आरबीआई/2019-20/01
डीसीएम(एफएनवीडी) सं.जी–1/16.01.05/2019-20
01 जुलाई, 2019
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी
समस्त बैंक
तथा समस्त राज्यों के कोषागार निदेशक
महोदय / महोदया
मास्टर परिपत्र - जाली नोट पकड़ना तथा उन्हें जब्त करना
कृपया जाली नोट पकड़ने तथा उन्हें जब्त करने से संबंधित 02 जुलाई 2018 तक जारी अनुदेशों को समेकित करते हुए हमारे 02 जुलाई 2018 के मास्टर परिपत्र डीसीएम (एफएनवीडी) सं.जी–1/16.01.05/2018-19 का संदर्भ लें । मास्टर परिपत्र को अब तक जारी सभी निर्देशों को शामिल करते हुए अद्यतन किया गया हैं और इसे बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध किया गया है।
इस मास्टर परिपत्र में उपरोक्त विषय पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों को समेकित किया गया हैं, जो इस परिपत्र की तारीख पर प्रचलन में हैं ।
भवदीय
(मानस रंजन महान्ति)
मुख्य महाप्रबंधक
अनु: मास्टर परिपत्र
विषय - वस्तु
पैरा 1 जाली नोटों को जब्त करने का अधिकार
जाली नोट निम्नलिखित द्वारा जब्त किये जा सकते हैं;
-
सभी बैंकों द्वारा
-
कोषागार और उप कोषागार
-
भारतीय रिज़र्व बैंक के सभी निर्गम कार्यालय
पैरा 2 जाली नोटों की पहचान
काउंटर पर प्रस्तुत किए गए बैंक नोटों को प्रामाणिकता के लिए मशीनों के द्वारा परीक्षण किया जाना चाहिए ।
इसी प्रकार से, बैक ऑफिस / मुद्रा तिजोरी में थोक निविदा के माध्यम से सीधे ही प्राप्त बैंक नोट मशीनों के माध्यम से प्रमाणीकृत किए जाने चाहिए ।
काउंटर पर प्राप्त नोटों में या बैक ऑफिस / मुद्रा तिजोरी में पहचान किए गए जाली नोटों के लिए, ग्राहक के खाते में कोई क्रेडिट नहीं दिया जाना है ।
किसी भी स्थिति में, जाली नोटों को प्रस्तुतकर्ता को लौटाया नहीं जाना चाहिए अथवा बैंक शाखाओं/ कोषागारों द्वारा नष्ट नहीं किया जाना चाहिये। बैंकों के स्तर पर पता लगाये गये जाली नोटों की जब्ती में असफलता को संबंधित बैंक की जाली नोटों के संचलन में इरादतन संलिप्तता मानी जाएगी और उन पर दण्ड लगाया जायेगा ।
पैरा 3 जाली नोट जब्त करना
जाली नोट के रुप में वर्गीकृत नोटों पर निर्धारित (अनुबंध I के अनुसार) "जाली बैंकनोट" स्टैम्प से चिन्हित कर उन्हें जब्त किया जाये । इस प्रकार से जब्त प्रत्येक नोट के ब्यौरे एक अलग रजिस्टर में प्रमाणीकरण के साथ अभिलिखित किये जाएंगे ।
पैरा 4 प्रस्तुतकर्ता को रसीद जारी करना
जब बैंक शाखा के काउंटर / बैक ऑफिस तथा मुद्रा तिजोरी अथवा कोषागार में प्रस्तुत बैंकनोट जाली पाये जाते हैं, तब उक्त पैरा 3 के अनुसार नोट पर स्टैम्प लगाने के बाद निविदाकर्ता को निर्धारित फार्म (अनुबंध II) के अनुसार प्राप्ति सूचना रसीद जारी की जानी चाहिए । उक्त रसीद चल रहे सिरीयल नंबरों में, खजांची और जमाकर्ता द्वारा प्रमाणित होनी चाहिए । इस आशय का नोटिस आम जनता की जानकारी के लिए कार्यालयों शाखाओं मे विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए । जहां निविदाकर्ता संबंधित रसीद पर प्रतिहस्ताक्षर करने के लिए इच्छुक नहीं है, ऐसे मामलों में भी प्राप्ति सूचना रसीद जारी की जानी है ।
पैरा 5 जाली नोटों की पहचान - पुलिस और अन्य निकायों को रिपोर्टिंग
पुलिस को जाली नोट का पता लगने की घटना की रिपोर्टिग करते समय, निम्न प्रक्रिया का अनुपालन किया जाए :
एक ही लेन-देन में 4 पीसेस तक जाली नोटों की पहचान के मामलों में, नोडल अधिकारी द्वारा पुलिस प्राधिकरण या नोडल पुलिस स्टेशन को माह की समाप्ति पर संदिग्ध जाली नोटों के साथ निर्धारित फार्मेट में एक समेकित रिपोर्ट (संलग्नक III के अनुसार) भेजी जाए।
एक ही लेन-देन में 5 या उससे अधिक पीसेस तक जाली नोटों की पहचान के मामलों में, नोडल बैंक अधिकारी द्वारा तुरंत वे जाली नोट, निर्धारित फार्मेट में (संलग्नक IV) एफआईआर दर्ज करते हुए जांच-पड़ताल के लिए स्थानीय पुलिस प्राधिकरण या नोडल पुलिस स्टेशन को अग्रेषित किये जाएं।
मासिक समेकित रिपोर्ट/एफआईआर की एक प्रति बैंक के प्रधान कार्यालय में बनाये गये जाली नोट सतर्कता कक्ष को (केवल बैंकों के मामले में) भेजी जाएगी और कोषागार के मामले में, भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय को भेजी जाये ।
पुलिस प्राधिकारियों से उनको मासिक समेकित रिपोर्ट और एफआईआर द्वारा प्रेषित जाली नोटों की प्राप्ति सूचना प्राप्त की जाये । यदि पुलिस को नकली बैंक नोट बीमाकृत डाक द्वारा भेजे गए हैं तो उनकी प्राप्ति सूचना अनिवार्य रूप से ली जाये और उन्हें रिकार्ड में रखा जाए । पुलिस प्राधिकरण से प्राप्ति सूचना प्राप्त करने के लिए उचित अनुवर्ती कार्रवाई आवश्यक है । यदि मासिक समेकित रिपोर्टों को प्राप्त करने/ एफआईआर दर्ज करने में पुलिस की अनिच्छा के कारण कार्यालयों / बैंक शाखाओं को किसी भी कठिनाई का सामना करना पड रहा है तो उसका निपटान जाली बैंकनोटों की जांच से संबंधित मामलों की समन्वय हेतु नामित पुलिस प्राधिकरण के नोडल अधिकारी की सलाह से किया जाये । नोडल पुलिस स्टेशन की सूची भारतीय रिजर्व बैंक के संबन्धित कार्यालय से प्राप्त की जा सकती हैं ।
जाली नोटों के परिचालन को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों की आसानी से पहचान करने के क्रम में, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे बैंकिंग हॉल / क्षेत्र तथा काउंटर को सीसीटीवी की निगरानी तथा रिकॉर्डिंग में रखें तथा रिकॉर्डिंग को संरक्षित रखें ।
बैंकों को ऐसी पहचान के स्वरुप / प्रवृत्तियों पर निगरानी रखनी चाहिए और संदिग्ध स्वरुप/प्रवृत्तियों को तत्काल भारतीय रिजर्व बैंक/पुलिस प्राधिकारी के ध्यान में लाना चाहिए।
जाली नोटों की पहचान और उक्त की सूचना पुलिस, आरबीआई आदि को देने में बैंकों द्वारा की गई प्रगति और उससे संबंधित समस्याओं पर विभिन्न राज्य स्तरीय समितियाँ अर्थात राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी), करेंसी प्रबंधन पर स्थायी समिति(एससीसीएम) राज्य स्तरीय सुरक्षा समिति(एसएलएससी), आदि की बैठकों में नियमित रूप से विचार – विमर्श किया जाए ।
बैंक-शाखाओं /कोषागारों में पकड़े गए जाली भारतीय बैंक नोटों के आंकड़े, नीचे दिये गये पैरा- 10 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक, निर्गम कार्यालय को प्रेषित की जानेवाली मासिक विवरणियों में शामिल किये जायें ।
भारतीय दंड संहिता में '' जाली बनाना '' की परिभाषा में विदेशी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी करेंसी नोट भी शामिल हैं । पुलिस और सरकारी एजेंसियों से अभिमत /राय देने हेतु प्राप्त संदिग्ध विदेशी करेंसी नोटों के मामलों में, उन्हें यह सूचित किया जाये कि वे उक्त नोटों को नई दिल्ली स्थित सीबीआई की इंटरपोल विंग के पास उनसे पूर्व परामर्श के बाद भेज दें ।
भारत सरकार ने विधि विरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (यू.ए.पी.ए.), 1967 के तहत उच्च क्वालिटी कूटकृत भारतीय करेंसी के अपराधों का अन्वेषन नियम, 2013 को बनाया है | अधिनियम की तीसरी अनुसूची उच्च क्वालिटी वाले जाली भारतीय मुद्रा नोट को परिभाषित करती है। उच्च क्वालिटी वाले जाली नोटों को तैयार करने, तस्करी, या परिसंचरण की गतिविधियों को यू.ए.पी.ए., 1967 के दायरे मे लाया गया है|
पैरा 6 काउंटरो से जारी करने, एटीएम मशीनों में भरने और आरबीआई निर्गम कार्यालयों को विप्रेषण करने के पूर्व बैंकनोटों की जाँच करना
बैंकों को अपना नकद प्रबंधन कुछ इस तरह पुनर्निर्धारित करना चाहिये जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि रु. 100 और उससे अधिक मूल्य वर्ग की नकद प्राप्तियों को उन नोटों की मशीन प्रसंस्करण द्वारा प्रामाणिकता की जांच के बिना पुन: संचलन में नहीं डाला जाए । ये अनुदेश दैनिक नकद प्राप्ति के परिमाण को ध्यान में लिए बगैर सभी शाखाओं पर लागू होंगे । इस अनुदेश के किसी भी गैर अनुपालन को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिनांक 19 नवंबर 2009 के अनुदेश सं.3158/09.39.00 (नीति) 2009-10 का उल्लंघन माना जाएगा।
एटीएम मशीनों से जाली नोटों की प्राप्ति संबंधित शिकायतों का निपटान करने और जाली नोटों के संचलन पर रोक लगाने के उद्देश्य से यह अत्यावश्यक है कि एटीएम मशीनों में नोटों को भरने से पूर्व पर्याप्त सुरक्षा उपायों/ नियंत्रणों को लागू किया जाये । एटीएम मशीनों के माध्यम से जाली नोटों का वितरण, संबंधित बैंक द्वारा जाली नोटों के संचलन के लिये किया गया एक प्रयास माना जायेगा ।
मुद्रा तिजोरी विप्रेषणों /शेषों में जाली नोटों का पाये जाने को भी संबंधित मुद्रा तिजोरी द्वारा जान -बूझकर जाली नोटों के संचलन के लिये किया गया प्रयास माना जायेगा जिसके परिणामस्वरूप पुलिस प्राधिकरण द्वारा विशेष तहकीकात और अन्य कार्रवाई जैसे संबंधित मुद्रा तिजोरी के प्रचालनों को स्थगित करना की सकती है ।
निम्नलिखित परिस्थितियों में जाली नोटों के अनुमानित मूल्य की मात्रा तक हानि की वसूली के अलावा, जाली नोटों के अनुमानित मूल्य का 100% दंड लगाया जाएगा :
-
जब बैंक के गंदे नोटों के विप्रेषणों (रेमिटन्स) में जाली नोटों की पहचान की जाती है|
-
यदि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निरीक्षण / लेखा परीक्षण के दौरान बैंक के मुद्रा तिजोरी शेष मे जाली नोट पाए जाते हैं|
डीपीएसएस. केंका. ओडी. 1916/06.07.011/2018-19 दिनांक 07 मार्च 2019 के अनुसार (क) नकदी संचालन, तथा (ख) एटीएम हेतु साइबर सुरक्षा ढांचे के संबंध में बैंकों पर लागू सभी दिशानिर्देश, सुरक्षा उपाय, मानक तथा नियंत्रक उपाय व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटरों पर भी लागू होंगे ।
पैरा 7 नोडल बैंक अधिकारी को नियुक्त करना
प्रत्येक बैंक जिला-वार नोडल अधिकारी नियुक्त करें और उसकी जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और पुलिस प्राधिकरण को दें । पैरा 5 में यथाउल्लिखित, जाली नोट के पहचान की रिपोर्टिंग के मामले नोडल बैंक अधिकारी के माध्यम से आने चाहिए। नोडल बैंक अधिकारी जाली नोट पाये जाने से संबंधित सभी कार्यकलापों के लिए एक संपर्क अधिकारी के रूप में भी कार्य करेगा।
पैरा 8 बैंक के प्रधान कार्यालय में जाली नोट सतर्कता कक्ष की स्थापना
प्रत्येक बैंक निम्नलिखित कार्यों के निष्पादन हेतु अपने प्रधान कार्यालय में जाली (नकली) नोट सतर्कता कक्ष स्थापित करे: -
-
जाली नोटों के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों को बैंक की सभी शाखाओं में प्रचारित करना । इन अनुदेशों के कार्यान्वयन पर निगरानी रखना । वर्तमान अनुदेशों के अनुसार जाली नोटों की पहचान से संबंधित आंकड़े को समेकित करना और भारतीय रिज़र्व बैंक, एफआईयू – आईएनडी तथा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) को इसकी रिपोर्ट प्रेषित करना । पुलिस प्राधिकरण और निर्दिष्ट नोडल अधिकारी के साथ जाली नोटों के मामलों से संबंधित अनुवर्ती कार्रवाई करना।
-
इस तरह से संकलित जानकारी को बैंको के केंद्रीय सर्तकता अधिकारी से साझा करना तथा उन्हें काउंटरों पर स्वीकृत /जारी किये गये जाली नोटों से संबंधित मामलों की रिपोर्ट देना ।
-
ऐसी मुद्रा तिजोरियों; जहाँ पर दोषपूर्ण/जाली नोट आदि का पता लगा है, की आवधिक आकस्मिक जाँच करना ।
-
सभी मुद्रा तिजोरियों/ बैक आफिस में उपयुक्त क्षमता वाली नोट सॉर्टिग मशीनों के प्रचालन को सुनिश्चित करना और जाली नोटों के पता लगाने पर सावधानी पूर्वक निगरानी करना और उक्त का उचित रूप से रिकार्ड रखना । यह सुनिश्चित करना कि केवल छांटे गये और मशीनों से जांचे गये नोट ही एटीएम मशीनों में डाले जायें/ काउंटरों से जारी किये जायें और नोटों के प्रसंस्करण तथा पारगमन के समय आकस्मिक जांच सहित पर्याप्त सुरक्षा उपायों की व्यवस्था ।
जाली नोट सतर्कता कक्ष उपरोक्त पहलुओं को शामिल करते हुए तिमाही आधार पर, संबंधित तिमाही की समाप्ति के पंद्रह दिनों के भीतर, मुख्य महाप्रबंधक, मुद्रा प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, अमर भवन, चौथी मंजिल, सर पी.एम.रोड, फोर्ट, मुंबई - 400001 को ई-मेल पर तथा आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय के निर्गम विभाग जिसके कार्य क्षेत्र के अंतर्गत जाली नोट सतर्कता कक्ष कार्यरत हैं, को वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट प्रेषित करें । उपर्युक्त रिपोर्ट ई-मेल द्वारा भेजी जाये। हार्ड प्रति भेजने की आवश्यकता नहीं है ।
जाली नोट सतर्कता कक्षों के पते को अद्यतन करने के उद्देश्य से बैंक प्रत्येक वर्ष में 1 जुलाई को अनुसार निर्धारित प्रोफार्मा (अनुबंध V) में विवरण आरबीआई को प्रस्तुत करें । हार्ड प्रति भेजने की आवश्यकता नहीं है ।
पैरा 9 अल्ट्रा-वायलेट लैम्प तथा अन्य आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था करना
जाली नोटों की पहचान सुगम बनाने के लिए सभी बैंक शाखाओं /निर्दिष्ट बैक आफिसों को, अल्ट्रा-वायलेट लैम्प / अन्य उपयुक्त नोट सॉर्टिंग / पहचान वाली मशीनों से सुसज्जित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सभी मुद्रा तिजोरी शाखाओं में सत्यापन, प्रसंस्करण और छँटनी करने वाली मशीनों की व्यवस्था होनी चाहिये और मशीनों का इष्टतम स्तर तक उपयोग होना चाहिये । इन मशीनों को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित ''नोट सत्यापन और फिटनेस सार्टिंग मानदंडो'' के अनुरूप होना आवश्यक हैं ।
बैंक, पहचान किये गये जाली नोटों सहित नोट छँटनी मशीनों के माध्यम से प्रसंस्कृत नोटों का दैनिक रिकार्ड रखेंगे ।
बैंकों को जनता के उपयोग हेतु काउंटर पर नोट गिनने वाली कम से कम एक मशीन (जिसमें दोनों तरफ संख्या प्रदर्शित करने की सुविधा हो) लगाने पर भी विचार करना चाहिए ।
पैरा 10 आरबीआई / एनसीआरबी / एफआईयू – आईएनडी को आँकड़ों की सूचना सभी बैंक शाखाओं द्वारा
बैंक की सभी शाखाओं द्वारा पता लगाये गये जाली नोटों के आंकड़े मासिक आधार पर निर्धारित प्रारूप में सूचित करना आवश्यक है । माह के दौरान बैंक शाखाओं में पता लगाये गये जाली नोटों के ब्योरे दर्शानेवाला विवरण (अनुबंध VI) संकलित किया जाए और संबंधित रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालय को इस प्रकार प्रेषित किया जाये कि वह आगामी माह की 7 तारीख तक उन्हें प्राप्त हो जाये । यदि माह के दौरान कोई भी जाली नोट नहीं पाया जाता है तो उस स्थिति में शून्य रिपोर्ट प्रेषित की जाए ।
धनशोधन निवारण (अभिलेखों का अनुरक्षण) संशोधन नियम, 2013 के नियम 8(1) के तहत, बैंकों के प्रधान अधिकारियों को भी ऐसे नकदी लेन देन, जहां जाली नोट पाए गए हैं, की सूचना की रिपोर्ट, आगामी माह की 15 तारीख तक, निदेशक, एफआईयू आईएनडी, वित्तीय खुफिया ईकाई-भारत, 6वीं मंजिल, होटल सम्राट, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली-110021 को FINnet पोर्टल पर सूचना अपलोड के माध्यम से करने की आवश्यकता है। इसी प्रकार, जाली नोटों की पहचान के आंकड़े नैशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो की बेबसाईट के वेब आधारित सॉफ्टवेयर पर भी अपलोड किए जाएँ।
पैरा 11 पुलिस प्राधिकरण से प्राप्त जाली नोटों का परिरक्षण
पुलिस प्राधिकरण / न्यायालयों से पुन: प्राप्त सभी जाली नोटों को बैंक की अभिरक्षा में सावधानीपूर्वक परिरक्षित किया जाये और संबंधित शाखा द्वारा उक्त का रिकार्ड रखा जाये। बैंक के जाली नोट सतर्कता कक्ष को भी ऐसे जाली नोटों का शाखावार समेकित रिकार्ड रखना होगा ।
इन जाली नोटों का सत्यापन संबंधित शाखा के प्रभारी अधिकारी द्वारा छमाही (31 मार्च और 30 सितंबर) आधार पर किया जाना चाहिये । पुलिस प्राधिकरण से प्राप्ति की तिथि से इन जाली नोटों को तीन वर्ष की अवधि के लिए इनका परिरक्षण किया जाना चाहिये।
इसके पश्चात पूर्ण ब्योरे के साथ इन जाली नोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित निर्गम कार्यालय को भेजा जाये ।
जाली नोट जो न्यायालय में मुकदमेबाजी के अधीन हैं उन्हें न्यायालय निर्णय के बाद संबंधित शाखा के पास तीन वर्ष तक रखा जाए ।
पैरा 12 जाली नोटों का पता लगाना - स्टाफ प्रशिक्षण
यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि बैंकों / कोषागारों में नकदी व्यवहार करनेवाला स्टाफ, बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताओं से पूरी तरह परिचित हो ।
जाली नोट की पहचान के संबंध में बैंक -शाखा के कर्मचारियों को पर्याप्त प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से अनुबंध – VII में दर्शाये गये बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताएँ तथा डिज़ाइन सभी बैंकों / कोषागारों को इस निर्देश के साथ भेजे गये हैं कि वे इन्हें आम जनता के जानकारी के लिए प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करें । शाखाओं के स्तर पर प्रदर्शित करने के लिए 2005-06 श्रृंखला के बैंकनोटों के पोस्टरों की आपूर्ति की गयी है। रू. 2000/-, रू.500/-, रू. 200/-, रू. 100/-, रू. 50/-, रू. 20/- तथा रू. 10/- के नए डिजाईन के बैंक नोट की सुरक्षा विशेषताओं का विवरण https://www.paisaboltahai.rbi.org.in लिंक पर उपलब्ध है।
अन्य बैंक नोटों का विवरण भी उपरोक्त लिंक के "अपने नोट को जानिए" के तहत उपलब्ध है।
प्राप्ति के समय ही जाली नोटों का पता लगाने में, स्टाफ सदस्यों को सक्षम बनाने हेतु नियंत्रक कार्यालयों /प्रशिक्षण केंद्रों को बैंक नोटों के सुरक्षा विशेषताओं पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करने चाहिए । बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि नकदी का लेन-देन करनेवाले सभी बैंककर्मी असली भारतीय बैंक नोटों की विशेषताओं के संबंध में प्रशिक्षित हैं । इन प्रशिक्षणों में जाली नोटों की पहचान, जब्ती तथा रिपोर्टिंग शामिल होनी चाहिए । भारतीय रिज़र्व बैंक, संकाय सहायता और प्रशिक्षण सामग्री भी प्रदान करेगा।
अनुबंध – VIII
इस मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
क्रम संख्या |
परिपत्र संदर्भ संख्या |
दिनांक |
विषय |
मास्टर परिपत्र का पैरा |
1. |
डीसीएम एफएनवीडी जी 16/16.01.01/2003-04 |
18.12.2003 |
एटीएम के माध्यम से जाली नोट जारी करना |
पैरा 6 |
2. |
डीसीएम एफएनवीडी जी 31/16.01.01/2003-04 |
08.04.2004 |
जाली नोटों की पहचान – प्रस्तुतकर्ता को रसीद जारी करना |
पैरा 4 |
3. |
डीसीएम एफएनवीडी जी 3/16.02.03/2004-05 |
06.07.2004 |
जाली नोटों की पहचान – रसीद जारी करना |
पैरा 4 |
4. |
डीसीएम एफएनवीडी जी 23/16.01.01/2005-06 |
07.12.2005 |
एटीएम के माध्यम से जाली नोट जारी करना – जाली नोट सतर्कता कक्ष का गठन |
पैरा 6 तथा 8 |
5. |
डीसीएम एफएनवीडी जी 37/16.08.08/2006-07 |
28.03.2006 |
बैंकों के एटीएम से निकले जाली नोटों की पहचान |
पैरा 6 तथा 8 |
6. |
डीसीएम एफएनवीडी जी 18/16.01.01/2006-07 |
01.06.2007 |
मुद्रा तिजोरी विप्रेषण में बैंकों से प्राप्त जाली नोटों की पहचान करना |
पैरा 6 |
7. |
डीसीएम सं डीआईआर. एनपीडी. 3158/09.39.00/2009-10 |
19.11.2009 |
नोटों की छंटनी / प्रसंस्करण – नोट सॉर्टिंग मशीन की स्थापना |
पैरा 6 |
8. |
डीसीएम सं सीआईआर. एनपीडी. 3161/09.39.00 (नीति)/ 2009-10 |
19.11.2009 |
नोटों की छंटनी / प्रसंस्करण – नोट सॉर्टिंग मशीन की स्थापना |
पैरा 9 |
9. |
डीसीएम आरएण्डडी सं. जी -26/18.00.14/2009-10 |
11.05.2010 |
नोट सॉर्टिंग मशीन की स्थापना – नोटों की प्रामाणिकता तथा फिटनेस सॉर्टिंग के मानदण्ड |
पैरा 9 |
10. |
डीसीएम एफएनवीडी सं 502/16.01.05/2011-12 |
25.07.2011 |
जाली बैंक नोटों की पहचान करना – संशोधित प्रक्रिया |
पैरा 5 |
11. |
डीसीएम एफएनवीडी सं 5063/16.02.22/2011-12 |
09.05.2012 |
जाली नोटो की पहचान तथा रिपोर्टिंग हेतु प्रक्रिया – मौद्रिक नीति – 2012-13 |
पैरा 6 |
12. |
डीसीएम एफएनवीडी सं 2165/16.21.005/2012-13 |
16.11.2012 |
जाली नोटो की पहचान तथा रिपोर्टिंग– मौद्रिक नीति 2012-13 का दूसरी तिमाही समीक्षा |
पैरा 6 |
13. |
डीसीएम एफएनवीडी सं 776/16.01.05/2015-16 |
27.08.2015 |
जाली नोटों की पहचान – समीक्षा |
पैरा 2 |
14. |
डीसीएम एफएनवीडी सं 1134/16.01.05/2016-17 |
27.10.2016 |
जाली नोटों की पहचान तथा जब्ती |
पैरा 5 |
15. |
डीसीएम एफएनवीडी जी-7/16.01.05/17-18 |
15.01.2018 |
जाली नोटों की पहचान तथा जब्ती – एफआईआर दर्ज करना |
पैरा 5 |
16. |
डीपीएसएस.सीओ.ओडी सं. 1916/06.07.011/2018-19 |
07.03.2019 |
भारत में व्हाईट लेबल एटीएम (डब्ल्यूएलए) – दिशानिर्देशों की समीक्षा |
पैरा 6 |
|