 का उल्लंघन माना जाएगा।
एटीएम मशीनों जाली नोटों की प्राप्ति से प्राप्त से संबंधित शिकायतों का निपटान करने और जाली नोटों के संचलन पर रोक लगाने के उद्देश्य से यह अत्यावश्यक है कि एटीएम मशीनों में नोटों को भरने से पूर्व पर्याप्त सुरक्षा उपायों/ नियंत्रणों को लागू किया जाये । एटीएम मशीनों के माध्यम से जाली नोटों को वितरन को संबंधित बैंक द्वारा जाली नोटों के संचलन के लिये किया गया एक प्रयास माना जायेगा ।
मुद्रा तिजोरी विप्रेषणों /शेषों में जाली नोटों का पाये जाने को भी संबंधित मुद्रा तिजोरी द्वारा जान -बूझकर जाली नोटों के संचलन के लिये किया गया प्रयास माना जायेगा जिसके परिणामस्वरूप पुलिस प्राधिकरण द्वारा विशेष और अन्य जैसे संबंधित मुद्रा तिजोरी के प्रचालनों को स्थगित करना जैसी कार्रवाई की सकती है ।
निम्नलिखित परिस्थितियों में जाली नोटों के अनुमानित मूल्य की मात्रा तक हानी की वसूली के अलावा, जाली नोटों के अनुमानित मूल्य का 100% दंड लगाया जाएगा :
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जब बैंक के गंदे नोटों के विप्रेषणों (रेमिटन्स) मेँ जाली नोटों की पहचान की जाती है|
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यदि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निरीक्षण / लेखा परीक्षण के दौरान बैंक के मुद्रा तिजोरी / शेष मे जाली नोट पाए जाते हैं|
पैरा 7 नोडल बैंक अधिकारी को नियुक्त करना
प्रत्येक बैंक को जिला-वार नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा और उसकी जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और पुलिस प्राधिकरण को देनी होगी। पैरा 5 में यथाउल्लिखित, जाली नोट के पहचान की रिपोर्टिंग के मामलें नोडल बैंक अधिकारी के माध्यम से आने चाहिए। नोडल बैंक अधिकारी जाली नोट पाये जाने से संबंधित सभी कार्यकलापों के लिए एक संपर्क अधिकारी के रूप में भी कार्य करेगा।
पैरा 8 बैंक के प्रधान कार्यालय में जाली नोट सतर्कता कक्ष की स्थापना
प्रत्येक बैंक निम्नलिखित कार्यों के निष्पादन हेतु अपने प्रधान कार्यालय में जाली (नकली) नोट सतर्कता कक्ष स्थापित करे: -
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जाली नोटों के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों को बैंक की सभी शाखाओं में प्रचारित करना । इन अनुदेशों के कार्यान्वयन पर निगरानी रखना । वर्तमान अनुदेशों के अनुसार जाली नोटों की पहचान से संबंधित आंकड़े को समेकित करना और भारतीय रिज़र्व बैंक और एफआईयू - आईएनडी को इसकी रिपोर्ट प्रेषित करना । पुलिस प्राधिकरण और निर्दिष्ट नोडल अधिकारी के साथ जाली नोटों के मामलें से संबंधित अनुवर्ती कार्रवाई करना ।
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इस तरह से संकलित जानकारी को बैंको के केंद्रीय सर्तकता अधिकारी से साझा करना तथा उन्हें काउंटरों पर स्वीकृत /जारी किये गये जाली नोटों से संबंधित मामलों की रिपोर्ट देना ।
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ऐसी मुद्रा तिजोरियों; जहाँ पर दोषपूर्ण/जाली नोट आदि का पता लगा है, की आवधिक आकस्मिक जाँच करना ।
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सभी मुद्रा तिजोरियों/ बैक आफिस में उप्युक्त क्षमता वाली नोट सॉर्टिग मशीनों के प्रचालन को सुनिश्चित करना और जाली नोटों के पता लगाने पर सावधानी पूर्वक निगरानी करना और उक्त का उचित रूप से रिकार्ड रखना । यह सुनिश्चित करना की केवल छांटे गये और मशीनों से जांचे गये नोट ही एटीएम मशीनों में डाले जायें/ काउंटरों से जारी किये जायें और नोटों के प्रसंस्करण तथा पारगमन के समय आकस्मिक जांच सहित प्र्यापत सुरक्षा अपायों की व्यवस्था ।
जाली नोट सतर्कता कक्ष से यह अपेक्षित है कि वे उपरोक्त पहलुओं को शामिल करते हुए तिमाही आधार पर, संबंधित तिमाही की समाप्ति से पंद्रह दिनों के भीतर, मुख्य महाप्रबंधक, मुद्रा प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, अमर भवन, चौथी मंजिल, सर पी .एम.रोड, फोर्ट, मुंबई - 400 001 तथा आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय के निर्गम विभाग जिसके कार्य क्षेत्र के अंतर्गत जाली नोट सतर्कता कक्ष कार्यरत हैं, को वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट प्रेषित करें । उपर्युक्त रिपोर्ट ई-मेल द्वारा भेजी जाये। हार्ड प्रति भेजने की आवश्यकता नहीं है ।
जाली नोट सतर्कता कक्षों के पतें को अद्यतन करने के उद्देश्य से बैंक प्रत्येक वर्ष में 1 जुलाई को अनुसार निर्धारित प्रोफार्मा (अनुबद्ध V) में इ- मेल से पते आदि आरबीआई को प्रस्तुत करें । हार्ड प्रति भेजने की आवश्यकता नहीं है ।
पैरा 9 अल्ट्रा-वायलेट लैम्प तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था करना
जाली नोटों की पहचान सुगम बनाने के लिए सभी बैंक शाखाओं /निर्दिष्ट बैक आफिसों को अल्ट्रा-वायलेट लैम्प / अन्य उपयुक्त नोट सॉर्टिंग पहचान वाली मशीनों से लैस होना चाहिए। इसके अतिरिक्त सभी मुद्रा तिजोरी शाखाओं में सत्यापन, प्रसंस्करण और छँटनी करने वाली मशीनों की व्यवस्था होनी चाहिये और मशिनों का इष्टतम स्तर तक उपयोग होना चाहिये । इन मशीनों को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मई 2010 में निर्धारित ''नोट सत्यापन और फिटनेस सार्टिंग मानदंडो'' के अनुरूप होना आवश्यक हैं ।
बैंकों को, पहचान किये गये जाली नोटों सहित नोट छँटनी मशीनों के माध्यम से संसाधित नोटों का दैनिक रिकार्ड रखना होगा ।
बैंकों को जनता के उपयोग हेतु काउंटर पर नोट गिनने वाली कम से कम एक मशीन (जिसमें दोनों तरफ संख्या प्रदर्शित करने की सुविधा हो) लगाने पर भी विचार करना चाहिये ।
पैरा 10 आरबीआई को आँकड़ों की सूचना
i) बैंकों द्वारा
बैंक की सभी शाखाओं द्वारा पता लगाये गये जाली नोटों का आंकडा मासिक आधार पर निर्धारित फार्मेट में सूचित करना आवश्यक है । माह के दौरान बैंक शाखाओं में पता लगाये गये जाली नोटों के ब्योरे दर्शानेवाला विवरण (अनुबद्ध VI) संकलित किया जाए और संबंधित रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालय को इस प्रकार प्रेषित किया जाये कि वह आगामी माह की 7 तारीख तक उन्हें प्राप्त हो जाये । बैंक शाखाओं को, राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो को आँकडे प्रेषित करने की आवश्यकता नहीं है ।
धन-शोधन निवारण अधिनियम 2005 के नियम 3 के अंतर्गत, बैंकों के प्रधान अधिकारियों से यह अपेक्षित हैं कि वे ऐसे नकदी लेन-देनों के विषय में, जहाँ जाली नोटों का इस्तेमाल असली नोटों के रूप में किया गया हैं, सूचना, सात कारोबारी दिनों के भीतर निदेशक, एफआईयू –आईएनडी, वित्तीय आसूचना यूनिट - इंडिया, 6 वी मंज़िल, हाटेल सम्राट, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली - 110021 को सूचित करें ।
माह के दौरान किसी जाली नोट की पहचाननहीं किये जाने की स्थिति में 'निरंक' विवरणी भेजी जाये ।
ii) सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा
सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की शाखाओं द्वारा पता लगाये गये जाली नोटों के आंकड़ों को मासिक आधार पर भा.रि.बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय को प्रस्तुत करना होगा। (संलग्नक VI)
पैरा 11 पुलिस प्राधिकरण से प्राप्त जाली नोटों का परिरक्षण
पुलिस प्राधिकरण / न्यायालयों से पुन: प्राप्त सभी जाली नोटों को बैंक की अभिरक्षा में सावधानीपूर्वक परिरक्षित किया जाये और संबंधित शाखा द्वारा उक्त का रिकार्ड रखा जाये। बैंक के जाली नोट सतर्कता कक्ष को भी ऐसे जाली नोटों का शाखावार समेकित रिकार्ड रखना होगा ।
इन जाली नोटों का सत्यापन संबंधित शाखा के प्रभारी अधिकारी द्वारा छमाई (31 मार्च और 30 सितंबर) के आधार पर किया जाना चाहिये । पुलिस प्राधिकरण से प्राप्ति की तिथि से इन जाली नोटों को तीन वर्ष की अवधि के लिए इनका परिरक्षण किया जाना चाहिये ।
इसके पश्चात पूर्ण ब्योरे के साथ इन जाली नोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय को भेजा जाये ।
जाली नोट जो न्यायालय में मुकदमेबाजी के अधीन हैं उन्हें न्यायालय निर्णय के बाद संबंधित शाखा के पास तीन वर्ष तक रखा जाएं ।
पैरा 12 जाली नोटों का पता लगाना - स्टाफ प्रशिक्षण
यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि बैंकों /कोषागारों में नकदी संचालन करनेवाला स्टाफ, बैंकनोटों के सुरक्षा विशेषताओं से पूरी तरह परिचित हो ।
जाली नोट की पहचान के संबंध में बैंक -शाखा के कर्मचारियों को पर्याप्त प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से अनुबंध – VII में दर्शाये गये बैंक नोटों की सुरक्षा लक्षण तथा डिज़ाइन सभी बैंकों / कोषागारों को इस निर्देश के साथ भेजे गये हैं कि वे इन्हें आम जनता के जानकारी के लिए प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करें ।
शाखाओं के स्तर पर प्रदर्शित करने के लिए 2005-06 श्रृंखला के बैंकनोटों के पोस्टरों की आपूर्ति की गयी है । 2005-06 श्रृंखला के बैंकनोट के पोस्टर http.www.paisaboltahai.rbi.org.in पर भी उपलब्ध हैं ।
जाली नोटों का पता लगाने में, स्टाफ सदस्यों को सक्षम बनाने हेतु नियंत्रक कार्यालयों /प्रशिक्षण केंद्रों को बैंक नोटों के सुरक्षा लक्षणों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करना होगा ।
बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि नक्दी का लेन-देन करनेवाले सभी बैंक कर्मियों को भारतीय बैंक नोटों की वास्तविक विशेषताओं के संबंध में प्रशिक्षित किया जाए ।
भारतीय रिज़र्व बैंक, संकाय सहायता और प्रशिक्षण सामग्री भी प्रदान करेगा । |